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16 Jan 2022 · 1 min read

जनता चुन चुन भेजती, हर चुनाव के बाद।

जनता चुन चुन भेजती, हर चुनाव के बाद।
पर जन प्रति निधि करें, जनता को बरबाद।
बाटें घर घर रेवड़ी, जब मक्खन के साथ।
लूट मचे तब मानिये,नेता जिन्दाबाद।

मतदाता का एक दिन, पांच साल के बाद।
घी में पाँचों उँगलियाँ ,ले चुनाव का स्वाद ।
शेष दिनों में वे रहे, बनकर एक फकीर ।
सर आंखों पर बैठ कर, क्यों कर हो प्रतिवाद।

उत्सव उनका एक दिन, जो करते मतदान।
लोकतंत्र की आड़ में,मतदाता की शान।
राजनीति में खेलते,राजयोग का खेल।
जनता जिनको भेजती, अपना प्रतिनिधि मान।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

Language: Hindi
234 Views
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