सागर यादव 'जख्मी' 46 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सागर यादव 'जख्मी' 7 Jan 2017 · 1 min read हृदय की पीर कहीँ पे राँझा बिकता है कहीँ पे हीर बिकती है कि पैसे के लिए नारी की अक्सर चीर बिकती है ये कुदरत का करिश्मा है या वेश्या की अदाकारी सुना... Hindi · मुक्तक 560 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read अब भाभी अलग चूल्हा जलाती है न बच्चे शोर करते हैँ न मम्मी मुस्कुराती है मै जब वर्दी मेँ होता हूँ तो दादी सिर झुकाती है यही घर था जहाँ हरपल खुशी के फूल खिलते थे... Hindi · मुक्तक 558 Share सागर यादव 'जख्मी' 23 Apr 2017 · 1 min read जिसको पूजता संसार है जिसको पूजता संसार है बेशक दया का भण्डार है आज फिर आपसे मिलने को मेरा ये दिल बेकरार है रस्सी से बाँध दीजे उसे जो इस देश का गद्दार है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 498 Share सागर यादव 'जख्मी' 20 Mar 2017 · 1 min read कभी भला तो कभी बुरा लगता है कभी भला तो कभी बुरा लगता है वो सारी दुनिया से जुदा लगता है मुद्दत हुई उसका फोन आया न कोई खत आया मेरा महबूब मुझसे खफा लगता है Hindi · मुक्तक 485 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read धूप मेँ भी चाँद का दीदार होना चाहिए धूप मेँ भी चाँद का दीदार होना चाहिए आदमी को आदमी से प्यार होना चाहिए माँ- बहन , भाई को माना प्यार है तुमसे बहुत हाँ मगर कुछ मेरा भी... Hindi · मुक्तक 479 Share सागर यादव 'जख्मी' 18 Mar 2017 · 1 min read हमारे गंदे कर्मोँ की समीक्षा अब नहीँ होती हमारे गंदे कर्मोँ की समीक्षा अब नहीँ होती कि पहले की तरह मेरी परीक्षा अब नहीँ होती तुम्हारे जिस्म की खुशबू हमेँ मदहोश करती है मेरी बाहोँ मेँ आओ तुम... Hindi · मुक्तक 483 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read तू मेरी हो नहीँ सकती किसी के खून से मै हाथ अपने धो नहीँ सकता मै अपनी राह मेँ काँटे कभी भी बो नहीँ सकता तू मुझसे प्यार करती है मगर सच बात तो ये... Hindi · मुक्तक 481 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read बेटियाँ माता-पिता के अधरोँ की मुस्कान बेटियाँ होती हैँ एक मुकम्मल संसार बेटियाँ हिन्दू के लिए गीता ईसाई के लिए बाईबिल मुस्लिम के लिए पवित्र कुरान बेटियाँ दुनिया के लिए ये... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 2 1 485 Share सागर यादव 'जख्मी' 27 Jul 2017 · 1 min read अपना हाले दिल सुनाने के लिए अपना हाले दिल सुनाने के लिए गीत लिखता हूँ जमाने के लिए फिर किसी ने जिस्म का सौदा किया कर्ज़ बनिया का चुकाने के लिए एक माँ ने अपनी पायल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 445 Share सागर यादव 'जख्मी' 15 Jan 2017 · 1 min read भारत देश महान है भारत देश महान है भाई भारत देश महान है यहाँ के नेता चारा चरते आए दिन घोटाला करते गूँगी -बहरी जनता खातिर ये गिरधर गोपाल हैँ भारत देश महान है... Hindi · कविता 464 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read मेरी गजलेँ मेरे मुक्तक उसी माँ को समर्पित हैँ मेरे कदमोँ की आहट को सदा पहचान जाती है वो गहरी नीँद मेँ होती भी है तो जाग जाती है मेरी गजलेँ मेरे