सिद्धार्थ गोरखपुरी 871 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सिद्धार्थ गोरखपुरी 15 Oct 2023 · 1 min read हे जगजननी हे जगजननी जगदंब भवानी अबके बार कृपा कर देना सहता आया हूँ जो अबतक सारे दुःख मेरे हर लेना तुम हो मां इस सारे जग की कृपा तुम्हारी बरसे अब... Hindi · गीत 1k Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 24 Mar 2021 · 1 min read जय हो विजय हो ईश्वर सशंकित ,धरती है भारी ,न जाने किस घड़ी में भयंकर प्रलय हो। जनता न जाने, वो है सबको माने ,न जाने किसका किसमे विलय हो। न जाने किस ओर... Hindi · शेर 1 1k Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 13 Oct 2023 · 1 min read Needs keep people together. Needs keep people together. - Siddharth Gorakhpuri Quote Writer 2 1k Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Sep 2021 · 1 min read तुम भस्मा वाली बाढ़ प्रिये जीवन अब होता जाता है, समय के माफिक गाढ़ प्रिये। मैं राप्ती के रेता सा हूँ ,तुम भस्मा वाली बाढ़ प्रिये। तुम भस्मा के डीह सी सूखी हो, मैं आमी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 901 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 7 Feb 2022 · 1 min read बारहमासा गीत जहवाँ बरहो मास रहेला गुलजार सजनी -२ अइसन भारत बा देशवा हमार सजनी -२ फागुन में होली आवे और सबके मन हरसावे-२ अरे चैत में रहे नवरातर के बहार सजनी... Bhojpuri · गीत 951 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 4 Jul 2021 · 1 min read सेट चल रहल बा जबसे 4G वाला मोहबाइल में ,इंटरनेट चल रहल बा। सबकुछ सेट चल रहल बा, सबकुछ सेट चल रहल बा। चंगु - मंगु , घुरहु -निरहू एंड्राइड फ़ोन चलावत बाटें। मैसेंजर,... Bhojpuri · गीत 2 2 840 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 10 Jul 2021 · 1 min read बुलन्दी अपने हालात पर जमाने को न कोस मेरे यार, ये जमाना तेरे बुलन्दी के इंतजार में बैठा है। -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · शेर 951 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 15 May 2022 · 1 min read प्रारब्ध प्रबल है जीवन पथ पर कुछ खो जाने पर मानव हो जाता अधिक विकल है सबल -निबल नहीं है मानव बस केवल प्रारब्ध प्रबल है नीयत तय करती है नियति क्या खोना... Hindi · कविता 3 2 948 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 20 Nov 2021 · 1 min read गाँव का कुआं अब तो मृतप्राय हो चला जो सदियों तक जीता था। गाँव का वो प्यारा सा कुआं जहाँ हर कोई पानी पीता था। पैदल चलने वाले राही देख कुआं रुक जाते... Hindi · कविता 2 4 889 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 21 Aug 2021 · 1 min read वो न किसी की सुनता है अनुभव कहता है मेरा सुनो ,पर वो न किसी का सुनता है। मन अपने में ही मस्त मगन हो ,इक ताना-बाना बुनता है। अनुभव ने बहुत है समझाया की मुझको... Hindi · गीत 3 729 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 14 Jun 2021 · 1 min read कृष्ण और राधा हे कान्हा ! तुम मुझको ,कैसी हालत में छोड़ गए। क्या ख़ता हुई बतला भी दो ,क्यो ऐसे मुँह मोड़ गए। मैंने सपने में भी सोचा न था ऐसा भी... Hindi · गीत 2 2 691 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 7 Jun 2021 · 1 min read पप्पू पास हो गया परीक्षा होने की खबर से ,पप्पू हतास हो गया। पप्पू पास नहीं होगा ,ये उसे एहसास हो गया। पास हो पाने की तनिक उम्मीद भी न थी पप्पू को, कोरोना... Hindi · मुक्तक 2 2 728 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 25 Jun 2021 · 1 min read समंदर का खारा पानी एक दिन बोझिल होकर कहता है ,समंदर से खारा पानी। क्यों सूरज समेट लेता है ,इस धरती से सारा पानी। मेरे कुछ सगे मनुष्य की आंखों में क्यों रहते हैं?... Hindi · गीत 664 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 26 Nov 2021 · 1 min read ऐ उम्मीद ऐ उम्मीद! मैं तुमसे छुटकारा चाहता हूँ। क्योंकि मैं खुश रहना ढेर सारा चाहता हूँ। तुम न होती तो भावनाएं आहत न होतीं। किसी से कभी भी कोई चाहत न... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 6 677 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 19 May 2021 · 1 min read एहसास हुआ करता है जब बरसात भिगोती तन को ,मन में उल्लास हुआ करता है। शबनमी हो जाता है तन मन ,जब भी वो पास हुआ करता है। बरसात की बूंदे ,मौसम मध्धम और... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · मुक्तक 2 6 666 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 28 Oct 2021 · 1 min read आदमी आदमी का हो जाए काश के आदमी ना बदले किसी का वक्त देखकर। ये वक्त बदलता कहाँ है किसी का वक्त देखकर। वक्त क्या एक सा रहा है किसी का? तो फिर वक्त के... Hindi · कविता 659 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 27 May 2021 · 1 min read गाँव की गलियां गांव की गलियां संकरी हैं ,पर चौड़ी सड़कों से बेहतर है। यहाँ प्राणवायु की कमीं नही ,है बहती हवा सरसर है। ऊँची बिल्डिंग के ऊँचे लोगों ,क्या तुमको ये पता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 738 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 25 Jun 2021 · 1 min read मुश्किल है सफ़र मुश्किल है और डगर मुश्किल है। मुश्किल हालात में हमसफ़र मुश्किल है। मुश्किलें कम होने का नाम लें तो कुछ बात बने, मुश्किल में किसी की एक नजर मुश्किल... Hindi · शेर 629 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 16 Mar 2022 · 1 min read गाँव का मेला गाँव का मेला कोई फिर से दिखाना रे लौट के आता नहीं फिर वो जमाना रे बाबा और बाबू का मेला घूमाना रे लकड़ी के खिलौने को जिद कर जाना... Hindi · गीत 642 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 4 Aug 2021 · 1 min read ठिकाना बदला लोग बदले और ये नापाक जमाना बदला। अरसे से चला वाकया न पुराना बदला। वक्त खराब देख परिंदे भी नही आते अब, वक्त बदलते ही परिंदो ने ठिकाना बदला। -सिद्धार्थ... Hindi · शेर 2 657 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 31 Mar 2021 · 1 min read आशा और निराशा जीवन के हर क्षण में होती ,आशा और निराशा है। हँसते रहना आगे बढ़ना जीवन की परिभाषा है। जीवन के हर क्षण में होती, आशा और निराशा है। जिसने जीवन... Hindi · गीत 2 3 681 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 5 Sep 2023 · 1 min read पियार के रेल भोजपुरी हास्य गीत काना कोतड़ लंगड़ लूली जबर पतरकी या हौ फूली तुलतुल बोली तिरछी आँख चाहे हो भईया दिमाग़ के हाफ कउनो से त मेल करा द पियार के... Bhojpuri · गीत 750 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 5 Jun 2021 · 1 min read सुखदुःख की कहानी आँखों में उसने तराशी हैं खुशियां ,न ढूँढ़ पाना तो अपनी नाकामी। ख़ुशी उसने बख्शी है चेहरे पे सबके ,गर दुख ढूँढ़ ले तो है कैसी हैरानी। जीवन के पथ... Hindi · गीत 2 650 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 9 May 2021 · 1 min read कितना कठिन होता है ना? माँ होना बचपने से सबको खुश कर देना और जवां होना। बस उँगलियों के इशारों से ,सब कुछ बयां होना। कयामत तलक माँ की दुआओं का साथ रहना, कितना कठिन होता है... Hindi · गीत 2 581 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 14 Mar 2022 · 1 min read क़ुरबत दूरियों से इसकदर फुरसत हो जाए के ताउम्र मुझसे तेरी कुरबत हो जाए -सिद्धार्थ गोरखपुरी कुरबत -नजदीकी Hindi · शेर 633 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Jun 2021 · 1 min read हमारा भी दिन है क्या? हमारा भी दिन है क्या इस जहां में? आज पता चला की है। जरा बताइए है