विनोद सिल्ला 574 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read नोटबंदी की वर्षगांठ नोटबंदी की वर्षगांठ सरकार जी आपने की थी नोटबंदी आठ नवंबर सन् दो हजार सोलह को नहीं थके आपके चाहने वाले नोटबंदी के फायदे बताते-बताते नहीं थके आपके आलोचक आलोचना... Hindi · कविता 7 4 294 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read भोर का सपना भोर का सपना भोर में सपना आया सपने में था जातिविहीन समाज भ्रष्टाचार मुक्त शासन-प्रशासन चिकित्सा-शिक्षा व रोजगार के समान अवसर वर्ग व वर्ण विहीन समाज महिला-पुरुष सभी को समान... Hindi · कविता 5 2 567 Share विनोद सिल्ला 5 Jan 2020 · 1 min read तितलियां तितलियाँ कुदरत की हसीन सौगात तितलियाँ। फूलों से करती हैं बात तितलियाँ।। इनमें नेताओं-सा छल-बल नहीं है, नहीं पहुंचाती किसे आघात तितलियाँ।। दफ्तरी बाबू-सी इनमें ऐंठ नहीं है, देती हैं... Hindi · कविता 4 7 404 Share विनोद सिल्ला 24 Jun 2020 · 1 min read सजा सजा भारत में पुलिस द्वारा कर्मठ, मेहनतकश श्रमिक को साधनहीन, वंचित होने की दी जाती है सजा भांझी जाती हैं लाठियां निकम्मे, भ्रष्ट नेता, मठाधीश व हाई-प्रोफ़ाइल घरानों के परजीवी... Hindi · कविता 4 2 226 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read इतने अवगुण एक साथ इतने अवगुण एक साथ पहचान जाता हूँ मैं अंधभक्तों को उनकी अतार्किक भाषा से अश्लील टिप्पणियों से सोच के सिमित दायरे से उनसे आ रही सांप्रदायिक बू से पितृसत्ता समर्थन... Hindi · कविता 4 344 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read जाति-धर्म जाति-धर्म इंसान-इंसान के बीच कितनी हैं दूरियां इंसान-इंसान को नहीं मानता इंसान मानता है किसी न किसी जाति का धर्म का प्रतिनिधि इंसान की पहचान इंसानियत न होकर बन गई... Hindi · कविता 4 1 320 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read बांटता है आदमी बांटता है आदमी आदमी स्वभावतः बांटने वाला ही है बांटता है वह अपने स्वभावानुरूप अपनी प्रवृत्ति अनुरूप बांटता वही है जो है उसके पास जिसके पास नफरत है वह बांटता... Hindi · कविता 4 1 191 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read सूरज होगा उदय सूरज होगा उदय चमगादड़ विश्व परिषद उल्लू सेना व सहयोगी हो गए हैं एकजुट जो हैं अंधकार के आदि चुंधिया जाती हैं इनकी आंखें नवीनता की रोशनी से चाहते हैं... Hindi · कविता 4 2 255 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read वो हैं बड़े वो हैं बड़े वो हैं बड़े नहीं-नहीं शायद बहुत बड़े मैं नहीं कहता वे स्वयं कहते हैं बात-बात पर लेकिन मुझे उनमें नहीं आया नजर कोई बड़प्पन वे बड़े हैं... Hindi · कविता 4 1 325 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read राज-दरबारी राज-दरबारी वो हैं बड़े लेखक नवाजा जाता है उन्हें खिताबों से दी जाती है सरकार द्वारा सुविधाएं नाना प्रकार की बदले में मिलाते हैं वे कदम-ताल सरकार से कर रहे... Hindi · कविता 4 1 195 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read रोटी रोटी सांसरिक सत्य तो यह है कि रोटी होती है अनाज की लेकिन भारत में रोटी नहीं होती अनाज की यहाँ होती है अगड़ों की रोटी पिछड़ों की रोटी अछूतों... Hindi · कविता 4 4 263 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read बलात्कार बलात्कार समाचार था कि हुआ है बलात्कार प्रिंट मिडिया के संवाददाता इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कैमरामैन व एंकर शोसल मिडिया के यूजर संबंधित पुलिस कर्मी सभी राजनीतक दल व उनके आका... Hindi · कविता 4 2 375 Share विनोद सिल्ला 