Dr Vipin Sharma Tag: ग़ज़ल/गीतिका 11 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dr Vipin Sharma 26 Mar 2021 · 1 min read गुज़र गई है बहुत गुज़र गई है बहुत और बची है थोड़ी सी निकलती जान भी नहीं मगर निगोड़ी सी। महफिलों में छलके जाम पर न ये था पता ज़िन्दगी इतनी बची ज्यों शराब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 359 Share Dr Vipin Sharma 26 Feb 2018 · 1 min read बीता हुआ कल फिर से करीब आया है बीता हुआ कल फिर से करीब आया है भूले नग्मों में एक सुर सा उभर आया है। सलवटों में हैं लिखीं दास्ताँ बचपन की आंसूओ में मेरा बचपन उभर आया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 378 Share Dr Vipin Sharma 4 Feb 2018 · 1 min read कुछ नहीं हूँ तो कितना खुश हूं कुछ नहीं हूँ तो कितना खुश हूं कुछ न होने का एहसास बहुत अच्छा है। न ही गम हैं, न हैं हज़ारों शिकवे न ही भीड़ में खोने का डर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 449 Share Dr Vipin Sharma 20 Jan 2018 · 1 min read मन की उड़ान मत रोको मन की उड़ान मत रोको यह सकूं देती है सिक्कों की खनकार लहू पी लेती है। फुर्सत के लम्हे जी लो जी कर के जानो भाग दौड़ की दुनियां सदमे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 350 Share Dr Vipin Sharma 16 Jan 2018 · 1 min read वह इमारत पुरानी सी लगती है वह इमारत पुरानी सी लगती है जिस की छत पर चढा करता था। परीक्षक कर के बुलाया गया है वहीं जहाँ कभी खुद पढा करता था। धुधली सी यादें ताजा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 552 Share Dr Vipin Sharma 13 Jan 2018 · 1 min read जिन रास्तों से गुज़रा करता था मैं कभी जिन रास्तों से गुजरा करता था मैं कभी वो रास्ते बन हमसफ़र मुझे याद आते हैं। उन रास्तों के सीने पर कदमों के कुछ निशान बन कर मेरे हबीब मुझे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 447 Share Dr Vipin Sharma 31 Dec 2017 · 1 min read साल दर साल बीत जाने दो साल दर साल बीत जाने दो एक नया साल फिर से आने दो। उम्र अब भी हमारी कमसिन है दिल के जज़्बों को आज़माने दो। रंग भर दो फिज़ाओं में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 238 Share Dr Vipin Sharma 30 Dec 2017 · 1 min read धूप का एक कोना छिटक जाता है धूप का एक कोना छिटक जाता है ज़िंदगी का वक्त निकल जाता है। खाहिशों के अक्स में ढलती है ज़िन्दगी अक्स टूटा और अक्स बिखर जाता है। चाहते हैं सकूं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 244 Share Dr Vipin Sharma 28 Dec 2017 · 1 min read हम क़ुदरत से जुदा हो गए हैं हम क़ुदरत से जुदा हो गए हैं शायद खुद ही से खफा हो गए हैं। जी रहे थे हम जिन के सहारे उन्ही से बेवफ़ा हो गए हैं। काट देते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 189 Share Dr Vipin Sharma 28 Dec 2017 · 1 min read चले जा रहे हैं जो कल थे सितारे चले जा रहे हैं जो कल थे सितारे वो रोशन थे करते फ़िज़ा ज़िन्दगी की। लुटाते थे मुस्कान हँसाते थे सबको वो हसरत से भरते खला ज़िन्दगी की। दिखाते थे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 224 Share Dr Vipin Sharma 27 Dec 2017 · 1 min read संभल के जीना ज़िन्दगी के पल दो पल संभल के जीना ज़िन्दगी के पल दो पल संभल के जीना कि ज़िन्दगी अभी बाकी है। न खोना इन पलों को और न ढोना इन्हें संभल के रहना कि बस... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 843 Share