सावन
दोहा मुक्तक
सावन बरसे झूम के, कोयल गाये गीत।
पिया अभी आओ मिलो, सुन बिरहा के गीत।
क्यों चातक की टेर, को नहीं सुनें भगवान,
धानी चूनर ओढ़ ली,धरती ने मनमीत।
डॉ प्रवीण कुमारश्रीवास्तव, प्रेम
दोहा मुक्तक
सावन बरसे झूम के, कोयल गाये गीत।
पिया अभी आओ मिलो, सुन बिरहा के गीत।
क्यों चातक की टेर, को नहीं सुनें भगवान,
धानी चूनर ओढ़ ली,धरती ने मनमीत।
डॉ प्रवीण कुमारश्रीवास्तव, प्रेम