17 Dec 2020 · 1 min read अपमानित अपमानित मैं अपमानित हूँ सदियों से गौरवान्वित शब्द छुपा रहा धर्मग्रन्थों के पीछे सिंहासन के नीचे सेठों की तिजोरी की आड़ में मेरा धुँधलापन कायम रखने को व्यवस्था ने रचे... Hindi · कविता 4 2 321 Share विनोद सिल्ला 22 Aug 2022 · 3 min read जाति दलदल या कुछ ओर जाति दलदल या कुछ ओर -विनोद सिल्ला भारत को अध्ययन-अध्यापन में कृषि प्रधान देश बताया/पढ़ाया जाता है। जो सरासर गलत है। भारत जाति प्रधान देश है। भारत में मानव-मानव के... Hindi · निबंध · लेख 4 313 Share विनोद सिल्ला 4 Jan 2023 · 1 min read नवनिर्माण नवनिर्माण पत्थरों और ईंटों में हुआ मुकाबला मची होड़ एक-दूसरे को मुंहतोड़ जवाब देने की पत्थर से ईंट ईंट से पत्थर खूब टकराए टूटी ईंटें क्षतिग्रस्त हुए पत्थर हो जाता... Hindi · कविता 4 169 Share विनोद सिल्ला 29 Oct 2019 · 1 min read कैसी दीवाली कैसी दीवाली कैसी दीवाली किसकी दीवाली जेब भी खाली बैंक भी खाली हर तरफ हुआ है धूंआ-धूंआ पर्यावरण भी दूषित हुआ जीव-जन्तु और पशु-पखेर आतिशी दहशत में हुए ढेर कितनों... Hindi · कविता 3 1 516 Share विनोद सिल्ला 23 Feb 2020 · 1 min read राज दरबारी राज-दरबारी वो हैं बड़े लेखक नवाजा जाता है उन्हें खिताबों से दी जाती है सरकार द्वारा सुविधाएं नाना प्रकार की बदले में मिलाते हैं वे कदम-ताल सरकार से कर रहे... Hindi · कविता 3 2 215 Share विनोद सिल्ला 15 May 2020 · 1 min read संभलो-संभलौ संभलो-संभलो हिल रही है नींव देश की अर्थव्यवस्था की हिल ही नहीं रही हजारों किलोमीटर चल भी रही है पैदल खा रही है पुलिस के डंडे बेढंग हो गई इसकी... Hindi · कविता 3 192 Share विनोद सिल्ला 24 Jun 2020 · 1 min read बाजार तंत्र बाजार तंत्र मैं कभी नहीं गया विदेश विदेशी सामान खरीदने न ही कभी कोई विदेशी कंपनी मेरे पास आई अपने उत्पाद बेचने विदेशी वस्तुओं का आयात किया आपके बाजार तंत्र... Hindi · कविता 3 2 317 Share विनोद सिल्ला 20 Aug 2020 · 1 min read खुशबु खुशबु फूलों में होती है खुशबु नहीं होती फूलों में ही होती है कुछ व्यक्तियों के व्यवहार में भी होती है कुछ व्यक्तियों के किरदार में भी होती है कुछ... Hindi · कविता 3 218 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read आज का द्रौण आज का द्रौण एकलव्य को कटवाना पड़ा अपना अंगूठा क्योंकि कुटिल द्रौण ने कर रखा था अनुबंध राजघराने से उनके राजकुमार को सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनाने का आज द्रौण हो चुका... Hindi · कविता 3 370 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read नहीं है साधारण नहीं है साधारण कवि होना नहीं है साधारण अपेक्षित हैं उसमें असाधारण विशेषताएं मात्र कवि होना ही बहुत बड़ी बात है लेकिन फिर भी आत्मश्लाघा के मारे लगते हैं नवाजने... Hindi · कविता 3 1 211 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read अंतिम पायदान का व्यक्ति अंतिम पायदान का व्यक्ति वो है अंतिम पायदान पर धकेला गया व्यक्ति उसके द्वार पर होती है दस्तक धर्माचार्यों की इस आग्रह के साथ धर्म है असुरक्षित करो शामिल अपने... Hindi · कविता 3 2 515 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read नास्तिक नास्तिक नास्तिक ही पैदा हुआ था मैं बाकी भी होते हैं पैदा नास्तिक ही मानव मूल रूप में होता है नास्तिक नाना प्रकार के प्रपंच करके उसे बनाया जाता है... Hindi · कविता 3 1 445 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read खोई हुई आजादी खोई हुई आजादी मैं ढूंढ़ रहा हूँ अपनी खोई आजादी मजहबी नारों के बीच न्यायधीशों के दिए निर्णयों में संविधान