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230 posts
जब तलक ज़िंदगी है फूल की महकता है
जब तलक ज़िंदगी है फूल की महकता है
suresh sangwan
हर तरफ़ फूल ही फूल खिलाते चलिये
हर तरफ़ फूल ही फूल खिलाते चलिये
suresh sangwan
छलका दिये आंसू देखा जब सूखा हमने
छलका दिये आंसू देखा जब सूखा हमने
suresh sangwan
यूँ घेर लेते हैं झोंके उलझनों के मुझको
यूँ घेर लेते हैं झोंके उलझनों के मुझको
suresh sangwan
लिखती है तब ही कोई नज़्म शायरा
लिखती है तब ही कोई नज़्म शायरा
suresh sangwan
ज़बान पे कुछ और है दिल में है कुछ और
ज़बान पे कुछ और है दिल में है कुछ और
suresh sangwan
तेरे  कहे  का था यकीन बहुत, जाता  रहा
तेरे कहे का था यकीन बहुत, जाता रहा
suresh sangwan
ज़ज़्बात अपने  हैं ख़यालात  अपने  हैं
ज़ज़्बात अपने हैं ख़यालात अपने हैं
suresh sangwan
दुनियाँ भर की खाक़ हम छानते रहे
दुनियाँ भर की खाक़ हम छानते रहे
suresh sangwan
ठहरे  हुए पानी  में  पत्थर  फेंकते   रहे
ठहरे हुए पानी में पत्थर फेंकते रहे
suresh sangwan
ज़ुल्फ़ो के पेच-ओ-ख़म में गिरफ़्तार रहने दो
ज़ुल्फ़ो के पेच-ओ-ख़म में गिरफ़्तार रहने दो
suresh sangwan
जिंदगी का वो अपनी नज़राना लिए फिरता है
जिंदगी का वो अपनी नज़राना लिए फिरता है
suresh sangwan
कहना चाहती है इक़ सुनहरी सी मुस्कान कुछ
कहना चाहती है इक़ सुनहरी सी मुस्कान कुछ
suresh sangwan
राहें बहारों की कौन देखे  हम  खिज़ाँ  के पाले  हुए  हैं
राहें बहारों की कौन देखे हम खिज़ाँ के पाले हुए हैं
suresh sangwan
इंसान  कभी बुरे नहीं हालात बुरे होते हैं
इंसान कभी बुरे नहीं हालात बुरे होते हैं
suresh sangwan
चल दिया सफ़र पर अब मिलना किससे मिरा हो
चल दिया सफ़र पर अब मिलना किससे मिरा हो
suresh sangwan
आएगी वो भी सिमटकर बहार  क्यूँ ना हो
आएगी वो भी सिमटकर बहार क्यूँ ना हो
suresh sangwan
मोहब्बत  की  तुमसे  रवानी चली  है
मोहब्बत की तुमसे रवानी चली है
suresh sangwan
यूँ कि  हम  बोलते बहुत हैं पर कहना नहीं आता
यूँ कि हम बोलते बहुत हैं पर कहना नहीं आता
suresh sangwan
दुनियाँ-ए- महफ़िल  में हँसना हँसाना जान  गये
दुनियाँ-ए- महफ़िल में हँसना हँसाना जान गये
suresh sangwan
आज का दिन भी कल के रोज़ सा है
आज का दिन भी कल के रोज़ सा है
suresh sangwan
नहीं उम्र भर तबियत कुछ देर बहल जाएगी
नहीं उम्र भर तबियत कुछ देर बहल जाएगी
suresh sangwan
बशर  कैसे बचे  बचा तो  खुदा भी नहीं
बशर कैसे बचे बचा तो खुदा भी नहीं
suresh sangwan
ईश्क़  जिसे लाचार कर दे मैं वो नहीं
ईश्क़ जिसे लाचार कर दे मैं वो नहीं
suresh sangwan
सलाम  आया  है अभी  पैग़ाम बाकी  है
सलाम आया है अभी पैग़ाम बाकी है
suresh sangwan
