विवेक दुबे "निश्चल" Tag: मुक्तक 77 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid विवेक दुबे "निश्चल" 15 Jun 2021 · 1 min read आशा कल की स्वर्णिम आभा नभ की , साहस साँसों में भरती । आते कल की आशा में, निशि नित सबेरा गढ़ती । ...विवेक दुबे"निश्चल"... Hindi · मुक्तक 1 425 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Jun 2021 · 1 min read जागीर समझ जरा तासीर तेरी । जिस्म नहीं जागीर तेरी । ठहरा एक रात के वास्ते । जात है राहगीर तेरी । ...विवेक दुबे"निश्चल".. Hindi · मुक्तक 1 346 Share विवेक दुबे "निश्चल" 6 Jun 2021 · 1 min read जिंदगी जिंदगी जिंदा लकीरों सी । उलझती रही जमीरों सी । बदलते रहे हालात हरदम , मौसीक़ी ज़ज्ब फकीरों सी । ... ... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 1 2 331 Share विवेक दुबे "निश्चल" 6 Jun 2021 · 1 min read जिंदगी जिंदगी आईने सी कर दो । परछाइयाँ ही सामने धर दो । न सिमेटो कुछ भीतर अपने, निग़ाह अक़्स मायने भर दो। ....विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 335 Share विवेक दुबे "निश्चल" 6 Jun 2021 · 1 min read जिंदा बुत सामने से जो गुजरते हैं जिंदा बुत । हाँ दर्द होता है उस वक़्त पर बहुत । क्या कहूँ अंदाज नज़रें अंदाज को मैं , जो निगाहें चुरा बदलते खुद-बा-खुद... Hindi · मुक्तक 319 Share विवेक दुबे "निश्चल" 6 Jun 2021 · 1 min read आदमी महज़ इस्तेमाल होता है आदमी । फक़त ख़्याल खोता है आदमी। चलकर सँग जमीन पे अपनो के, हसरते आसमां पे सोता है आदमी । .......विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 401 Share विवेक दुबे "निश्चल" 6 Jun 2021 · 1 min read मैं मैं कहीं एक , बस्ती ढूंढता सा । मैं कहीं अपनी, हस्ती ढूंढता सा । एक चमन-ओ-अमन की चाहत में , नज़्र निग़ाह की , मस्ती ढूंढता सा । ....विवेक... Hindi · मुक्तक 540 Share विवेक दुबे "निश्चल" 6 Jun 2021 · 1 min read दरकार ऐ ख़यालात वो बदलता ही रहा , वक़्त से हालात सा । बिखेरकर क़तरा-ऐ-शबनम,हसीं रात सा । वो चाँद चलता ही रहा,अस्र से सेहर तक , न मुक़म्मिल सफ़र दरकार-ऐ-ख्यालात सा ।... Hindi · मुक्तक 326 Share विवेक दुबे "निश्चल" 5 Jun 2021 · 1 min read चलता रहा चलता रहा कल तक, आज की खातिर । बजता रहा साज भी ,आवाज की खातिर । उतरती रहीं कुछ नज़्में, ख़्वाब जमीं पर , देतीं रहीं हसरतें हवा , नाज... Hindi · मुक्तक 548 Share विवेक दुबे "निश्चल" 5 Jun 2021 · 1 min read हालात हादसे ये हालात के,अश्क पलकों पे उतरने नहीं देते । टूटकर हालात-ऐ-हक़ीक़त,ज़मीं पे बिखरने नहीं देते । हुआ है ख़ुश्क अब तो, मुसलसल आँख का दर्या भी , ये कोर... Hindi · मुक्तक 362 Share विवेक दुबे "निश्चल" 5 Jun 2021 · 1 min read मेरे अल्फ़ाज़ गिनता रहा मैं पत्ते बरगद के पेड़ के । कुछ शाख़ पे हरे से कुछ जमीं ढ़ेर के । टूटकर बिखरते ही रहे शाख़ से यूँ पत्ते , जिस तरह... Hindi · मुक्तक 332 Share विवेक दुबे "निश्चल" 16 May 2019 · 1 min read जिंदगी रूबरू ज़िंदगी ,घूमती रही । रूह की तिश्नगी, ढूँढती रही । रहा सफ़र दर्या का, दर्या तक, मौज साहिल को ,चूमती रही । