विनोद सिल्ला 29 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid विनोद सिल्ला 3 Dec 2018 · 1 min read छोटी मछली मैं हूँ एक छोटी सी मछली। सपनों के सागर में मचली।। सोचा था सारा सागर मेरा, ले आजादीका सपना निकली।। बङे- बङे मगरमच्छ वहां थे, था आजादीका सपना नकली।। बङी... Hindi · कविता 3 383 Share विनोद सिल्ला 11 Feb 2019 · 1 min read सफाई अभियान सफाई अभियान आज मलीन बस्ती में थी गहमागहमी जो बङे वाले नेता उठा के झाड़ू आए थे शुरु करने सफाई अभियान बस्ती का रामू जो हमेशा से सफाई कार्य करता... Hindi · कविता 3 4 424 Share विनोद सिल्ला 12 Feb 2019 · 1 min read नन्हे मेहमान नन्हे मेहमान मुंडेर पर रखे पानी के कुंडे को देख रहा था मैं होकर आशंकित मन में उठे प्रश्न कोई पक्षी आता है या नहीँ पानी पीने तभी मुंडेर पर... Hindi · कविता 3 2 267 Share विनोद सिल्ला 4 Dec 2018 · 1 min read जिम्मेदारी की चादर मैं हूँ अध्यापक बच्चों को इतिहास-भूगोल राजनीति-शास्त्र पढ़ाता हूँ अनेक बार अध्यापन में देश को कृषि प्रधान बताता हूँ उन्हीं छात्रों को छुट्टी के बाद दुकानों पर बाल श्रमिक पाता... Hindi · कविता 2 294 Share विनोद सिल्ला 2 Dec 2018 · 1 min read पर्यावरण संरक्षण दूषित हुई हवा वतन की कट गए पेड़ सद्भाव के बह गई नैतिकता मृदा अपर्दन में हो गईं खोखली जड़ें इंसानियत की घट रही समानता ओजोन परत की तरह दिलों... Hindi · कविता 2 553 Share विनोद सिल्ला 10 Dec 2018 · 1 min read लजीज खाना लज़ीज खाना मैं जब कई दिनों बाद गया गाँव मां ने अपने हाथों से बनाई रोटी कद्दू की बनाई मसाले रहित सब्ज़ी रोटी पर रखा मक्खन लस्सी का भर दिया... Hindi · कविता 2 277 Share विनोद सिल्ला 14 Feb 2019 · 1 min read खारा ही रहा खारा ही रहा सागर की तरह मानव जीवन में मीठे जल की कितनी ही नदियाँ मिलीं फिर भी मानव जीवन सागर की तरह खारा ही रहा जबकी नदियों ने खो... Hindi · कविता 2 2 237 Share विनोद सिल्ला 12 Feb 2019 · 1 min read अहिंसा का पुजारी अहिंसा का पुजारी उसकी अहिंसा यरवदा जेल में पूना पैक्ट में साबित हुई घातक वंचितों के लिए उसकी अहिंसा ने की वंचितों के अधिकारों की हत्या उनके शासक बनने के... Hindi · कविता 2 235 Share विनोद सिल्ला 18 Jan 2019 · 1 min read लोगों का कद लोगों का कद मेरे अास-पास के लोगों का कद हो गया उनके वास्तविक कद से कहीं अधिक ऊँचा विड़ंबना यह भी है वो नहीं जानते झुकना भी इसलिए मैंने ही... Hindi · कविता 2 304 Share विनोद सिल्ला 12 Feb 2019 · 1 min read झाड़ू का भाग्य झाडू का भाग्य झाडू बड़ी इतराई जब उसे उठाया नेता जी ने कितने फोटो खिंचे उससे पहले कितना संभाला गया जैसे कोई चीज़ हो कीमती धोया गया डिटोल से वाह... Hindi · कविता 2 526 Share विनोद सिल्ला 22 Jan 2019 · 1 min read गवाही गवाही शंबुक रीषि की कटी गर्दन एकलव्य का कटा अंगूठा टूटे व जीर्ण-शीर्ण बौद्ध स्तूप खंडित बुद्ध की प्रतिमाएं धवस्त तक्षशिला व नालंदा तहस-नहस बौद्ध साहित्य धूमिल बौद्ध इतिहास दे... Hindi · कविता 2 342 Share विनोद सिल्ला 1 Feb 2019 · 1 min read डाकबाबू डाकबाबू जब भी आता था डाक बाबू लिए हुए डाक मुहल्ले भर की उत्सुकतावश हो जाते थे एकत्रित उसके चारों ओर मुहल्ले भर के लोग करते थे चेष्टा जानने की... Hindi · कविता 1 258 Share विनोद सिल्ला 28 Feb 2019 · 1 min read नाचना सबको पड़ता है नाचना सबको पड़ता है नाचते हैं सब कोई नाचता है होशो-हवास में तो कोई होशो-हवास गवां के नाचता है कोई मन से नाचता है तो किसी को जबरन नचाया जाता... Hindi · कविता 1 353 Share विनोद सिल्ला 2 Feb 2019 · 1 min read जीत गया चुनाव जीत गया चुनाव जीत कर चुनाव किए वादों की करते-करते वादाखिलाफी बीत गए साढे़ चार साल अब नेता जी को आए पसीने पृथ्वी देने लगी दिखाई छोटी-सी लगने लगा निर्वाचन... Hindi · कविता 1 210 Share विनोद सिल्ला 12 Feb 2019 · 1 min read अवर्णित अवर्णित पौराणिक कथाओं