Saraswati Bajpai Language: Hindi 209 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Next Saraswati Bajpai 27 Sep 2022 · 1 min read मौन भी क्यों गलत ? इन्सान हूँ मैं, मुझे फर्क पड़ता है जब कोई मेरी भावनाओं से पुनः पुनः खेल जाता है । या फिर स्वयं को सिद्ध करने में अनर्गल मिथ्यारोप मढ़ जाता है... Hindi · कविता 4 368 Share Saraswati Bajpai 24 Sep 2022 · 1 min read सेतु तुम आशाबन्ध सेतु हो मेरे प्राण व जीवन के मध्य । अथाह गहरी खाईं है इस सेतु के नीचे । जहाँ हलाहल विषजन्तु है, कालकूट आतुर है ग्रास को किन्तु... Hindi · कविता 6 6 242 Share Saraswati Bajpai 14 Sep 2022 · 1 min read हिन्दी हिन्दी, माँ है हमारी रग रग में रची बसी अस्तित्व, पहचान है हमारी । गर्भ से ही ये भाषा ध्वनियाँ कानों से होते हुए हृदय, मस्तिष्क में पैठ बना चुकी।... Hindi · कविता 5 2 325 Share Saraswati Bajpai 13 Sep 2022 · 1 min read उड़ान तुम्हें भरनी है यदि उड़ान हवाओं के रुख पर तो बेशक तुम उड़ो । मैं तो अपने पंखों को पुष्ट कर अपने हौंसलों से ही अपना आकाश नापूंगी । जो... Hindi 4 4 255 Share Saraswati Bajpai 11 Sep 2022 · 1 min read जरिया मेरी इस जिन्दगी में हवा, पानी, रोशनी का एकमात्र तुम जरिया हो । अब तुम्हीं सोंच लो तुम्हें इस जरिए को कैसे जारी रखना है । तुम दीपक नहीं सूर्य... Hindi · कविता 4 6 255 Share Saraswati Bajpai 9 Sep 2022 · 1 min read स्वप्न पखेरू कुछ सपने कैद थे कब से मेरे सीने में आज उन सबको रिहा कर दिया । समय की विभीषका में अनावृष्टि से शुष्क भूमि पोषणार्थ अन्न न उपजा सकी ।... Hindi 2 2 243 Share Saraswati Bajpai 7 Sep 2022 · 1 min read व्यथा ऐ नींद तू आती क्यों नही ? आँखें तरस गयीं तेरे आगोश को । यहां बाहर-भीतर सब तरफ बस शोर ही शोर है । मस्तिष्क की नसें खिंच रही हैं... Hindi · कविता 4 10 261 Share Saraswati Bajpai 6 Sep 2022 · 1 min read अनुभूति अजीब सी बेख्याली में उस रात बहुत देर बेचैनियों के शोरगुल में नींद दुबकी ही रही । थक गई जब आँख जगकर आवाज दी अनमने मन को और समझाया उसे... Hindi 3 235 Share Saraswati Bajpai 1 Sep 2022 · 1 min read सृजन की तैयारी अवरोध, प्रतिरोध, अन्तर्द्वन्द्ध की तीव्र होती लपटो के बीच बस चारों ओर धुआँ ही था जो जीवन में विष घोल रहा था । मन ईश्वर से पूँछ रहा था मेरे... Hindi · कविता 1 346 Share Saraswati Bajpai 23 Aug 2022 · 1 min read तुम्हारा मिलना तुमसे बिना मिले भी अनवरत तुमसे बातें मुसलसल है । तुम तसल्ली से सुन रहे ये एहसास भी कुछ कमाल का है । मेरे दुःखी होने पर तुम न होकर... Hindi 5 4 247 Share Saraswati Bajpai 20 Aug 2022 · 1 min read मन मोहन हे मुरली मनोहर ! कृष्ण कहो या कहो कन्हैया कोटि-कोटि तेरे नाम है। मन मोहन हे मुरली मनोहर ! तेरी अजब ही शान है। तू योगेश्वर, तू सर्वेश्वर पर ग्वालों में रमता फिरता ।... Hindi · गीत 2 2 530 Share Saraswati Bajpai 13 Aug 2022 · 1 min read समय का इम्तिहान ले रहा है इम्तिहान समय मेरे सब्र का आज सारे हौंसलों की आज़माइश है । पेशानियों पर शिकन के बल नहीं दिखे प्रेम की मेरे कुछ आज ऐसी पैमाइश है... Hindi 1 359 Share Saraswati Bajpai 13 Aug 2022 · 1 min read पत्ते टहनी से टूट कर पत्ते बड़े गुमान में हैं । कह रहे अब हम खुले आसमान में हैं । मदमस्त होके उड़ रहे सीमाओं से