बसंत कुमार शर्मा 107 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid बसंत कुमार शर्मा 5 Feb 2023 · 1 min read ग़ज़ल चाह जी भर कर मुझे कह उठा मन, मिल गया है चाहतों का घर मुझे। उसकी आँखों में दिखा जब प्यार का सागर मुझे। मुस्कुरा कर कह रही है आज मुझसे ज़िंदगी, चार पल की... Hindi · ग़ज़ल 171 Share बसंत कुमार शर्मा 19 Nov 2022 · 1 min read प्यार से जो भरी नहीं होती प्यार से जो भरी नहीं होती. ज़िन्दगी ज़िन्दगी नहीं होती. कौन तितली के भागता पीछे, वो अगर चुलबुली नहीं होती. तुम सियासत से दूर ही रहना, ये किसी की सगी... Hindi · ग़ज़ल 126 Share बसंत कुमार शर्मा 9 Nov 2022 · 1 min read नयन - एक गजल स्वप्न के जब बीज बोते हैं नयन. खुद को खुद में ही डुबोते हैं नयन. गर किसी दिन खो गए तो खो गए, इश्क में कब रोज खोते हैं नयन.... Hindi · ग़ज़ल 1 2 208 Share बसंत कुमार शर्मा 2 Nov 2022 · 1 min read जी भर फले फलते रहे - ग़ज़ल हम बस चले चलते रहे. जो भी जले जलते रहे. बस प्रेम का ही रंग था, सब पर मले मलते रहे. हक में हमारे फैसले, हर दिन टले टलते रहे.... Hindi · ग़ज़ल 245 Share बसंत कुमार शर्मा 4 Sep 2018 · 1 min read गुनगुनाने से रहे जिन्दगी है कीमती यूँ ही लुटाने से रहे हर किसी के गीत हम तो गुनगुनाने से रहे पैर अंगद से जमे हैं सत्य की दहलीज पर हो रही मुश्किल बहुत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 258 Share बसंत कुमार शर्मा 31 Aug 2018 · 1 min read गुनगुनाने से रहे जिन्दगी है कीमती यूँ ही लुटाने से रहे हर किसी के गीत तो हम गुनगुनाने से रहे पैर अंगद से जमे हैं सत्य की दहलीज पर हो रही मुश्किल बहुत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 252 Share बसंत कुमार शर्मा 28 Aug 2018 · 1 min read स्वयं से आज मिलने जा रहा हूँ खयालों में जिसे बुनता रहा हूँ हुआ जब सामना घबरा रहा हूँ गली में प्रेम की मुश्किल बहुत है दिल-ए-नादान को समझा रहा हूँ अलग है प्यार की खुशबू सभी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 243 Share बसंत कुमार शर्मा 27 Aug 2018 · 1 min read सब कुछ पाना हमें यहाँ है जीवन की राहें अनजानी, मंजिल का भी पता कहाँ है. चले जा रहे अपनी धुन में, सब कुछ पाना हमें यहाँ है. कहीं बबूलों के जंगल हैं, कहीं महकती है... Hindi · गीत 246 Share बसंत कुमार शर्मा 25 Aug 2018 · 1 min read लोकतंत्र अर्जी लिए खड़ा है बुधिया, दरवाजे पर खाली पेट. राजा जी कुर्सी पर बैठे, घुमा रहे हैं पेपरवेट. कहने को तो लोक तंत्र है, मगर लोक को जगह कहाँ. मंतर... Hindi · गीत 320 Share बसंत कुमार शर्मा 19 Aug 2018 · 1 min read माँ तपती हुई दुपहरी में भी, शीतल मंद हवा है माँ बच्चों की भूख मिटाने को, चूल्हा आग तवा है माँ घर आँगन का अनुशासन है, पूजा से भी पावन है... Hindi · मुक्तक 567 Share बसंत कुमार शर्मा 8 Aug 2018 · 1 min read घड़ा - नवगीत स्वर्ण-कलश हो गए लबालब, मैं क्यों अब तक रिक्त पड़ा. जाने कब नंबर आयेगा, यही सोचता रोज घड़ा. नदिया सूखी, पोखर प्यासे, तालाबों की वही कहानी. झरने खूब बहे पर्वत... Hindi · गीत 304 Share बसंत कुमार शर्मा 27 Jul 2018 · 1 min read बचपन सी सौगात न कोई झूठी मूठी बात न कोई बचपन सी सौगात न कोई सच के आगे झूठ कपट की होती है औकात न कोई जिसमें सपने देख न पायें होती ऐसी रात न... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 470 Share बसंत कुमार शर्मा 23 Jul 2018 · 1 min read ढूँढ रहा हूँ बड़े जतन से सिले थे’ माँ ने, वही बिछौने ढूँढ रहा हूँ ढूँढ रहा हूँ नटखट बचपन, खेल-खिलौने ढूँढ रहा हूँ नदी किनारे महल दुमहले, बन जाते थे जो मिनटों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 529 Share बसंत कुमार शर्मा 17 Jul 2018 · 1 min read लट जाते हैं पेड़ - गीत लट जाते हैं पेड़ © बसंत कुमार शर्मा राह किसी की कहाँ रोकते, हट जाते हैं पेड़ इसकी, उसकी, सबकी खातिर, कट जाते हैं पेड़ तपन धूप की खुद सह... Hindi · गीत 285 Share बसंत कुमार शर्मा 2 Feb 2018 · 1 min read चल रस्ता रोकें चल रस्ता रोकें © बसंत कुमार शर्मा, जबलपुर कहीं सड़क पर, कहीं रेल पर चल रस्ता रोकें. सारी फसल कट गई अब कुछ, काम नहीं बाकी. मुन्नी-मुन्ना, भाभी-भैया चल काका-काकी.... Hindi · गीत 280 Share बसंत कुमार शर्मा 25 Jan 2018 · 1 min read मुहब्बत में वफ़ाएँ ढूंढते हैं लोग जाने क्यों मुहब्बत में किसी को भी मिले हैं क्या, कभी भी फूल उल्फत में कहाँ चिंता वतन की अब, यहाँ पर लोग करते हैं तिजारत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 470 Share बसंत कुमार शर्मा 20 Jan 2018 · 1 min read झूठी मूठी बात न करिए झूठी मूठी बात न करिए वादों की बरसात न करिए नाजुक है दिल टूट न जाए, इससे भीतरघात न करिए ख्यात न हों, कुछ बात नहीं है, पर खुद को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 370 Share बसंत कुमार शर्मा 19 Sep 2017 · 1 min read ठहर जाता तो अच्छा था मापनी 1222 1222 1222 1222 इधर जाता तो अच्छा था, उधर जाता तो अच्छा था. रहा भ्रम में, कहीं पर यदि, ठहर जाता तो अच्छा था. उभर आता तो अच्छा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 479 Share बसंत कुमार शर्मा 15 Sep 2017 · 1 min read सूरज सन्यास लिए फिरता अँधियारा गद्दी पर बैठा, सूरज सन्यास लिए फिरता नैतिकता सच्चाई हमने, टाँगी कोने में खूँटी पर. लगा रहे हैं आग घरों में, जाति धर्म के प्रेत घूमकर. सत्ता की गलियों... Hindi · गीत 217 Share बसंत कुमार शर्मा 20 Aug 2017 · 1 min read प्रेम पर होती टिकी हर देश की बुनियाद है कैद हैं धनहीन तो, जो सेठ है,आजाद है झुग्गियों की लाश पर बनता यहाँ प्रासाद है थाम कर दिल मौन कोयल डाल पर बैठी हुई, तीर लेकर हर जगह बैठा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 297 Share बसंत कुमार शर्मा 9 Aug 2017 · 1 min read