निर्मला कपिला Tag: ग़ज़ल/गीतिका 31 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid निर्मला कपिला 20 Jul 2017 · 1 min read गज़ल खुशी से जिसे था गले से लगाया उसी ने मुझे दर्द दे कर रुलाया बहे अश्क तो भी सभी से छुपाए धुंएं का तो उनसे बहाना बनाया भले आजमा ले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 484 Share निर्मला कपिला 24 Sep 2016 · 1 min read खुद को चोट लगाये कौन ------ गज़ल खुद को चोट लगाये कौन पत्थर से टकराये कौन दिल ये नित नित मांगे और इस दिल को समझाये कौन सब अपनी दुनिया मे मस्त इक दूजे के जाये कौन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 5 732 Share निर्मला कपिला 20 Sep 2016 · 1 min read कमी हिम्मत में कुछ रखती नहीं मैं------- गज़ल कमी हिम्मत में कुछ रखती नहीं मैं बहुत टूटी मगर बिखरी नहीं मैं बड़े दुख दर्द झेले जिंदगी में मैं थकती हूँ मगर रुकती नहीं मैं खरीदारों की कोई है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 3 534 Share निर्मला कपिला 14 Sep 2016 · 1 min read जीवन में कुछ खोया भी ----- गज़ल जीवन में कुछ खोया भी लेकिन ज्यादा पाया भी नफरत की चिंगारी फेंक लोगों ने भड़काया भी उसके शिकवे सुन कर कुछ अपना दर्द सुनाया भी मुझ को डमरू समझे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 330 Share निर्मला कपिला 3 Sep 2016 · 1 min read देखो न मुझ से रूठ के दिलबर चला गया --- गज़ल देखो न मुझ से रूठ के दिलबर चला गया अब लौट कर न आएगा कहकर चला गया कैसे पकड़ सके जिसे रब ने बचा लिया पैकान से परिंदा जो उड... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 7 601 Share निर्मला कपिला 30 Aug 2016 · 1 min read अगरचे मैला साधू संत का किरदार हो जाये---- गज़ल अगरचे मैला साधू संत का किरदार हो जाये तो मजहब धर्म सब उसके लिये व्यापार हो जाए लडाई हक की जो लडता रहा ताउम्र दुनिया मे वो आने वाली नस्लों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 364 Share निर्मला कपिला 28 Aug 2016 · 1 min read सजाया ख्वाब काजल सा वो आन्सू बन निकलता है सजाया ख्वाब काजल सा वो आन्सू बन निकलता है उजड जाये अगर गुलशन हमेशा दिल सिसकता है जमाने भर की बातें हैं कई शिकवे गिले दिल के सुनाउं क्या उसे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 664 Share निर्मला कपिला 22 Aug 2016 · 1 min read रदीफों की वफा हो हासिलों से---- गज़ल रदीफों की वफा हो हासिलों से गज़ल का नूर होता काफिओं से वही जाते सलामत मंजिलों तक जो करते प्यार हैं अपने परों से न बच्चों को जरा तहज़ीब दें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 571 Share निर्मला कपिला 13 Aug 2016 · 1 min read रुबाइ गज़ल गुनगुनाने की रातें ----- गज़ल ---- रुबाइ गज़ल गुनगुनाने की रातें उसे हाल दिल का सुनाने की रातें वो छूना छुआना नज़र को बचा कर शरारत अदायें दिखाने की रातें रुहानी मिलन वो जवानी का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 387 Share निर्मला कपिला 11 Aug 2016 · 1 min read जीवन में कुछ खोया भी ----- गज़ल जीवन में कुछ खोया भी लेकिन ज्यादा पाया भी नफरत की चिंगारी फेंक लोगों ने भड़काया भी उसके शिकवे सुन कर कुछ अपना दर्द सुनाया भी मुझ को डमरू समझे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 494 Share निर्मला कपिला 8 Aug 2016 · 1 min