क्या? मालूम यही था फलाना डे , ढेमाका डे। पूरे साल सुनने में आता... Hindi · लेख 2 579 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 Sep 2021 · 1 min read मेरे हमसफ़र मेरे हमसफ़र तूँ है कहाँ ,मुझे तेरी ही दरकार है। बिन तेरे सूना है आंगन ,जीवन भी मझधार है। एक बार तूँ सुन ले मेरा, मैंने तेरा सुना हर बार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 580 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 25 May 2021 · 1 min read स्क्रीन पर जानू का नाम दिखता है जब फ़ोन के स्क्रीन पर जानू का नाम दिखता है। तो सोना के बाबू के चेहरे पर न कोई काम दिखता है। घूम- घूम कर कोने में जाके दुबक जाता... Hindi · गीत 2 616 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 18 May 2021 · 1 min read बरसात हो जाये दिमाग दिल की दहलीज पर आये और बात हो जाये। खुद में खुद के नए हसीन रिश्ते की, शुरुआत हो जाये। मैं जब भी उनसे मिलूँ ये ख्वाहिश है मेरी,... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल/गीतिका 3 7 567 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 20 Sep 2021 · 1 min read नाही त विजया बेकार हो जाई मूफत में गर प्यार हो जाई। विजया के बेड़ा पार हो जाई। अगुआ लोगन एक प्रेमिका ढूंढा, नाही त विजया बेकार हो जाई। उ नौ बजे तक सूतत बा ।... Bhojpuri · गीत 2 2 595 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Jun 2021 · 1 min read क़िस्मत अपनी स्वप्न उजले से हैं पर स्याह सी किस्मत अपनी। जिंदगी करती है परेशानियों से खिदमत अपनी। बड़ी मुद्दतों से परेशान हूँ अनजान हूँ मुसीबतों से, काश के ऊपर वाला बरसा... Hindi · मुक्तक 614 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 3 Jun 2022 · 1 min read बचपन पुराना रे ढूंढ़ के ला दो कोई बचपन पुराना रे पुराना जमाना हाँ पुराना जमाना रे बड़ी - बड़ी बातें हम खूब बतियाते थे दोस्तों से मार खाते उनको भी लतियाते थे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 571 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 27 Mar 2021 · 1 min read ये होली भी क्या होली है महंगे हो गये सर समान, और महंगी हो गयी बोली है। फाग वाग का पता नहीं है ,दिखती नही रंगोली है। रंग फीका पड़ गया है अच्छे खासे रिश्तों का... Hindi · गीत 1 540 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 24 Jun 2021 · 1 min read मशीन और आदमी अब तो आदमी को आदमी से फुरसत हो गयी है। खुशियां न जाने किस ओर रुख़सत हो गयीं है। आखिर आदमी अब आदमी से मोहब्बत क्यों करे, दुनिया को अब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 545 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 Jun 2021 · 1 min read स्टेटस के चक्कर में स्टेटस के चक्कर में ,बहुत कुछ हुआ है यार। स्टेटस लगाने से हो गयी है ,वैक्सीन असरदार। 84 दिन कैसे कटेंगे अगले स्टेटस के लिए, कैसे करेगा बउआ ,अगले डोज... Hindi · मुक्तक 2 582 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 18 Oct 2021 · 1 min read शिकवा क्या है वर्षों से चला आ रहा सिलसिला है। मेरी शिकायत से उसे मिला क्या है। उसे उसकी ही रंगत ले डूबेगी एकदिन फिर उससे मेरा गिला शिकवा क्या है। -सिद्धार्थ Hindi · शेर 601 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 23 Mar 2021 · 1 min read सावधान हो जा मतदाता अब परधानी आवत बा सब प्रत्याशी के पैर में चक्र, कुछ याद दियावत बा। सावधान हो जा मतदाता अब परधानी आवत बा। केहू के अईले से कुटुम्ब प्रसन्न ,केहू फूटी आंख न भावत बा।... Hindi · कविता 1 1 544 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 May 2022 · 1 min read ये ख्वाब न होते तो क्या होता? ये ख्वाब न होते तो क्या होता? झोपड़ी में रहने वाले लोग जब थोड़े व्यथित हो जाते है वक़्त अपना भी