डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम Tag: मुक्तक 69 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 16 Oct 2020 · 1 min read रक्तदान मित्रों सादर समर्पित है मुक्तक। चढ़ा वो खून है पानी अगर इसमें सियासत है । बहा दो खून नाली में अगर इसमें शिकायत है। क्यों जीता शान से डोनर जो... Hindi · मुक्तक 1 1k Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 9 May 2022 · 1 min read पितृ स्तुति पालक पोषक है पिता,देव तुल्य सम मेव। कर्ता धर्ता आप हैं,पिता ब्रह्म मम एव। मात पिता की छांव में,जीवन स्वर्ग समान। एक सत्य ब्रह्मांश है, पिता तुल्य त्वं देव। डा.प्रवीण... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · मुक्तक 13 14 662 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 11 Jun 2022 · 1 min read कवि का कवि से ' कवि का कवि से सम्मान होना चाहिए। सुकवि का हृदय से आह्वान होना चाहिए। तरन्नुम में पढें या ठेठ हिन्दी में, काव्य का संविधान होना चाहिये। डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव,... Hindi · मुक्तक 2 665 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 22 Jul 2020 · 1 min read सावन दोहा मुक्तक सावन बरसे झूम के, कोयल गाये गीत। पिया अभी आओ मिलो, सुन बिरहा के गीत। क्यों चातक की टेर, को नहीं सुनें भगवान, धानी चूनर ओढ़ ली,धरती ने... Hindi · मुक्तक 2 628 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 27 Sep 2021 · 1 min read फार्मेसी दिवस जय जय 25 सितंबर, फार्मेसी दिवस जय जय। फार्मेसी, दवा ,व्यापार यह हैं तीनों अपरिहार्य । दवा, व्यापारी, रोजगार, यह तीनों हैं पर्याय। बच्चों ने जिन्होंने सीखाअपनों से, विश्व बंधुत्व व्यापार, विश्व... Hindi · मुक्तक 1 594 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 12 Dec 2018 · 1 min read प्यार का सार है त्याग की भावना श्रृंगार गीत(मुक्तक ) प्यार का सार है त्याग की भावना , प्रेम रस धार है प्रीत की कामना । जिंदगी मिल गयी प्यार जिसने किया , प्यार से मिट गयी... Hindi · मुक्तक 509 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 9 May 2022 · 1 min read पिता की छांव दूर क्षितिज के पार है,सपनों का इक गांव। चंद्र किरण देती वहां,नयना को इक छांव। बचपन की अठखेलियां ,घोड़े कुर्सी दौड़। पिता संग थे खेलते, खुशियां की थी ठांव ।... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · मुक्तक 18 25 541 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 16 May 2021 · 1 min read देखते आ रहे दृश्य ये सर्वदा, मुक्तक देखते आ रहे दृश्य ये सर्वदा , अश्रु आँखों में छलके सदा सर्वदा । बाढ़ लीला मचाये भयंकर प्रलय , स्वप्न हैं टूटते झेलकर आपदा । रेवड़ी बाटते हो... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · मुक्तक 3 3 494 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 7 Dec 2021 · 1 min read वह प्रीति अनोखी होती है, वह प्यार अनोखा होता है। वह प्रीतिअनोखी होती है, वह प्यार अनोखा होता है । निस्वार्थ प्रेम के बदले में ,निस्वार्थ प्रेम जब मिलता है । क्या कोई सीमा होती है, प्यारे इन रिश्ते नातों... Hindi · मुक्तक 2 2 471 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 16 Jan 2021 · 1 min read नव वर्ष चहकते थिरकते झूमकर आइये, अब नये साल को चूमकर जाइये। ये नया साल है काल का इक नशा, हैं युवा होश में घूम कर छाइये। खनकते चमकते चहकते आइये। झूमते... Hindi · मुक्तक 476 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 28 Apr 2018 · 1 min read क्यों विषधर इस धरती पर जीवन की बगिया में साथी , संग संग जीना मरना है । फूलों की घाटी में साथी , भर उमंग से जीना है । खेल खेल में इस जीवन के,... Hindi · मुक्तक 2 514 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 28 Sep 2018 · 1 min read न्याय की है तुला ,-मुक्तक मित्रों ,मैं माननीय उच्चतम न्यायालय के एडल्ट्री पर फैसले का सम्मान करता हूं, आशा करता हूं कि, इससे हमारा समाज सुसंगठित व सुसंस्कारी बनेगा ।