परे सोंचते वो व्यर्थ थे... Hindi · कविता 3 2 505 Share Saraswati Bajpai 8 Aug 2022 · 1 min read तुम्हारा शिखर मैं समझ सकती हूँ तुम्हे अपना शिखर चाहिए । किन्तु तुम जिस रास्ते से वहां पहुंचना चाहती थी, वो रास्ता आकर्षक तो था पर थोड़ा ऊपर जाकर फिर पुनः ढ़लान... Hindi · कविता 2 279 Share Saraswati Bajpai 4 Aug 2022 · 1 min read नियति से प्रतिकार लो जब कभी विचलित हो मन नैराश्यता भरने लगे, अशांत होकर मन ये फिर उत्साह जब तजने लगे, पूर्व के पुरुषार्थ से साहस स्वयं का आंकना । मन को थोड़ा शांत... Hindi · कविता 1 272 Share Saraswati Bajpai 2 Aug 2022 · 1 min read विसर्जन जो हाथ तत्पर थे सर्जन को अब तक आज वो विसर्जन के पथ पर खड़े है। थका है ये तन मन संवारते संवारते है छलनी हुए हाथ सब पथ बुहारते... Hindi · कविता 2 2 418 Share Saraswati Bajpai 28 Jul 2022 · 1 min read प्रतीक्षा के द्वार पर प्रतीक्षा के द्वार पर अपलक नयन से सजग हो खडे रहकर कितने रात दिन टांके हैं । कितनी अभीप्साओं को समझा शान्त किया । कभी थके कभी हारे धर धीर... Hindi · कविता 3 2 351 Share Saraswati Bajpai 26 Jul 2022 · 1 min read तुम स्वर बन आये हो प्राणों की बंजर बस्ती में स्वर बनकर संग आए हो । क्षुधा शान्त करने को मन की स्नेह बीज संग लाए हो । अपलक छवि निरख कर तेरी पूर्ण हुई... Hindi · कविता 4 4 329 Share Saraswati Bajpai 25 Jul 2022 · 1 min read हे शिव ! सृष्टि भरो शिवता से हे शिव! सृष्टि भरो शिवता से दृष्टि, वृत्ति सब शिवमय कर दो । हरो अपावन त्रिविध ताप सब पुण्य तपों की वृष्टि कर दो । प्रकृति करो सब उर्जित सत्... Hindi · कविता 3 418 Share Saraswati Bajpai 21 Jul 2022 · 1 min read तुम्हारे माता-पिता तुम्हारी नादानियों में,असावधानियों में, तुम्हारी छोटी-छोटी शरारतों में तुम्हारे दोस्त अवश्य साथ दे सकते है तुम्हारे भाई-बहन भी साथ आ सकते है किन्तु तुम्हारे माता-पिता,अभिभावक तुम्हारे साथ नहीं आ पाते।... Hindi · कविता 1 468 Share Saraswati Bajpai 19 Jul 2022 · 1 min read कोई ठांव मुझको चाहिए राह की दुश्वारियों को पार करते थक गई हूँ हो जहाँ कुछ शान्त मन वो ठांव मुझको चाहिए । घात पर प्रतिघात सहते हर एक शै को मात करते मात... Hindi · मुक्तक 2 290 Share Saraswati Bajpai 16 Jul 2022 · 1 min read प्रभु आशीष को मान दे माना बहुत से घात हैं हमने सहे और जाने कितने बिछड़े राह में, किन्तु जो बीता उसी की स्मृति में संग में जो हैं उन्हें भी क्यों भुलाएं ? खो... Hindi · कविता 1 496 Share Saraswati Bajpai 6 Jul 2022 · 1 min read कशमकश का दौर पता नहीं क्यों बस मन कुछ अजीब सा है, जैसे किसी असह्य भार तले दबा हो ऐसे हृदय थमा सा जा रहा है और प्राण कसमसा रहे है । कोई... Hindi 2 290 Share Saraswati Bajpai 5 Jul 2022 · 1 min read पूर्ण विराम से प्रश्नचिन्ह तक कभी रिश्तों में मैं पूर्ण विराम सी थी मुझे पाकर अपूर्णता खो गई थी । किन्तु आज उन्ही रिश्तों में मैं पूर्ण विराम से प्रश्नचिन्ह बन गई । जाने कितने... Hindi · कविता 281 Share Saraswati Bajpai 2 Jul 2022 · 1 min read गिरवी वर्तमान वो बहुत ही कठिन दौर था भविष्य नीलामी की कगार पर था। किंकर्तव्य थी मैं कैसे बचाऊँ इसे ? तो वर्तमान को गिरवी रख दिया । सोंचा कुछ दिन ये... Hindi · कविता 2 2 277 Share Saraswati Bajpai 26 Jun 2022 · 1 min