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Comments (7)

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18 Sep 2019 11:19 AM

Wowबचपन मेरा ले आओ बुढ़ापा न चाहिए
ये चाल वक्त कैसी दिखा कर चला गया

3 Sep 2016 10:16 PM

निर्मला जी ये गज़ल का शीर्षक जब से पढ़ा हूँ …..अब तक वही गुनगुना रहा हूँ

आपकी ये गज़ल शायद पहले भी पढी थीं

मुझे बहुत पसंद आई
धन्यवाद !!

3 Sep 2016 03:51 PM

Behtreen Ghazal

3 Sep 2016 01:04 PM

बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल आप की……गुस्तखी माफ़….मैंने नया नया लिखना शुरू किया है इसलिए आप से पूछना चाहता हु की आप ने कौन सी बह्र में लिखा है आपने…..मैं भी लिखता हु पर बह्र में नहीं लिख पता इसलिए पूछा है आप से

3 Sep 2016 10:18 PM

2212-2212-2212-12

वाह्ह्ह बहुत खूब

3 Sep 2016 09:53 AM

बहुत खूब निरमला जी ..कठपुततलियॉ है हम यहं क्या हाथ अपने है …nice

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