Shyam Vashishtha 'शाहिद' Tag: Gazal ग़ज़ल 12 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read इतनी के बस ! जान देने की मेरी तैयारियाँ इतनी कि बस। और जीने की मेरी लाचारियाँ इतनी कि बस।। सबके होठों पे सजी है मुस्कुराहट देखिए, और आँखों में छिपी मक्कारियाँ इतनी कि... Hindi · Gazal ग़ज़ल · ग़ज़ल 81 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल-जितने पाए दर्द नुकीले जितने पाए दर्द नुकीले उतने गाए गीत सुरीले साँप हमारा क्या कर लेंगे वो ज़हरीले हम ज़हरीले आदमखोर हुई है दुनिया आँखें काली,चेहरे पीले सबको जीवन बाँटे कुदरत साँसे गिनकर... Poetry Writing Challenge-3 · Gazal ग़ज़ल 1 65 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल-जितने घाव पुराने होंगे जितने घाव पुराने होंगे उतने दर्द सयाने होंगे हँसने और हँसाने वाले पागल या दीवाने होंगे जाल वहीं पे लाज़िम समझो जहाँ जहाँ भी दाने होंगे खंजर तो कोरा कागज़... Poetry Writing Challenge-3 · Gazal ग़ज़ल 1 83 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल-अपनी ही एक ख़ुमारी है ! वैसे तो दुनिया को दुनिया प्यारी है। पर मुझ में अपनी ही एक ख़ुमारी है। याद नहीं आता है अब कोई मुझको, दुनियादारी आख़िर दुनियादारी है। कैसे उसकी बातों का... Poetry Writing Challenge-3 · Gazal ग़ज़ल 1 57 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल-क्या समझते हैं ! हमारी हर परेशानी को वो झूठा समझते हैं इधर हम हैं कि उनके झूठ को सच्चा समझते हैं हमारी सोच का इस बात से होता है अंदाज़ा हमें तुम क्या... Poetry Writing Challenge-3 · Gazal ग़ज़ल 44 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल-सपेरे भी बहुत हैं ! गो ज़हर भरे नागों के डेरे भी बहुत हैं पर अपने इलाके में सपेरे भी बहुत हैं माना के सियह रात है क़ाबिज़ हैं अँधेरे हर रात के आँचल में... Poetry Writing Challenge-3 · Gazal ग़ज़ल · ग़ज़ल 1 42 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल-कुछ नहीं आता ! दिन-रात की आफत के सिवा कुछ नहीं आता चाहत में मुसीबत के सिवा कुछ नहीं आता लो चाय में भी चाय की पत्ती नहीं डाली तुमको तो मुहब्बत के सिवा... Poetry Writing Challenge-3 · Gazal ग़ज़ल · ग़ज़ल 1 57 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल-समय की ताल पर किसलिए हँसते हो मेरे हाल पर नाचते हैं सब समय की ताल पर इश्क़ ने ला कर कहाँ पटका मुझे अब ग़ज़ल होती है आटे दाल पर बद्दुआ मत ले... Poetry Writing Challenge-3 · Gazal ग़ज़ल 1 53 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल-न जाने किसलिए न जाने किसलिए ऐसा यहाँ हर बार होता है उन्हें काँटे मिले जिनको गुलों से प्यार होता है हवाओ तुम ही जा कर बिजलियों को आज समझाओ बहुत मुश्किल से... Poetry Writing Challenge-3 · Gazal ग़ज़ल 1 68 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल-दुनिया में दुनियादारी का बोझ दुनिया में दुनियादारी का बोझ उठाना पड़ता है और कई सपनों को चुपके से मर जाना पड़ता है शिव हों या सुकरात ज़हर यूँ ही पीता है कौन मगर आम... Poetry Writing Challenge-3 · Gazal ग़ज़ल 1 56 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल-दिल में दुनिया की पीर दिल में दुनिया की पीर ज़िंदा है यानि मेरा ज़मीर ज़िंदा है कोई हिन्दू है कोई मुस्लिम है कैसे कह दूँ कबीर ज़िंदा है तुझको देखा तो बस यही सोचा... Poetry Writing Challenge-3 · Gazal ग़ज़ल · ग़ज़ल 1 63 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल - बड़े लोगों की आदत है! सभी के ऐब गिनवाना बड़े लोगों की आदत है करें क्यूँ फिक्र दुनिया की जो अपनी साफ़ नीयत है हमें ही कम मिला सब कुछ यही सबको शिकायत है सभी... Poetry Writing Challenge-3 · Gazal ग़ज़ल 1 50 Share