read मां क्यों निष्ठुर? सच है ये मां बेटियों के साथ निष्ठुर सी दिखती है । क्योंकि वो अपनी बेटियों को मजबूत आधार देना चाहती है । वो नहीं चाहती कि जब समाज उन्हें... Hindi · कविता 399 Share Saraswati Bajpai 21 Jun 2022 · 1 min read कुछ ऐसे बिखरना चाहती हूँ। जब तय ही हो गया कि ज़िन्दगी बिखरनी है बिखर कर चरम पर फिर संवरना चाहती हूँ। मेरी हर पीड़ा, हर आंसू, मेंरे स्वप्न,मेरी उम्मीदें बिखरकर जिस धरा पर जा... Hindi · कविता 454 Share Saraswati Bajpai 17 Jun 2022 · 1 min read अटल विश्वास दो वैसे तो उपबन्ध कोई प्रेम में स्वीकृत नहीं किन्तु यदि देना ही हो तो अटल विश्वास दो। चहुँ ओर जब प्रतिरोध हो आक्षेप ही हो सर्वतः तब भी अडिग विश्वास... Hindi · कविता 1 2 277 Share Saraswati Bajpai 14 Jun 2022 · 1 min read मुस्कुराएं सदा मुस्कुराएं सदा क्योंकि,आज जीवन साथ है | सब कुटुम्बी संग में संग प्रेम व विश्वास है | मुस्कुराएं सदा क्योंकि,ज्ञान सामर्थ्य साथ है । किसी को स्वप्न में दुर्लभ साधन... Hindi · कविता 1 577 Share Saraswati Bajpai 10 Jun 2022 · 1 min read मैं और मांझी कितने शीत, ताप फिर वृष्टि ये आंखों को दिखलाएगी ? जाने विधना की गति आगे और कहाँ ले जाएगी ? जीवन की जलधारा में डगमग नैया डोल रही है। उद्विग्नता... Hindi · कविता 1 459 Share Saraswati Bajpai 6 Jun 2022 · 1 min read जैसा भी ये जीवन मेरा है। कभी मीठा सा, कभी खारा सा, उन्मुक्त कभी कभी कारा सा, जैसा भी ये जीवन मेरा है। लगे गैर कभी, कभी अपना सा, कभी सच्चा फिर कभी सपना सा, जैसा... Hindi · कविता 2 6 340 Share Saraswati Bajpai 5 Jun 2022 · 1 min read पुन: विभूषित हो धरती माँ । सभ्यता के शिखर पर पहुंचे हुए हे मनुज पुत्रों तुम जरा देखो ठहर, तेरी पालना व शीर्ष तक ले जाने में और सुख समृद्धि के उपहार में, तेरी मां के... Hindi · कविता 2 4 732 Share Saraswati Bajpai 4 Jun 2022 · 1 min read मन सीख न पाया कितने जख्म मिले है अब तक, पर मन सहना सीख न पाया । चोट लगी जब भी अन्तस में, झर-झर ये आंसू झर आया । रे मन पगले ! अब... Hindi · कविता 5 6 402 Share Saraswati Bajpai 2 Jun 2022 · 1 min read वो एक तुम वो एक तुम ही बने, जीने की वजह मेरी, तुम्हें न भाये यदि सांसें बेज़ार लगती है । तपाया खुद को सदा जिनकी एक खुशी के लिए अफसोस उनकी हीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 327 Share Saraswati Bajpai 1 Jun 2022 · 1 min read जाने क्यों वो सहमी सी ? जाने क्यों वो सहमी सी, सिमटी सी है दीवारों में । कितने पहरे लगा दिए हैं, मन के सब गलियारों में ? शान्त बहुत शंकित सी है, न जाने किससे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 229 Share Saraswati Bajpai 31 May 2022 · 1 min read गज़ल मुस्कान उसके मन की उलझन बता रही है । गम को समेटे भीतर खुशियां जता रही है ।। कड़वाहटों के घूंट वो पी चुकी कुछ इतने । जो भी मिली... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 360 Share Saraswati Bajpai 29 May 2022 · 1 min read क्या प्रात है ! क्या प्रात है, क्या प्रात है! सुहावना प्रभात है । निर्मल छटा आकाश की, शीतल सुखद सी वात है । संगीत सा घोले हवा में, विहग वृन्दों का ये कलरव... Hindi · कविता 292 Share Saraswati Bajpai 27 May 2022 · 1 min read रिश्ते कहीं मसरूफियत तेरी न बने रिश्ता ए तबाही रिश्ते भी चाहते है तवज्जो अदायगी । फुरसत में कभी बैठो बयां हाल-ए-दिल करो होगी तसब्वुर दिल में ख़ामख्वाह ताज़गी । इस... