डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 483 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 1 Nov 2018 · 1 min read मुक्तक - मां कहानी सुनाती ,सुलाते -सुलाते , बहाना बनाती ,रिझाते - मनाते । मां, तू है ममता की देवी रिचा की, सुनाती है ,लोरी ह्रदय से लगा के। बनाये ,खिलाये, हंसाये रूला... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 18 115 1k Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 9 May 2022 · 1 min read पिता की छांव दूर क्षितिज के पार है,सपनों का इक गांव। चंद्र किरण देती वहां,नयना को इक छांव। बचपन की अठखेलियां ,घोड़े कुर्सी दौड़। पिता संग थे खेलते, खुशियां की थी ठांव ।... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · मुक्तक 18 25 538 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 9 May 2022 · 1 min read पितृ स्तुति पालक पोषक है पिता,देव तुल्य सम मेव। कर्ता धर्ता आप हैं,पिता ब्रह्म मम एव। मात पिता की छांव में,जीवन स्वर्ग समान। एक सत्य ब्रह्मांश है, पिता तुल्य त्वं देव। डा.प्रवीण... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · मुक्तक 13 14 652 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 10 May 2022 · 1 min read हायकु मुक्तक-पिता असरदार। बच्चों का वफादार। है कामदार। पिता का प्यार। अनमोल बहार। घर संसार। तर्क की युक्ति। पत्नी की अनूभूति। सहानूभूति। सहता वार। अनुशासित प्यार। सबका यार। डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · हाइकु 11 12 562 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 Dec 2020 · 1 min read सारा जीवन व्यर्थ हो गया,अभी आर्थिक मंदी में। मित्रों समर्पित है कोरोना गीत। सारा जीवन व्यर्थ हो गया, अभी आर्थिक मंदी में। भूख प्यास हो गयी पराई, इसी आर्थिक बंदी में । धूप छांव का होश नहीं अब,... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 10 28 386 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 23 May 2021 · 1 min read आल्हा ऊदल बड़े लड़ैया, चम चम चमक रही तलवार। आल्हा, आल्हा -ऊदल बड़े लड़ैया, चम- चम चमक रही तलवार। मची खलबली रण में भारी, होने लगे वार पर वार।। जब- जब दुश्मन रण में आये,टूट पड़े ऊदल तत्काल। काट... Hindi · कविता 8 5 15k Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 12 Aug 2018 · 8 min read दीदी नींद नहीं आ रही..... दीदी ! नींद नहीं आ रही ...... माँ की ममता का कोई मोल नहीं है । ममता अप्रतिम , अविस्मरणीय एवं मातृ ऋण है । ईश्वर ने मातृ शक्ति को... Hindi · कहानी 5 975 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 27 Aug 2018 · 5 min read माँ की अभिलाषाऔर पुत्र की जिज्ञासा माँ की अभिलाषा व पुत्र की जिज्ञासा उक्तदिवस महा शिव रात्रि का पर्व था , लोग सोमवार का व्रत रखकर, अनुष्ठान कर रहे थे ।कांवड़िए, बम भोले का गगन भेदी... Hindi · कहानी 5 465 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 28 Sep 2018 · 1 min read न्याय की है तुला ,-मुक्तक मित्रों ,मैं माननीय उच्चतम न्यायालय के एडल्ट्री पर फैसले का सम्मान करता हूं, आशा करता हूं कि, इससे हमारा समाज सुसंगठित व सुसंस्कारी बनेगा ।विघटन ,असुरक्षा का तंत्र ,जो नव... Hindi · मुक्तक 5 472 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 30 Oct 2018 · 3 min read बाल श्रम संवैधानिक अपराध बाल श्रम संवैधानिक अपराध समाज में बाल श्रमिक मान्य नहीं है । बाल श्रम अपराध की श्रेणी में आता हैं । बालक जब अपने बौद्धिक , शारीरिक विकास के क्रम... Hindi · लेख 5 321 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 10 Feb 2021 · 1 min read पलक भिगा कर पलक भिगाकर ओ प्रिये , अश्रु बरसाती प्रीत। अंतर्मन की पीर को ,दर्शाने की रीत । बचपन बीता गोद में, अद्भुत नन्हे बोल। खुशियों से झोली भरुँ, ओ मेरे मन... Hindi · मुक्तक 5 6 314 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 16 Sep 2017 · 3 min read एक व्यंग्यात्मक लेख ---जीवन एक रंगमंच -------------जीवन एक रंगमंच -------- जीवन एक रंगमंच है । और इसमें