Patodia Mukesh Language: Hindi 34 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Patodia Mukesh 20 Jan 2019 · 1 min read तप और त्याग रिश्तों को निभाने के लिए बहुत कुछ हारना पड़ता है, उसमें कोई खामोशियों को डर तो कई समझदारी समझ्ते है, ये तो नज़र-नज़र का फ़र्क जो समझें वही समझ सकता... Hindi · कविता 1 241 Share Patodia Mukesh 13 Jan 2019 · 1 min read फ़ितरत *"मुझे नहीं आती हैं, उड़ती पतंगों सी चालाकियां ।।* *गले मिलकर गला काटूं, वो मांझा नहीं हूँ मै ..* *ख़ता है ये इस दिल की हो सके तो नज़र अंदाज़... Hindi · कविता 1 316 Share Patodia Mukesh 10 Jan 2019 · 1 min read साथ हूँ ज़ाया ना कर अपने अल्फाज़ हर किसी के लिए... बस ख़ामोश रह कर देख तुझे समझता कौन है... जब तुझें ढ़सनें लगें ख़ुद की ही खामोशियाँ तो...... क़भी उदास ना... Hindi · कविता 1 343 Share Patodia Mukesh 9 Jan 2019 · 2 min read *"माँ के चरणों में अर्पण"*" ✍??? *"माँ के चरणों में अर्पण"*"???✍ *"माँ"* शब्द बोध से आँखे नम, शृंग (शीश) श्रद्धा से चरणों में स्वतः ही नमन होता है, हमारी खुशियों के लिएँ उसके तप, त्याग,... Hindi · कविता 1 235 Share Patodia Mukesh 7 Jan 2019 · 1 min read रिश्तें *"रिश्तें"* तो ऐसे बनातें है लोग जैसे पुराने *"कपड़े"* बदल कर नये कपड़े *"बदलतें"* है, *"मतलबी"* मिज़ाज़ में *"रिश्तें"* मतलब से नये *"मतलबी"* रिश्तें बनातें है, *'निभाना"* हो ग़र *"रिश्ता"*... Hindi · कविता 1 230 Share Patodia Mukesh 6 Jan 2019 · 1 min read अक्स ख़ुदा का ऐ *"ख़ुदा"* चल आज मैं तेरा ही *"अक्स"* तुझें *"आईने"* में दिखाता हूँ, तू *"बात"* इंसानी कर्म *"पाप-पुण्य"* की जो करता है, उनकी *"क़िस्मत"* मुक़द्दर का लेखा बाँटने जो किया... Hindi · कविता 1 271 Share Patodia Mukesh 4 Jan 2019 · 1 min read जो हूँ ये हूँ लिखता हूँ लिखता रहूँगा मैं सच्ची ओर कड़वी बात, इसलिए मैं लोगों के दिल मे नागवार ही गुज़रता हूँ, फ़ितरत सी लगतीं है लोगों की चापलूसी सी, लगतीं है ग़र... Hindi · कविता 1 237 Share Patodia Mukesh 31 Dec 2018 · 1 min read जिंदा हूँ अभी ग़मो के इस मौसम में, तन्हाईयों के आलम में, मैं ग़म के साथ निकल आया, घर से ग़म भी उठा लाया, मैं हूँ अभी जिंदा मुझें जीने दो, अपनें आँसू... Hindi · कविता 1 309 Share Patodia Mukesh 31 Dec 2018 · 1 min read नमक की दुकान बातों की बात करे तो भी किससे करें, हर शक़्स आज नमक लिएँ बैठा है, वो समझ कर भी समझ सकता नहीं, ज़ख़्मों को कुरेदने में लगा रहता है, ज़ख़्म... Hindi · कविता 1 504 Share Patodia Mukesh 30 Dec 2018 · 1 min read माँ की लोरी माँ लोरी सुना फिर से मुझें नींद नहीं आती है बड़ा हुवा हूँ मगर अभी बचपन कहीं मेरा बाकी है, आज तक दर्द आँसू ओर ग़म में अर्से से सोया... Hindi · कविता 2 258 Share Patodia Mukesh 28 Dec 2018 · 1 min read दिलजला मैं किसी के शब्द चुरा कर हॉल ऐ दिल पूछता नहीं, जो कहना स्पष्ट वहीं अपनें शब्दों में कहता हूँ, ज़लालत से भरे अल्फ़ाज़ तो होश हवास में कहता