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 276 Share Saraswati Bajpai 23 May 2022 · 1 min read जब हम छोटे बच्चे थे । जब छोटी - छोटी बातों में हम खुशियां बहुत संजोते थे । उन्मुक्त हंसी होठों में थी आंखों में स्वप्न पिरोते थे । था नही ज्ञान ज्यादा कुछ भी पर... Hindi · कविता 4 4 490 Share Saraswati Bajpai 22 May 2022 · 1 min read मुझको ये जीवन जीना है रीते थे स्वप्न अभी तक जो आशाएं थी कुम्हलाई सी । अवधान हटा सब पथ के अब मुझको ये जीवन जीना है । कितने बसन्त निष्काम हुए जीवन रंगों से... Hindi · गीत 4 2 342 Share Saraswati Bajpai 21 May 2022 · 1 min read तन-मन की गिरह कोई तो मेरे मन की तन से सुलह करा दे। तन मन की जो गिरह है कोई उसे सुलझा दे। तन है विवश कि जग से है साम्यता जरूरी ।... Hindi · कविता 2 2 473 Share Saraswati Bajpai 15 May 2022 · 1 min read पिता पिता, मेरे सिर की छत, मन की सुरक्षित ढ़ाल हैं । उड़ान मेरे हौंसलों की, अस्तित्व की पहचान हैं । मन में जो दृढ़ता भरे मजबूत वो स्तम्भ हैं ।... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 12 25 741 Share Saraswati Bajpai 15 May 2022 · 1 min read नित हारती सरलता है। जगती के उदधि में विचारों की रज्जु से उर मदराचल सा मथता है तब अथक प्रयास से नवनीत कुछ निकलता है । सूर्य सिर पर तप रहा खार जल तन... Hindi · कविता 437 Share Saraswati Bajpai 15 Apr 2022 · 1 min read खींच तान यहां सबको ही अपने हिस्से में कुछ ज्यादा चाहिए, चाहे वो समाज हो, निज परिवार हो या हमसे जुड़े रिश्ते । ये कुछ ज्यादा की चाहत में जो खींच तान... Hindi · कविता 3 2 480 Share Saraswati Bajpai 12 Apr 2022 · 1 min read कहां जीवन है ? जीने के सब सामान जुटे पर इनमें कहीं न जीवन है । बीत रहे दिन काल चक्र संग रुका हुआ पर मेरा मन है । नहीं कोई बाधा है पथ... Hindi · कविता 1 442 Share Saraswati Bajpai 11 Apr 2022 · 1 min read राम ! तुम घट-घट वासी मुझे पता है राम कि तुम घट-घट वासी । किन्तु हमारी अल्पमति ये सहते जो एकान्त उदासी । माना तुमको पाकर मन सच्चिदानंद हो जाता है । किन्तु तुम्हें पाने... Hindi · कविता 4 2 360 Share Saraswati Bajpai 11 Apr 2022 · 1 min read राम राम हमारे जनमानस की धड़कन है । राम चरित ही निज संस्कृति का उद्गम है । राम हमारा दर्शन व आध्यात्म है । राम प्रेरणा और सकल सब ज्ञान हैं... Hindi · मुक्तक 4 4 362 Share Saraswati Bajpai 9 Apr 2022 · 1 min read नीड़ फिर सजाना है आज फिर से मन को मेरे हौंसला जुटाना है । सांसे अगर है साथ तो नीड़ फिर सजाना है । झंझावातों ने नीड़ की प्राचीर भेद डाली है । स्रोत... Hindi · कविता 3 6 335 Share Saraswati Bajpai 8 Apr 2022 · 1 min read मौन की पीड़ा अभिव्यक्तियों में कितने विराम सब लगे हैं । मन में बचा न संयम अब शील सब दहे हैं । नवोढा सी मूक भाषा कुछ बोलती नहीं है । पर मन... Hindi · कविता 1 370 Share Saraswati Bajpai 7 Apr 2022 · 1 min read खुशियों की रंगोली बरसो बाद सजी है मन में खुशियों की रंगोली । तन मन रंगे एक से रंग में आशाएं बनी हमजोली । फेंके ऐसे रंग किसी ने भीग गए सब गात... Hindi · कविता 2 2 701 Share Previous Page 3 Next