अभिनय करने वाले पात्र कठपुतलियाँ हैं । इन सजीव पात्रों का सूत्रधार कोई अदृश्य शक्ति है , जो जितना... Hindi · लेख 4 1 972 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 10 Oct 2017 · 4 min read डिफ़ाल्टर डिफाल्टर प्रवीण कुमार हमारे गाॅव में एक परमानन्द जी का परिवार रहता था। षाम को जब मेहनतकष मजदूर,बटोही घर पहॅुच कर विश्राम की मुद्रा में होते थे तब परमानन्द जी... Hindi · कहानी 4 1 369 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 19 Jul 2018 · 4 min read कारखाने के षडयंत्र का रहस्य कारखाने के षडयंत्र का रहस्य प्रमोद और विनोद घनिष्ठ मित्र थे । एक विशाल कारखाने मे दोनों कारीगर थे । दोनों का आपस में मेल –मिलाप था । आधुनिक सभ्यता... Hindi · कहानी 4 289 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 23 Jul 2018 · 1 min read दोहा मुक्तक -अब मजहब के नाम पर हुए मतलबी लोग अब मजहब के नाम पर हुए मतलबी लोग , संविधान को पी गए , सभी मजहबी लोग प्रश्न सेक्यूलर का उठा , नजर चुराते आज नियतमें ही खोटधर , बने... Hindi · दोहा 4 720 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 22 Nov 2018 · 1 min read भूखा कूड़ेदान भूखा कूड़ेदान प्रथम प्रहर में स्वास्थ्य लाभ हेतु भ्रमण के लिए मनोज निकला । उसने देखा कि , रोज की तरह उपेक्षित कूड़ादान आज भी मुंह बाये पड़ा है ।... Hindi · लेख 4 299 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 16 Aug 2020 · 1 min read श्याम राधा कान्ह राधा आइये। मुक्तक श्याम राधा कान्ह राधा आइये। प्रेम राधा काम आधा पाइये।, सगुण मन से प्रेम निश्छल सीख कर, कृष्ण राधे गोप राधे गाइये। गोप ग्वाले, ब्रज कुमारी साज है। गोप... Hindi · मुक्तक 4 3 224 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 10 May 2021 · 1 min read अगर स्वदेश जान है, पंच चामर छंद अगर स्वदेश जान है, जवान आन बान है। किसान देश हिंद का, महान मान शान है । पढ़े लिखे पले बढ़े ,मगर कभी रुकेंं नहीं । भले... Hindi · कविता 4 8 376 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 10 Aug 2023 · 1 min read मोबाइल फोन मोबाइल फोन कभी घंटो लगाते थे जहां , कापी किताबों में । गणित में हम उलझ करके, गिने जाते नवाबों में। हमें गूगल पढ़ाकर आज दुनिया भर घुमाता है ।... Hindi · मुक्तक 4 1 179 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 3 Sep 2017 · 5 min read मँझली बेटी मँझली बेटी बंजारों की दुनिया अद्भुत होती है । न भविष्य की चिंता न अतीत का दुख होता है , उन्हें । बस वर्तमान मे सुखी संसार गाता –बजाता ,... Hindi · कहानी 3 652 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 3 Sep 2017 · 4 min read नारी सशक्तिकरण एवं नारी संस्कार नारी सशक्तिकरण व नारी संस्कार कालचक्र अबाध गति से चल रहा है । पौराणिक कालों मे पूर्वजो की श्रंखला मे आदि पुरुष मनु एवम शतरूपा का वर्णन है । जिनसे... Hindi · लेख 3 431 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 3 Sep 2017 · 4 min read जय माँ एवं जय मातृ भूमि जय माँ एवम मातृ भूमि पांडिचेरी की शांत स्वच्छ सड़कों से होता हुआ काफिला गुरुदेव अरविनदों आश्रम की ओर बढ़ चला । अरविनदों आश्रम पहुँच कर शांत सौम्य वातावरण का... Hindi · लेख 3 546 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 3 Sep 2017 · 2 min read मातृ नमन जननी नमन । मातृ नमन -जननी नमन माँ बनने का अहसास अलग होता है , नव जीवन का अहसास अलग होता है , उदर मे पल रही संतान का सुख अलग होता है... Hindi · कविता 3 548 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 14 Sep 2017 · 4 min read मोनू की कहानी मोनू की कहानी समय अबाध गति से चल रहा था । कालचक्र अपने मे जीवन की विभिन्न घटनाए समेटे गति पकड़ रहा था । रात्रिकालीन प्रहर है । शनै :... Hindi · कहानी 3 385 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 14 Sep 2017 · 4 min read उदार हृदया अंकिता जी एवं आलोक का प्रायश्चित उदार हदया अंकिता एवं आलोक का प्रायश्चित जीवन के 35 बंसत देख चुके आलोक बाबू अपने जीवन से संतुष्ट न थे। उन्हे हमेषा