Sanjeev Singh Tag: ग़ज़ल/गीतिका 12 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Sanjeev Singh 25 Feb 2021 · 1 min read ग़ज़ल:::::इश्क़ बहर ::: 2122 2122 2122 इश्क़ वालों को कभी, सुनता नहीं है, इश्क़ मंजिल, और कुछ दिखता नहीं है । जिस्म से तो दो नजर आते हैं, लेकिन, एक ना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 2 467 Share Sanjeev Singh 24 Feb 2021 · 1 min read एहसास हुए हम दूर रहकर भी तुम्हारे, कितने पास हुए हम । दिल में जो रखा तुमने, तुम्हारे ख़ास हुए हम । ना जाने कब तुमको, हमसे मुहब्बत हो गई , इल्म नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 309 Share Sanjeev Singh 7 Jan 2021 · 1 min read अब बस करो कभी आसमान, तो कभी पायदान देखा करो। जात-पात, मज़हब छोड़ दो, इंसान देखा करो। मज़हबी नफ़रत फ़ैलाने वालों, अब बस करो, सर पे टोपी नहीं, दिल में हिंदुस्तान देखा करो।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 10 328 Share Sanjeev Singh 5 Jan 2021 · 1 min read फ़रेबी दोस्त फ़रेबी दोस्त को घर बुलाकर देख लो। साॅंप को कभी दूध पिलाकर देख लो। फ़िर भी दुश्मन में दोस्त दिखाई दे ग़र, तो अपनी आस्तीन हिलाकर देख लो। क्या उसकी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 4 274 Share Sanjeev Singh 29 Dec 2020 · 1 min read नया साल २०२१ साल दो हज़ार बीस, बवाल कर गया। लोगों की ज़िन्दगी, बेहाल कर गया। ऐसा नहीं कि सब के सब ग़रीब हुए, अस्पतालों को मालामाल कर गया। ग़रीब मज़दूर के हालात... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 8 298 Share Sanjeev Singh 22 Dec 2020 · 1 min read शहर शहर की चकाचौंध रौनक, मजबूर करती है। और हमें अपने गाँव से बहुत दूर करती है। हमारे ख़्वाबों के शहर जैसा, शहर नहीं ये, यहाॅं की आब-ओ-हवा हमें,मग़रूर करती है।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 269 Share Sanjeev Singh 21 Dec 2020 · 1 min read छूना है आसमाॅं रिश्तों में अहमियत ऑंखों की नमी बताती है। ज़िन्दगी में तन्हाई अपनों की कमी बताती है। इंसाॅं तू चाहे कितना भी ऊॅंचा आसमाॅं छू ले, तेरा वज़ूद, तेरी असलियत ये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 274 Share Sanjeev Singh 21 Dec 2020 · 1 min read मिलने आते हैं जनाज़े पे तो अक्सर रूठे भी मिलने आते हैं। और मुंसिफ़ के यहाॅं झूठे भी मिलने आते हैं। चुनावों के मौसम में बाहर निकल कर देखा करो, पढ़े लिखों के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 275 Share Sanjeev Singh 20 Dec 2020 · 1 min read वोटों का मौसम आया है बहर:: 2222 / 2222 / 222 चौराहों पर हमने दंगे देखे हैं। इस कुर्सी के भूखे नंगे देखे हैं। लगता है वोटों का मौसम आया है, हर दरवाज़े पे भिखमंगे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 5 5 291 Share Sanjeev Singh 19 Dec 2020 · 1 min read याद क्यूॅं आती है टूटे दिल पे मुस्कुराने क्यूॅं आती है। उसकी याद मुझे सताने क्यूॅं आती है। माना उसके साथ दिन नहीं गुजरेंगे, फ़िर रात मुझे आज़माने क्यूॅं आती है। मैं तो हवा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 252 Share Sanjeev Singh 17 Dec 2020 · 1 min read ढूॅंढ़ लो कल क्या होने वाला है, आज में ढूॅंढ़ लो। इश्क़ कितना है, उसके मिज़ाज़ में ढूॅंढ़ लो। क्या बेवफ़ाई का मतलब नहीं समझते हो, जाओ जाकर, उसी दगाबाज़ में ढूॅंढ़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 4 271 Share Sanjeev Singh 17 Dec 2020 · 1 min read खफ़ा भी नहीं बहर:: 2212 / 2212 / 212 उसने नफ़रत की मैं ख़फा भी नहीं। मेरी मुहब्बत उसे पता भी नहीं। बेइंतहाॅं नफ़रत भला क्यूॅं उसे, इतनी गिरी मेरी अदा भी नहीं।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 5 6 552 Share