Tag: कविता
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*हिंदी दिवस मनावन का मिला नेक ईनाम*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*हिंदी दिवस मनावन का मिला नेक ईनाम*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
***चाँद पर चंद्रयान उड़ाया है***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
********व्हिस्की********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
****** तीज-त्यौहार ******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
******" दो घड़ी बैठ मेरे पास ******
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*मै भारत देश आजाद हां*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*औरतों को करते निवस्त्र है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
**कुछ बंद कुछ खुले बाजार थे**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*मायूस बेटियाँ नाशाद है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
**मेघों को बरसने दो धरती बहुत प्यासी है**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सोने का ताज (माहिया)
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*मुखौटों पीछे छिपे अलग चेहरे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*सुर्ख होंठ तेरे मधुशाला है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
****** ट्रेन पल में जा भिड़ी *****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
तन बदन हो जाता कमजोर है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
वो देखते ही खिलखियाए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*ये आखिरी खत तेरे नाम है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"कुछ तेरे कुछ मेरे ख्वाब हैं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*******फ़ायदा उठाते हैं लोग*********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*जब जीना ही हर हाल है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*जब जीना ही हर हाल है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
किसी नजर को तेरी तलाश है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*मै ही हूँ आपका कोई दूजा नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*अब हाल क्या पूछना घाव तो मर गए है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*जमीनें हैँ महंगी जमीर बहुत ही सस्ते*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*प्रीत पराई की बुरी पीर घड़ी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बस इतनी सी कहनी बात है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*चुपके-चुपके खोई प्रोफाइल देखती हो*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*इश्क तो सदा यारों भरी रवानी में होता है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*हँसना चाहूँ तो रो पड़ता हूँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
**तीर सी सीधी चुभती बातें खरी-खरी**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
***** नीले नशीले नैन कटोरे *****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*नदिया किनारे मेरे गाँव में*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
**तुम क्या जानो दास्तां**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*अंग गौरी तेरे जैसे गहने हों भारी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*जरा आगोश मे तो आओ हम होश में नहीं"
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*हमे अब भी गुजरा जमाना याद है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*बसते हो तुम साँसों में*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
***जाने कैसे ये हादसा हो गया***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
**तंग करने लगी खुद की परछाई है**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*बहुत मिलेंगे खुशियों में जहर घोलने वाले*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
***मन में बहती रहे प्रेम की गंगा****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जी ली जिंदगी अब मरने की बारी है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*बहुत मिलेंगे खुशियों में जहर घोलने वाले*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
************* रोटियां ************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
************* रोटियां ************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अपने सपने खुद चुन लो
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*जिंदा हो तो जिंदापन का अहसास जरूरी है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*सत्य तोलना हो तो जगदीश तुम बनो*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत