Pravin Tripathi 15 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Pravin Tripathi 21 Jul 2020 · 1 min read आशावादी सोच *शीर्षक: आशावादी सोच* संसार से दुख दूर हों खुशियाँ यहाँ भरपूर हों मन में जगे संवेदना फूले फले नव चेतना।1 दिल की मिटें सब दूरियाँ सब नष्ट हों मजबूरियाँ जनजन... Hindi · कविता 5 4 441 Share Pravin Tripathi 13 May 2017 · 1 min read मातृ दिवस पर दो रचनाएँ मातृशक्ति को नमन दो रचनाएँ.... कुंडली... माता की ममता बड़ी, संतति को दे प्यार। उत्तम करती पालना, भर देती संस्कार। भर देती संस्कार, बने वह भाग्य विधाता। सुखी करे घरबार,... Hindi · कविता 623 Share Pravin Tripathi 20 Mar 2017 · 1 min read महिला ?? *अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर मातृशक्ति को नमन करते हुए एक रचना प्रस्तुत करता हूं.* ?? *जिस कोख से सबने जन्म लिया, मैं उसकी बात सुनाता हूं,* *बिन जिसके यह... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 492 Share Pravin Tripathi 19 Feb 2017 · 1 min read बसंत का पुनरागमन बसंत पर मन के कुछ भाव???? ""खिलें पुष्प हैं गुलशन- गुलशन, महकें मंजरीं उपवन-उपवन. फागुन की मदमस्त बयार , झूम उठाए सबके तनमन. मीठी सी बाकी है सिहरन, बीत गई... Hindi · कविता 303 Share Pravin Tripathi 19 Feb 2017 · 1 min read चुनाव *एक गीतिका....* *शीर्षक - चुनाव* *चुनावों के बहाने से हमें नेता लुभाते हैं।* *दिखा मीठे सपन सबको गरीबो को पटाते हैं।1* *न आये याद वो जनता विगत के पांच बरसों में।*... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 575 Share Pravin Tripathi 12 Jan 2017 · 1 min read संयुत *संयुत छंद में कुछ मुक्तक* *विधान-* [सगण जगण जगण गुरु ] (112 121 121 2) 4 चरण, 1,2,4 चरण समतुकांत तथा तीसरा चरण अतुकांत। इतनी अजीब ये' बात है। कितनी... Hindi · मुक्तक 283 Share Pravin Tripathi 9 Dec 2016 · 1 min read एक खुद पसंद ग़ज़ल एक खुद पसंद ग़ज़ल... काफ़िया "अर" का स्वर रदीफ़ देखते रहे बह्र 221 2121 1221 212 वो जिस पे' आएं'गे वो' डगर देखते रहे। सागर किनारे' बैठ लहर देखते रहे।1... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 545 Share Pravin Tripathi 4 Dec 2016 · 1 min read कृष्ण की मुरली पर एक मुक्तक कृष्ण की मुरली पर एक मुक्तक.. अरे कान्हा तेरी मुरली हमें हरदम लुभाती है। ते'री बंसरी की' धुन कानो में' रस सा घोल जाती है। अधर से वो है' यूं... Hindi · मुक्तक 590 Share Pravin Tripathi 4 Dec 2016 · 1 min read कृष्ण पर एक कुंडलिनी कृष्ण पर एक कुंडलिनी... हे कृष्णा मुरली तेरी, मन को रही लुभाय। होंठो के स्पर्श को, सबका जी ललचाय। सबका जी ललचाय, मिटेगी कैसे तृष्णा। दो अब नेह लुटाय, हमारे... Hindi · कुण्डलिया 343 Share Pravin Tripathi 4 Dec 2016 · 1 min read विधाता छंद पर आधारित एक गीतिका किनारे इक समंदर के निशा के ज्वार को देखा। पटकती सर किनारे पर लहर के प्यार को देखा।1 ज़माने में जिधर देखो वहीं शक्लें बदलती हैं। कहीं तकरार देखी तो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 338 Share Pravin Tripathi 8 Nov 2016 · 1 min read तीन मुक्तक तीन मुक्तक.... इंसान जगा इक आज नया जागा सपना जब टूट गया। थी नींद बड़ी गहरी उसकी। सोया बिन पीकर वो विजया।1 जी लो तुम आज नया सपना। जाये बन... Hindi · मुक्तक 314 Share Pravin Tripathi 7 Nov 2016 · 1 min read धुंध अंधाधुंध.... पर्यावरण की दुर्दशा पर कुछ विचार... क्या दिल्ली लखनऊ क्या, सबका है यह हाल। खुद ही गलती वह करे, खुद ही है बेहाल।1 गैस चैंबर में बदल गया, पूरा एन... Hindi · दोहा 454 Share Pravin Tripathi 6 Nov 2016 · 1 min read पंच दोहे पंच दोहे.... पनप रहा है देश में, बहु आयामी आतंक। नहीं अछूता अब बचा, राजा हो या रंक।1 राग द्वेष भ्रष्टाचार अरु, जाति धर्म का मेल। इनकी कुत्सित चाल ने,... Hindi · दोहा 1 675 Share Pravin Tripathi 5 Nov 2016 · 1 min read आल्ह छंद में एक रचना आल्ह छंद पर आधारित एक रचना.... (मापनी 31 तथा 16,15 पर यति, अंत में गाल) सागर जिसके पैर पखारे, खड़ा हिमालय जिसके भाल। ऐसे भारतवर्ष में जन्में, देखो कितने माँ... Hindi · कविता 1 493 Share Pravin Tripathi 17 Aug 2016 · 1 min read दोहा छंदाधारित मुक्तक *70वें स्वाधीनता दिवस पर दोहा मुक्तक शैली में देश को समर्पित एक रचना।* ???????????????????? *माटी अपने देश की, इसमें बसती जान।* *इसकी रक्षा मिल करें, देकर अपने प्रान।1* *इसकी इज़्ज़त... Hindi · मुक्तक 663 Share