डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 130 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 3 Feb 2024 · 1 min read "क्या मैं वही नही हूं" मिल जाए उलझनों से फुरसत तो जरा सोचना, क्या मैं वही नही हूं जिसकी तलाश थी तुम्हें युगों से। कभी मिल जाए फुरसत तो जरा सोचना, क्या मैं वही नही... Hindi 1 116 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 4 Dec 2023 · 1 min read रिश्ता तुझे लिखती हूं तो मेरी उंगलियां भी धड़कने लगती है। सांसों का ही नहीं, तुझसे नसों का भी रिश्ता है, जिसमें तेरे ही प्रेम का लाल रंग, रक्त बन बहता... Hindi 1 131 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 3 Nov 2023 · 1 min read *प्रेम* मेरे प्रेम के विस्तार को, अरे तुम क्या समझोगे। तुम्हारा प्रेम है सीमित, तुम्हारी ही तरह। मेरे मौन में भी उद्गम, है गंगा की धार। तुम्हारे शब्द में भी, है... Hindi 1 105 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 10 Jun 2023 · 1 min read आज खुद को गले लगाकर आज खुद को गले लगाकर जी भर के रो लिए कांधे पे रख हाथ अपना अश्कों को पी लिए .... डा० निधि श्रीवास्तव "सरोद" Hindi 1 182 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 11 Dec 2022 · 1 min read "संबंधों की भी उम्र होती है" संबंधों की भी उम्र होती है। जी लो जितना हो सके। जाने कब घटते घटते मृतप्राय हो जाते है। लाभ हानि से सिंचित जाने कब फलते फलते निष्प्राण हो जाते... Hindi 1 99 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 29 Nov 2022 · 1 min read "एक दोस्त ही काफी है " जीवन के इस आपा धापी में रंग बदलते रिश्ते में कड़वे तीखे दौर में एक दोस्त ही काफी है। कंधे पर रख हाथ पकड़ ले हाथ में हाथ और बोले... Hindi 3 257 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 3 Jul 2022 · 1 min read "रेत के घरौंदे" बंद मुट्ठी से निकलते रेत के घरौंदे, अपनी अपनी उदासियों को ले। कहां छुपाएं ये मन की सिसकियां, भूले बिसरे गीतों से ये प्रीत के मनके। खुशबुओं का अंबार बिखरा... Hindi 2 245 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 22 Apr 2022 · 1 min read "आंसू " रुके हो इतने दिनों से, तो थोड़ा और थम जाओ। संभल जाऊं मैं जरा, और थाम लूं खुद को, फिर निकल पड़ना, नही तो कहीं, मैं बह ना जाऊं, टूट... Hindi · कविता 3 214 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 4 Mar 2022 · 1 min read "ये शुष्क पीली पत्तियां" यूं ही नही गिरती वृक्षों से, ये शुष्क पीली पत्तियां। वर्षों की हरितिमा छुपाए मन में, ये कमजोर पत्तियां। प्रात की ओस लिए, भोर की आस लिए, दिनमान को समेटे,... Hindi · कविता 2 541 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 16 Dec 2021 · 1 min read "फिर मिलो" कभी तुम मिलो तो, कहें कुछ अपने मन की। कहां तक संभाले रहे, जो रह गई थी कहीं, कभी बीते मिलन में। जो बातें सुनाएं थे दिल की, रह गई... Hindi · कविता 1 456 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 18 Aug 2021 · 1 min read "चलो आज खुद से मुलाकात करते हैं" चलो आज खुद से मुलाकात करते हैं, हुए दिन बहुत खुद से बात करते हैं। ये जिस्म को ओढ़े मेरा मन, दबा है बहुत दिनो से, चलो आज उसे आज़ाद... Hindi · कविता 4 6 1k Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 19 Jul 2021 · 1 min read एक शेर "कैसे अब अंधेरों को हम मिटाएं, कि चरागों को भी जलने का शौक नहीं।" --- © डा० निधि श्रीवास्तव "सरोद" Hindi · शेर 1 311 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 27 Mar 2021 · 1 min read मुक्तक कभी टूटते ख्वाहिशों को देखते हैं, कभी जिन्दगी के तार जोड़ते हैं, क्या बतायें हम दिल के फसाने, कहाँ कहाँ के दर्द में