Yashwant Singh Rathore 21 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Yashwant Singh Rathore 8 May 2021 · 1 min read कब लौटेगी फिर वही बात.. यूं ही बेफिक्री की जिन्दगी मुक्त कदमों की सरगर्मी। यहाँ से वहाँ तक सारे जहाँ में अपना था आसमां अपनी जमीं।। मित्र परिचितों की संगति और झूमना गले में डाल... Hindi · कविता 1 2 437 Share Yashwant Singh Rathore 15 Nov 2020 · 1 min read आशाओं के दीप जले ... खुशियों की बात चले हृदय में अनुराग पले, बुजुर्गों के आशीष तले आशाओं के दीप जले ।। दु:ख बिपति का अन्धेरा धरा से मिट जाए, विनोद हँसी ठिठोली कर मनुज... Hindi · कविता 2 409 Share Yashwant Singh Rathore 13 Sep 2020 · 1 min read तुम आती थी.. तुम आती थी....अल्हड़ मस्त चाल अप्सरा सी... लहराते फहराते बाल, धूप की छुअन से लाल गाल छोड़ जातीं थी कितने सवाल।। जीवन के रंग से भरी रहती थी हिरणी सी... Hindi · कविता 2 3 461 Share Yashwant Singh Rathore 21 Aug 2020 · 1 min read यह कैसे सम्भव होगा... दु:ख देकर सुख पा जाओगे यह कैसे सम्भव होगा। आम खाओगे बबूल बोके यह कैसे संभव होगा।। कर्म-कर्म का मर्म समझ लो अन्तर समझो भले बुरे का, अपमानित कर यश... Hindi · कविता 2 2 341 Share Yashwant Singh Rathore 14 Aug 2020 · 1 min read तिरंगे की धवल कीर्ति.. चपला चमत्कृत आज तो तिरंगे की धवल कीर्ति से नभ में रवि आलोक सा ज्यों मुक्त निशा भीति से।। उन्मुक्त श्वेत जलद को लजाता स्व-कीर्ति दीप्ति से त्रिलोक में त्रि-रंग... Hindi · कविता 3 2 575 Share Yashwant Singh Rathore 5 Aug 2020 · 1 min read हे जन जन के राम हे जन जन के राम पावन तुम्हारा नाम हे राम! नयनाभिराम तुम्हें कोटिस प्रणाम ।। प्रतिरूप आदर्श के पुरुषोत्तम नर श्रेष्ठ धरा पर अवतार ले विराजे अयोध्या धाम।। हे.. सुख-दु:ख... Hindi · कविता 3 6 517 Share Yashwant Singh Rathore 29 Jul 2020 · 1 min read जग में कुछ कर जाओ तुम आदित्य उदय पूरब में तन्द्रा तिमिर हटाओ तुम सूरज सुमन से ऊर्जा ले स्फूर्ति मय हो जाओ तुम। मुस्करा के हर कली आतुर कुसुम बनने को है भँवरे खग तितलियों... Hindi · कविता 4 7 401 Share Yashwant Singh Rathore 26 Jul 2020 · 1 min read एक बगीचा आसमान सा बड़ा बगीचा मैं भी एक लगाऊँगा सूरज होंगे तीन चार पर चन्दा सात उगाऊँगा।। नीले पीले और गुलाबी हर रंग के तारे होंगे लाल लाल फल लटकेंगे और... Hindi · कविता · बाल कविता 9 15 547 Share Yashwant Singh Rathore 20 Jul 2020 · 1 min read गर्मी और वर्षा तपती हुई दुपहरीया, तन मन रही जलाइ । अंग अंग सुलगन लगे, कछू न जिया सुहाइ ।। गरम गरम लू कर रही, हर एक को बेहाल । जनु थप्पड़ हों... Hindi · दोहा 5 6 485 Share Yashwant Singh Rathore 19 Jul 2020 · 1 min read वह बेचैन.. यूं ही बस नज़र पड़ी वह बेचैन सी खड़ी देखती घड़ी हर घड़ी।। गर्म ज़ज़्वात उगलते पसीना निश्चित ही नहीं था गर्मी का महीना।। शायद जिन्दगी के कठिन दोराहे पर... Hindi · कविता 4 6 316 Share Yashwant Singh Rathore 16 Jul 2020 · 1 min read जीवन की डगर यूं ही घिर आता है कभी-कभी अँधेरा काले बादलों का