Tag: मुक्तक
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सँभल जा मानव...
डॉ.सीमा अग्रवाल
न जागी हूँ न सोई हूँ....
डॉ.सीमा अग्रवाल
धरा के छोर सब रोशन....
डॉ.सीमा अग्रवाल
सुन लो प्रभु जी....
डॉ.सीमा अग्रवाल
उड़ानों का नहीं मतलब, गगन का नूर हो जाना।
डॉ.सीमा अग्रवाल
उदासी से भरे हैं दिन, कटें करवट बदल रातें।
डॉ.सीमा अग्रवाल
किन्नर व्यथा....2
डॉ.सीमा अग्रवाल
सजन के संग होली में, खिलें सब रंग होली में।
डॉ.सीमा अग्रवाल
अजब जग के नजारे हैं....
डॉ.सीमा अग्रवाल
लुभाता चाँद पूनम का....
डॉ.सीमा अग्रवाल
तस्मै श्री गुरवे नमः
डॉ.सीमा अग्रवाल
न रोको तुम किसी को भी....
डॉ.सीमा अग्रवाल
कितने इनके दामन दागी, कहते खुद को साफ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
तुम्हें ना भूल पाऊँगी, मधुर अहसास रक्खूँगी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
अरे ये कौन नेता हैं, न आना बात में इनकी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
नदी उस पार बहती है....
डॉ.सीमा अग्रवाल
चलो उस पार चलते हैं....
डॉ.सीमा अग्रवाल
नहीं तुम सा कहीं रघुवर....
डॉ.सीमा अग्रवाल
कभी थे फूल से कोमल....
डॉ.सीमा अग्रवाल
जहाँ तुम हो वहाँ मैं हूँ....
डॉ.सीमा अग्रवाल
मुक्तक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
माँ सच्ची संवेदना, माँ कोमल अहसास।
डॉ.सीमा अग्रवाल
दिल की जमीं से पलकों तक, गम ना यूँ ही आया होगा।
डॉ.सीमा अग्रवाल
कितना सुकून और कितनी राहत, देता माँ का आँचल।
डॉ.सीमा अग्रवाल
एक मुक्तक
डॉ.सीमा अग्रवाल
फलक पर चाँद आया है....
डॉ.सीमा अग्रवाल
न खाते फल...
डॉ.सीमा अग्रवाल
सजाकर स्वप्न आँखों में....
डॉ.सीमा अग्रवाल
चलो क्षण भर भुला जग को, हरी इस घास में बैठें।
डॉ.सीमा अग्रवाल
आसमां पर घर बनाया है किसी ने।
डॉ.सीमा अग्रवाल
नहीं लगता कहीं अब मन....
डॉ.सीमा अग्रवाल
न हो आश्रित कभी नर पर, इसी में श्रेय नारी का।
डॉ.सीमा अग्रवाल
नाचे वन में मोर....
डॉ.सीमा अग्रवाल
अजब जग के नजारे हैं...
डॉ.सीमा अग्रवाल
कुछ मुक्तक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
रूप का उसके कोई न सानी, प्यारा-सा अलवेला चाँद।
डॉ.सीमा अग्रवाल
बनें सब आत्मनिर्भर तो, नहीं कोई कमी होगी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
एक मुक्तक....
डॉ.सीमा अग्रवाल
कुछ मुक्तक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
सुखों से दूर ही रहते, दुखों के मीत हैं आँसू।
डॉ.सीमा अग्रवाल
सभी गम से गुजरते हैं...
डॉ.सीमा अग्रवाल
किन्नर-व्यथा ...
डॉ.सीमा अग्रवाल
मौसम ने भी ली अँगड़ाई, छेड़ रहा है राग।
डॉ.सीमा अग्रवाल
बड़े दुर्लभ सुजन ऐसे....
डॉ.सीमा अग्रवाल
उगाएँ प्रेम की फसलें, बढ़ाएँ खूब फुलवारी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
यही बस चाह है छोटी, मिले दो जून की रोटी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
रखे हों पास में लड्डू, न ललचाए मगर रसना।
डॉ.सीमा अग्रवाल
माना तुम्हारे मुक़ाबिल नहीं मैं।
डॉ.सीमा अग्रवाल
चलो मतदान कर आएँ, निभाएँ फर्ज हम अपना।
डॉ.सीमा अग्रवाल
चला आया घुमड़ सावन, नहीं आए मगर साजन।
डॉ.सीमा अग्रवाल