पैबन्द जोड़ते हैं। © डा० निधि श्रीवास्तव... Hindi · मुक्तक 1 328 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 27 Mar 2021 · 1 min read मुक्तक ठहरो अभी कुछ दर्द सीने बाकी हैं, ज़िन्दगी में कुछ अश्क पीने बाकी है, छू लो ज़रा आँखों से ये रिसते हुए ज़ख्म, कि तमाम उम्र के शौक जीने अभी... Hindi · मुक्तक 1 288 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 27 Mar 2021 · 1 min read मुक्तक सपनों को उड़ान चाहिये, मुठ्ठी भर आसमान चाहिये, छोड़ दो उँगली पकड़ना, एक नहीं सारा जहान चाहिये। © डा०निधि श्रीवास्तव "सरोद"... Hindi · मुक्तक 1 295 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 11 Mar 2021 · 1 min read "सृजन को अभिलाषी" कुंदन सा दमक रहा नभ, देख धरा मन दीप जलाती। इस छोर से उस छोर तक, पुलक से भर भर जाती। जैसे हो बेल पल्लवित, कुसुमित नव अंकुरों से, हुई... Hindi · कविता 1 2 345 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 15 Dec 2020 · 1 min read "ये कोरोना हार जाएगा" दबे पांव गुजर जाएगा, ये कोरोना हार जाएगा। सुनो रस होते है नौ, ये दसवां रस है वाय , ये किसी को ना भाय, कल हाथ मसलता , यूं ही... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 9 31 681 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 10 Dec 2020 · 1 min read "अमलतास बन जाते हो" मेरे लिए अमलतास बन जाते हो, जब मेरे वजूद पर छा जाते हो । स्वर्ण रश्मियों में धूल कर तुम , देखो निखर -निखर से जाते हो। छूकर हवा मुझे... Hindi · कविता 1 4 529 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 26 Oct 2020 · 1 min read " वो रावण जलाते रहे" वो रावण जलाते रहे, हम अपना अहम, वो राम पूजते रहे, हम अपना सत्य, वो करते रहे उपासना, माता सीता की, हम अपना कर्म, जीत किसकी, हार किसकी, अहम की... Hindi · कविता 2 2 379 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 20 Oct 2020 · 1 min read "वो छू कर हमें हवा क्या गयी" वो छू कर हमें हवा क्या गयी, कि रास्ते में लगे रुख हवा का मोड़ने, अभी तो बदलियों का दौर है, जरा खिल कर चांद को आने तो दो, देखो... Hindi · कविता 4 4 400 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 17 Oct 2020 · 1 min read "मन के आंगन में" मन के आंगन में उग आया है पेड़ कोई। पीत पात से गिर रहे, असंख्य स्मृति के पल कई। वो रीता रीता सा सावन, भीग रहा सूना आंगन। कोई दादुर... Hindi · कविता 3 2 319 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 13 Oct 2020 · 1 min read "जिंदगी" जिंदगी कभी श्वेत श्याम सी, कभी हो जाती है रंगीन। इसको भी आता है खेलना, मदमस्त हो खेल संगीन, कभी कहीं झुक जाती है, तो कहीं अकड़ दिखाती है, किस्सा... Hindi · कविता 1 2 326 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 9 Oct 2020 · 1 min read "बड़े दिनों बाद आए हो" बड़े दिनों बाद आए हो, साथ में क्या लाए हो, बीते हुए कुछ पल , या ख्वाबों के गलीचे, कुछ तो बताओ, क्या सोच रहे हो, देर तक बैठूंगी, ख्वाबों... Hindi · कविता 4 2 304 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 7 Oct 2020 · 1 min read "नाव कागज की" नाव कागज की, बनायी थी बचपन में मैंने। कुछ सपनों को रख, तैराया था पानी में मैंने। वो बूंदों ने भिगोया था, जो गीले से सपनों को , नाव कागज... Hindi · कविता 1 349 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 6 Oct 2020 · 1 min read "कलम की धार" (1) अभी तो कलम, चली नहीं है मेरी। तू उड़ बन के फाख्ता, एक दिन कटेंगे पर तेरे, मेरी कलम की धार से। © डा० निधि श्रीवास्तव "सरोद"... (2) वो... Hindi · कविता 2 544 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 4 Oct 2020 · 1 min read "ये कोरोना हार