विघटन ,असुरक्षा का तंत्र ,जो नव... Hindi · मुक्तक 5 474 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 8 Jun 2019 · 1 min read शैतान की नीयत शैतान की नीयत में खोट होता है. इन्सान क्यों खून के आँसू रोता है.? बाल - बाँका कर सकेगा न कोई, ऐसा न्याय क्यों. मजबूर होता है? इन्सान.शैतान में फर्क... Hindi · मुक्तक 459 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 27 Sep 2021 · 1 min read बेटियाँ माता-पिता की आन बान शान बेटियाँ घर-घर की आन बान पर कुर्बान बेटियाँ। मन मोहती सदा है मुस्कान बेटी की है मीठे बोल बोलती मासूम बेटियाँ। थी हैरान परेशान क्यों?... Hindi · मुक्तक 1 2 478 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 13 Dec 2018 · 1 min read लतीफे सुनाते मियां मित्र मिट्ठू लतीफे सुनाते मियां मित्र मिट्ठू , रुला कर हंसाते मियां मित्र पिट्ठू । जरा मुस्कराओ हमें गुदगुदा कर , गजल फिर सुनाओ मियां मित्र मिट्ठू। “डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव” सीतापुर... Hindi · मुक्तक 457 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 10 Apr 2021 · 1 min read नमन माँ गंग !पावन नमन मां गंग ! पावन, शिव जटा से अवतरण करती। नमन मंदाकिनी! अविरल ,सदा हित वैतरण करती। यहां भागीरथी मां श्राप धोती सगर पूतों का। सरित देवी !बहो निर्मल धरा... Hindi · मुक्तक 2 527 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 5 Dec 2021 · 1 min read मानक सफलता के कब तक बनोगे मानक सफलता के, कब तक बनोगे। नाम ले विफलता का,कब तक डरोगे। चरण चूम लेगी, सफलता तुम्हारी, संकल्पों का निश्चय जब तुम करोगे। कदम तुम बढा कर ,न पीछे हटाना।... Hindi · मुक्तक 429 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 11 Apr 2021 · 1 min read मुस्कान चंचल छंद चलें साथ में दूर। श्रम से होकर चूर। एकला चलता तेज है। साथ नहीं भरपूर। चंचल सुर की तान मोहक है मुस्कान हरती मन का चैन है। नैसर्गिक... Hindi · मुक्तक 409 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 2 Jan 2021 · 1 min read नव वर्ष चहकते थिरकते झूमकर आइये, अब नये साल को चूमकर जाइये। ये नया साल है काल का इक नशा, हैं युवा होश में घूम कर छाइये। खनकते चमकते चहकते आइये। झूमते... Hindi · मुक्तक 2 6 383 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 5 Sep 2021 · 1 min read राखी(विधाता छंद) "राखी" (विधाता छंद) चले आओ पुकारे है ,बहन द्वारे खड़ी भैया। मना मत कर बहन राखी, लिए द्वारे खड़ी भैया। अमिट विश्वास है मेरा , जतन से बाँध दो बंधन... Hindi · मुक्तक 442 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 12 Dec 2018 · 1 min read अश्रु आंखो में छलके सदा सर्वदा मुक्तक देखते आ रहे दृश्य ये सर्वदा , अश्रु आँखों में छलके सदा सर्वदा । बाढ़ लीला मचाये भयंकर प्रलय , स्वप्न हैं टूटते झेलकर आपदा । रेवड़ी बाटते हो... Hindi · मुक्तक 371 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 6 Apr 2021 · 1 min read पायल पायल विधा-विधाता मुक्तक सजी पायल बजे घुंघरू,करे छम छम सुहाती है । बजी पायल करे घायल ,सजे पग में लुभाती है । चुराए मन मयूरा थाम लो उड़ती उमंगों को।... Hindi · मुक्तक 1 402 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 11 Apr 2022 · 1 min read प्रेम की साधना "प्रेम" की साधना नित्य चलने लगी। साधकों कामना नित्य फलने लगी। कल्पना बन गई मां की आराधना । स्वार्थ की भावना हाथ मलने लगी। डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव,प्रेम Hindi · मुक्तक 1 363 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 18 Mar 2021 · 1 min read सुनहरा रंग उपवन में, मित्रों, सादर समर्पित है। विषय-होली विधा-विधाता मुक्तक छंद सुनहरा रंग उपवन में, बसंती रुप छाया है। वसंती छा गया मौसम, रुपहला रुप पाया है। जहां कोयल पपीहा मोर नाचे नित्य... Hindi · मुक्तक 1 2 401 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 8 Jan 2022 · 1 min