Mugdha shiddharth Language: Hindi 841 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 11 Next Mugdha shiddharth 12 Nov 2019 · 2 min read छोटी-छोटी कविता १. 10.11 ये चमन, ये गुल, ये गुलिस्तां सब अपनी ही जगह रह जाएंगे लोग आते हैं, आते रहेंगे अपनी अदाकारी दिखा कर लौट जाएंगे ... सिद्धार्थ २. राम जाने... Hindi · कविता 2 1 711 Share Mugdha shiddharth 12 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक 1 मैं सरल होने में लगी रही दुनियां कठोर होती रही ! ...सिद्धार्थ 07.11 2. प्रेम पगा मन बस रहा करें खल - छल से न मिला करें। ... सिद्धार्थ... Hindi · मुक्तक 2 233 Share Mugdha shiddharth 12 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक 1. 8.11.2019 जागती आंखों के मेरे सपने से जाके कह दो मेरा नींद मेरा चैन ले गया सुबह से रात तक को सुलगता ख़्वाब कर गया। ...सिद्धार्थ 2. कभी किताबों... Hindi · कविता 2 218 Share Mugdha shiddharth 7 Nov 2019 · 3 min read तीस हजारी में वकीलों का तांडव तीस हजारी में वकीलों का तांडव दिल्ली तीस हजारी कोर्ट में जो कुछ हुआ, या अब तक हो हरा है। उस मामले को थोड़े से ध्यान से सोचें तो इसकी... Hindi · लेख 2 490 Share Mugdha shiddharth 6 Nov 2019 · 4 min read सोनी सोरी सोनी सोरी इस नाम से जो भी लोग परिचित हों वो, इसे अवश्य पढ़ें... वो लोग भी पढ़ें जिन्हें पुलिस हर हाल में शराफ़त के पुतले ही दिखते हैं। उनके... Hindi · लेख 2 515 Share Mugdha shiddharth 6 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक अब मेरे आँखों में तुम आठो पहर रहते हो नींद जरुरी नहीं ख़्वाब के लिए कहते हो । मैं अपनी पलकें मूंदूँ भी तो भला कैसे तुम इस में ही... Hindi · मुक्तक 2 431 Share Mugdha shiddharth 5 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक १. आज चांद को देखा, वो बड़ी इंतजार के बाद आया रौशनी के पलकों के तीर से गिर जाने के बाद आया । एक तुम हो और दूजा मेरा वो... Hindi · मुक्तक 3 493 Share Mugdha shiddharth 5 Nov 2019 · 1 min read मैं सोचता हूँ... मैं सोचता हूँ... शहर की हर दीवार पे 'भगत'... तुम्हें उकेर दूँ फिर सोचती हूँ... तुम्हारी सोच को, हर स्कूल के आंगन में ही क्यूं न बिखेर दूँ फिर, मैं... Hindi · कविता 3 215 Share Mugdha shiddharth 2 Nov 2019 · 1 min read छठ की शुभकामना 'छठ की बहुत-बहुत सुभकामना' अस्ताचलगामी सूर्य की उपासना करने वाले हम लोग जीवन मृत्यु से मुक्त हुए लोगों को भी नहीं छोड़ते देते हैं गलियां और उधेड़ते हैं उनका बख़िया... Hindi · मुक्तक 2 1 417 Share Mugdha shiddharth 2 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक न जाने क्यूँ वो होके उम्मीद- वार बैठा है मेरे होने के बदले मेरा 'पर' मांग बैठा है ! ...सिद्धार्थ दिल में एक आरजू, एक उम्मीद, एक हमनवाई है विसाल-ए-यार... Hindi · मुक्तक 2 253 Share Mugdha shiddharth 1 Nov 2019 · 1 min read रौशनी १. शाम से मिलने को ही तो सुबह खिली खिली सी नजर आती है दिन भर चलती है फिर थक कर प्रीतम के बाहों में सिमट जाती है । ...... Hindi · मुक्तक 3 218 Share Mugdha shiddharth 1 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक १. शुभ रात्रि कहना था तुमसे, कहूं क्या ? तुम्हारे हांथ पे एक मुस्कान की चवन्नी रखना था, रखूं क्या ? जाने दो... तुम खामोशियों में गुम हो, मैं भी... Hindi · मुक्तक 2 346 Share Mugdha shiddharth 1 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक फूल की खुशबू, चिल्का की हंसी ले के जो हम जिये आप को सदियां लगेंगी हमें भूल जाने में जिन्हें न हंसने का मालूम हो सलीका, न हंसाने का ऎसे... Hindi · मुक्तक 3 257 Share Mugdha shiddharth 1 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक १. मुझे तो आती नही... जिसको जो मानना है मान लो तस्बीरें एक सी हैं देवनागरी से ही मुझे पहचान लो ! ...