मुक्तक उसी माँ को समर्पित हैँ कि... Hindi · मुक्तक 413 Share सागर यादव 'जख्मी' 30 Jan 2017 · 1 min read इतिहास हाँथ की लकीरोँ पे इतना न इतरा 'सागर' इतिहास तो उन्होँने भी लिखा है जिनके हाँथ नहीँ थे Hindi · शेर 432 Share सागर यादव 'जख्मी' 9 May 2017 · 1 min read फौजी मुझे बना दे मम्मी एक बंदूक मँगा दे मम्मी फौजी मुझे बना दे मम्मी सरहद पर लड़ने जाऊँगा दुश्मन को मार भगाऊँगा गर्मी,जाड़ा या वर्षा हो सीना ताने खड़ा रहूँगा मातृभूमि की रक्षा खातिर... Hindi · कविता 488 Share सागर यादव 'जख्मी' 2 Mar 2017 · 1 min read पढ़ा जो खत 'सुनैना' का जिसे अपना समझता हूँ वही दुश्मन हमारा है तेरी दुनिया का मेरे रब बड़ा दिलकश नजारा है पढ़ा जो खत 'सुनैना' का रुआँसा हो गया मै भी "बुआ और दादी... Hindi · मुक्तक 412 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read हंगामा कोई जब जिस्म का सौदा लगाते हैँ तो हंगामा हया सब छोड़ के पैसा कमाते हैँ तो हंगामा वफा की राह पे हमको कोई चलने नहीँ देता कलम को छोड़कर... Hindi · मुक्तक 377 Share सागर यादव 'जख्मी' 15 Jan 2017 · 1 min read मुजरिम सोचा था शराफत से जियूँगा मगर इंसानियत ने मुझे मुजरिम बना दिया Hindi · शेर 357 Share सागर यादव 'जख्मी' 18 Mar 2017 · 1 min read न शरमाएँगे दुनिया से न शरमाएँगे दुनिया से सुबह को शाम कह देँगे जो नफरत के पुजारी हैँ वो दिन को रात कह देँगे किसी की लाश पर तुम फूल भी रखना तो चुपके... Hindi · मुक्तक 2 372 Share सागर यादव 'जख्मी' 27 Jul 2017 · 1 min read अब हसीनोँ की गली मेँ आना-जाना छोड़ दो प्यार के सौदागरोँ से दिल लगाना छोड़ दो अब हसीनोँ की गली मेँ आना-जाना छोड़ दो आज पहली बार मुझसे चाँदनी ने ये कहा मेरे चंदा पर ग़ज़ल,कविता बनाना छोड़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 352 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read वो लड़की याद आती है सफर करते हुए नभ की,ये धरती याद आती है लुटेरोँ को अभी भी मेरी बस्ती याद आती है हमेँ मालूम है 'सागर' इसी को प्यार कहते हैँ मै जब भी... Hindi · मुक्तक 329 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read तू मुझे चूम ले प्रेम के गीत पर आ जरा झूम लेँ अपने लब के लिए एक हँसी ढूढ़ लेँ चाँदनी रात है राह सुनसान है तू मुझे चूम ले हम तुम्हेँ चूम ले Hindi · मुक्तक 339 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read किसी मजनूँ को जब लैला से थोड़ा प्यार होता है कभी मंगल कभी शुक्कर कभी इतवार होता है कलेँडर के सभी पृष्ठोँ पे कोई वार होता है पिता -माता , बहन- भाई सभी को भूल जाता है किसी मजनूँ को... Hindi · मुक्तक 338 Share सागर यादव 'जख्मी' 20 Mar 2017 · 1 min read टूटकर बिखरने का हौसला नहीँ है मुझे आपसे कोई गिला नहीँ है मेरी किस्मत मेँ ही वफा नहीँ है टूटने को तो मै सौ बार टूटा हूँ टूटकर बिखरने का हौसला नहीँ है Hindi · मुक्तक 340 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read मै शायर हूँ मेरे प्रेमी हजारो हैँ चमकते चाँद को बीमार मत समझो सँपोलोँ को किसी का यार मत समझो मै शायर हूँ मेरे प्रेमी हजारोँ हैँ मुझे तुम एक गले का हार मत समझो Hindi · मुक्तक 304 