षिकायत थी कि कामिनी ओर कंचन ने... Hindi · कहानी 3 388 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 14 Sep 2017 · 5 min read बिरजू एवं शरणार्थी बिरजू और शरणार्थी उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश की सीामा पर यह ग्राम पिछड़ा एवं पथरीला इलाका है । इसी पथरीले इलाके को मगंलमय करने पाकिस्तान से विस्थापित भारतीय नागरिकों... Hindi · कहानी 3 477 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 Sep 2017 · 6 min read जिंदगी एक खुली किताब जिन्दगी एक खुली किताबः यह कथानक एक ऐसे ईमानदार डाक्टर की कहानी हैं, जिसने अपने कर्तव्य के लिये परिवारिक हितों को अनदेखा कर अपनी जान तक खतरे में डाल दी।... Hindi · कहानी 3 627 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 22 Sep 2017 · 4 min read रोज कुआं खोदते रोज पानी पीते दिहाड़ी मजदूर --व्यंगात्मक कथा रोज कुआं खोदते रोज पानी पीते दिहाड़ी मजदूर । प्रात : काल जब ग्राम वासी जाग कर अपनी दिनचर्या पूरी करते हैं , तब उनमें से कुछ ग्रामीण गाँव छोड़... Hindi · कहानी 3 595 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 28 Sep 2017 · 4 min read संवैधानिक समस्या एवं सामाजिक विषमता का आग्रह संवैधानिक दायित्व एवम सामाजिक विषमता का आग्रह अबोध बचपन मासूम होता है । माता –पिता की ममता भरी छाँव मे ये नन्हा बचपन अहंकार रहित ,ब्रह्म स्वरूप केवल प्रेम मय... Hindi · लेख 3 559 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 29 Sep 2017 · 3 min read बापू खैनी न खाइयो बापू खैनी न खैय्यो शाम के धंुधलके में एक झोपड़ी से मध्यम रोशनी आ रही है। बाहर बैठी कमलिया बर्तन घिस-घिस मांज रही है। नाली से होकर मैला गंदा पानी... Hindi · कहानी 3 792 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 30 Sep 2017 · 3 min read अविस्मरणीय क्रिकेट की वो रात अविस्मरणीय क्रिकेट की वो रातः सांय की हल्की -हल्की माटी की सोंधी खुसबू एवं षीतल पवन के मन्द-मन्द झोके मन को अंत्यन्त खुष कर रहे थे। मैंे मन में स्न... Hindi · लेख 3 313 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 1 Oct 2017 · 3 min read पीर पराई जानो रे पीर पराई जानो रे ------ रामू की फसल बर्बाद रहो गयी है । राधे कृषक ने अत्महत्या कर ली है । मोहन की सदमे से मृत्यु हो गयी है क्योंकि... Hindi · लेख 3 316 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 9 Oct 2017 · 1 min read करवा चौथ पर एक सुंदर कविता --मयंक करवा चौथ पर एक सुंदर कविता --------मयंक --- तारों की छांव में , चौथ के चाँद को , अर्ध्य –दुग्ध की धार अर्पित कर , आराधना स्वीकार हो गयी है... Hindi · कविता 3 411 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 10 Oct 2017 · 1 min read मैं चंचल हूँ मेघों के पार से आया करता हूँ । मैं चंचल हूं, मेघों के पार से आया करता हूं। मैं चंचल हूं , मेघों के पार से आया करता हूं। मै पावक हूं, पृथ्वी को भूषित , भष्मित करता... Hindi · कविता 3 317 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 11 Oct 2017 · 1 min read जीवन पथ के सुनहरे पल जीवन पथ के सुनहरे पलः मेंने जीवन के अनमोल पलों को सजोंया है, स्वर्णिम अवसर पाकर मैने कुछ बोया है। अपनी आॅखों में मैने कुछ सजोंया है, नवसृजन हार नवजीवन... Hindi · कविता 3 860 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 12 Oct 2017 · 1 min read मैं और तुम मै और तुम तुम करुणा की मूर्तिमयी दिल , मै पत्थर दिल तन्हा हूँ । मै राह देखता लंबे पल तक तुम सुंदर पथ की कविता हो । तुम ममता... Hindi · कविता 3 328 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 13 Oct 2017 · 1 min read जन मानस के मन की बात जनमानस के मन की बात जनता का दुख दर्द जमा है, सुख चैन जमा हैं बैंकों में । जीवन का विश्वास जगा हैं, अवनि और अम्बरतल में। रूपयों के लिये... Hindi · कविता 3 474 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 14 Oct 2017 · 1 min read शांति की खोज में शांति की खोज में जीवन केवल्य मुक्त ,अंतर्द्वंद युक्त है , सुख- शांति की खोज