कहने को शर्मीली आँखें झील सी’ गहरी नीली आँखें हैं कितनी सकुचीली आँखें प्रेम अगन सुलगाने को तो हैं माचिस की तीली आँखें खो देता हूँ सारी सुध बुध उसकी देख नशीली आँखें यादों... Hindi · कविता 281 Share बसंत कुमार शर्मा 26 Jul 2017 · 1 min read तमन्ना हमें न जन्नत की कब किसी से यहाँ मुहब्बत की. जब भी’ की आपने सियासत की. जुल्म सहती रही सदा धरती, आसमां ने कहाँ शहादत की ताव दे मूँछ पर सभी बैठे, कौन बातें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 217 Share बसंत कुमार शर्मा 19 Jul 2017 · 1 min read तुलसी का वनवास हो गया घर टूटे मिट गए वसेरे, महलों में आवास हो गया. ऊँचे कद को देख लग रहा, सबका बहुत विकास हो गया. भूल गए पहचान गाँव की, बसे शहर में जब... Hindi · गीत 1 1 299 Share बसंत कुमार शर्मा 14 Jul 2017 · 1 min read सरकारी नाखून चुभते सदा गरीबों को ही, सरकारी नाखून. पट्टी बाँधें हुए आँख पर, बैठा है कानून. धर्म और ईमान भटकते. फुटपाथों पर दर दर. फलती और फूलती रहती, बेईमानी घर घर.... Hindi · गीत 403 Share बसंत कुमार शर्मा 13 Jul 2017 · 1 min read आ तो सही इक बार मेरे गाँव में आ तो सही इक बार मेरे गाँव में अद्भुत अतिथि सत्कार मेरे गाँव में हर वक्त रहते हैं खुले सबके लिए सबके दिलों के द्वार मेरे गाँव में तालाब नदियाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 366 Share बसंत कुमार शर्मा 12 Jul 2017 · 1 min read देश हो रहा शहरी गाँव ढूंढते ठौर ठिकाना, देश हो रहा शहरी. नहीं चहक अब गौरैया की, देती हमें सुनाई. तोता-मैना, बुलबुल, कागा, पड़ते नहीं दिखाई. लुप्त हो रहे पीपल बरगद, फुदके कहाँ गिलहरी.... Hindi · गीत 1 341 Share बसंत कुमार शर्मा 13 Jun 2017 · 1 min read मुहब्बत होती है स्वीट कभी नमकीन, मुहब्बत होती है जग में बहुत हसीन, मुहब्बत होती है थोड़ा थोड़ा त्याग, तपस्या हो थोड़ी, फिर न कभी ग़मगीन, मुहब्बत होती है चढ़ती है परवान, नाम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 440 Share बसंत कुमार शर्मा 8 Jun 2017 · 1 min read चलो फटे में टाँग अड़ाएँ यार चलो नेता बन जाएँ और फटे में टाँग अड़ाएँ शेयर जैसे सुबह उछलकर, लुढ़क शाम को नीचे आएँ जंतर मंतर पर जा बैठें, मूंगफली का भाव बढ़ाएँ दिखे अगर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 233 Share बसंत कुमार शर्मा 31 May 2017 · 1 min read मौन मुझे स्वीकार नहीं है यदि करना इनकार नहीं है, क्यों करता इकरार नहीं है चुप चुप रहना उसकी आदत, मौन मुझे स्वीकार नहीं है दिल से कभी न कह पायेगा, करता मुझसे प्यार नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 329 Share बसंत कुमार शर्मा 24 May 2017 · 1 min read शब्द पानी हो गए छोड़कर हमको किसी की जिंदगानी हो गए ख्वाब आँखों में सजे सब आसमानी हो गए प्रेम की संभावनाएँ थीं बहुत उनसे, मगर, जब मिलीं नजरें परस्पर, शब्द पानी हो