डॉ सुलक्षणा अहलावत 129 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 डॉ सुलक्षणा अहलावत 13 Aug 2016 · 1 min read इस स्वतंत्रता दिवस पर मोदी जी स्वतंत्रता दिवस पर एक नई पहल की शुरुआत करो, इस दिन लाल किले पर तिरंगे की डोर जवानों के हाथ करो। नेताओं ने बहुत फहरा लिया तिरंगा स्वतंत्रता... Hindi · कविता 1 498 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 13 Aug 2016 · 1 min read आज का समाज आज समाज का ताना बाना टूटता जा रहा है, छोटी छोटी बातों पर सिर फूटता जा रहा है। देखो आज भाई का दुश्मन भाई बन बैठा है, इंसानियत का दामन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 506 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 13 Aug 2016 · 1 min read दर्दे दिल कफ़न सिरहाने रखा है, पर मौत आती नहीं है। लाख कोशिशें कर ली, दिल से वो जाती नहीं है। दर्दे दिल किसे दिखाऊँ, मेरा कोई साथी नहीं है। इसका इलाज... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 516 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 13 Aug 2016 · 1 min read बेटी (शायरी) देवालय में बजते शंख की ध्वनि है बेटी, देवताओं के हवन यज्ञ की अग्नि है बेटी। खुशनसीब हैं वो जिनके आँगन में है बेटी, जग की तमाम खुशियों की जननी... Hindi · शेर 5 13 49k Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 12 Aug 2016 · 2 min read हे पुरुष मानसिकता बदल लो हे पुरुष मेरी तुझसे हाथ जोड़ कर इतनी सी विनती है। मानसिकता बदल ले तू अगर तेरी देवताओं में गिनती है। मेरी ही कोख से तूने जन्म लिया। मेरी ही... Hindi · कविता 1 392 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 11 Aug 2016 · 1 min read बलात्कार पीड़िता का दर्द उन दरिंदों ने तो सिर्फ एक बार मेरा बलात्कार किया था, पर समाज ने, मीडिया ने, कानून ने तो बार बार किया था। जब से लोगों को पता चला कि... Hindi · कविता 1 4 671 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 11 Aug 2016 · 1 min read खुशियों का भंडार अपना परिवार सभी खुशियों की चाबी मनुष्य का अपना परिवार है। कोई दुःख छु भी नहीं सकता यदि आपस में प्यार है। बताओ दूसरों में अपनों को खोजते ही क्यों हो तुम,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 466 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 11 Aug 2016 · 2 min read दर्द किसान का (हरियाणवी) कोय ना समझदा दुःख एक किसान का। होरया स जोखम उसनै आपणी जान का।। जेठ साढ़ के घाम म्ह जलै वो ठरै पौ के जाड्डे म्ह। कोय बी ना काम... Hindi · गीत 668 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 11 Aug 2016 · 1 min read दर्द शहीद के परिवार का छाती उस माँ की भी फ़टी होगी, दुनिया उस बाप की भी लूटी होगी, जिसका बेटा शहीद हो गया यहाँ। चरणों को जब उसने छुआ होगा, दर्द उस पत्नी को... Hindi · कविता 1k Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 10 Aug 2016 · 1 min read मृत्यु के बाद मौत होते ऐ आदमी की आड़े सब किमै ऐ बदल जावै स, जिसकै काँधे प थी जिम्मेदारी वो हे बोझ नजर आवै स। चारपाई प तै फटदे सी तलै लुटां... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 426 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 10 Aug 2016 · 1 min read दो आफ़ताब (शायरी) आज दो गुलाब एक साथ देखे, इतने हसीं ख्वाब एक साथ देखे। दिल की धड़कन ही रुक गयी थी, जब दो आफ़ताब एक साथ देखे।। ©® डॉ सुलक्षणा अहलावत Hindi · शेर 680 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 10 Aug 2016 · 1 min read वेश्या दिन में उसकी गली बदनाम रहती है, रात को रहती है आबाद, देकर चंद खुशियाँ दूसरों को अपनी जिंदगी कर रही है बर्बाद। दूसरों के तन की भूख मिटाती है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 511 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 9 Aug 2016 · 1 min read राखी का वचन (हरियाणवी) भाई र इब कै पोंचीयाँ प रपिये धेलै ना बस एक वचन दिए, माँ बाप की सेवा करैगा सारी उम्र उण प वार तन मन दिए। दुखां तै पाले साँ... Hindi · कविता 636 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 9 Aug 2016 · 1 min read वेश्या एक कड़वा सच ये कहने में नहीं आती लाज है कि वेश्या हूँ मैं, सच में अपने ऊपर मुझे नाज है कि वेश्या हूँ मैं। इन दुनिया वालों की अब करती परवाह नहीं... Hindi · कविता 6 1k Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 8 Aug 2016 · 1 min read एक दुआ ये भी हे मेरे मालिक