सिद्धार्थ २. ये रौनकें देख बता किस कदर... Hindi · कविता 2 352 Share Mugdha shiddharth 1 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक १. फिकी मोरी चुनरी प्रीतम सांचा मेरा इंतजार है दो नयनन में जबसे बसे हो तुम धूल गए कजरे की धार है, क्या यही निगोड़ा प्यार है? ... सिद्धार्थ २.... Hindi · मुक्तक 2 231 Share Mugdha shiddharth 1 Nov 2019 · 1 min read मुक्तक १. कुपोषण के शिकार बच्चों के मन की बात कहो तो... मैं क्या खाऊं माटी खाऊं,... या हवा पीकर रह जाऊं या अपनी मैं आप चबाऊँ बोलो तो क्या मैं... Hindi · मुक्तक 3 202 Share Mugdha shiddharth 31 Oct 2019 · 1 min read जाति - धर्मों में बटा आधा इंसान हरगिज न मुझको चाहिए जाति - धर्मों में बटा, आधा इंसान न मुझको चाहिए, न मुझको काजी - मुल्ला, न पंडित - पुरोहित चाहिए, भाता नहीं धर्मों में बटना, आता नहीं हिंदू मुसलमां करना,... Hindi · कविता 4 263 Share Mugdha shiddharth 28 Oct 2019 · 1 min read छटाक भर "रौशनी" सब को मुबारक... कोई जिद नही, बस दीपों का कनार्क नही बनती थी परोश के अंधेरे घर को देख खुद पे ही लाज आती थी किसी ने आज हंस के पूछा, अच्छा, दिवाली... Hindi · कविता 2 210 Share Mugdha shiddharth 26 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक कोई बेच रहा है तुझको कोई खरीद रहा है तुझको अब तू ही बता दे मुझको जो मोल ली और दी गई भगवान कहूं मैं कैसे उसको...? Hindi · मुक्तक 1 1 345 Share Mugdha shiddharth 26 Oct 2019 · 1 min read ख़ुशियाँ बेचने हम आये हैं माटी के हांथों से माटी के दिए बनाए हैं ले लो सोने के दिलवाले इन्हें, ख़ुशियाँ बेचने हम आये हैं, रहे उजाला तुम्हारे घर आंगन में सब को ख़ुशियों का... Hindi · कविता 1 215 Share Mugdha shiddharth 26 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. इश्क का काम ही क्या...? चुप रहे और आहें भरे दूरियों को धत्ता बता के मुहब्बत का इजहार करे । ... सिद्धार्थ ** २. जो दिल में कैद है... Hindi · मुक्तक 1 217 Share Mugdha shiddharth 25 Oct 2019 · 1 min read जाने क्या खो गया है मेरा जाने क्या खो गया है मेरा ढूंढता हूँ मैं उसको तुमको दिखे तो... बताना जरा मुझ को अभी तो कहा था किसी ने भूख लगी है... रोटी दे दो मुझ... Hindi · कविता 2 191 Share Mugdha shiddharth 25 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. मेरे यादों के दामन में खुद को उलझाओ मत जाना यादों में चाहत के रंग सजे हैं, चलो ये भी माना गम भी पोशीदा रहे दामन में, ये अच्छा... Hindi · मुक्तक 2 473 Share Mugdha shiddharth 24 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. रात के हथेली पे रौशनी नही खेला करती दिन के सीने पे महताब रात के सीने पे आफ़ताब नही मचला करती ...सिद्धार्थ २. जाओ तुम सब से कह दो,... Hindi · मुक्तक 3 3 240 Share Mugdha shiddharth 24 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. पाखंडियों ने 'धर्म' का बाजार गर्म किया है बड़े सलीके से दे दिया है हथियार हमें मार लो खुद को अपने तरीके से ! ...