गए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 297 Share बसंत कुमार शर्मा 15 May 2017 · 1 min read केवल माँ को ज्ञात एक कला संसार में, केवल माँ को ज्ञात बिन भाषा बिन बोल के, समझे सारी बात कहाँ रहे सद्भावना, कहाँ रहे सद्भाव जब फूलों के गाँव भी, होता हो पथराव... Hindi · दोहा 340 Share बसंत कुमार शर्मा 13 May 2017 · 1 min read माँ और बेटियाँ पाप अपने कुछ मिटाने चल दिए लोग गंगा में नहाने चल दिए तीर्थ घर में है हमारे सोचकर पैर माँ के हम दबाने चल दिए स्कूल में पढना पढ़ाना आ... Hindi · मुक्तक 294 Share बसंत कुमार शर्मा 11 May 2017 · 1 min read कोई रिश्ता निभाया जा रहा है कोई रिश्ता निभाया जा रहा है मुझे फिर से बुलाया जा रहा है पड़ीं हैं नींव में चुपचाप ईंटे, भले बोझा बढाया जा रहा है अभी कुछ शांत हैं लहरें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 529 Share बसंत कुमार शर्मा 10 May 2017 · 1 min read कौन भरेगा पेट -नवगीत छोड़ा गाँव आज बुधिया ने, बिस्तर लिया लपेट उपजायेगा कौन अन्न अब, कौन भरेगा पेट गायब हैं घर की खिड़की अब, दरवाजों की चलती. आज कमी आँगन की हमको, बहुत... Hindi · गीत 235 Share बसंत कुमार शर्मा 9 May 2017 · 1 min read ख्वाब भी तेरा सताता है मुझे नींद में आकर जगाता है मुझे ख्वाब भी तेरा सताता है मुझे झूमती आती घटायें बदलियाँ, प्यार का मौसम बुलाता है मुझे सर्दियों में सूर्य भाया था बहुत, गर्मियों में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 242 Share बसंत कुमार शर्मा 5 May 2017 · 1 min read सूरज पर चढ़ रही जवानी ओढ़े हुए आग की चादर, करने आया है मनमानी तपा रहा जमकर धरती को, सूरज पर चढ़ रही जवानी यहाँ बहुत दुश्मन पानी के, सुखा रहे हैं धीरे धीरे मर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 262 Share बसंत कुमार शर्मा 23 Apr 2017 · 1 min read कितनी करूं पढ़ाई माँ पहन गले में टाई माँ कितनी करूं पढ़ाई माँ जितना बोझा है बस्ते का, उतना मेरा वजन नहीं. होम वर्क मिलता है इतना, होता मुझसे सहन नहीं. कब आँगन में... Hindi · गीत 1k Share बसंत कुमार शर्मा 19 Apr 2017 · 1 min read जो करो तुम बस करो जी जान से आपकी झोली भरेगी ज्ञान से. यदि करोगे मित्रता विद्वान से. हाथ फैलाना नहीं अपने कभी हाथ ऊपर रख जियो बस शान से है सुरक्षित देश का हर नागरिक, सैनिकों के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 261 Share बसंत कुमार शर्मा 14 Apr 2017 · 1 min read कहाँ बदली गई (१) कभी घर पर नहीं करते, कभी बाहर नहीं करते किसी भी धर्म की निन्दा, किसी भी दर नहीं करते दिखे मंदिर, दिखे मस्जिद, झुका देते हैं सिर अपना निवासी... Hindi · मुक्तक 457 Share बसंत कुमार शर्मा 12 Apr 2017 · 1 min read हमें न पत्थरबाज चाहिए होना सबका काज चाहिए, हमको ऐसा राज चाहिए जिसे फ़िक्र हो आम जनों की, सर पर उसके ताज चाहिए अन्दर बाहर सदा एक हो, हमको वह आवाज चाहिए नया