के संशोधनों में लाल किले की प्रचीर से प्रधानमंत्री के... Hindi · कविता 3 1 204 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read ख्याल न आया ख्याल न आया पहली रोटी गाय को दी अंतिम रोटी कुत्ते को किड़नाल को सतनजा भी डाल आया मछलियों को आटा भी खिलाया श्राद्ध में कौवों को भी भौज कराया... Hindi · कविता 3 1 222 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read जादूगर जादूगर यहां हर व्यक्ति है जादूगर अक्सर दिखा देता है जादूगरी रह जाते हैं भौचक्के देखकर उसकी जादूगरी उनका अप्रत्याशित व्यवहार देखकर करता है मन दाद देने को किस ढंग... Hindi · कविता 3 1 223 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read बिखराव बिखराव नफरतों ने बढ़ा दी दूरियां इंसान-इंसान के बीच बांट दिया इंसान कितने टुकड़ों में स्त्री-पुरुष अगड़ा-पिझड़ा अमीर-गरीब नौकर-मालिक छूत-अछूत श्वेत-अश्वेत स्वर्ण-अवर्ण धर्म-मजहब में खंड-खंड हो गया इंसान नित बढ़ता... Hindi · कविता 3 1 207 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read दिन-दिहाड़े दिन-दिहाड़े गली में भौंके कुत्ते मैंने सोचा दिन-दिहाड़े तो नहीं आते चोर तभी किसी ने खटखटाया दरवाजा एक था सफेदपोश अनेक चमचों-चेलों संग आया था मांगने वोट चमचों ने किया... Hindi · कविता 3 2 212 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read हो गया सुन्न हो गया सुन्न आज मैं डांट रहा था छात्र को उसकी अकर्मण्यता पर क्रोधवश कह बैठा बुला कर लाना कल अपने पिता को साथी अध्यापक ने बताया नहीं हैं इसके... Hindi · कविता 3 3 349 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read बाह्य मूल्यांकन बाह्य मूल्यांकन कोट-पैंट टाई ने बाह्य व्यक्तित्व बना दिया आकर्षक गिटपिट भाषा ने बना दिया इक्किसवीं शदी का लेकिन अंदर आदमी था वही पंद्रहवीं सत्रहवीं शदी पुराना वर्णाश्रम के सांचे... Hindi · कविता 3 3 472 Share विनोद सिल्ला 16 Dec 2020 · 7 min read करतारो की अंतिम यात्रा करतारो की अंतिम यात्रा महिलाओं के रोने की आवाज आ रही थी| राधा ने अपने पति बंसी को बताया कि पड़ौसी भजनलाल की मां करतारो का देहांत हो गया| बंसी... Hindi · कहानी 3 4 318 Share विनोद सिल्ला 13 Apr 2021 · 1 min read हम ही अछूत क्यों हम ही अछूत क्यों मेरे पुर्वजों ने खाया मांस अभाव में जो तुमने ठहरा दिए अछूत तुम करवाते रहे संपन्न वो अनुष्ठान जिनमें दी गई निरिह जानवरों की बलि लेते... Hindi · कविता 3 3 443 Share विनोद सिल्ला 7 Jul 2021 · 1 min read मुहूर्त मुहूर्त हर पल है नया पल हर दिन है नया दिन हर सूर्योदय लाता है नवकिरणें देता है स्फूर्ति हर सूर्यास्त लेता है समेट वर्तमान को कर देता है इतिहास... Hindi · कविता 3 2 270 Share विनोद सिल्ला 10 Sep 2021 · 1 min read अपना दीपक आप बन अपना दीपक आप बन सूरज अंधेरा उगल रहे हों रोशनी को निगल रहे हों तब कौन राह प्रशस्त करे अपना दीपक आप बन तू क्यूं न खुद को अभ्यस्त करे... Hindi · कविता 3 195 Share विनोद सिल्ला 17 Mar 2022 · 1 min read बांट कर खाने की सीख बांट कर खाने की सीख रेलगाड़ी में सफर करते-करते राजबीर ने चने का लिफाफा निकाला और खाने लगा। खाते-खाते चने का लिफाफा सहयात्री की ओर करके कहा, "थोड़ा लीजिए प्लीज।"