हृदय में डर बढ़ाता है सांसो में कम्पन लाता है खिच जातीं हैं माथे पर चिन्ता की रेखायें वेदना का... Hindi · कविता 4 6 357 Share Yashwant Singh Rathore 12 Jul 2020 · 1 min read चुन्नू मुन्नू कैसे हो.. चुन्नू मुन्नू कैसे हो ? मुँह लटकाये बैठे हो चलो उठो अब दौड़ लगाओ कूदो भागो मौज मनाओ।। मम्मी जी ने डाँट दिया मोबाइल भी छीन लिया कार्टून ना देख... Hindi · कविता · बाल कविता 6 7 702 Share Yashwant Singh Rathore 11 Jul 2020 · 1 min read बिन आँधी .. कितने ही नभचरों का आश्रय और पथिकों को शीतल छाया देता था मील के पत्थर की तरह सब ताप शीत सह लेता था फूल-पत्तियों और शाखाओं से भरा-भरा था देखने... Hindi · कविता 4 2 538 Share Yashwant Singh Rathore 9 Jul 2020 · 1 min read नई हवा चल रही है.. जीवन मूल्यों की प्रतिपल परिभाषा बदल रही है। लालच लोभ प्रपंच की नई हवा चल रही है।। हो गया है बोलवाला फरेब झूँठ बेईमानी का, त्याग तप और ईमानदारी पकौड़े... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 6 460 Share Yashwant Singh Rathore 5 Jul 2020 · 1 min read गुरुवर हे ज्ञान चक्षु विज्ञान धन हे ज्योति जीवन भास्कर, सुज्ञान अमृत सा दिया मेरे गुरुवर, तुम कृपा कर। अज्ञान का घोर अंधकार थे कलुषित मन विचार पशुवत सा जीवन मार्ग... Hindi · कविता 3 6 370 Share Yashwant Singh Rathore 30 Jun 2020 · 1 min read विचार.. अक़्सर...ऐसा होता है कि कोई विचार बिन बुलाये मेहमान की तरह चला आता है, ठहरता है मान-मनुहार कराता है सुरसा के मुँह सी बढ़ती महंगाई में खरीददार की खस्ता हालत... Hindi · कविता 4 4 283 Share Yashwant Singh Rathore 25 Jun 2020 · 1 min read गुबार बाहर आने दीजिये किसी की नि:शब्दता को हमेशा यूं न जाने दीजिये, मन टटोलिये, गाँठें खोलिये कुरेदिये..दबे गुबार बाहर आने दीजिये। कौन किस गली में भटक गया है, कौन जाने, कौन समझे.. न... Hindi · कविता 3 253 Share Yashwant Singh Rathore 25 Jun 2020 · 1 min read गुबार बाहर आने दीजिये किसी की नि:शब्दता को हमेशा यूं न जाने दीजिये, मन टटोलिये, गाँठें खोलिये कुरेदिये..दबे गुबार बाहर आने दीजिये। कौन किस गली में भटक गया है, कौन जाने, कौन समझे.. न... Hindi · कविता 5 3 483 Share Yashwant Singh Rathore 23 Jun 2020 · 1 min read जिन्दगी..बहती एक नदी जिन्दगी बहती एक नदी बस बहती चली कहाँ चली...न सोचा न सोचना चाहा; ऊबड़-खाबड़, टेड़े-मेड़े सर्पीले पथरीले पथ चलती चली बहती चली। कभी राह रोकने को पहाड़ सी बाधाएं तो... Hindi · कविता 5 5 485 Share Yashwant Singh Rathore 21 Jun 2020 · 1 min read मेरे पिता.. मुँह को निवाला और घर को छत देते हो मेरे पिता... तुम हम पर जीवन वार देते हो। मेरे जीवन, मेरे सपने, मेरी उम्मीद और आस हो पग-पग पर जीवन... Hindi · कविता 4 2 574 Share Yashwant Singh Rathore 20 Jun 2020 · 1 min read चलते चले.. वे चलते चले...... वे-सहारा होके जमे जमाये काम और रोजगार खोके, कन्धों पे गठरी, झोले सन्दूक लेके। छोटे छोटे दुधमुहोँ को गोद मे ढ़ोके । भूख-प्यास, धूप-जलन अपमान सहकर तपती... Hindi · कविता 5 7 663 Share