Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Nov 2018 · 1 min read

भूखा कूड़ेदान

भूखा कूड़ेदान
प्रथम प्रहर में स्वास्थ्य लाभ हेतु भ्रमण के लिए मनोज निकला ।
उसने देखा कि , रोज की तरह उपेक्षित कूड़ादान आज भी मुंह बाये पड़ा है । उसे ऐसी अनुभूति हुई , जैसे कोई बालक अपनी भूख मिटाने के लिए भोजन के कौर को ग्रहण करने को आतुर है , किन्तु भोजन परोसने वाले ने उसका भोजन कूड़े- दान रूपी भूखे बालक के आस –पास गिरा दिया गया है , और कूड़े दान रूपी बालक का पेट आज भी रिक्त है
ऐसा लगता है , स्वच्छता का मूल्य जानते सब हैं , पर मानते कितने व्यक्ति हैं ?

डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव
22-11-2018

Language: Hindi
Tag: लेख
4 Likes · 297 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
💐प्रेम कौतुक-287💐
💐प्रेम कौतुक-287💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मुझे
मुझे "विक्रम" मत समझो।
*Author प्रणय प्रभात*
कहानी। सेवानिवृति
कहानी। सेवानिवृति
मधुसूदन गौतम
कहानी संग्रह-अनकही
कहानी संग्रह-अनकही
राकेश चौरसिया
आत्मविश्वास ही हमें शीर्ष पर है पहुंचाती... (काव्य)
आत्मविश्वास ही हमें शीर्ष पर है पहुंचाती... (काव्य)
AMRESH KUMAR VERMA
सतत् प्रयासों से करें,
सतत् प्रयासों से करें,
sushil sarna
चाह ले....
चाह ले....
सिद्धार्थ गोरखपुरी
"मास्टर कौन?"
Dr. Kishan tandon kranti
अगर.... किसीसे ..... असीम प्रेम करो तो इतना कर लेना की तुम्ह
अगर.... किसीसे ..... असीम प्रेम करो तो इतना कर लेना की तुम्ह
पूर्वार्थ
कर्म से विश्वाश जन्म लेता है,
कर्म से विश्वाश जन्म लेता है,
Sanjay ' शून्य'
*याद आते हैं ब्लैक में टिकट मिलने के वह दिन 【 हास्य-व्यंग्य
*याद आते हैं ब्लैक में टिकट मिलने के वह दिन 【 हास्य-व्यंग्य
Ravi Prakash
विश्व स्वास्थ्य दिवस पर....
विश्व स्वास्थ्य दिवस पर....
डॉ.सीमा अग्रवाल
गलतियां
गलतियां
Dr Parveen Thakur
कभी
कभी
हिमांशु Kulshrestha
मुख  से  निकली पहली भाषा हिन्दी है।
मुख से निकली पहली भाषा हिन्दी है।
सत्य कुमार प्रेमी
उजालों में अंधेरों में, तेरा बस साथ चाहता हूँ
उजालों में अंधेरों में, तेरा बस साथ चाहता हूँ
डॉ. दीपक मेवाती
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelam Sharma
पाती
पाती
डॉक्टर रागिनी
** राम बनऽला में एतना तऽ..**
** राम बनऽला में एतना तऽ..**
Chunnu Lal Gupta
लग रहा है बिछा है सूरज... यूँ
लग रहा है बिछा है सूरज... यूँ
Shweta Soni
जग मग दीप  जले अगल-बगल में आई आज दिवाली
जग मग दीप जले अगल-बगल में आई आज दिवाली
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
संभव है कि किसी से प्रेम या फिर किसी से घृणा आप करते हों,पर
संभव है कि किसी से प्रेम या फिर किसी से घृणा आप करते हों,पर
Paras Nath Jha
नींव की ईंट
नींव की ईंट
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
जागे हैं देर तक
जागे हैं देर तक
Sampada
किसी अनमोल वस्तु का कोई तो मोल समझेगा
किसी अनमोल वस्तु का कोई तो मोल समझेगा
कवि दीपक बवेजा
अपार ज्ञान का समंदर है
अपार ज्ञान का समंदर है "शंकर"
Praveen Sain
अभी कैसे हिम्मत हार जाऊं मैं ,
अभी कैसे हिम्मत हार जाऊं मैं ,
शेखर सिंह
चुभती है रौशनी
चुभती है रौशनी
Dr fauzia Naseem shad
7-सूरज भी डूबता है सरे-शाम देखिए
7-सूरज भी डूबता है सरे-शाम देखिए
Ajay Kumar Vimal
हवा तो थी इधर नहीं आई,
हवा तो थी इधर नहीं आई,
Manoj Mahato
Loading...