करन ''केसरा'' 29 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid करन ''केसरा'' 14 May 2024 · 1 min read मैं भी अपनी नींद लुटाऊं आसमां के नीचे खाट बिछाकर सोया हूँ शून्य गहन विस्तार मुझे ताक रहा बारंबार है सोच रहा शायद क्यों ये शख़्स सोया नहीं? तो सुन ले आसमां जब सरहद पर... Poetry Writing Challenge-3 1 1 26 Share करन ''केसरा'' 10 May 2024 · 1 min read गज़ल दुनिया की बातों में न उलझा कीजिए, खुद से भी कभी प्यार किया कीजिए। भरी महफ़िल में तन्हा रहना अच्छा नहीं है, चुनिंदा दोस्तों से भी पहचान किया कीजिए। हम... Poetry Writing Challenge-3 36 Share करन ''केसरा'' 4 May 2024 · 1 min read किराये के मकानों में उम्र गुजर जाती है किराए के मकानों में अपने सिर पर छत होना बड़ी बात है। दीवारों से भरा पड़ा है शहर सारा मगर एक घर होना बड़ी बात है।... Poetry Writing Challenge-3 57 Share करन ''केसरा'' 3 May 2024 · 1 min read खालीपन मन के उदास कोने में खालीपन की छटपटाहट अपनों की भीड़ के बीच भी, अकेला कर देती है। ऐसा तब महसूस होता है जब हम खुद को पूर्ण नहीं पाते!... Poetry Writing Challenge-3 1 26 Share करन ''केसरा'' 3 May 2024 · 1 min read लोकतंत्र मैंने लोकतंत्र को छुप छुप आंसू बहाते देखा है! सिसकते देखा बिलखते देखा चिंघाड़ते-भागते देखा कराल काल बनते देखा सोते हुये भी देखा और रोते हुये भी देखा हाँ मैंने... Poetry Writing Challenge-3 1 29 Share करन ''केसरा'' 3 May 2024 · 1 min read बेटियां मेरे देश की बेटियों तुम नाजुक हो बचपन से सुनती आई हो! 2 संध्या पहले घर आने की जुल्मों को सहते आने की ऊँचे बोल नहीं करने की चीर सम्हालके... Poetry Writing Challenge-3 1 36 Share करन ''केसरा'' 3 May 2024 · 1 min read मैं घर आंगन की पंछी हूं मैं घर आंगन की पंछी हूं उड़ने की चाहत है मेरी पर पंख कतरने की आदत क्यों जालिम दुनिया है तेरी? उन्मुक्त गगन को छूना है बस यही आरजू है... Poetry Writing Challenge-3 1 38 Share करन ''केसरा'' 3 May 2024 · 1 min read गज़ल सादगी का लिबास ओढ़ते हैं गैरों की महफिल में अपनों को तो लोग, खंजर की नोक पर रखते हैं। अपना कहना और अपनों की तरह रखना,बात अलग है यहां सबके... Poetry Writing Challenge-3 1 30 Share करन ''केसरा'' 3 May 2024 · 1 min read हमारे रक्षक हम बेफिक्रे हुए सोते हैं, अपने घरों मकानों में। सैनिक गोली झेल रहे हैं, बर्फीली चट्टानों में।। प्यार मोहब्बत के किस्सों में, जब हम खोए रहते हैं। रक्त बहाकर भी... Poetry Writing Challenge-3 1 42 Share करन ''केसरा'' 3 May 2024 · 1 min read कुछ नया लिखना है आज हर क्षण, हर पल,हर दिन कुछ नयापन लेकर आता है! ठीक उसी कागज की तरह, जो एक तरफ से कोरा है। हम स्वतंत्र हैं उतारने को उस कोरे कागज पर,... Poetry Writing Challenge-3 1 41 Share करन ''केसरा'' 3 May 2024 · 2 min read भारत के राम भारत की खुशबू हैं राम जन जन की स्पंदन राम तुलसी नानक संत कबीर के शब्दों और भावों में राम। राम नहीं हैं जाति धर्म आडंबर में राम नहीं मिलते... Poetry Writing Challenge-3 1 31 Share करन ''केसरा'' 3 May 2024 · 1 min read आज़ादी के दीवानों ने आजादी के दीवानों ने सुलगाई जो चिनगारी। ज्वाला बनकर टूट पड़ी थी अंग्रेजों पर अति भारी।।_२ यह ज्वाला झांसी में प्रगटी, रणचंडी बन कूद पड़ी। सांस चली थी जब तक... Poetry Writing Challenge-3 1 29 Share करन ''केसरा'' 3 May 2024 · 1 min read चार लोग क्या कहेंगे? अक्सर लोग सोचते हैं, कि यदि ऐसा करेंगे तो चार लोग क्या कहेंगे? वैसा करेंगे तो चार लोग क्या कहेंगे? और यदि ऐसा_वैसा नहीं भी करेंगे, तो फिर चार लोग... Poetry Writing Challenge-3 1 37 Share करन ''केसरा'' 16 Apr 2024 · 2 min read भारत के राम भारत की खुशबू हैं राम जन जन की स्पंदन राम तुलसी नानक संत कबीर के शब्दों और भावों में राम। राम नहीं हैं जाति धर्म आडंबर में राम नहीं मिलते... Hindi · कविता · ग़ज़ल/गीतिका · गीत · गीतिका · मुक्तक 46 Share करन ''केसरा'' 24 Mar 2024 · 1 min read उम्र गुजर जाती है किराए के मकानों में उम्र गुजर जाती है किराए के मकानों में अपने सिर पर छत होना बड़ी बात है। दीवारों से भरा पड़ा है शहर सारा मगर एक घर होना बड़ी बात है।... Quote Writer 49 Share करन ''केसरा'' 26 Jan 2024 · 1 min read आज़ादी के दीवाने आजादी के दीवानों ने सुलगाई जो चिनगारी। ज्वाला बनकर टूट पड़ी थी अंग्रेजों पर अति भारी।।