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9 Jul 2019 · 1 min read

मुक्तक

मेरी ज़िन्दग़ी तेरी यादों में बंट जाती है।
मेरी तिश्नग़ी तेरे ख़्वाबों से लिपट जाती है।
जब ख़ामोशी का मंज़र होता है तन्हाई में-
तेरी तमन्ना मेरी साँसों में सिमट जाती है।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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