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read मेरी माँ की महिमा मिली जो भी खबर मुझको तुम्हेँ बतला रहा हूँ मै यकीँ मानो उसी विधवा से मिलकर आ रहा हूँ मै न देवोँ की कृपा मुझ पर न तेरा ही सहारा... Hindi · मुक्तक 1 332 Share सागर यादव 'जख्मी' 6 Feb 2017 · 1 min read खाली हाँथ आया था खाली हाँथ आया था खाली चला गया गुलशन से मायूस होकर माली चला गया कदमोँ मेँ जिसके डाल दी सारे जहाँ की नेमतेँ वही आज मुझको देकर गाली चला गया Hindi · मुक्तक 306 Share सागर यादव 'जख्मी' 20 Mar 2017 · 1 min read पागल रात -दिन मेरे जीने की दुआ करती है वो लड़की अपना फर्ज अदा करती है आपसे ये किसने कहा कि मै शायर हूँ मेरी माँ तो मुझे पागल कहा करती... Hindi · मुक्तक 1 316 Share सागर यादव 'जख्मी' 2 Mar 2017 · 1 min read मेरी इतनी सी ख्वाहिश है किसी का घर बसा देना किसी घर को जला देना हमेँ आता नहीँ यारोँ मुहब्बत मेँ दगा देना मेरा दिल तोड़ने वाले मेरी इतनी सी ख्वाहिश है हमारी लाश जब... Hindi · मुक्तक 293 Share सागर यादव 'जख्मी' 27 Jul 2017 · 1 min read जाड़े के मौसम मेँ अक्सर हैँ मचलती लड़कियाँ आपके दिल मेँ हमेँ अपना ठिकाना चाहिए एक बेघर पंछी को अब आशियाना चाहिए जाड़े के मौसम मेँ अक्सर हैँ मचलती लड़कियाँ बस इसी मौसम मेँ इनसे दिल लगाना चाहिए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 291 Share सागर यादव 'जख्मी' 19 Jan 2017 · 1 min read क्या सच बोलना भी जुर्म है इस जमाने मेँ ? शामो सहर रहता था वीराने मेँ बस यही खासियत थी उस दीवाने मेँ मै सच बोलता हूँ तो लोग मुझसे रूठ जाते हैँ क्या सच बोलना भी जुर्म है इस... Hindi · मुक्तक 1 300 Share सागर यादव 'जख्मी' 19 Jan 2017 · 1 min read जिसकी बीवी बेवफा हो जाए खुदा आदमी से खफा हो जाए मै नहीँ चाहता आदमी खुदा हो जाए उस बंदे पे क्या गुजरेगी 'सागर' जिसकी बीवी बेवफा हो जाए Hindi · मुक्तक 268 Share सागर यादव 'जख्मी' 18 Mar 2017 · 1 min read वफा का नाम सुनकर भी हमारा खून जलता है कभी पंजाब जलता है कभी रंगून जलता है सियासी आग मेँ देखो ये देह्रादून जलता है मेरे दर से चले जाओ मुहब्बत बाँटने वालोँ वफा का नाम सुनकर भी हमारा... Hindi · मुक्तक 287 Share सागर यादव 'जख्मी' 23 Apr 2017 · 1 min read जब योगी गाय चरायेँगे बेशक अच्छे दिन आएँगे जब योगी गाय चराएँगे ये पंक्षी जो चुप बैठे हैँ बादल से मिलने जाएँगे पापा जब माँ को डाटेँगे हम चीखेँगे चिल्लाएँगे सच्चे -झूठे ख्वाबोँ से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 283 Share सागर यादव 'जख्मी' 28 Jul 2017 · 1 min read मै अपने पिता का सहारा बनूँगा न चंदा बनूँगा न तारा बनूँगा मै अपने पिता का सहारा बनूँगा बड़े ही जतन से हमेँ जिसने पाला हमारे लिए अपना खूँ बेच डाला उन्हेँ जो लुभाए नजारा बनूँगा... Hindi · गीत 2 1 261 Share सागर यादव 'जख्मी' 27 Jul 2017 · 1 min read हो गया कोई मेरा दीवाना मियाँ क्या सुनाएँ सफर का फसाना मियाँ हो गया कोई मेरा दीवाना मियाँ झूठ के पाँव को पूजता है सदा सत्य का शत्रु है ये जमाना मियाँ प्यार का फूल जिसने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 251 Share सागर यादव 'जख्मी' 17 Jan 2017 · 1 min read गजल