मेरे हिन्दुस्तान पर ऐसी दया दृष्टि बनाये रखना, दो वक़्त की रोटी मेरे प्रभु हर किसी की थाली में सजाये रखना। ये कैसा इंसाफ पिता को लगे... Hindi · शेर 488 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 8 Aug 2016 · 1 min read ऊपर वाला उस ऊपर वाले से बड़ा कोई बाज़ीगर नहीं, कब, क्या कर दे वो किसी को खबर नहीं। खरे को खोटा, खोटे को खरा बना देता वो, इस जगत में उससे... Hindi · शेर 2 346 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 8 Aug 2016 · 1 min read सच का आइना सच का आइना क्या दिखाया उन्हें तिलमिला उठे वो। जरा सा सच क्या कहा एकदम से बिलबिला उठे वो। सच दिखाने से कोई सरोकार नहीं बस पैसे चाहिए उन्हें, पैसे... Hindi · कविता 505 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 7 Aug 2016 · 1 min read एक शे'र दिल के अहसासों को आँखों से कर बयाँ देना, मेरे तन्हा तड़पते लफ़्ज़ों को अपनी जुबाँ देना। एक पल में ही सातों जन्म जी लुंगी तेरे इश्क में, खुदा कसम... Hindi · मुक्तक 1 475 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 7 Aug 2016 · 1 min read आज की यारी (हरियाणवी) आड़े कौन किसका दोस्त स, सब मतलब के ऐ यार सं, यारी दोस्ती के नाम प लोग करैं आजकाल व्यापार सं। जब ताहीं गरज रहवै आड़े एक थाली म्ह लोग... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 522 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 7 Aug 2016 · 1 min read दहेज की आग ज्वालामुखी सी सुलगती रहती है ये दहेज की आग, हमने कानून बना दिए हैं सरकार अलापे यही राग। पर दहेज की आग का दर्द एक पिता ही जानता है, बेटी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 723 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 7 Aug 2016 · 1 min read ज्ञान की अलख अज्ञान के अंधकार को भगाने को ज्ञान की अलख घर घर जगाने को निकल पड़ी हूँ मैं लेकर अटल इरादा कुछ लोग खूब आलोचना करेंगे मेरी कुछ लोग बहुत सराहना... Hindi · कविता 421 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 7 Aug 2016 · 1 min read नजर आ रहा है जिधर देखो उधर आज अभिमान ही नजर आ रहा है। इंसानों के अंदर बैठा हैवान ही नजर आ रहा है। संवेदनशीलता मरती जा रही है आज के इस दौर में,... Hindi · कविता 380 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 7 Aug 2016 · 1 min read मजदूर दुनिया में जो शख्स सबसे ज्यादा मजबूर है, ऐ दोस्त! वो शख्स और कोई नहीं मजदूर है। मजदूर की बदौलत खड़ी है फैक्ट्री दुनिया में, पर देखो फैक्ट्री वाला बना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 309 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 6 Aug 2016 · 1 min read सिसकता बचपन इन सड़कों पर सिसकता बचपन देखा मैंने, फटे कपड़ों से झांकता तन बदन देखा मैंने। अपनी छोटी सी इच्छाओं को मन में दबाकर, झूठी मुस्कान बिखेरता मायूस मन देखा मैंने।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 482 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 6 Aug 2016 · 1 min read मन का मीत मन का मीत तोड़ प्रीत छोड़ अकेली चला गया, प्यार में खोया मन रोया जीवन मेरा छला गया। चिंता जगी आग लगी चिराग बुझा मोहब्बत का, हुई ख़ता मिली सजा... Hindi · कविता 1 1 502 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 6 Aug 2016 · 1 min read कर्मचारी और सरकार किसी सरकार बणी या म्हारै हरियाणे म्ह, कर्मचारियाँ नै रोकना चाहवै स थाणे म्ह। तानाशाही रवैया अपणाण लाग री स या, दुश्मन बणाण लाग री सबनै अनजाणे म्ह। निजीकरण म्ह... Hindi · कविता 630 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 5 Aug 2016 · 1 min read सावन और हसीना कुछ ऐसे लगता है ये सावन का महीना, जैसे श्रृंगार किये हो कोई सुंदर हसीना। हसीना की जुल्फों के जैसी काली घटाएं, नीले नीले आसमान में हर रोज ही छाएं।... Hindi · कविता 519 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 5 Aug 2016 · 1 min read मैं खुश थी मिट्टी का कच्चा घर बनाकर ही खुश थी, कागज की कश्ती चलाकर ही खुश थी। कहाँ आ गयी इस समझदारी के दौर में, गुड्डे गुड़ियों की शादी रचाकर ही खुश... Hindi · मुक्तक 1 433 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 5 Aug 2016 · 1 min read तीज मनावां आ जाओ कुछ इस तरियां आपाँ तीज मनावां। भाईचारे अर प्रेम की लांबी पींग आपाँ बधावां। रल मिल कै बहु भाण बेटियां नै झुलाण चालां, कोय बी पेड़ खाली ना... Hindi · कविता 405 Share Previous Page 3