Yatish kumar 31 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Yatish kumar 3 Nov 2018 · 2 min read माँ तुम क्या हो माँ तुम क्या हो छोटी छोटी बातों को इतना लम्बा कर देती हो और बड़ी बड़ी बात को यू ही सहज कह देती हो माँ तुम क्या हो खोए लम्हे... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 26 631 Share Yatish kumar 9 Mar 2018 · 2 min read ढहती मूर्तियाँ ढहती मूर्तियाँ विषैली हवा चली है चींटियाँ कतारें बना रही हैं होने वाली है बारिश विषाक्त चिड़ियाँ भी घरों को लौट रही हैं वे जिनको मरती दबती कुचली हुए रूह... Hindi · कविता 564 Share Yatish kumar 26 Feb 2018 · 2 min read श्री देवी सितारा से नभतारा की यात्रा चार साल की उम्र में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट थुनवियान थी उनकी पहली फ़िल्म।हिंदी फ़िल्म में बाल कलाकार के रूप में १९७५ में जूली फ़िल्म से पदार्पण करने वाली बाल कलाकार... Hindi · लेख 439 Share Yatish kumar 20 Jan 2018 · 1 min read दरारें दिल की दरारें दिल की हल्की दरारें दिल की इतनी गहरी होती है अंधी खाई हो जैसे गंगा जमुना बह कर पसर जाए सोख लेती नदियों को बना देती एक झील जिसमें... Hindi · कविता 279 Share Yatish kumar 15 Jan 2018 · 1 min read कोई स्वाभाविक स्थिति नहीं कोई स्वाभाविक स्थिति नहीं स्वयं से विद्रोह होना बाहर हँसना अंदर रोना प्रेम के धागों से यूँ उलझना अपनी ही कल्पना में खोना कोई स्वाभाविक स्थिति नहीं इश्क़ में जलकर... Hindi · कविता 585 Share Yatish kumar 13 Jan 2018 · 1 min read बनारस के घाट बनारस के घाट बनारस के घाटों पर सिर्फ़ कवियों की चिता या समाधि नहीं लगाई जाती अपितु वहाँ मुखाग्नि की चिंगारी से कवियों और कविताओं का जन्म होता आ रहा... Hindi · कविता 849 Share Yatish kumar 7 Jan 2018 · 2 min read अंगूर की मेरे अंदर एक यात्रा अंगूर की मेरे अंदर एक यात्रा माँ कहा करती थी अंगूर खट्टे होते हैं बेटा मन भोला था मान लेता था पर क्या सिर्फ़ ग़रीब के अंगूर खट्टे होते हैं... Hindi · कविता 1 656 Share Yatish kumar 6 Jan 2018 · 1 min read मैं सीख रहा हूँ मैं सीख रहा हूँ मैं सीख रहा हूँ कुत्तों से ज़ख़्मों को अपनाना चाटते रहना इसे हरा रखने को नहीं अपितु उन्मूलन के आख़री क्षण तक अपनाए रखने के लिए... Hindi · कविता 542 Share Yatish kumar 17 Dec 2017 · 2 min read नंगापन नंगापन कुछ खोता जा रहा है मेरा अस्तित्व की ओस गर्म हवा के सम्पर्क में आ रही है और अंश अंश कर उड़ती जा रही है। अपने ही सिद्धांत और... Hindi · कविता 778 Share Yatish kumar 29 Nov 2017 · 1 min read एक पड़ाव है क्या तू ज़िंदगी ? एक पड़ाव है क्या तू ज़िंदगी ? एक पड़ाव है क्या- तू ज़िंदगी ? तू भी ठहरा है या मुझको रोके रखा है । चलने की आदत भी अब रही... Hindi · कविता 367 Share Yatish kumar 27 Nov 2017 · 1 min read गाँव जब शहर हुआ गाँव जब शहर हुआ मेरा गाँव,मेरे लोग,प्यारे लोग खट्टी बात,मीठी बात,उजली रात प्यार मोहब्बत,खेल में हूल्लत यार की दावत,इश्क़ मुर्रव्वत चरख़ा गुल्लक,टायर, कंचा गिल्ली डंडा, खेल था सच्चा हवा में... Hindi · कविता 442 Share Yatish kumar 14 Nov 2017 · 1 min read रास्ते जहाँ जाने से इनकार करते है रास्ते जहाँ जाने से इनकार करते है पगडंडियाँ जहाँ पतली,छोटी हों और टूट जाए मैं वहीं उस छोर पे चुपचाप रहता हूँ रोशनी की ख़्वाहिशें भी ख़ुद मंद हो जाए... Hindi · कविता 560 Share Yatish kumar 14 Nov 2017 · 1 min read सूरज तू दरख़्तों के रंग बदलता है। सूरज तू दरख़्तों के रंग बदलता है। लो चढ़ रहा है सूरज दरख़्तों में छुप के क्यों आज देर से चढ़ा ? उसका ये राज़ पूछेंगे थोड़ा और सँभल जा... Hindi · कविता 268 Share Yatish kumar 13 Nov 2017 · 2 min read नज़ारे नहीं नज़रिया बदल रहा हूँ नज़ारे नहीं नज़रिया बदल रहा हूँ मेरा देश नहीं मैं बदल रहा हूँ नज़ारे नहीं नज़रिया बदल रहा हूँ मैंने भींच रखे थे मुट्ठी में चाँद सितारे अब जाके धीरे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 442 Share Yatish kumar 12 Nov 2017 · 4 min read वृंदावन की अचानक यात्रा वृंदावन की अचानक यात्रा मुझे साल में एक या दो बार CIMCO (बिड़ला) जिसे बादमें टीटागढ़ समूह ने ख़रीद लिया वैगन निर्माण परीक्षण के सिलसिले में जाना पड़ताहै। पहलेभी दो... Hindi · लघु कथा 591 Share Yatish kumar 10 Nov 2017 · 1 min read रूहानियत - रूहानियत - खोयी हवाओं में ख़्वाब ढूँढता हूँ अपने लिए दुआ, तेरी इनायत ढूँढता हूँ सूफ़ी हूँ औरों में सूफ़ियत ढूँढता हूँ उसकी रहमत है अब मैं इबादत ढूँढता हूँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 716 Share Yatish kumar 9 Nov 2017 · 1 min read तुम्हारी बातों पे चल के देखता हूँ तुम्हारी बातों पे चल के देखता हूँ तुम्हारी बातों पे चल के देखता हूँ एक और सहर ठहर के देखता हूँ तुझसे ताउम्र बँध जाने की चाहत में आसना की... Hindi · मुक्तक 288 Share Yatish kumar 8 Nov 2017 · 2 min read ख़्याल भी एक मर्ज़ है ख़्याल भी एक मर्ज़ है ख़याल भी अजीब मर्ज़ है इसकी अपनी फिदरत है अक्सर ख़्याल बिस्तर पे अर्ध निंद्रा में हौले से प्रवेश करता है और एक साथ सैकड़ों... Hindi · कविता 317 Share Yatish kumar 6 Nov 2017 · 1 min read एक तानाबाना बुन कर देखो न एक तानाबाना बुन कर देखो न एक तानाबाना बुनकर देखो न मेरे आँगन में तुमने क़दम रखा अब थोड़ा चलकर देखो न तुम मुझसे गुज़र कर देखो न मेरी दुनिया... Hindi · गीत 495 Share Yatish kumar 3 Nov 2017 · 1 min read ख़याल ,एहसास,शब्द और बुलबुले ख़याल ,एहसास,शब्द और बुलबुले शब्द के फेंके जाल में दर्द के बुलबुले फँसते है हाँ उन बुलबुलों में काँटे है जो तीर की तरह चुभतें है मेरी बातें तेरे जालों... Hindi · कविता 782 Share Yatish kumar 2 Nov 2017 · 1 