जाएगा" दबे पांव गुजर जाएगा, ये कोरोना हार जाएगा। सुनो रस होते है नौ, ये दसवां रस है वाय, आया कहां से भाय, कल हाथ मसलता , यूं ही रह जाएगा,... Hindi · कविता 1 269 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 27 Sep 2020 · 1 min read "मिटने को फिर एक बार" कितनी बार शुरू करूं वहीं से, दूर पहुंच जाती हूं कई बार, फिर करनी ही पड़ती है, एक नई शुरुआत हर बार, जैसे मिली हूं पहली बार। क्यूं बिखर जाऊं... Hindi · कविता 4 445 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 23 Sep 2020 · 1 min read "पलाश" मैं निहार रही हूं तुम्हें, मुग्ध हूं, तुम्हारे विराट सौन्दर्य पर, हे पलाश! क्या तुम से सुंदर कोई हो सकता है? तुम्हारे पत्ते हवा में झूम रहे हैं, मानों खुशी... Hindi · कविता 3 490 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 23 Sep 2020 · 1 min read "मन के चट्टानों से" मन के चट्टानों से, भावों का यूं टकराना। रह - रह कर, तह दर तह पर जाना। धार समय की यूं देखो, कैसे उमड़ उमड़ कर जाना। मन के चट्टानों... Hindi · कविता 2 349 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 14 Sep 2020 · 1 min read "हिंदी, संस्कृति की पहचान तुम" भाषा का पहला निवाला, तुमने ही तो है खिलाया। मां को मां सबसे पहले, तुमने ही तो है बुलाया। लिपट कर तुझसे ही, तो पापा को मैंने बुलाया। गुड़िया- गुड्डे,... Hindi · कविता 3 4 356 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 5 Sep 2020 · 1 min read "मुझ में तुम बहते रहे" मुझ में तुम बहते रहे, कभी बातों में , तो कभी आंखों में , वहीं सिहरन है, अभी मुझ में, कभी सांसों में , तो कभी यादों में , मुझ... Hindi · कविता 3 4 546 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 20 Aug 2020 · 3 min read अजनबी भीड़ सूनी आँखों से आकाश को निहारती विभा न जाने क्या सोच रही थी कि अचानक उसका अतीत किसी भयंकर भूकंप की तरह उसके शरीर को तरंगित कर गया। पल भर... Hindi · लघु कथा 3 2 365 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 18 Jun 2020 · 1 min read "मेरे अंदर के हिमनद को" मेरे अंदर के हिमनद को, तुम पिघला देते तो अच्छा होता। इस श्वेत गरल काे , श्याम बनाते तो अच्छा होता। इतनी जड़ता मेरे अंदर, तुम निर्झर कर देते तो... Hindi · कविता 4 2 611 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 23 Apr 2020 · 1 min read "मौन की आहट" मौन की भी, आहट होती है। सुन सको तो सुनो, पदचाप उसकी। बाँटना है तो बाँट लो , व्यग्रता उस मौन की। कल नहीं होगा, वह आज जिसका। शूल से... Hindi · कविता 2 4 600 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 17 Apr 2020 · 1 min read "वो भी क्या दिन थे" वो भी क्या दिन थे। जब हम सज संवर कर निकला करते थे। कुछ कहने- सुनने में समय व्यतीत किया करते थे वो भी क्या दिन थे । कहाँ कहाँ... Hindi · कविता 3 4 510 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 2 Mar 2020 · 1 min read "मैं बहती नदी सी" मैं बहती नदी सी तुम प्रवाह रोक पाओगे... किंचित नहीं संशय मन में वर्जनाओं को तोड़ पाओगे... है व्यथा जो मन की बैठ कहीं सुन पाओगे... हैं कठोर दृग के... Hindi · कविता 4 457 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 13 Dec 2019 · 3 min read 'अहंकार' अभी रुक्मिणी आँफिस पहुँची ही थी कि चपरासी ने आकर बोला मैडम बुला रही हैं। रुक्मिणी अपना बैग रख कर फौरन अपनी बास के पास पहुँची। मैडम सुरभि अपने कमरे... Hindi · लघु कथा 3 2 493 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 4 Dec 2019 · 1 min read 'मोमबत्ती' तू भी जली , मैं भी जली। तू मोम सी थी, इस लिये जली। मैं मोम की थी, इस लिये जली। तू छिपाने के लिये जली, मैं दिखाने के लिये... Hindi · कविता 3 2 543 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 11 Nov 2019 · 2 min read "बारिश की पहली बूँद" "माँ! तुम भी न, जब देखो तब डाँटती रहती हो" स्नेहा पैर पटकते हुये अपने कमरे में चली गयी। वैदेही यह देखकर अचम्भित हो उठी।