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 1 297 Share विवेक दुबे "निश्चल" 16 May 2019 · 1 min read माँ लिए हक़ीक़त का अहसास सी । ओ माँ तू बड़ी ख़ास ख़ास सी । मिलता है सुकूँ तेरे आँचल में , तेरी हँसी में सारी कायनात सी । .... विवेक... Hindi · मुक्तक 296 Share विवेक दुबे "निश्चल" 16 May 2019 · 1 min read मेरा रहबर वो सच कहाँ था ,जो सच कहा था । मेरे ही रहबर ने,मुझको ही ठगा था । पढ़ता रहा जो क़सीदे शान में मेरी , लफ्ज़ लफ्ज़ जिनमे भरा दगा... Hindi · मुक्तक 414 Share विवेक दुबे "निश्चल" 14 Apr 2019 · 1 min read अंदाज़ मुस्कुराने की भी एक बजा चाहिए । नज़्र-ओ-निग़ाह की अदा चाहिए । कैसे रहे कायम बात पर अपनी , हर अंदाज़ की एक फ़िज़ा चाहिए । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 445 Share विवेक दुबे "निश्चल" 5 Dec 2018 · 1 min read वक़्त वक़्त बड़ा कमज़र्फ है । जफ़ा भरा हर्फ़ हर्फ़ है । अरमान घुटे सीनों में , सर्द दर्द हुआ वर्फ़ है । .. विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 347 Share विवेक दुबे "निश्चल" 25 Nov 2018 · 1 min read हालात को बदलता गया । "निश्चल" रहा मैं मगर , सफ़र जिंदगी चलता गया । बदलकर अपने आपको , हालात को बदलता गया । .. *विवेक दुबे"निश्चल"* @.... Hindi · मुक्तक 3 292 Share विवेक दुबे "निश्चल" 22 Nov 2018 · 1 min read कुछ ख़ुश ख़याल खोजते रहे । हर हाल बे-हाल कचोटते रहे । कुछ ख़ुश ख़याल खोजते रहे । चलते रहे सफ़र जिंदगी के , ये दिल हाल मगर रोज से रहे । .. विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 1 513 Share विवेक दुबे "निश्चल" 20 Nov 2018 · 1 min read आश्रयहीन अभिलाषाएं शेष नही कही समर्पण है । मन कोने में टूटा दर्पण है । आश्रयहीन अभिलाषाएं , अश्रु नीर नैनो से अर्पण है । ...विवेक दुबे"निश्चल"@. Hindi · मुक्तक 3 2 323 Share विवेक दुबे "निश्चल" 20 Nov 2018 · 1 min read कैसी चाहत है यह कैसे कल की चाहत है । आज लम्हा लम्हा घातक है । उठ रहे हैं तूफ़ान खमोशी के , साहिल पे नही कोई आहट है । ... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 1 311 Share विवेक दुबे "निश्चल" 19 Nov 2018 · 1 min read कुलषित कुंठाएं चलता नही मन साथ कलम के । खाली रहे अब हाथ कलम के । सिकुड़ती रहीं कुलषित कुंठाएं , लिए बैठीं दाग माथ कलम के । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 5 2 519 Share विवेक दुबे "निश्चल" 14 Aug 2018 · 1 min read आज़ादी की पूर्व संध्या रात बड़ी उल्लास में , लिये सुबह की आस । भोर यहाँ लहरायगा , राष्ट्रध्वज आकाश । ... धरा अपनी झूमेगी, झूमेगा आकाश । फैलाएगा भानू भी , झूम धवल... Hindi · मुक्तक 474 Share विवेक दुबे "निश्चल" 21 Jul 2018 · 1 min read निगाहें निगाहों को निग़ाहों से धोका हुआ है । ज्यों जागकर भी कोई सोया हुआ है । झुकीं हैं निग़ाहें यूँ हर शख़्स की क्युं , ज्यों निग़ाहों का निग़ाहों से... Hindi · मुक्तक 309 Share विवेक दुबे "निश्चल" 21 Jul 2018 · 1 min read जिंदगी वो जाम सा अंजाम था । निग़ाहों से अपनी हैरान था । नही था कोई रिंद वो साक़ी, जिंदगी उसका ही नाम था । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 459 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Jul 2018 · 1 min read कविता शब्द शब्द अर्थ सजी है कविता । अपरिचित सी परिचित है कविता । गूढ़ भाव मौन गढ़ती है कविता । है "निश्चल" सचल बनी है कविता । ... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 562 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Jul 2018 · 1 min read वो वो नुक़्स निकालते रहे । यूँ हमे खंगालते रहे । बार बार सम्हल कर हम, खुद को सम्हालते रहे । .... "निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 519 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Jul 2018 · 1 min read मुझको भी कभी मुझको भी पढ़ लेना । कभी अपनों में गढ़ लेना । दूर कहीं निगाहों से रहकर, यादों की बांहों मे भर लेना । .... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 332 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Jul 2018 · 1 min read वो चिराग बिखेर कर राख किनारों से । बुझ गए वो चिराग़ रातों के । रोशन शमा एक रात की ख़ातिर , दिन हुए हवाले फिर उजालों के । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 512 Share विवेक दुबे "निश्चल" 12 Jul 2018 · 1 min read जीवन का माप ना हर्ष रहे ना संताप रहे । बस "मैं" नही "आप" रहे । मोह नही नियति बंधन से , जीवन का इतना माप रहे । .... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 552 Share विवेक दुबे "निश्चल" 10 Jul 2018 · 1 min read अहंकार लज़्ज़ता छोड़ निर्लज़्ज़ता ओढ़ी । शर्म हया भी रही नही जरा थोड़ी । रहे नही शिष्ट आचरण अब कुछ , अहंकार की चुनर एक ऐसी ओढ़ी । ..... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 484 Share विवेक दुबे "निश्चल" 4 Jul 2018 · 1 min read सायली छंद उन्मुक्त आकाश में , रिक्त कुछ आकांक्षाएं । भटक रहीं इच्छाएं । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 335 Share विवेक दुबे "निश्चल" 30 Jun 2018 · 1 min read सरल सरल सदा ही तरल होता । बहता सा ही कल होता । मिल जाता वो सागर में , सफ़र वहाँ सफल होता । .... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 308 Share विवेक दुबे "निश्चल" 26 Jun 2018 · 1 min read आज आज इंसान ग़ुम हो रहा है । इतना मज़लूम हो रहा है । खा रहे वो कसमें ईमान की , यूँ ईमान का खूं हो रहा है । ..... विवेक... Hindi · मुक्तक 466 Share विवेक दुबे "निश्चल" 20 Jun 2018 · 1 min read आदमी विषय ... *बल* स्वयं को सँवारता आदमी । अन्य को बिसारता आदमी । थोथले दम्भ के बल पर , स्वयं को उभारता आदमी । आदमी को यूँ मारता आदमी ।... Hindi · मुक्तक 379 Share विवेक दुबे "निश्चल" 4 Jun 2018 · 1 min read वो निग़ाह वो कोई अदावत नही थी । हुस्न से शिकायत नही थी । हुआ रुसवा जिस निगाह से , वो निगाह-ऐ-शरारत नही थी । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 297 Share विवेक दुबे "निश्चल" 22 May 2018 · 1 min read फ़ुर्सत आज वो फुर्सत में नजर आते है । खुशियों के निग़ाह रंग सजाते है । समेट कर यादें गुजरे वक़्त की , यूँ वक़्त को अपना फिर बनाते है ।... Hindi · मुक्तक 1 229 Share विवेक दुबे "निश्चल" 22 May 2018 · 1 min read निग़ाह वक़्त ने वक़्त को समेटा था । नज्र पे नज्र का पहरा था । न थे राज निग़ाह में कोई , निग़ाह ने निग़ाह को घेरा था । .... विवेक... Hindi · मुक्तक 405 Share विवेक दुबे "निश्चल" 16 May 2018 · 1 min read अश्क़ आहों में अश्क़ आहों में सजते रहे । इंतज़ार निग़ाह थकते रहे । वादा था न आने का मुझसे , यूँ वादे से हम मुकरते रहे । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 203 Share विवेक दुबे "निश्चल" 13 May 2018 · 1 min read माँ जिंदगी उन्हें कभी हराती कैसे । साथ दुआएँ जो माँ की लेते । कदमों में उनके आकाश झुके । जिनके सर माँ के आशीष रुके । ..... विवेक दुबे"निश्चल"@.... Hindi · मुक्तक 503 Share विवेक दुबे "निश्चल" 3 May 2018 · 1 min read हल होगी हर मुश्किल हल होगी । आज नही तो कल होगी । चमकेगा दिनकर फिर वहां , निशा जहां ख़तम होगी । ... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 357 Share विवेक दुबे "निश्चल" 8 Apr 2018 · 1 min read अब्र कहे किससे तू इतर नही मुझसे । क्यूँ बे-जिकर मुझसे । मैं धुँध है गुबार का , तू अब्र कहे किससे । .... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 1 228 Share विवेक दुबे "निश्चल" 5 Apr 2018 · 1 min read मुक्तक तीन मुक्तक--- 1... अतृप्ति यह भावों की । संतृप्ति यह हालतों की । आदि अनादि की परिधि से, सृष्टि चलती विस्तारों की । .2.. जिव्हा शब्द से लद जाती ।... Hindi · मुक्तक 225 Share विवेक दुबे "निश्चल" 30 Mar 2018 · 1 min read आईना हर चेहरा शहर में नक़ली निकला । एक आईना ही असली निकला । लिया सहारा जिस भी काँधे का , वो काँधा भी जख़्मी निकला । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 245 Share विवेक दुबे "निश्चल" 28 Mar 2018 · 1 min read एक छोटा सा मुक्तक ==== जाते को , रोका किसने । आते को , टोका किसने । बहते रहे , लफ्ज़ हमारे , अश्कों को , सोखा किसने । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 211 Share विवेक दुबे "निश्चल" 27 Mar 2018 · 1 min read इश्क़ राह सिखाता रहा वो इश्क़ मुझे बार बार । गिरता रहा मैं इश्क़ राह बार बार । टूटता न था दिल उस संग की चोट से , होता रहा अपनी निग़ाह... Hindi · मुक्तक 201 Share विवेक दुबे "निश्चल" 27 Mar 2018 · 1 min read खर्च का हिसाब खर्च का हिसाब न रहा । तेरा इतना इख़्तियार रहा । सम्हालता रहा लम्हा लम्हा , बे-इन्तेहाँ जो इंतज़ार रहा । ... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 222 Share विवेक दुबे "निश्चल" 27 Mar 2018 · 1 min read विश्व रंग मंच दिवस यह जोकर सी ज़िंदगी । देखो कितनी संजीदगी । हँसती है हर दम हर दम, आँखों में छुपाकर नमी । .... विवेक दुबे"निश्चल"@.. विश्व रंग मंच दिवस पर Hindi · मुक्तक 192 Share विवेक दुबे "निश्चल" 27 Mar 2018 · 1 min read ज़िंदगी जिंदगी-ऐ-हक़ीकत में हँसना है मना । ख़यालों में ही मुस्कुरा लूँ मैं जरा । यूँ ही चलते चलते हो जाएगी फ़ना , ज़िंदगी बस तेरी एक यही रज़ा । ........ Hindi · मुक्तक 223 Share विवेक दुबे "निश्चल" 22 Mar 2018 · 1 min read चाहतें कैसी ख्वाहिशों की चाहतें कैसी । हसरतों की अदावतें कैसी । पलकों की कोर से गिरते , अश्कों की आहटें कैसी । ... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 210 Share विवेक दुबे "निश्चल" 22 Mar 2018 · 1 min read वक़्त जिया करता हूँ हाँ लिखता हूँ मैं हाँ लिखता हूँ । ज़ीवन के कुछ सच लिखता हूँ । मैं दिल के साथ चलूँ कुछ ऐसे , हाँ बे-वक़्त *वक़्त* जिया करता हूँ ।... Hindi · मुक्तक 234 Share Page 1 Next