read विदाई समारोह सम्मानित दो शल्य चिकित्सक , जनता में जिनसे खुश हाली। विदा हो रहे हैं सबसे अब, यश वैभव है देखीभाली। पुनः भेंट होगी सबसे कब, कभी- कभी अब मिल पाओगे।... Hindi · मुक्तक 340 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 26 Apr 2019 · 1 min read घनघोर घटा छाये घनघोर घटा छायें, दुती दामिनी दमकाये । जब महके केसर क्यारी , सब मंद मंद मुस्कायें। डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव 26*04*2019 Hindi · मुक्तक 384 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 29 Jun 2021 · 1 min read आषाढ़ के बादल विधा-मुक्तक(लावणी छंद) विषय-आषाढ़ केबादल ये आषाढ़ी बादल सुंदर ,घुमड़ घुमड़ कर गरजेंगे। धूप छांव का खेल खेल कर, उमड़ उमड़ कर बरसेंगे। जेठ दुपहरी आग उगलती, बेचैनी है आंखों में।... Hindi · मुक्तक 1 364 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 12 Dec 2018 · 1 min read है कहां नौकरी ये अजब राज है मुक्तक ना हमें काम है ना तुम्हें काज है , है कहाँ नौकरी ये अजब राज है । राज की बात है राज जिसने किया , दांव पर दांव दे... Hindi · मुक्तक 325 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 10 Feb 2021 · 1 min read पलक भिगा कर पलक भिगाकर ओ प्रिये , अश्रु बरसाती प्रीत। अंतर्मन की पीर को ,दर्शाने की रीत । बचपन बीता गोद में, अद्भुत नन्हे बोल। खुशियों से झोली भरुँ, ओ मेरे मन... Hindi · मुक्तक 5 6 315 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 26 Aug 2022 · 1 min read सावन की शुचि तरुणाई का,सुंदर दृश्य दिखा है। सावन की शुचि तरुणाई का , सुंदर दृश्य दिखा है। घर-आंगन की अँगड़ाई पर, सुंदर गीत लिखा है। यौवन दहका,बारिश चहकी,बूंद बूंद है महकी। तन्हाई में अब तरुणी ज्यों ,... Hindi · मुक्तक 1 416 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 20 Apr 2021 · 1 min read यह सखियों की खीर चंचल छंद यह सखियों की खीर। मन की हरती पीर। सुंदर छवि घायल करे। चल नैनन के तीर। यह जन्मों का लेख। अजब भाग्य की रेख। मृगनयनी घायल हुई। जीव... Hindi · मुक्तक 2 309 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 14 Feb 2018 · 1 min read वेलेंटाइन दिवस के अवसर पर चंद मुक्तक वेलेंटाइन डे के अवसर पर कुछ मुक्तक प्रेम के गीत हम गुनगुनाएँ सदा , प्रीत की रीत को हम निभाएँ सदा । मैं चकोरा बनूँ तुम बनो चंद्रिका , कल्पना... Hindi · मुक्तक 3 316 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 27 Mar 2019 · 1 min read दो मुक्तक “ वृद्ध, चने बेचने वाला “ रोज ही रोग से मर रहे काँपते , बोझ पर बोझ ले दौड़ते हाँफते , सांस भी थी उखड़ते –उखड़ते बची , बेच कर... Hindi · मुक्तक 292 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 11 Jun 2019 · 1 min read माँ काल ही तो मारता विधि से बचाती माँ सदा काल यदि पीछे पडे़ उसको छिपाती माँ सदा. पंख उड़ने के दिये हैं फड़फड़ाना आपको. काल गति को थाम कर जीवन... Hindi · मुक्तक 291 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 22 Jul 2022 · 1 min read बरसात बरसात, झूम झूम के मेघा बरसे, आयी अब बरसात हो। सावन में दिल ऐसे झूमे, माँई! दिल सरसात हो। जैसे हथिनी सूंढ़ उठा के, पानी भरभर फेंक दे। पिया बिना... Hindi · मुक्तक 1 304 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 9 Aug 2018 · 1 min read देश में एकता अब सलामत रहे। जाति बन्धन हमेशा सलामत रहे, भेदभाव की मंशा नदारद रहे, मित्र मिल जुल रहें प्यार उनमें अमिट, देश में एकता अब सलामत रहे ।1। मित्र निज देश हित भक्ति वरदान... Hindi · मुक्तक 3 292 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 16 May 2019 · 1 min read तुम्हारे प्यार का आँचल, हमेशा सिर पे मेरा हो मित्रों माँ को समर्पित है मुक्तक । गुरूःब्रह्मा गुरुःविष्णु गुरूः देवा महेश्वरः ।