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3 Sep 2021 · 1 min read

सजाकर स्वप्न आँखों में….

सजाकर स्वप्न आँखों में, मुझे भेजा यहाँ तुमने।
पलटकर भूल से भी फिर, नहीं देखा कभी तुमने।
तुम्हारे जिगर का टुकड़ा, तुम्हारा अंश हूँ मैं भी,
कहाँ किस हाल में हूँ मैं, कभी सोचा नहीं तुमने।
“मनके मेरे मन के” से
– © सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)

Language: Hindi
4 Likes · 240 Views
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