कहो नजरोँ से नजर मिलाकर गजल कहो सारे शिकवे गिले भुलाकर गजल कहो चेहरे पे हो मायूसी तो अच्छा नहीँ लगता मेरी बात मानो मुस्कुराकर गजल कहो Hindi · मुक्तक 265 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read कमाओ ढेर सारा धन मगर इतनी खबर रखना किसी के इश्क मेँ तुम जिंदगी अपनी कभी बर्बाद मत करना कि अपने स्वर्ग से घर को कभी वीरान मत करना कमाओ ढेर सारा धन मगर इतनी खबर रखना कभी... Hindi · मुक्तक 237 Share सागर यादव 'जख्मी' 15 Jan 2017 · 1 min read मुमकिन नहीँ है अब हम तुमको भूल जाएँ मुमकिन नहीँ है अब हम तुमको भूल जाएँ आँखोँ मेँ बस गई है साथी तुम्हारी सूरत मुझको रुला रही है तेरे साथ की जरूरत आओ एक साथ हम तुम उल्फत... Hindi · कविता 1 240 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read मुहब्बत मेँ मजे कम कोई मजबूर कहता है कोई जाहिल समझता है मगर वो अपने भाई को सदा लक्ष्मण समझता है मुहब्बत मेँ मजे कम और खतरे ढेर सारे हैँ इसे बस तू समझती... Hindi · मुक्तक 230 Share सागर यादव 'जख्मी' 2 Mar 2017 · 1 min read मुस्कुराने वालोँ से सब प्यार करते हैँ जले दिल को जलाने की तमन्ना हम नहीँ रखते किसी को आजमाने की तमन्ना हम नहीँ रखते सुना है मुस्कुराने वालोँ से सब प्यार करते हैँ नहीँ तो मुस्कुराने की... Hindi · मुक्तक 212 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read जिस भाई के खातिर मैने अपनी किडनी बेची थी गली सब देख डाली पर शहर पूरा नहीँ देखा मुहब्बत के मुसाफिर ने कभी सहरा नहीँ देखा कि जिस भाई के खातिर मैने अपनी किडनी बेची थी वही भाई कई... Hindi · मुक्तक 218 Share सागर यादव 'जख्मी' 15 Jan 2017 · 1 min read मुजरिम सोचा था शराफत से जियूँगा मगर इंसानियत ने मुझे मुजरिम बना दिया Hindi · शेर 222 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read किसी दिल को मिले जब गम तो कोई बात होती है किसी दिल को मिले जब गम तो कोई बात होती है किसी गम से मिले जब हम तो कोई बात होती है बिछड़ कर तुमसे मै एक पल भी 'सागर'... Hindi · मुक्तक 193 Share सागर यादव 'जख्मी' 14 Jan 2017 · 1 min read हकीकत मानने से मै भला इनकार क्योँ करता ? हकीकत मानने से मै भला इनकार क्योँ करता तुम्हारे प्यार के खातिर किसी से प्यार क्योँ करता निवाला मुँह का देकर जिसने मेरी परवरिश की थी जरा सी बात पर... Hindi · मुक्तक 187 Share सागर यादव 'जख्मी' 2 Mar 2017 · 1 min read मुस्कुराने वालोँ से सब प्यार करते हैँ जले दिल को जलाने की तमन्ना हम नहीँ रखते किसी को आजमाने की तमन्ना हम नहीँ रखते सुना है मुस्कुराने वालोँ से सब प्यार करते हैँ नहीँ तो मुस्कुराने की... Hindi · मुक्तक 188 Share सागर यादव 'जख्मी' 5 Feb 2017 · 1 min read मुझे तुमसे मुहब्बत है मेरे घर के रस्ते से जब कभी भी आप जाते हैँ मेरे घर के सोए भाग्य सच मेँ जाग जाते हैँ मुझे तुमसे मुहब्बत है तुम्हेँ मुझसे मुहब्बत है चलो... Hindi · मुक्तक 185 Share सागर यादव 'जख्मी' 19 Jan 2017 · 1 min read शायद कभी हम जलाने के काम आए गीत, गजल, कविता सुनाने के काम आए जब तक रहे 'काका' हँसाने के काम आए लकड़ी समझकर हमको रख दो चूल्हे के पास शायदी कभी हम जलाने के काम आए Hindi · मुक्तक 175 Share