... Hindi · लघु कथा 3 6 420 Share विनोद सिल्ला 27 Mar 2022 · 1 min read अपनी संस्कृति अपनी संस्कृति पचास वर्षीय रणबीर अपनी पुत्री सोनिया को समझाते हुए कह रहा था, "तेरा जीन्स व टी-शर्ट डालकर कॉलेज जाना, मुझे अच्छा नहीं लगता। समय खराब है, सूट-सलवार डाला... Hindi · लघु कथा 3 342 Share विनोद सिल्ला 13 Jul 2022 · 1 min read ਆਹਟ मेरी कविता "आहट" का पंजाबी अनुवाद अनुवादक -गुरमान सैणी ਕਵਿਤਾ/ ਆਹਟ / ਵਿਨੋਦ ਸਿੱਲਾ ⚫♟️⚫ ਸਿੰਘਾਸਨ ਖ਼ਤਰੇ ਵਿੱਚ ਹੋਵੇ ਕਿ ਨਾ ਹੋਵੇ ਸ਼ੀਂਹ ਡਰਦਾ ਹੈ ਹਰ ਆਹਟ ਤੇ। ਉਸਨੂੰ ਹਰ... Punjabi · Poem · ਕਵਿਤਾ 3 195 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2022 · 4 min read जहाँ न पहुँचे रवि #जहाँ_न_पहुंचे_रवि -विनोद सिल्ला रवि और कवि में कोई समानता नहीं। रवि अपना काम करता है। कवि अपना काम करता है। फिर भी कुछ लोग न सिर्फ इनकी तुलना करते हैं,... Hindi · Article · लेख 3 2 481 Share विनोद सिल्ला 28 Sep 2022 · 1 min read चिरनिन्द्रा चिरनिन्द्रा जीत कर चुनाव हमारे राजनेता सो जाते हैं चिरनिंद्रा में चार वर्ष बाद चुनावी वर्ष में खुलती है इनकी जाग जागते ही लग जाते हैं फिर से साम-दाम-दण्ड-भेद आजमाने... Hindi · कविता 3 187 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read एक नई मुलाकात एक नई मुलाकात मैं जब भी फरोलता हूँ अलमारी में रखे अपने जरूरी कागजात तो सामने आ ही जाती है एक चिट्ठी जो भेजी थी वर्षों पहले मेरे दिल के... Hindi · कविता 2 174 Share विनोद सिल्ला 24 Jul 2019 · 1 min read परिवर्तन परिवर्तन मैं कुछ नया करना चाहता हूँ फिजां में नया रंग भरना चाहता हूँ मैं चाहता हूँ नवीन परिवर्तन अवरोध बने हैं रिवाज पुरातन वो पुरातन में सम्पूर्णता खोज रहे... Hindi · कविता 2 417 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read तिरंगा यात्रा तिरंगा यात्रा आज थी तिरंगा यात्रा उन हाथों ने थामा हुआ था तिरंगा सिर्फ और सिर्फ वोटार्थ वरना ताउम्र वो करते रहे उपेक्षा राष्ट्रध्वज की जिनकी मुंडेर पर फरकती रही... Hindi · कविता 2 2 229 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read बरसात बरसात आ गई बरसात देख रहे थे कब से राह इसकी लहलहा उठे पेड़-पौधे टर्रा उठे मेंढक हुई धींगा-मस्ती बच्चों की चल पड़ीं कागज की नाव मिल गई गर्मी से... Hindi · कविता 2 480 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read हंसना है महत्वपूर्ण हंसना है महत्वपूर्ण हंसता हुआ व्यक्ति लगता है बहुत सुंदर चित्र भी अक्सर लगते हैं सजिंदा हंसते हुए व्यक्ति के हंसी है कुदरत की नियामत जो छोड़ जाती है छाप... Hindi · कविता 2 335 Share विनोद सिल्ला 16 Aug 2019 · 1 min read दहेज दानव दहेज दानव ये दहेज दानव हजारों कन्याएं खा गया। ये बदलता माहौल भी रंग दिखा गया।। हर रोज अखबारों में ये समाचार है, ससुराल जाने से कन्या का इंकार है,... Hindi · कविता 2 311 Share विनोद सिल्ला 17 Aug 2019 · 1 min read हुआ हिमालय क्रोध में हुआ हिमालय क्रोध में हुआ हिमालय क्रोध में, आंखें उसकी लाल| हुआ वनों का दूहना, मानव को न ख्याल|| मानव को न ख्याल, जंगलों को रहा काट| आपदाओं को नियंत्रण,... Hindi · कुण्डलिया 2 429 Share विनोद सिल्ला 20 Aug 2019 · 1 min read प्रमाण प्रमाण वो समझता है खुद को सर्वश्रेष्ठ कर रखे हैं उसने गवाह तैयार जो दे रहे हैं उसके पक्ष में सर्वश्रेष्ठ होने की गवाही तमाम प्रमाण हैं उसके पास जिनसे... Hindi · कविता 2 224 Share विनोद सिल्ला 26 Sep 2019 · 1 min read वीरांगना झलकारी बाई वीरांगना झलकारी बाई भूल गया हिन्द जिसे वीरांगना झलकारी बाई थी। रानी झांसी ने जो अपनी सेनापति बनाई थी।। झांसी से दो कोस दूर ग्वालियर रोङ पर एक ग्राम है,... Hindi · कविता 2 3 238 Share विनोद सिल्ला 29 Sep 2019 · 1 min read कलरव कलरव पक्षियों का कलरव भा रहा हैं मन को हवा की सांय-सांय है बहुत कर्णप्रिय इनके राग नहीं हैं किसी वाद से प्रेरित नहीं हैं साम्प्रदायिक नहीं हैं जातिवादी हैं... Hindi · कविता 2 1 328 Share Page 1 Next