पर्यावरण संरक्षण
दूषित हुई हवा
वतन की
कट गए पेड़
सद्भाव के
बह गई नैतिकता
मृदा अपर्दन में
हो गईं खोखली जड़ें
इंसानियत की
घट रही समानता
ओजोन परत की तरह
दिलों की सरिता
हो गई दूषित
मिल गया इसमें
स्वार्थपरता का दूषित जल
सांप्रदायिक दुर्गंध ने
विषैली कर दी हवा
आज पर्यावरण
संरक्षण की
सख्त जरूरत है
-विनोद सिल्ला©