MITHILESH RAI 503 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid MITHILESH RAI 3 Mar 2022 · 1 min read चाहत तेरी चाहत मेरी साँसों में रहती है। तेरी तमन्ना एहसासों में रहती है। जब सब्र टूटता है ग़म-ए-इन्तिज़ार से- मेरी ज़िन्दगी बदहवासों में रहती है। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय Hindi · मुक्तक 2 417 Share MITHILESH RAI 12 Jan 2020 · 1 min read मुक्तक दर्द तन्हा रातों की कहानी होते हैं। तड़पाते हालात की रवानी होते हैं। कभी होते नहीं जुदा यादों के सिलसिले- दौरे-आज़माइश की निशानी होते हैं। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय Hindi · मुक्तक 1 2 882 Share MITHILESH RAI 25 Oct 2019 · 1 min read मुक्तक मैं तेरी सूरत का दीवाना हूँ कबसे। मैं तेरी चाहत का अफ़साना हूँ कबसे। अंज़ामें-बेरुख़ी से बिख़री है ज़िन्दग़ी- मैं तेरे ज़ुल्मों का नज़राना हूँ कबसे। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय Hindi · मुक्तक 2 705 Share MITHILESH RAI 27 Sep 2019 · 1 min read मुक्तक कोई ख़ामोशी भी सब कुछ कह जाती है। कोई चाहत दिल की सब कुछ सह जाती है। लम्हें बीत जाते हैं गुफ़्तग़ूँ के लेक़िन- कोई किसी की दिल में याद... Hindi · मुक्तक 1 458 Share MITHILESH RAI 27 Sep 2019 · 1 min read मुक्तक तेरा ज़िक्र दर्द का बहाना बन गया है। मेरी बेख़ुदी का अफ़साना बन गया है। हर वक़्त सताती है मुझे तेरी दिल्लग़ी- तेरी बेरुख़ी का नज़राना बन गया है। मुक्तककार-... Hindi · मुक्तक 448 Share MITHILESH RAI 27 Sep 2019 · 1 min read मुक्तक तेरा ज़िक्र दर्द का बहाना बन गया है। मेरी बेख़ुदी का अफ़साना बन गया है। हर वक़्त सताती है मुझे तेरी दिल्लग़ी- तेरी बेरुख़ी का नज़राना बन गया है। मुक्तककार-... Hindi · मुक्तक 2 461 Share MITHILESH RAI 24 Sep 2019 · 1 min read मुक्तक ख़्वाब टूटते हैं मग़र यादें रह जातीं हैं। चाहतों की दिल में फ़रियादें रह जातीं हैं। देख़तीं रहतीं हैं आँखें राहें मंज़िल की- वस्ल की भटकी हुई मुरादें रह जातीं... Hindi · मुक्तक 2 779 Share MITHILESH RAI 23 Sep 2019 · 1 min read मुक्तक कोई कहे कैसे उसको ग़म नहीं है? जो कुछ मिल गया है उसको कम नहीं है। तुम हर तरफ़ ढूँढ़ लो इलाज़े-मर्ज़ को- इस दर्द का कोई भी मरहम नहीं... Hindi · मुक्तक 1 493 Share MITHILESH RAI 23 Sep 2019 · 1 min read मुक्तक कोई कहे कैसे उसको ग़म नहीं है? जो कुछ मिल गया है उसको कम नहीं है। तुम हर तरफ़ ढूँढ़ लो इलाज़े-मर्ज़ को- इस दर्द का कोई भी मरहम नहीं... Hindi · मुक्तक 1 480 Share MITHILESH RAI 7 Sep 2019 · 1 min read मुक्तक तुझे भूलने की क़ोशिश नाक़ाम हो रही है। तेरे बग़ैर मेरी तन्हा शाम हो रही है। मैं भूल गया हूँ अपनी तमन्नाओं को मग़र- हर साँस की रवानी तेरे नाम... Hindi · मुक्तक 1 632 Share MITHILESH RAI 3 Sep 2019 · 1 min read मुक्तक कभी-कभी ख़्वाब भी सुहाना लगता है। कभी-कभी ख़्याल भी फ़साना लगता है। कभी किसी को हम सफ़र मिलता ही नहीं- कभी किसी को प्यार पुराना लगता है। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय Hindi · मुक्तक 1 403 Share MITHILESH RAI 30 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक मुझे तेरी चाहत ने सँभलने न दिया। मुझे दर्द से ख़ुद को ज़ुदा करने न दिया। आती रहती है सदा यादों की हर-पल- मुझे ज़ख़्म देकर भी कभी मरने न... Hindi · मुक्तक 1 436 Share MITHILESH RAI 23 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक मैं तेरी तस्वीर को कब तलक़ देख़ूँ? मैं दर्द की लक़ीर को कब तलक़ देख़ूँ? सिसक रहें हैं लफ़्ज़ भी मेरी ज़ुबाँ पर- मैं ज़ख़्में-तक़दीर को कब तलक़ देख़ूँ? मुक्तककार-... Hindi · मुक्तक 1 677 Share MITHILESH RAI 18 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक तुम कभी तो आओगे सबको छोड़कर। रस्मों की जंज़ीर से ख़ुद को तोड़कर। हमको मिल जाएँगीं कभी तो मंज़िलें- दर्द की राहों से रुख़ अपना मोड़कर। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय Hindi · मुक्तक 618 Share MITHILESH RAI 18 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक तुम कभी तो आओगे सबको छोड़कर। रस्मों की जंज़ीर से ख़ुद को तोड़कर। हमको मिल जाएँगीं कभी तो मंज़िलें- दर्द की राहों से रुख़ अपना मोड़कर। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय Hindi · मुक्तक 1 654 Share MITHILESH RAI 14 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक तुम पास नहीं हो लेक़िन तन्हा रात वही है। चाहत है वही यादों की बरसात वही है। हर ख़ुशी भी दूर है मेरे आशियाने से- ख़ामोशी के पल में दर्दे-हालात... Hindi · मुक्तक 2 402 Share MITHILESH RAI 5 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक आप ज़बसे ज़िन्दग़ी में मिल गये हैं। रास्ते मंज़िल के फ़िर से ख़िल गये हैं। ज़ाग़े हुए से ख़्वाब हैं निग़ाहों में- ज़ख़्म भी जिग़र के जैसे सिल गये हैं।... Hindi · मुक्तक 594 Share MITHILESH RAI 3 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक तुम मुझको ग़म देकर भी ज़ीने नहीं देते। तुम ज़ख़्म-ए-जिग़र को भी सीने नहीं देते। मैं ढूँढ़ता हूँ सब्र को पैमानों में मग़र- तुम ज़ाम को भी चैन से पीने... Hindi · मुक्तक 514 Share MITHILESH RAI 3 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक हादसे कुछ इस क़दर हो गये हैं। हम ग़में-हालात से रो गये हैं। ज़िन्दग़ी बिख़री है रेत की तरह- हम राहे-बेख़ुदी में खो गये हैं। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय Hindi · मुक्तक 815 Share MITHILESH RAI 3 Aug 2019 · 1 min read मुक्तक हादसे कुछ इस क़दर हो गये हैं। हम ग़में-हालात से रो गये हैं। ज़िन्दग़ी बिख़री है रेत की तरह- हम राहे-बेख़ुदी में खो गये हैं। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय Hindi · मुक्तक 644 Share MITHILESH RAI 31 Jul 2019 · 1 min read मुक्तक जब कभी भी तुमको देखता है कोई। बेताब रास्तों से गुज़रता है कोई। किस तरह रुकेगा निग़ाहों का तड़पना? जब हुस्न की आग़ से ज़लता है कोई। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय Hindi · मुक्तक 687 Share MITHILESH RAI 17 Jul 2019 · 1 min read मुक्तक तुम मुझको ग़म देकर भी ज़ीने नहीं देते। तुम ज़ख़्म-ए-जिग़र को भी सीने नहीं देते। मैं ढूँढ़ता हूँ सब्र को पैमानों में मग़र- तुम ज़ाम को भी चैन से पीने... Hindi · मुक्तक 698 Share MITHILESH RAI 9 Jul 2019 · 1 min read मुक्तक मेरी ज़िन्दग़ी तेरी यादों में बंट जाती है। मेरी तिश्नग़ी तेरे ख़्वाबों से लिपट जाती है। जब ख़ामोशी का मंज़र होता है तन्हाई में- तेरी तमन्ना मेरी साँसों में सिमट... Hindi · मुक्तक 580 Share MITHILESH RAI 8 Jul 2019 · 1 min read मुक्तक मैं सोचता हूँ आज़ तुमसे मुलाक़ात कर लूँ। मैं तेरी ज़ुल्फ़ों के तले अपनी रात कर लूँ। तुम तेज़ कर लो आज़ फ़िर से तीरे-नज़रों को- मैं ज़ख़्मों को सह... Hindi · मुक्तक 474 Share MITHILESH RAI 1 Jul 2019 · 1 min read मुक्तक तेरी ज़िन्दग़ी भर मुलाक़ात याद रहेगी। तेरी नज़रों की सौग़ात याद रहेगी। मुझे देख़कर शर्माती हुई तेरी अदाएँ- तेरे ख़्वाबों की हंसीं रात याद रहेगी। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय Hindi · मुक्तक 602 Share MITHILESH RAI 27 Jun 2019 · 1 min read मुक्तक कभी-कभी रिश्ते भी बेग़ाने नज़र आते हैं। कभी-कभी अपने भी अनज़ाने नज़र आते हैं। जब यादें तोड़ देतीं हैं क़िस्तों में दिलों को- उस वक़्त आदमीं को पैमाने नज़र आते... Hindi · मुक्तक 1 640 Share MITHILESH RAI 24 Jun 2019 · 1 min read मुक्तक तेरी यादों के क़दम रुकते नहीं कभी। तेरी ज़ुल्फ़ों के सितम रुकते नहीं कभी। रोशनी ज़लती है हर दम अरमानों की- तेरी चाहत के वहम रुकते नहीं कभी। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय Hindi · मुक्तक 589 Share MITHILESH RAI 9 Jun 2019 · 1 min read मुक्तक मैं शाम होते ही किधर जाता हूँ? मैं तेरे ख़्यालों से घबराता हूँ। इस क़दर ख़ौफ़ होता है यादों का- ज़ाम की महफ़िल में नज़र आता हूँ। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय Hindi · मुक्तक 552 Share MITHILESH RAI 7 Jun 2019 · 1 min read मुक्तक तेरी सूरत के अभी दिवाने बहुत से हैं। तेरी अदा के अभी अफ़साने बहुत से हैं। तस्वीरे-अंज़ाम को मिटाऊँ किस तरह? ज़ख़्मों के निशान अभी पुराने बहुत से हैं। मुक्तककार-... Hindi · मुक्तक 395 Share MITHILESH RAI 2 Jun 2019 · 1 min read मुक्तक हर शख़्स की क़हानी को नाम नहीं मिलता। हर क़ोशिश को क़ोई अंज़ाम नहीं मिलता। ठहरी हुई यादों में ज़ी लेते हैं मग़र- मंज़िल को पाने का पैग़ाम नहीं मिलता।... Hindi · मुक्तक 547 Share Page 1 Next