में वर्णित है ब्रह्मा के मुख से उत्पन्न हुआ ब्राह्मण भुजाओं से उत्पन्न हुआ क्षत्रिय उदर से उत्पन्न हुआ वैश्य पैरों से उत्पन्न हुआ शुद्र यहूदी, मुस्लिम,... Hindi · कविता 1 211 Share विनोद सिल्ला 12 Feb 2019 · 1 min read सुंदरता सुंदरता सुंदर चेहरे नहीं होते सदैव सुंदर यह सुंदरता बाह्य आकार-प्रकार बाह्य मापदंड आधारित होती है जरूरी नहीं यह व्यवहार की कसौटी पर अक्सर खरी उतरे व्यवहार आधारित सुंदरता होती... Hindi · कविता 1 325 Share विनोद सिल्ला 21 Feb 2019 · 1 min read शहीद हो गई शहीद हो गई वो सैनिक हो गया शहीद सीमा पर अपना कर्तव्य निभाते-निभाते सिर्फ वही शहीद नहीं हुआ शहीद हो गई सदा के लिए एक घर की खुशियाँ शहीद हो... Hindi · कविता 1 209 Share विनोद सिल्ला 30 Jan 2019 · 1 min read शूरवीर शूरवीर शूरवीर वह नहीं जो करके नरसंहार जीत ले कलिंग-युद्ध जो बहा दे लहू का दरिया जो मचा दे चहूंओर त्राही-त्राही जो कर दे अनाथ अबोध बच्चों को जो कर... Hindi · कविता 1 239 Share विनोद सिल्ला 29 Jan 2019 · 1 min read वह था मात्र इंसान वह था मात्र इंसान आदिकाल में नहीं था मानव क्लीन शेवड करता नहीं था कंघी लगता होगा जटाओं में भयावह-असभ्य लेकिन वास्तव में वह था कहीं अधिक सभ्य आज के... Hindi · कविता 1 222 Share विनोद सिल्ला 27 Jan 2019 · 1 min read खोई हुई आजादी खोई हुई आजादी मैं ढूंढ रहा हूँ अपनी खोई आजादी मजहबी नारों के बीच न्याधीश के दिए निर्णयों में संविधान के संशोधनों में लालकिले की प्रचीर से दिए प्रधानमंत्री के... Hindi · कविता 1 280 Share विनोद सिल्ला 21 Jan 2019 · 1 min read जीवन का सफर जीवन का सफर जीवन के सफर में अनेकों बार आई खुशियों की रेलगाड़ी कभी समय पर तो कभी निर्धारित समय से, विलंब से चलो देर आई दुरुस्त आई आई तो... Hindi · कविता 1 374 Share विनोद सिल्ला 20 Jan 2019 · 1 min read कमाल के समीक्षक कमाल के समीक्षक एक मेरा मित्र बात-बात पर कोसता है संविधान को ठहराता है इसे कॉपी-पेस्ट एक दिन मैंने पूछ ही लिया कितनी बार पढ़ा है संविधान उसने कहा एक... Hindi · कविता 1 207 Share विनोद सिल्ला 31 Dec 2018 · 1 min read नववर्ष की बधाई नववर्ष की बधाई जब नववर्ष की दी बधाई तो , मुंह बिचकाया एक मित्र ने । पाश्चात्य पर्व है इसे छोड़ो , यूँ बतलाया उस मित्र ने । मैंने कहा... Hindi · कविता 1 513 Share विनोद सिल्ला 21 Dec 2018 · 1 min read दुखिया का दुख . दुखिया का दुख बस्ती का दुखिया दिहाड़ीदार मजदूर है, आर्थिक तौर पर वो लाचार मजबूर है, उसकी पत्नी जो सालों से बीमार है, ऊपर से रूढ़िवादी रिवाजों की मार... Hindi · कविता 1 244 Share विनोद सिल्ला 18 Dec 2018 · 1 min read उजाला उजाला नहीं मोहताज मेरे जीवन का उजाला किसी दीपक का किसी सूरज का किसी रोशनी का जो चमकता है अपनी प्रतिभा से अपने ही नूर से जो चमकता है अंधेरे... Hindi · कविता 1 184 Share विनोद सिल्ला 18 Dec 2018 · 1 min read उजाला उजाला नहीं मोहताज मेरे जीवन का उजाला किसी दीपक का किसी सूरज का किसी रोशनी का जो चमकता है अपनी प्रतिभा से अपने ही नूर से जो चमकता है अंधेरे... Hindi · कविता 1 197 Share विनोद सिल्ला 15 Dec 2018 · 1 min read समझ से परे समझ से परे मरने के बाद स्वर्ग से या फिर नर्क से कोई नहीं आया वापस लौट कर फिर स्वर्ग का मजा और नर्क की सजा का वर्णन किसने किया... Hindi · कविता 1 231 Share विनोद सिल्ला 7 Dec 2018 · 1 min read मैं पीड़ा हूँ मैं पीड़ा हूँ मैं पीड़ा हूँ उस दरिद्र की जो नित भूखा सो जाता है पीने को तो आंसू खूब हैं भूख लगे तो गम खाता है मैं पीड़ा हूँ... Hindi · कविता 1 194 Share विनोद सिल्ला 14 Feb 2019 · 1 min read बाह्य मूल्यांकन बाह्य मूल्यांकन कोट-पैंट टाई ने बाह्य व्यक्तित्व बना दिया आकर्षक गिटपिट भाषा ने बना दिया इक्किसवीं शदी का लेकिन अंदर आदमी था वही पंद्रहवीं सत्रहवीं शदी पुराना वर्णाश्रम के सांचे... Hindi · कविता 260 Share