बदलेगा जब ये खुद को समझाते हैं फिर रात... Hindi · कविता 3 2 567 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 17 Jul 2021 · 1 min read ये बे-परवाह जमाना ये मन अक्सर बुनता रहता है ,ख्वाबों का ताना बाना । दिल भी अक्सर छेड़े रहता है ,एक अल्हड़ सा तराना। अभी तो गुमसुम सा रहता हूँ इक छोटी सी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 562 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 7 Feb 2022 · 1 min read बनारस लिख दूँ न्योछार सकल ज्ञान को करदूँ अपने विवेक से सरबस लिख दूँ मां गंगे का तीर लिखूँ और बाबा का धाम बनारस लिख दूँ बाबा विश्वनाथ की धरती तीनो लोकों से... Hindi · कविता 2 2 536 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 25 Mar 2021 · 1 min read झटका देवे वाली बिजुरिया झटका देवे वाली बिजुरिया जीवन पर बिजुरी गिरावत बा। रात के टाइम घर से बहरा और छत्ते भर दौरावत बा। बाप मरे दिया के अजोरा बेटा पावर हाउस, इहे हाल... Hindi · मुक्तक 558 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 13 May 2022 · 1 min read गँवईयत अच्छी लगी माँ को न शहर अच्छा लगा न न शहर की शहरियत अच्छी लगी वो लौट आई गाँव वाले बेटे के पास के उसे गाँव की गँवईयत अच्छी लगी ममता भी... Hindi · कविता 3 2 611 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 28 Mar 2021 · 1 min read मन की बातें मन ही जाने मन की बातें मन ही जाने , तिल तिल कर जो चूर हुआ है। होनी अनहोनी साथ लिए, वो जीने को मजबूर हुआ है। जो जिंदगी को देखा करता था... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 521 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 26 Sep 2021 · 1 min read बेटी अब बात नहीं रही है वो ,जो पुराने लोग समझते थे। बड़े अजीब थे लोग ,जो बेटी को बोझ समझते थे।। वक्त बदला , लोग बदले , जमाना बदला। पर... Hindi · गीत 5 544 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 18 May 2021 · 1 min read बरसात धरती को उसके घनघोर तपन से मुक्त करती बरसात। खेतों के उबड़ खाबड़ ढेलों को संयुक्त करती बरसात। देती है जीवन पपीहा को एक बूंद से, न जाने उस बून्द... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · शेर 2 4 529 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 18 May 2021 · 1 min read कल्यान किया करती है हरियाली से धरती का अनुपम, श्रृंगार किया करती है। सूखते पौधों को सींच के ,जीवन दान दिया करती है। सावन में झोंका साथ लिए जब आती है धरती पर, ये... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · गीत 2 3 530 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 2 Aug 2021 · 1 min read अबके साल कहाँ? तौबा ये विजया का धमाल। शादी करेगा अबके साल। अगुआ फिर झट से कहते है अबके साल कहाँ? तौबा ये विजया का धमाल। शादी करेगा अबके साल। सितम विजया पे... Hindi · गीत 1 522 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 9 Sep 2023 · 1 min read नम्बर ह बखोर के बहुते बा अंधरिया अब नंबर ह अजोर के अब सबके सन्ति एक बोलिहे नम्बर ह बखोर के दिन भर त मुँह बोले रतियों में भी बड़बड़ आहि दादा कैसे होता... Bhojpuri · गीत 1 662 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Aug 2021 · 1 min read दोस्त दोस्त बनता है जब दिल दिलों से मिलता है। दोस्त ! दोस्त के हर एक पलों से मिलता है। तुम्हारे साथ रहे और कभी दगा न करे, ऐसा दोस्त अब... Hindi · शेर 2 2 542 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 12 Jul 2021 · 1 min read ले डूबेगा सच कहें तो जरूर ले डूबेगा। तुम्हे तुम्हारा ग़ुरूर ले डूबेगा। इंतेहा वक्त लेता है ये तुम्हे इल्म रहे, तुम्हे तुम्हारा ही कसूर ले डूबेगा। -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · मुक्तक 1 515 Share Page 1 Next