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आ,तुझ को तुझ से चुरा लू
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परछाई से वार्तालाप
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कुछ ज्ञान वर्धक पहेलिया_बताओ तो जाने
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खुलने लगे हैं शहर,लोग मुलाकात करने लगे है
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झरने और कवि का वार्तालाप
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ये दिल मेरा था, अब उनका हो गया
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शिव शंकर भोले भंडारी,जग के पालन हारी
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गर्मी का कहर
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एक पनिहारिन की वेदना
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पर्यावरण दिवस
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प्रभु से प्रार्थना
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सच्चे मित्र की पहचान
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में और मेरी बुढ़िया
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महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन
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मै लाल किले से तिरंगा बोल रहा हूं
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तेरे मन मंदिर में जगह बनाऊं मैं कैसे
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मुझे आज भी तुमसे प्यार है
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तुम बिन आवे ना मोय निंदिया
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रिश्ते
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तेरी यादों की खुशबू
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वो पहली पहली मेरी रात थी
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कौन किसके बिन अधूरा है
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पिता पर एक गजल लिखने का प्रयास
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मेरी फितरत
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आंखो में है नींद पर सोया नही जाता
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आओ भारत को स्वच्छ बनाये --आर के रस्तोगी
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उम्र को हराना है तो शोक को जिंदा रखिए
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मुर्दे के मन की पीड़ा
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बदले बदले दल बदलू नज़र आते हैं
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सारे दल मिलेगे तभी तो दलदल बनेगा
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रिश्तों का बाज़ार
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बसंत ऋतु है आई
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बसंत ऋतु है आई
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तेरे दिल में, मै रहता हूं सदा
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मन करता है अभी भी,तेरे से मिलने का
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कैसे मनाऊं आज ये होली
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रसिया यूक्रेन पर कुंडलियां
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महिला दिवस पर कुछ मुक्तक
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पति पत्नी की नोक झोंक पर हास्य व्यंग
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होली मिलन पर मुक्तक
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तुम और मैं
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कह न पाई,सारी रात सोचती रही
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हम इतने भी बुरे नही,जितना लोगो ने बताया है
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सात के पहाड़े में पूरे जीवन के दर्शन
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अगर सामने बैठो तुम वक्त कट जायेगा
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तुझे अपने दिल में बसाना चाहती हूं
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कैसे कहूं सबके सामने ये दिल तुम्हारा हो गया
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बेवफाओं के शहर में कुछ वफ़ा कर जाऊं
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तारीफ क्या करूं तुम्हारे शबाब की
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मुझसे बचकर वह अब जायेगा कहां
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