नंदन पंडित 11 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid नंदन पंडित 5 Feb 2021 · 1 min read नव जीवन जा तो रही हो छोड़ के मुझको, करके मरणासन्न यादों में नित आती रहना, बनकर नव जीवन । वे बचपन के खेल निराले सावन के झूले झटपट डालों पर जा... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 11 51 863 Share नंदन पंडित 17 Apr 2022 · 1 min read घर को बाँधे रखे रहे मरते-मरते जिम्मेदारी काँधे रखे रहे जैसे-तैसे बप्पा घर को बाँधे रखे रहे उछला-कूदा समय नहीं पर पकड़ फिसलने दी पाँव तले रहकर भी पगड़ी नहीं उछलने दी उदरों का भी... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · गीत 9 13 446 Share नंदन पंडित 5 Feb 2021 · 1 min read काश मेले की पंगडंडियों पर बाप की अँगुली थामकर उचकते अंस.. काश.. यादें भी कहीं साकार होकर साथ चलतीं ..गर्व से तन जाते अपने कंधे अब भी पर्वतों से..। काश.. यादें... Hindi · कविता 3 3 330 Share नंदन पंडित 22 May 2021 · 1 min read बरसात और बूढ़ी आँख झम-झम-झम बादल झरे झर-झर बूढ़ी आँख दोनों में प्रतिद्वन्दिता चली समूची रात। वायु की गति देखकर भटके दर-दर सोच साथ कहीं न ले उड़े छप्पर को भी नोच पति पहले... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · गीत 3 10 328 Share नंदन पंडित 2 May 2022 · 1 min read मैं तुम पर क्या छन्द लिखूँ? मैं तुम पर क्या छन्द लिखूँ? सृजक पालक संघारक तुम सत,रज व तम के कारक तुम तुम ब्रह्म, अण्ड, तुम ब्रह्माण्ड स्थूल, सूक्ष्म विस्तारक तुम तुम पुरुष तुम्हीं प्रकृति हो... Hindi · गीत 2 2 295 Share नंदन पंडित 18 May 2021 · 1 min read वर्षा ऋतु लू के थपेड़े रुके सूरज के घोड़े थके बहने लगी पुरवाई। वर्षा ऋतु आई।। चींटियां सुरंग घुसीं, घोसलों में बया छुपी, चातक ने टेर लगाई। वर्षा ऋतु आई।। धरती की... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · गीत 1 8 436 Share नंदन पंडित 3 Aug 2022 · 1 min read दिन जल्दी से बीत रहे हैं दिन जल्दी से बीत रही है जल्दी रात जाग बटोही जल्दी जाग हाली-हाली हाथ बढ़ा चिड़ियों ने डैने फैलाये सूरज आकर शीश चढ़ा अम्बर सब मोती चुन... Hindi 1 1 279 Share नंदन पंडित 20 Jun 2022 · 1 min read चूल्हे से चेहरे खिले खुशी मँड़राई चूल्हे से आटा देख घरैतिन फिर से युवा हुई हफ्ते बाद कबूल सुबह की दुआ हुई नाकों से रोटी की खुशबू टकराते चौके तक बुढ़िया चल... Hindi 233 Share नंदन पंडित 11 Jul 2023 · 1 min read मुफ़्त मुफ़्त गगन है धरा मुफ़्त है मुफ़्त नदी का पानी मुफ़्त-मुफ़्त है धूप सुनहरी मुफ़्त किरन नूरानी मनहर जग महकाने वाले मुफ़्त पुहुप बहुरंगी चंदा की चाँदनी मुफ़्त है इन्द्रधनुष... Hindi · बाल कविता 98 Share नंदन पंडित 25 Mar 2021 · 1 min read रेती में होली रेती में आई फिर होली! फूलों ने भर-भर रंग दिया घाघरा-सरयू ने जल निर्मल। बँसवारियों ने दी पिचकारियाँ सीवानों ने मखमली आँचल। पवनों ने मारू थाप दिए गा उठी कोकिलों... Hindi · कविता 279 Share नंदन पंडित 22 Apr 2022 · 1 min read चूल्हे से चेहरे खिले खुशी मँड़राई चूल्हे से। आटा देख घरैतिन फिर से युवा हुई हफ्ते बाद कबूल सुबह की दुआ हुई नाकों से रोटी की खुशबू टकराते चौके तक बुढ़िया चल... Hindi · गीत 137 Share