सिद्धार्थ २. न तुम से... Hindi · मुक्तक 4 424 Share Mugdha shiddharth 24 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. हम कई बार मरे थे बस हर बार दफ़नाना बांकी रहा ख़्वाहिशों के कब्र में चैन से... बस हर बार सो जाना बांकी रहा ...सिद्धार्थ २. जमाने का सिखाने... Hindi · मुक्तक 2 240 Share Mugdha shiddharth 24 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. तुम शायद बहुत गमज़दा हो मुझ से बस मैं शायद खुद से डरने लगी हूं ये जो तुम हो न... मेरे अंदर ही बसने लगे हो मुझ संग रोने... Hindi · मुक्तक 3 442 Share Mugdha shiddharth 23 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. का देख रहे हो...? हंसी नही देखे हो का...? अरे हमरे बत्तीसी से अंधेरे में अजोर हो जाता है बिना दिया फटाका भी दीवाली बेजोड़ हो जाता है !... Hindi · मुक्तक 2 433 Share Mugdha shiddharth 23 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक तुम्हें याद करने का हमें जाना शौक़ तो न था तुम खुद ब खुद याद आते हो तो मैं क्या करूं ? तुम संग रहने बसने का हमने सोचा तो... Hindi · मुक्तक 2 436 Share Mugdha shiddharth 23 Oct 2019 · 1 min read क्यूँ उदास बैठी हो ? क्यूँ उदास बैठी हो ? हंसी ढूंढ लो तुम बेचैनी के दामन में ख़ुशी ढूंढ लो तुम जो हो न सका उसका मलाल क्या ? जो बचा है उस में... Hindi · कविता 3 313 Share Mugdha shiddharth 23 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. कभी मैं भी हरा-भरा था साहेब, आज ठूंठ हो गया हूँ जंजीरों में उग आये कुकुरमुत्ते के लिए झूठ हो गया हूँ । ...सिद्धार्थ २. दाग़ फलक के चांद... Hindi · मुक्तक 3 246 Share Mugdha shiddharth 22 Oct 2019 · 1 min read तुम ही बस हो मेरे अपने कुछ तो रोज ही भूल जाती हूँ मैं कुछ याद भी 'जरा सा' रहता है तुम रह जाते हो उस 'जरा सा' में दिल फिर और कहीं नही लगता है... Hindi · कविता 2 245 Share Mugdha shiddharth 22 Oct 2019 · 2 min read अदम गोंडवी "अदम गोंडवी" वो नाम जो सुनते ही कुछ ऐसे शब्दों का समूह हमारे दिमाग में नाचने लगता है जो प्रतिकार का है, बिरोध का है । जिसे सुनने से ही... Hindi · लेख 2 1 430 Share Mugdha shiddharth 21 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. हम अपनी जां से रिहाई कैसे मांगे खुद से खुद की ही जुदाई कैसे मांगे। ** २. हम भी मिट रहे हैं तुम भी फ़ना हो रहे हो वक़्त... Hindi · मुक्तक 2 212 Share Mugdha shiddharth 21 Oct 2019 · 1 min read है मुझ संग मेरी माँ सखी जब दर्द बढ़ा दिल रोया था आंखों ने नमक को खोया था अधरों पे बस मुस्कान तनी रही दर्द से रार मेरी भी खूब ठनी रही वो कहती रही हंस... Hindi · कविता 2 1 477 Share Mugdha shiddharth 20 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक अब कौन दिल की तकलीफों को कम करे रहने दो दिल को भी तो कुछ तकलीफें बेवजह ही सहने दो। ... सिद्धार्थ प्यार कम पड़ जाता है अक़्सर अना बीच... Hindi · मुक्तक 3 328 Share Mugdha shiddharth 20 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. जब हम न हों तो हमें ख़ुशी में नही बेचैनियों में ढूंढा जाए मेरे लफ़्ज़ों को सलीके से निचोड़ा जाए उसी में मिलूंगी कहीं और न मुझको ढूंढा जाय... Hindi · मुक्तक 4 1 457 Share Mugdha shiddharth 20 Oct 2019 · 1 min read माँ... 