में , परेशान , हैरान मन है । मंदिर , मस्जिद , गुरुद्वारे सब बना... Hindi · कविता 3 359 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 15 Oct 2017 · 1 min read वैध गुरु सी चाकरी --- वैध गुरु सी चाकरी ---- चंद दोहे कोर्ट कहे तो क्या कहे , वादी यों पछताय , रोगी मरता रोग से, लांछन दियो लगाय । जीव मरे तो क्यों मरे,... Hindi · दोहा 3 418 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 12 Nov 2017 · 1 min read दिल्लगी की सजा है, दिल्ली दिल्लगी की सजा है दिल्ली, एक कविता धुन्ध देख कर मन घबराया, गगन कुहासा छाया स्मोग भरा वायु का कण कण, प्राण वायु को तरसे पल पल मन, संकट में... Hindi · कविता 3 211 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 14 Nov 2017 · 1 min read बाल दिवस पर चाचाजी का संदेश बाल दिवस पर चाचाजी का संदेश ----- शिक्षा का त्योहार मनाया, गुरुओं का सम्मान बढ़ाया, परीक्षा मे हर प्रथम आओगे , गुरूओ का जब सम्मान करोगे। मम्मी-पापा गुरु के साथ... Hindi · कविता 3 474 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 22 Nov 2017 · 4 min read एक रोचक कहानी -------प्रायश्चित प्रायश्चित शीतकाल प्रारम्भ है, रात्रीकी चादर सुबह का सूरज धीरेधीरे समेट रही है। उसकाप्रकाश दरवाजे की झिर्रीयों से छन-छन कर अंदर होने का अहसास करा रहा है।रात भर रज़ाई से... Hindi · कहानी 3 563 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 1 Dec 2017 · 8 min read दुखी मन मेरे ....... दुखी मन मेरे यह कहानी उन मानसिक रोगियों को सर्मपित है। जिन्होने अपनी जिन्दगी में खुशी का कोई क्षण अनुभव नही किया है। यह अजीब विडम्बना है कि जीवन में... Hindi · कहानी 3 488 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 27 Dec 2017 · 4 min read वही व्यवहार चिकित्सक से करो,जो चिकित्सक से चाहते हो। December 27, 2017swargvibha वही व्यवहार चिकित्सक से करो , जो चिकित्सक से चाहते हो । प्रस्तुत लेख मे समाज के प्रतिष्ठित वर्ग की समस्यायों की जानकारी दी जा रही है , जिन्हें... Hindi · लेख 3 527 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 1 Jan 2018 · 4 min read तंबाकू मुक्त जीवन की शुरुआत करें । तम्बाकू मुक्त जीवन की शुरूआत करें तम्बाकू से करीब 60 लाख व्यक्तियों की मृत्यु होती है, जिस में से 6 लाख वे व्यक्ति है, जो धुम्रपान नही करते है, परन्तु... Hindi · लेख 3 472 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 28 Jan 2018 · 3 min read कटु सत्य --संस्मरण कटु सत्य एक अमिट विश्वास उत्साह एवं उमंग लिये वो दोपहर प्राथमिक विद्यालय शंकर गढ़ जनपद इलाहाबाद का सुनहरा पल था । शिक्षक संग विध्यार्थी अपना अटूट सम्बंध जोड़ कर... Hindi · लघु कथा 3 531 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 28 Jan 2018 · 1 min read प्यारी बेटी जान्हवी -- प्यारी बेटी जान्हवी ---- दोहे चार व्यक्त मौन से जान्हवी , तुम क्यों हो अंजान । नयन उनींदे अधखुले , नहीं सकें पहचान । । सोई पलकों में किसे ,... Hindi · दोहा 3 553 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 29 Jan 2018 · 1 min read दोहे सप्तक दोहे सप्तक सीमा पर सैनिक लड़े,मौसम बर्फ जमाय। आतंकी साया वहां, पाक रहा गुर्राय।१। पाक बहाना कर लखे,झूठ जाय पकड़ाय। अमरीका जब डांट दे,घिग्घी तब बंध जाय।२। बर्फीला तूफान बम,रहा... Hindi · दोहा 3 1 344 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 14 Feb 2018 · 1 min read वेलेंटाइन दिवस के अवसर पर चंद मुक्तक वेलेंटाइन डे के अवसर पर कुछ मुक्तक प्रेम के गीत हम गुनगुनाएँ सदा , प्रीत की रीत को हम निभाएँ सदा । मैं चकोरा बनूँ तुम बनो चंद्रिका , कल्पना... Hindi · मुक्तक 3 313 Share डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम 21 Mar 2018 · 3 min read राष्ट्रवादी सोच एवं गांधी जी के तीन बंदर राष्ट्र वादी सोच एवं गांधी जी के तीन बंदर राष्ट्र वाद –मेरे विचार से सामाजिक मूल्यों , सामाजिक दायित्वों, संवैधानिक अधिकारों के प्रयोग की नैतिक ज़िम्मेदारी , देशभक्ति , एवं... Hindi · लेख 3 371 Share Page 1 Next