read वो बच्चों के लिए खुद का निवाला छोड़ देती है -- गज़ल यशोद्धा खाने को मक्खन का प्याला छोड़ देती है न रूठे शाम, हाथों की वो माला छोड़ देती है छठा सावन की लाती है बहारें,झूमता गुलशन धारा पर रूप अपना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 5 564 Share निर्मला कपिला 24 Jul 2016 · 1 min read गज़ल गुलकन्द सी मीठी लगे अन्दाज प्यारा है ---- गज़ल गज़ल गुलकन्द सी मीठी लगे अन्दाज प्यारा है अदावत है लियाकत है मुहब्बत से सँवारा है हमारी प्यास ढूंढे रोज सागर प्यार के गहरे मुशक्कत रूह की कितनी नदारद पर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 4 566 Share निर्मला कपिला 22 Jul 2016 · 1 min read देखो न मुझ से रूठ के दिलबर चला गया --- गज़ल देखो न मुझ से रूठ के दिलबर चला गया अब लौट कर न आएगा कहकर चला गया कैसे पकड़ सके जिसे रब ने बचा लिया पैकान से परिंदा जो उड... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 628 Share निर्मला कपिला 21 Jul 2016 · 1 min read ज़िन्दगी को मनाओ खुशी की तरह--- गज़ल ज़िन्दगी को मनाओ खुशी की तरह झेलो' गम को जरा दिल्लगी की तरह कुछ इनायते' मिली कुछ जलालत सही वक्त आया गया रोशनी की तरह रोज चलता रहा बोझ ढोता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 3 557 Share निर्मला कपिला 19 Jul 2016 · 1 min read निकल कर कहां से ये आई खबर---- गज़ल निकल कर कहां से ये आई खबर मै ज़िन्दा हूँ किस ने उडाई खबर हवा मे हैं सरगोशियां चार सू न दे पर किसी को दिखाई खबर किसी के यहां... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 692 Share निर्मला कपिला 13 Jul 2016 · 1 min read मुझे तुमसे या दुनियां से गिला क्या ---- गज़ल -निर्मला कपिला मुझे तुमसे या दुनियां से गिला क्या मिली तकदीर से हम्को सजा क्या बेटियां मां बाप से जब दूर जातीं बिना उनके जिगर मे टूटता क्या घुस आया पाक सीमा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 325 Share निर्मला कपिला 13 Jul 2016 · 1 min read गज़ल----- निर्मला कपिला उलझनो को साथ ले कर चल रहे हैं गज़ल----- निर्मला कपिला उलझनो को साथ ले कर चल रहे हैं वक्त की सौगात ले कर छल रहे हैं ढूंढते हैं नित नया सूरज जहां मे ख्वाबों की बारात ले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 541 Share निर्मला कपिला 9 Jul 2016 · 1 min read नाराज़ वो क्यों बैठे हैं एक गिला ले कर ---- गज़ल गज़ल नाराज़ वो क्यों बैठे हैं एक गिला ले कर कह दें तो चले जायें गे उसकी सजा लेकर दौलत शोहरत दोनो मंज़िल ही नही मेरी जीना हैखुदा मुझ को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 539 Share निर्मला कपिला 9 Jul 2016 · 1 min read बेखुदी मे अश्क आँखों से बहाता ही रहा मै - गज़ल गज़ल बेखुदी मे अश्क आँखों से बहाता ही रहा मै सह लिया खुद दर्द लोगों को हसाता ही रहा मै देख अन्जामे मुहब्बत आज भी हैरान सा हूँ गम खरीदे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 598 Share निर्मला कपिला 2 Jul 2016 · 1 min read उनींदे से भटकते मेरे अब अरमान लगते हैं गज़ल उनींदे से भटकते मेरे अब अरमान लगते हैं कभी बेचैन लगते हैं कभी नादान लगते है जहानत ही नहीं काफी ज़माना जीतना हो तो झुके सर तो मशीखत की सदा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 474 Share निर्मला कपिला 1 Jul 2016 · 1 min read चाहतों