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20 Jun 2022 · 1 min read

चूल्हे से

चेहरे खिले
खुशी मँड़राई
चूल्हे से

आटा देख
घरैतिन फिर से युवा हुई
हफ्ते बाद कबूल
सुबह की दुआ हुई
नाकों से
रोटी की खुशबू टकराते
चौके तक
बुढ़िया चल आई कूल्हे से

धुँआ उठा
छप्पर के ऊपर जा छाया
काँव-काँव करता बायस
फिर मँड़राया
घर आए वर देखुआ
भेली-दही पिए
साली-सलहज फिर
अठलाईं दूल्हे से

Language: Hindi
231 Views
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