शोख़ नज़रों में हाय मैख़ाना लिए फिरता है
शोख़ नज़रों में हाय मैख़ाना लिए फिरता है
suresh sangwan
बग़ैर बरसे ही घटाओं को खोते हुए पाया हमने
बग़ैर बरसे ही घटाओं को खोते हुए पाया हमने
suresh sangwan
तमन्ना   थी   ज़माने   में   कोई  हमसा  निकले
तमन्ना थी ज़माने में कोई हमसा निकले
suresh sangwan
तमाम  जिस्म की  नज़र  बना के देखिये हुज़ूर
तमाम जिस्म की नज़र बना के देखिये हुज़ूर
suresh sangwan
बैठकर  साहिल  पे  लहर  का  उठना देखेंगे
बैठकर साहिल पे लहर का उठना देखेंगे
suresh sangwan
उस  पे  दुनियाँ  लुटाने  को  जी चाहता है
उस पे दुनियाँ लुटाने को जी चाहता है
suresh sangwan
ख़ौफ़ के  मंज़र  यादों  से  मिटाओ फिर से
ख़ौफ़ के मंज़र यादों से मिटाओ फिर से
suresh sangwan
खुशियों  के अब  जाने कहाँ घराने हो गये
खुशियों के अब जाने कहाँ घराने हो गये
suresh sangwan
या खुदा कुछ भी  मेरी  क़िस्मत  का कर दे
या खुदा कुछ भी मेरी क़िस्मत का कर दे
suresh sangwan
फूल में महक जबां पे फूलों का सिलसिला चाहिए
फूल में महक जबां पे फूलों का सिलसिला चाहिए
suresh sangwan
ख्वाहिशों में खुद को उलझा के निकलती हूँ
ख्वाहिशों में खुद को उलझा के निकलती हूँ
suresh sangwan
चलो  आज ये बात  भी  आर-पार हो जाये
चलो आज ये बात भी आर-पार हो जाये
suresh sangwan
गुलशन-ए-दिल जिसने महकाया है
गुलशन-ए-दिल जिसने महकाया है
suresh sangwan
कल   ऐसा   क्या   लिये  बैठा  है
कल ऐसा क्या लिये बैठा है
suresh sangwan
पढ़नी होगी  क्यूंकि क़िताब कोर्स की है
पढ़नी होगी क्यूंकि क़िताब कोर्स की है
suresh sangwan
ज़रा  बज़्म को  सजाइये  इक बार
ज़रा बज़्म को सजाइये इक बार
suresh sangwan
पिज़्ज़ा  बर्गर  के  मुक़ाबले  बहुत  पिछड़ी है
पिज़्ज़ा बर्गर के मुक़ाबले बहुत पिछड़ी है
suresh sangwan
सारे जहाँ को छोड़कर आना
सारे जहाँ को छोड़कर आना
suresh sangwan
शहर  से  गुज़रे  तो भटके हुए चेहरे मिले
शहर से गुज़रे तो भटके हुए चेहरे मिले
suresh sangwan
आफ़ताब  में आग और  बादल में पानी से
आफ़ताब में आग और बादल में पानी से
suresh sangwan
मजबूरी  है  आवारगी  फ़ितरत  नहीं  मेरी
मजबूरी है आवारगी फ़ितरत नहीं मेरी
suresh sangwan
ए ज़िंदगी मुझको  तेरी रस्म- ओ- राह देखनी  है
ए ज़िंदगी मुझको तेरी रस्म- ओ- राह देखनी है
suresh sangwan
ना मिले गर सज़ा तो ज़ुर्म करने में हर्ज़ क्या है
ना मिले गर सज़ा तो ज़ुर्म करने में हर्ज़ क्या है
suresh sangwan
खुदा तो नहीं देखा पर एहसास मिलता रहा है
खुदा तो नहीं देखा पर एहसास मिलता रहा है
suresh sangwan
अदा कुछ और आप सीखिए ना सीखिए
अदा कुछ और आप सीखिए ना सीखिए
suresh sangwan
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