आखिर उसने ऐसा क्या कह दिया... Hindi · लघु कथा 5 2 332 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 11 Nov 2019 · 1 min read "इस दीवाली" चलो इस बार दीवाली, करें मिल कर सफाई, कुछ बैर दिल से तुम निकालो, कुछ मैंल दिल से मैं दूर करूँ, कोई कोना ना रह जाये बाकी, कि मन में... Hindi · कविता 2 388 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 14 Sep 2019 · 1 min read "क्यूँ करते हो एक ही सवाल बार-बार" क्यूँ करते हो एक ही सवाल बार-बार, क्यूँ करते हो एक ही सवाल बार 'बार, दे चुकी हूँ जवाब कई बार, क्यूँ करते हो एक ही सवाल बार -बार, हाँ... Hindi · कविता 1 392 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 14 Sep 2019 · 1 min read "अच्छा लगता है शब्दों का मौन हो जाना" अच्छा लगता है शब्दों का मौन हो जाना भावों का उमड़ घुमड़ कर बरस जाना अच्छा लगता है शब्दों का मौन हो जाना नैनों के कोरों से रतीले पथ पर... Hindi · कविता 2 1 280 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 13 Sep 2019 · 1 min read "हिन्दी-दिवस" हिन्दी-दिवस लो आ गयी मैं आज फिर से, कर लो एक दिन प्यार फिर से, दे दो आज सम्मान फिर से, लो आ गयी मैं आज फिर से। कहते हो... Hindi · कविता 2 363 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 6 Sep 2019 · 1 min read "मैं आग चुनुंगी" तुम ख्वाब चुनो, मैं आग चुनुंगी, देश की खातिर, मिट्टी पर बलिदान चुनुंगी, तुम अर्थ चुनो, मैं मूल्य चुनुंगी, बच्चों की खातिर, शिक्षा का अधिकार चुनुंगी, तुम रात चुनों, मैं... Hindi · कविता 1 355 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 4 Sep 2019 · 1 min read "क्यूँ" क्यूँ करूँ मैं नकल किसी की, जब मूल स्वर मेरा है अविजित, पंथ मेरा है कठिन किन्तु, नहीं होती कभी मैं विचलित, रोकती हैं असंख्य वर्जनायें, क्यूँ रूकूँ मैं अपने... Hindi · कविता 1 502 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 5 Jul 2019 · 1 min read "जिन्दगी" दर्द ने हंस कर कहा मुझसे एक दिन तुझे जिंदगी से रूठना होगा चाहे कितना भी लड़ ले तू मुझसे पर एक दिन तुझे टूटना होगा. तेरी कोशिशे बेकार है... Hindi · कविता 1 455 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 17 Jun 2019 · 1 min read "कैसे लिखूँ मैं" कैसे लिखूँ मैं...कैसे लिखूँ मैं... मन में है कोहराम मचा। कैसे लिखूँ मैं...कैसे लिखूँ मैं... इतनी बेशर्मी अत्याचार बढ़ा कुंठित मन और दूषित भुजा। कैसे लिखूँ मैं...कैसे लिखूँ मैं... मन... Hindi · कविता 2 560 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 3 Apr 2019 · 1 min read "मैं परी ही तो हूँ" "मैं परी ही तो हूँ" शीतल सरल सी सौम्य मनोरम सी मैं भोर ही तो हूँ... भौंरों की गुंजन सी पपीहे की कूक सी मैं गीत ही तो हूँ... सोन... Hindi · कविता 1 509 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 8 Mar 2019 · 1 min read "क्योंकि मैं नारी हूँ......" क्योंकि मैं नारी हूँ...... मैं वात्सल्य हूँ मैं श्रृंगार हूँ मैं मीत हूँ मैं प्रीत हूँ स्नेह में बंधी हूँ मगर उन्मुक्त हूँ प्रेम को समेटे हूँ मगर अँगार हूँ... Hindi · कविता 2 2 521 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 17 Feb 2019 · 1 min read "माँ मुझे वरदान दो" माँ मुझे वरदान दो, ज्ञान से मुझको मान दो, माँ मुझे वरदान दो। शब्द- शब्द गुँजित हों , मेरे आँसुओं को सम्मान दो, माँ मुझे वरदान दो। छीन लो मेरा... Hindi · कविता 1 494 Share Page 1 Next