मित्रों माँ का स्वरूप इन तीनों देवो मे प्रकाशित होता है। समर्थन कीजिए। तुम्हारे प्यार का आँचल, हमेशा... Hindi · मुक्तक 273 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 27 Mar 2019 · 1 min read जीवन ये व्यापार हो गया -मुक्तक दाना –दाना तरसे भाई , कातर नयना ताके ताई , कृषक मौन , घर द्वार बह गया । जीवन ये व्यापार हो गया । सुविधायें सब नौ दो ग्यारह ,... Hindi · मुक्तक 267 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 12 Dec 2018 · 1 min read रात की कालिमा छा गयी थी जहां श्रृंगारिक मुक्तक रात की कालिमा छा गयी थी जहां , प्रात की लालिमा छा गयी थी वहाँ । चाँद का नूर खोया कहीं गुम हुआ , ढूंढते ढूंढते चाँदनी फिर... Hindi · मुक्तक 1 1 260 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 10 May 2019 · 1 min read ये परचम जो थमाया है, उसे झुकने नही देंगे । जो परचम ये थमाया है, उसे झुकने नही देगें। लगी जो आग सीने में, उसे बुझने नहों देगें। ये छलिये देश को छलकर कहां जायेंगे बचकर के । जो वापस... Hindi · मुक्तक 255 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 5 Dec 2021 · 1 min read श्याम रंग मन को हरे, उस पर मधु मुस्कान श्याम रंग मन को हरे ,उस पर मधु मुस्कान । नयन चतुर रस से भरे,अभिनव सी पहचान।। श्याम सलोने बाँकुरे, पाकर मन की थाह। सहज -सहज रस में घुले,खोते हिय... Hindi · मुक्तक 253 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 11 Jun 2019 · 1 min read सत्य पथ के हम पथिक हैं. मध्य जीवन या मरण के ज्ञान हम चुनते रहें। मित्र !तूफानों में कश्ती हम सहज खेते रहें। है सनातन सत्य केवल जीव या जीवात्मा। सत्य पथ के हम पथिक हैं... Hindi · मुक्तक 264 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 28 Mar 2021 · 1 min read होली सुनहरा रंग उपवन में, बसंती रुप छाया है। वसंती छा गया मौसम, रुपहला रुप पाया है। जहां कोयल पपीहा मोर नाचे नित्य सुध बुध खो, वनों मे सुंदरी भटके, निखर... Hindi · मुक्तक 2 255 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 13 Dec 2018 · 1 min read गले से लगा के वो फिर मुस्कराये “ गले से लगा के वो फिर मुस्कराये “ गले से लगा के वो फिर मुस्कराये , दिलों को मिला के सभी को मनाये । रुबाई रचाते मियां मित्र मिट्ठू... Hindi · मुक्तक 253 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 22 Dec 2018 · 1 min read हुस्न पर छा गया चंद्रिका का नशा हुस्न पर छा गया चंद्रिका का नशा , इश्क पर छा गया भावना का नशा । होठ बेताब हैं सुर्ख महताब हैं , प्रेम पर छा गया कामना का नशा... Hindi · मुक्तक 263 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 13 May 2019 · 1 min read मदर्स-डे पर समर्पित ये मेरी माँ का आंचल है, लजाने हम नही देंगे । पिया जो माँ का पय हमने,गँवाने हम नही देंगे । वतन के ही लिये जीना ,वतन के ही लिये... Hindi · मुक्तक 248 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 4 Aug 2022 · 1 min read प्रियतम सीप नयन हैं अधखुले, श्याम वर्ण सम गात। खोये स्वप्नों मेंं सजन, मधुर मधुर मुस्कात। प्रिय की ऐसी प्रेरणा, आलिंगन की चाह। हँस कर बोले प्रियतमा, मधुर मिलन की बात।... Hindi · मुक्तक 1 315 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 16 Aug 2020 · 1 min read श्याम राधा कान्ह राधा आइये। मुक्तक श्याम राधा कान्ह राधा आइये। प्रेम राधा काम आधा पाइये।, सगुण मन से प्रेम निश्छल सीख कर, कृष्ण राधे गोप राधे गाइये। गोप ग्वाले, ब्रज कुमारी साज है। गोप... Hindi · मुक्तक 4 3 225 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 16 Jan 2022 · 1 min read जनता चुन चुन भेजती, हर चुनाव के बाद। जनता चुन चुन भेजती, हर चुनाव के बाद। पर जन प्रति निधि करें, जनता को बरबाद। बाटें घर घर रेवड़ी, जब मक्खन के साथ। लूट मचे तब मानिये,नेता जिन्दाबाद। मतदाता... Hindi · मुक्तक 241 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 22 Feb 2022 · 1 min read सुमन बहकती चंचला का मन, खिला जब तन बदन चहका। बसंती रूप है पावन, खिली जब धूप तन दहका । पवन चलती सुमन महके, खिलें जब क्यारियाँ देखें। गुलाबी रंग है... Hindi · मुक्तक 232 Share Page 1 Next