की लाश सडती मुफ्लिसी के सामने -- गज़ल चाहतों की लाश सड़ती मुफलिसी के सामने ज़िंदगी सहमी रही उस बेबसी के सामने ताब अश्कों की नदी की सह न पायेगा कभी इक समन्दर कम पडेगा इस नदी के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 426 Share निर्मला कपिला 30 Jun 2016 · 1 min read जहां पर गलतियों का मेरी मंजर ख़त्म होता है ---ग़ज़ल। गजल जहां पर गलतियों का मेरी मंजर ख़त्म होता है वही जीवन का मुश्किल वक्त अक्सर ख़त्म होता है मगर इल्जाम से पहले न देखा आइना खुद जब जहानत का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 259 Share निर्मला कपिला 30 Jun 2016 · 1 min read वो करना है जो ठाना है -- गज़ल् वो करना है जो ठाना है हर मुश्किल से टकराना है जिस धरती पर है जन्म लिया उसका भी कर्ज चुकाना है दीन दुखी की सेवा करके अब मानव धर्म... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 403 Share निर्मला कपिला 29 Jun 2016 · 1 min read सामने सच के चुप राहाहूँ मैं सामने सच के चुप रहा हूँ मै झूठ के साथ पर लडा हूँ मै मुस्कराहट भले हो चेहरे पर रूह से पर कहीं बुझा हूँ मैं जाएगा दूर किस तरह... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 559 Share निर्मला कपिला 29 Jun 2016 · 1 min read ज़िंदगी का रहा तल्ख़ सा ये सफर ज़िंदगी का रहा तल्ख़ सा ये सफरु धूप में भी मिला कब जहां में शजर दर्द कहते तो कहते किसे हम यहाँ कर लिया हमने पत्थर का अपना जिगर आँधियाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 214 Share निर्मला कपिला 29 Jun 2016 · 1 min read मुस्कुराता हूँ तो गम बढ़ता नहीं मुस्कुराता हूँ तो गम बढता नही डर से आंसू ही मेरा निकला नहीं प्यार में रुसवा हो तो औरत ही क्यों मर्द पे इल्जाम क्यों लगता नहीं लूटने रहबर लगे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 229 Share निर्मला कपिला 29 Jun 2016 · 1 min read घर बिना विशवास के चलता नहीं घर बिना विशवास के चलता नहीं 1----- घर बिना विशवास के चलता नहीं आजमाना अपनों को अच्छा नहीं ज़िंदगी की तल्खियों के खौफ से मुस्कुराता हूँ कभी डरता नहीं छाँव... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 342 Share निर्मला कपिला 16 Jun 2016 · 1 min read गज़ल हम तो सुध बुध ही भूल जाते हैं वो नजर से नजर कभी मिलाते हैं कौन उल्फत की बात करता है लोग मतलव से आते' जाते है काट दी ज़िंदगी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 429 Share निर्मला कपिला 16 Jun 2016 · 1 min read गज़ल दर्द ग़ज़लों में गुनगुनाते है चोट खा कर भी मुस्कुराते है। फासला मौत से नहीं ज्यादा ये बुढ़ापे में डर सताते हैं दुश्मनों पे न शक करो यारो तीर अपने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 505 Share निर्मला कपिला 16 Jun 2016 · 1 min read गज़ल मेरे दिल पे ख्वाबों का पहरा रहा है मुहब्बत को दिल ये तडपता रहा है न तारे से पूछो कभी दर्द उसका जो अम्बर से नीचे ही गिरता रहा है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 255 Share निर्मला कपिला 12 Jun 2016 · 2 min read चार गज़लें --- गज़ल पर गज़ल निर्मला कपिला 1------- मेरे दिल की' धड़कन बनी हर गज़ल हां रहती है साँसों मे अक्सर गज़ल इनायत रफाकत रहाफत लिये जुबां पर गजल दिल के दरपर गजल कसक... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 653 Share