'मुन्ने' तुमको चोट लगी है बोलो तुम थे कहां गिरे राह में कहीं गढ्ढे थे या थे तुम गढ्ढे में खेल रहे...? / माँ... मैं तो जा रहा था अपने... Hindi · कविता 1 229 Share Mugdha shiddharth 18 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. बस चाहतें ज़िंदा रहे जिंदगी की सूर्यास्त होने तक दिल का क्या है वो तो आज धड़का कल भूल गया। ...सिद्धार्थ २. किसी को परवाह नही तो क्या कीजे... Hindi · मुक्तक 2 468 Share Mugdha shiddharth 18 Oct 2019 · 4 min read भाषा अपनी गरिमा खोती जा रही है बुजुर्गों के लिए अपशब्द का इस्तेमाल करना हमारी संस्कृति का हिस्सा ही नही था कभी। लेकिन इस की शुरुआत हुई हमारे देश में . थोड़ी देर के लिए ठहर कर... Hindi · लेख 2 220 Share Mugdha shiddharth 18 Oct 2019 · 1 min read जय हो मुझे पता नही ये मैंने क्या लिखा है, पर कुछ तो है... अपने आप को बचाईये, अपने होने को जाया मत जाने दीजिए ; युद्ध जब धर्म के नाम हो... Hindi · लेख 2 1 222 Share Mugdha shiddharth 17 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक है बहुत घना अंधेरा, शब भी निशब्द है मगर जिद पे जुगनू आजाये तो अंधेरा कहां टिक पायेगा। रात की औकात क्या अंधेरे में भी वो बात कहां ढलता है... Hindi · मुक्तक 2 1 215 Share Mugdha shiddharth 16 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. मैं कुछ रोज उस से जाके उलझ जाती हूँ सुलझाने की ज़िद में और उलझ जाती हूँ। ...सिद्धार्थ २. बहस में जाओगे तो हार ही जाओगे इश्क को भला... Hindi · मुक्तक 3 190 Share Mugdha shiddharth 16 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. कुछ और नही बस इतनी खराबी है खुद को मिटा कर भी हसीन दुनियां बनानी है तुम्हे गर प्यार से हो प्यार तो तुम्हें भी साथ लाने की मेरी... Hindi · मुक्तक 2 231 Share Mugdha shiddharth 16 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. हम भारत के नीच लोग नीचे गिरते ही जाएंगे किसान न रहे तो क्या हम एक दूजे को ही खाएंगे ??? ... सिद्धार्थ २. चल सखी हम घास काट... Hindi · मुक्तक 4 2 407 Share Mugdha shiddharth 16 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. आईने ने हंस कर कहा उम्र ने तो बस अपना काम किया देह के कोरे किताब पर कुछ लकीरों को तेरे नाम किया ! ...सिद्धार्थ २. मेरा चाक-ए-गरेबाँ वो... Hindi · मुक्तक 4 1 239 Share Mugdha shiddharth 16 Oct 2019 · 1 min read माई जिंदगी की सिलेट पर कुछ सफ़हे मिटने को है कहां जाके रोऊँ मेरा पहला प्यार बिछड़ने को है। सबसे हसीन सबसे जहीन है वो, नौ महीने बड़ा है जो बांकी... Hindi · मुक्तक 3 2 477 Share Mugdha shiddharth 14 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक १. कुछ भूख से रोते बच्चे देखे, देखे चाँद गगन में सादा सा था पूनम का चाँद मगर वो दिखे मुझे बस आधा सा । ...सिद्धार्थ २. गुरुर लेकर अपना... Hindi · मुक्तक 2 241 Share Mugdha shiddharth 12 Oct 2019 · 1 min read इंकलाब बंट रहे थे पर्चे सब उसकी मर्ज़ी है बस रब को ऐसे ही माना जाये। हम गिर पड़े हैं चलते-चलते चोट खाकर क्या इसको भी उसकी रज़ा ही जाना जाये।... Hindi · मुक्तक 4 391 Share Mugdha shiddharth 12 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक बंट रहे थे पर्चे जो होता है सब उसकी मर्ज़ी है बिना फेर बदल ,इसे ऐसे ही बस माना जाये हम गिर पड़े हैं चलते-चलते चोट खाकर क्या इसको भी... Hindi · मुक्तक 1 201 Share Previous Page 11 Next