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786 posts
Page 15
"खूबसूरत आंखें आत्माओं के अंधेरों को रोक देती हैं"
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ख़ामोशी यूं कुछ कह रही थी मेरे कान में,
ख़ामोशी यूं कुछ कह रही थी मेरे कान में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आकांक्षा की पतंग
आकांक्षा की पतंग
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आरक्षण: एक समीक्षात्मक लेख
आरक्षण: एक समीक्षात्मक लेख
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कब बिछड़कर हम दोनों हमसफ़र हो जाए
कब बिछड़कर हम दोनों हमसफ़र हो जाए
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
🌳पृथ्वी का चंवर🌳
🌳पृथ्वी का चंवर🌳
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पिता एक उम्मीद है, एक आस है
पिता एक उम्मीद है, एक आस है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बस भगवान नहीं होता,
बस भगवान नहीं होता,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बेफिक्र तेरे पहलू पे उतर आया हूं मैं, अब तेरी मर्जी....
बेफिक्र तेरे पहलू पे उतर आया हूं मैं, अब तेरी मर्जी....
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
यूं आंखों ही आंखों में शरारत हो गई है,
यूं आंखों ही आंखों में शरारत हो गई है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ज़िंदगी तो फ़क़त एक नशा-ए-जमज़म है
ज़िंदगी तो फ़क़त एक नशा-ए-जमज़म है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
शर्माती हुई जब वो बगल से चली जाती है
शर्माती हुई जब वो बगल से चली जाती है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मिट्टी का एक घर
मिट्टी का एक घर
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अरे वो बाप तुम्हें,
अरे वो बाप तुम्हें,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
भगवान शिव शंभू की स्तुति
भगवान शिव शंभू की स्तुति
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ज़िंदगी चलती है
ज़िंदगी चलती है
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सिंह सोया हो या जागा हो,
सिंह सोया हो या जागा हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
डिप्रेशन कोई मज़ाक नहीं है मेरे दोस्तों,
डिप्रेशन कोई मज़ाक नहीं है मेरे दोस्तों,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मर्यादा, संघर्ष और ईमानदारी,
मर्यादा, संघर्ष और ईमानदारी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अनारकली भी मिले और तख़्त भी,
अनारकली भी मिले और तख़्त भी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ईश्वर बहुत मेहरबान है, गर बच्चियां गरीब हों,
ईश्वर बहुत मेहरबान है, गर बच्चियां गरीब हों,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अभी अभी तो इक मिसरा बना था,
अभी अभी तो इक मिसरा बना था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नर्म वही जाड़े की धूप
नर्म वही जाड़े की धूप
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आंखें भी खोलनी पड़ती है साहब,
आंखें भी खोलनी पड़ती है साहब,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तमाम उम्र जमीर ने झुकने नहीं दिया,
तमाम उम्र जमीर ने झुकने नहीं दिया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
उसे खो देने का डर रोज डराता था,
उसे खो देने का डर रोज डराता था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
लोग शोर करते रहे और मैं निस्तब्ध बस सांस लेता रहा,
लोग शोर करते रहे और मैं निस्तब्ध बस सांस लेता रहा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ये आप पर है कि ज़िंदगी कैसे जीते हैं,
ये आप पर है कि ज़िंदगी कैसे जीते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ज़िंदगी के तजुर्बे खा गए बचपन मेरा,
ज़िंदगी के तजुर्बे खा गए बचपन मेरा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"मेरे मन की बगिया में"
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"जिंदगी की बात अब जिंदगी कर रही"
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
“ख़ामोश सा मेरे मन का शहर,
“ख़ामोश सा मेरे मन का शहर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बहुत टूट के बरसा है,
बहुत टूट के बरसा है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
इश्क़ लिखने पढ़ने में उलझ गया,
इश्क़ लिखने पढ़ने में उलझ गया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"तितली जैसी प्यारी बिटिया": कविता
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मुर्शिद क़दम-क़दम पर नये लोग मुन्तज़िर हैं हमारे मग़र,
मुर्शिद क़दम-क़दम पर नये लोग मुन्तज़िर हैं हमारे मग़र,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
फागुन महराज, फागुन महराज, अब के गए कब अइहा: लोक छत्तीसगढ़ी कविता
फागुन महराज, फागुन महराज, अब के गए कब अइहा: लोक छत्तीसगढ़ी कविता
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हम तो ऐसे नजारों पे मर गए: गज़ल
हम तो ऐसे नजारों पे मर गए: गज़ल
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हरियर जिनगी म सजगे पियर रंग
हरियर जिनगी म सजगे पियर रंग
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मैं चाहता हूं इस बड़ी सी जिन्दगानी में,
मैं चाहता हूं इस बड़ी सी जिन्दगानी में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मुझे पति नहीं अपने लिए एक दोस्त चाहिए: कविता (आज की दौर की लड़कियों को समर्पित)
मुझे पति नहीं अपने लिए एक दोस्त चाहिए: कविता (आज की दौर की लड़कियों को समर्पित)
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
वो हर खेल को शतरंज की तरह खेलते हैं,
वो हर खेल को शतरंज की तरह खेलते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
धीरे-धीरे सब ठीक नहीं सब ख़त्म हो जाएगा
धीरे-धीरे सब ठीक नहीं सब ख़त्म हो जाएगा
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"वाणी की भाषा": कविता
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेरी आंखों के काजल को तुमसे ये शिकायत रहती है,
मेरी आंखों के काजल को तुमसे ये शिकायत रहती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
उस पद की चाहत ही क्या,
उस पद की चाहत ही क्या,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेरी ज़िंदगी की हर खुली क़िताब पर वो रंग भर देता है,
मेरी ज़िंदगी की हर खुली क़िताब पर वो रंग भर देता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सारी रात मैं किसी के अजब ख़यालों में गुम था,
सारी रात मैं किसी के अजब ख़यालों में गुम था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
लोग तो मुझे अच्छे दिनों का राजा कहते हैं,
लोग तो मुझे अच्छे दिनों का राजा कहते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अब मुझे यूं ही चलते जाना है: गज़ल
अब मुझे यूं ही चलते जाना है: गज़ल
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
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