नहीं,... Hindi · कविता 2 209 Share Patodia Mukesh 25 Dec 2018 · 1 min read इत्तफ़ाक आज तो वक़्त भी हैरान परेशान उलझा है, शब्द शब्द निःशब्द हो दिल में थमें पड़े है, इत्तफ़ाक से रिश्तों में दिल उलझा हुवा है, जानता हूँ मेरा दिल आज... Hindi · कविता 1 290 Share Patodia Mukesh 23 Dec 2018 · 1 min read फ़ुर्सत के पल ज़िन्दगी ने ना दिएँ हमें फ़ुर्सत के पल, ग़र कभी दिए तो वो भी तन्हां गुज़र गएँ, हम रहें है अकेले ओर वो लोगों से घिरे रहें, उन पलों में... Hindi · कविता 1 341 Share Patodia Mukesh 21 Dec 2018 · 1 min read कहो तो कहो तो .......पलको पे बिठा लू कहो तो निगाहो मे बिठा लू कहो तो दिल मे बिठा लू कहो तो सीने में बसा लू कहो तो लहू में समा लू... Hindi · कविता 1 254 Share Patodia Mukesh 21 Dec 2018 · 1 min read वहीं ले चल ऐ वक़्त तू हमें फ़िर से ले चल वहीं, जहाँ रहती थी ओर है ज़िन्दगी मेरी, क्योंकि साँसे धड़कने है वहीं मेरी, दीदार से उसके चलती है साँसे मेरी, उसकी... Hindi · कविता 1 280 Share Patodia Mukesh 19 Dec 2018 · 1 min read व्याकुल माना की तुम कृष्ण हो मैं सुदामा ही सही, पर मेरा प्यार तुम्हारें लिएँ राधा, मीरा सा है, मीरा ने पिया था विष प्याला प्रेम दर्शाने को, जो थी केवल... Hindi · कविता 1 288 Share Patodia Mukesh 16 Dec 2018 · 1 min read तू ही है।। हो ग़र तेरा कोई ख़ुदा तो मेरा इकलौता रब तू है, कई होंगे आशिक़ तेरे तो मेरी इकलौती शमा तू है, होती होंगी साज़ सहर सूरज तेरी मेरी तो तुझी... Hindi · कविता 1 365 Share Patodia Mukesh 12 Dec 2018 · 1 min read कौन?? ग़र रूठोगे तो तुम्हें मनाएँगा कौन, निकले आँख से आँसू पोछेगा कौन, होओगे जब तुम उदास हँसाएँ कौन, अकेले होंगे तुम तो साथ देगा कौन, हुएँ राह के तुम्हारे काँटे... Hindi · कविता 1 218 Share Patodia Mukesh 10 Dec 2018 · 1 min read हमराह बन दो दिन हमराह हमें तन्हां छोड़ चले, बेक़सी के आलम में आँख नम छोड़ चले, शिद्द्त से चाहा था हमनें अँधेरा छोड़ चले, बीच राह में यूँ क्यों हमें... Hindi · मुक्तक 1 217 Share Patodia Mukesh 27 Nov 2018 · 1 min read *इश्क़ की जुबां* *?इश्क़ की जुबां?* वो जब नज़रो के सामने होते ज़ुबान ख़ामोश होती है, आँखों ही आँखों में दिल की दिल से बात होती है, फ़िज़ा में हो पतझड़ दोनों के... Hindi · कविता 4 1 366 Share Patodia Mukesh 10 Nov 2018 · 1 min read छू छू लिया है तेरे दिल को अंतर्मन से ओर कोई चाह नहीं, बस दीदार तुम्हारा होता रहें रब ओर कोई दुआ नहीं।। *मुकेश पाटोदिया"सुर"* Hindi · मुक्तक 3 1 424 Share Patodia Mukesh 13 Oct 2018 · 1 min read चुपी लिखता बहुत कम हूँ, मैं जज़्बात दबा लेता हूँ रिश्तों को निभाने के लिये, ख़ुद को मिटा देता हूँ, सोचता मैं जिस आग में जला हूँ, उसमें मेरे अपनें ना... Hindi · कविता 2 3 386 Share Patodia Mukesh 7 Oct 2018 · 1 min read लोम ओर विलोम जंग ग़र समझोगे ज़िन्दगी, हार ओर जीत तो होनी है, सफ़र ग़र समझोगे ज़िन्दगी, फ़ूल ओर काँटे तो होने है, समुंदर ग़र समझोगे