min read मैं छोड़ रहा था आँगन जब मैं छोड़ रहा था आँगन जब मैं छोड़ रहा था आँगन जब अंदर से जागी चिंगारी हूँ मैं कितना क़ायल इनका जो लगती है मुझको प्यारी है प्यार,छलकता जाता है... Hindi · कविता 1 1 400 Share Yatish kumar 1 Nov 2017 · 4 min read छठ के २२ वर्ष छठ के २२ वर्ष-एक अनुभव सम्पूर्ण विश्व में छठ मेरी नज़रों में अकेली ऐसी पूजा है जिसमें डूबते सूरज की आराधना उतने ही लगन और हृदय से करते है जितने... Hindi · लेख 1 1 387 Share Yatish kumar 31 Oct 2017 · 1 min read मोर के पंख मोर के पंख मोर से हैं पंख मेरे मन में है उड़ान चाहूँ तो भी उड़ न पाऊँ गुण ही हैं अवगुण मेरे इस बात से अनजान दूजा बता दे... Hindi · मुक्तक 325 Share Yatish kumar 30 Oct 2017 · 2 min read शहर से बड़े बादल शहर से बड़े बादल उपर आसमान से उड़ते वक़्त नीचे शहर चीटियों सा रेंगता दिखता है और बादल विशाल समंदर सा समूहों में गुथा गुथा । लगता है अनन्त खलाओं... Hindi · कविता 405 Share Yatish kumar 28 Oct 2017 · 1 min read ज़िद ये ज़िद्दी है ज़िद ये ज़िद्दी है गेसुओं को अश्क़ में डुबाने की ज़िद है टेसुओं(आँसुओं) को कोर पे ठहराने की ज़िद है कटाक्ष पे कहकहे लगाने की ज़िद है तेरे ख़ातिर दुनिया... Hindi · मुक्तक 1 494 Share Yatish kumar 27 Oct 2017 · 1 min read ऐसा नहीं होता ऐसा नहीं होता हर रोज़ बस इतवार हो ऐसा नहीं होता भोली सूरत वाले सारे अय्यार हो ऐसा नहीं होता पत्थर पे फूल उगने के आसार हो ऐसा नहीं होता... Hindi · कविता 281 Share Yatish kumar 26 Oct 2017 · 1 min read मैं ख़ुश हूँ मैं ख़ुश हूँ मैं ख़ुश हूँ मैं एक जगह खड़ा हूँ जहाँ से मुझे ग़म दिखता नहीं है ख़ुद में। मैं तरंगित हूँ और मुझमें नित रोज़ नई तरंगे उन्मादित... Hindi · कविता 361 Share Yatish kumar 23 Oct 2017 · 1 min read मैं बहुत छोटा था मैं बहुत छोटा था मैं बहुत छोटा था पर ख़्वाब बड़े थे रास्ते मंज़िलों के आँखों में पड़े थे मेरी नन्ही उँगलियों ने कितने सपने गिने थे मैं चल दिया... Hindi · कविता 424 Share Yatish kumar 22 Oct 2017 · 2 min read मैं किस ओर जा रहा हूँ मैं किस ओर जा रहा हूँ तुम्हारी ओर या ख़ुद की ओर तुम किस सम्त चल रही हो ये समझना भी उतना ही ज़रूरी है कई बार लगता है तुम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 338 Share Yatish kumar 15 Oct 2017 · 1 min read बेनाम आसना बेनाम आसना दर्द और चोट से दवा ना हुआ मैं अच्छा ना सही बुरा ना हुआ मुझको तुमसे तो बस हमदर्दी थी मेरा तेरा कोई आसना ना हुआ मैं तो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 951 Share Yatish kumar 14 Oct 2017 · 1 min read पलस्तर छूटने लगता है दरारें खुलने लगती है नज़ारा दिखने लगता है लगा दो इश्तहार फिर भी किनारा सीलने लगता है बांधा क्यों ज़ोर से इतना मरासिम टूटने लगता है ख़लिश से ऐसा रिश्ता... Hindi · कविता 497 Share