मुकाम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 636 Share बसंत कुमार शर्मा 10 Apr 2017 · 1 min read मगर खत्म अपनी कहानी नहीं है नहीं आज बचपन जवानी नहीं है मगर खत्म अपनी कहानी नहीं है मुझे जिन्दगी ने सताया है जी भर मगर हार मैने भी मानी नहीं है भरा प्रेम से है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 231 Share बसंत कुमार शर्मा 8 Apr 2017 · 1 min read मुहब्बत आप करते है सताया है बहुत हमने, शिकायत आप करते हैं हमारे ख्वाब में आकर, शरारत आप करते हैं ये माना हम नहीं दिल में, बताओ फिर जरा ये भी हमारी चिट्ठियों की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 320 Share बसंत कुमार शर्मा 6 Apr 2017 · 1 min read अब तुम मेरे हाथ खोल दो अब तुम मेरे हाथ खोल दो करूँ आक्रमण जरा बोल दो पत्थरबाजी बहुत हो रही, मानवता दिन रात रो रही, सारी जनता धैर्य खो रही, कब तक सहन करेंगे हम... Hindi · गीत 240 Share बसंत कुमार शर्मा 3 Apr 2017 · 1 min read नाम है बस दीप का जल रही बाती यहाँ पर नाम है बस दीप का आ गयी दीपावली फिर, आस लेकर इक नयी एक कपड़े के लिए बस, आज मुनिया रो गयी देखती है रास्ता... Hindi · गीत 1 1 452 Share बसंत कुमार शर्मा 1 Apr 2017 · 1 min read अप्रैल फूल बनाकर हँस लो अप्रैल फूल बनाकर हँस लो सबको आज हँसाकर हँस लो रूठा हुआ शाम से कोई उसको सुबह मनाकर हँस लो क्यों बैठो हो गाल फुलाकर थोड़ा सा पिचकाकर हँस लो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 206 Share बसंत कुमार शर्मा 31 Mar 2017 · 1 min read अक्षर अक्षर प्रीत लिखेंगे जब जब कोई गीत लिखेंगे अक्षर अक्षर प्रीत लिखेंगे ग्वाल, बाल, गोपी, यमुना तट कृष्ण राधिका, वंशी पनघट नंद यशोदा का घर आँगन, मोहन का नवनीत लिखेंगे कलम चलेगी छल... Hindi · गीत 233 Share बसंत कुमार शर्मा 31 Mar 2017 · 1 min read अखिलेश राहुल वार्ता यू पी चुनाव में हार के बाद प्रश्न अखिलेश का किस मत ने किस्मत बदल, ली है कुर्सी छीन राहुल से अखिलेश अब, पूछें बनकर दीन उत्तर राहुल का समझ... Hindi · दोहा 226 Share बसंत कुमार शर्मा 29 Mar 2017 · 1 min read साहब जी हैं व्यस्त होते हैं सब भाग्य से, राजा रंक फ़क़ीर हरे परायी पीर जो, कहलाता वह पीर इतना भी क्या दे रहे, इन मूंछों पर ताव थोड़ा सा तो दीजिये, प्रेम भाव... Hindi · दोहा 285 Share बसंत कुमार शर्मा 28 Mar 2017 · 1 min read भूल गया घर द्वारा मन बचपन के वे खेल खिलोने, निश्छल चंचल प्यारा मन ढूंढ रहा कागज़ की कश्ती, सुधियों में आवारा मन कभी नगर में कभी गाँव में, कभी धूप है छाँव कभी नदिया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 433 Share बसंत कुमार शर्मा 27 Mar 2017 · 1 min read हिय से मत दूर मुझे करना आज करूं तुमसे विनती हिय से मत दूर मुझे करना सोंप दिया तन सोंप दिया मन मान सदा दिल का रखना क्लेश न हो कुछ द्वेष न हो अपने मन... Hindi · कविता 490 Share Page 1 Next