ज़िन्दगी, उतार ओर चढ़ाव तो आना है,... Hindi · कविता 1 1 516 Share Patodia Mukesh 5 Oct 2018 · 1 min read ज़िन्दगी ज़िन्दगी कभी हँसाती तो कभी ज़िन्दगी रूलाती है, फ़ूल भरी राहों में ज़िन्दगी काँटे भी बिछाती है, खुशियाँ भी देती तो साथ ज़िन्दगी ग़म भी लाती है, दर्द देके ज़िन्दगी... Hindi · कविता 391 Share Patodia Mukesh 4 Oct 2018 · 1 min read बेबसी आँसुओ से भीगे अल्फ़ाज़, मैं रोज़ लिखता रहा, दर्द अपनें पानी से, स्याही बिखेरता रहा, बैचेन रहता हूँ मैं, दिन-रात लिखता रहा, अपनें बढ़ रहे थे आगे, मैं दर्द में... Hindi · कविता 472 Share Patodia Mukesh 3 Oct 2018 · 1 min read कुछ ना कहा दिन गुज़र जातें है तेरे इंतज़ार में, रातें कटती नहीं अब तो तेरे जवाब में, माना कि नागवार गुज़री है तुम्हें हमारी बातें, ऐसा भी कुछ कहा नहीं आपके सम्मान... Hindi · मुक्तक 390 Share Patodia Mukesh 30 Sep 2018 · 1 min read इंसानियत देखता हूँ अपनों को आरज़ू के पीछे भागते हुवे, हसरतों, ख्वाहिशों, सपनों और तमन्नाओं को बढ़ाते हुवे, होती ही होंगी कुछ आरज़ूएँ पूरी उनकी, पर इंसानियत पीछे छूट उनसें रूठते... Hindi · मुक्तक 1 1 368 Share Patodia Mukesh 30 Sep 2018 · 1 min read मुक़द्दस हूँ मैं दयाना तेरा तूने मेरे सँग ये क्या कर डाला, बाँट जहां में सॉरी खुशियाँ दर्द मेरे हिस्से लिखा ड़ाला, मुक़द्दस में कईयों को तो तूने कई अपनें दे... Hindi · मुक्तक 496 Share Patodia Mukesh 25 Sep 2018 · 1 min read किस नाम से पुकारूँ मैं तुझें जिस नाम से पुकारूँ, तुझ से एक मुक़्मल जहां है, बहते झरनें का साज़ हो तुम, समुंदर की लहरों का संगीत तुम, मैं तुम्हें जिस नाम से पुकारूँ,... Hindi · कविता 1 325 Share Patodia Mukesh 21 Sep 2018 · 1 min read जहान काश ग़र कोई ऐसा जहान बनाया या बताएँ जहाँ, रात की बेचैनियाँ नहीं हाँले दिल सुकून हो, दर्द आँसू तन्हाई और मायूसी ना रहती हो, दिल जहाँ ख़ुशहाली के नग़मे... Hindi · कविता 236 Share Patodia Mukesh 20 Sep 2018 · 1 min read तन्हाई *ज़िन्दगी की शाम आहिस्ता-2 ढ़लने को है,* *तन्हाई की रात चाँदनी दिल ज़लाने को है,* *बदलते रहेगें करवटे रात ढ़सने को है,* *फ़िर वहीं सुबह ज़िन्दगी जीने को हैं।।* Hindi · मुक्तक 441 Share Patodia Mukesh 19 Sep 2018 · 1 min read दिल पढ़ो *हम सब बातें बड़ी बड़ी करते और लिखतें है,* इश्क़, तन्हाई, वफ़ा और आँसू को कोसते रहते है, *तालाब का ठहराव, समुद्र में उठाव, झरने का गिरना,* फूलों का ख़ुशबू... Hindi · कविता 599 Share Patodia Mukesh 17 Sep 2018 · 1 min read प्यार ज़िन्दगी बन साँसे रहती है आस पास मेरे, देख उनको अल्फाज़ कंठ में ही रह जाते, वो देखते जब मुस्कराके चेहरा शाहीन हो मेरा, बस नज़रे झुकाते गुज़र जाते दर... Hindi · मुक्तक 520 Share Patodia Mukesh 16 Sep 2018 · 1 min read दोस्ती कुछ नया कर चलो दोस्तों को गुदगुदाते है, मायूसी मिटा चेहरे की मुस्कान पुनः लौटाते है, उनके दिल के मौसम को ख़ुशनुमा बनाते है बाँध उनके ग़मो की पोटली दरियाँ... Hindi · कविता 387 Share