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18 Aug 2019 · 1 min read

मुक्तक

तुम कभी तो आओगे सबको छोड़कर।
रस्मों की जंज़ीर से ख़ुद को तोड़कर।
हमको मिल जाएँगीं कभी तो मंज़िलें-
दर्द की राहों से रुख़ अपना मोड़कर।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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