_२ यह ज्वाला झांसी में प्रगटी, रणचंडी बन कूद पड़ी। सांस चली थी जब तक... Hindi · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 1 129 Share करन ''केसरा'' 3 Jan 2024 · 1 min read अक्सर लोग सोचते हैं, अक्सर लोग सोचते हैं, कि यदि ऐसा करेंगे तो चार लोग क्या कहेंगे? वैसा करेंगे तो चार लोग क्या कहेंगे? और यदि ऐसा_वैसा नहीं भी करेंगे, तो फिर चार लोग... Quote Writer 189 Share करन ''केसरा'' 30 Dec 2023 · 2 min read मेरी #आज_सुबह_की_कमाई ....😊 मेरी #आज_सुबह_की_कमाई ....😊 कविता को उचित शीर्षक देने का श्रम करें।🙏🙏 हर क्षण, हर पल,हर दिन कुछ नयापन लेकर आता है! ठीक उसी कागज की तरह, जो एक तरफ से... 1 68 Share करन ''केसरा'' 29 Dec 2023 · 1 min read खालीपन मन के उदास कोने में खालीपन की छटपटाहट अपनों की भीड़ के बीच भी, अकेला कर देती है। ऐसा तब महसूस होता है जब हम खुद को पूर्ण नहीं पाते!... Hindi · कविता · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · गीत · मुक्तक 2 202 Share करन ''केसरा'' 1 Nov 2023 · 1 min read ~ हमारे रक्षक~ ~ हमारे रक्षक~ हम बेफिक्रे हुए सोते हैं, अपने घरों मकानों में। सैनिक गोली झेल रहे हैं, बर्फीली चट्टानों में।। प्यार मोहब्बत के किस्सों में, जब हम खोए रहते हैं।... Quote Writer 3 176 Share करन ''केसरा'' 24 Oct 2023 · 1 min read दुनिया की बातों में न उलझा कीजिए, दुनिया की बातों में न उलझा कीजिए, खुद से भी कभी प्यार किया कीजिए। भरी महफ़िल में तन्हा रहना अच्छा नहीं है, चुनिंदा दोस्तों से भी पहचान किया कीजिए। हम... Quote Writer 1 184 Share करन ''केसरा'' 3 Apr 2023 · 1 min read जिसकी जुस्तजू थी,वो करीब आने लगे हैं। जिसकी जुस्तजू थी,वो करीब आने लगे हैं। छुपी हुई चाहत को जताने में जमाने लगे हैं। यह तरन्नुम आपकी मौजूदगी का असर है। आपको देखते ही हम गुनगुनाने लगे हैं।... Quote Writer 1 226 Share करन ''केसरा'' 17 Mar 2023 · 1 min read सिसकता लोकतंत्र मैंने लोकतंत्र को छुप छुप आंसू बहाते देखा है! सिसकते देखा बिलखते देखा चिंघाड़ते-भागते देखा कराल काल बनते देखा सोते हुये भी देखा और रोते हुये भी देखा हाँ मैंने... Hindi · कविता · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · मुक्तक · हास्य-व्यंग्य 1 139 Share करन ''केसरा'' 13 Feb 2023 · 1 min read इन वादियों में फिज़ा फिर लौटकर आएगी, इन वादियों में फिज़ा फिर लौटकर आएगी, फूलों में खुशबू फिर अपनी महक फैलाएगी। आज ये रंग गर बेरंग हो गए तो क्या हुआ, वही पुरानी दुनिया फिर अपना रंग... Quote Writer 1 161 Share करन ''केसरा'' 12 Feb 2023 · 1 min read गज़ल गज़ल सादगी का लिबास ओढ़ते हैं गैरों की महफिल में अपनों को तो लोग, खंजर की नोक पर रखते हैं। अपना कहना और अपनों की तरह रखना,बात अलग है यहां... Quote Writer 435 Share करन ''केसरा'' 12 Feb 2023 · 1 min read गज़ल सादगी का लिबास ओढ़ते हैं गैरों की महफिल में अपनों को तो लोग, खंजर की नोक पर रखते हैं। अपना कहना और अपनों की तरह रखना,बात अलग है यहां सबके... Hindi · ग़ज़ल 1 135 Share करन ''केसरा'' 12 Feb 2023 · 1 min read इक अजीब सी उलझन है सीने में इक अजीब सी उलझन है सीने में ये मैं ही हूं या कोई और है आइने में जैसा दिखाना चाहता हूं खुद को औरों में आखिर दिखा क्यों नहीं पाता? Quote Writer 143 Share करन ''केसरा'' 5 Jan 2020 · 1 min read मैं घर आँगन की पंछी हूं मैं घर आंगन की पंछी हूं उड़ने की चाहत है मेरी पर पंख कतरने की आदत क्यों जालिम दुनिया है तेरी? उन्मुक्त गगन को छूना है बस यही आरजू है... Hindi · कविता 3 1 640 Share करन ''केसरा'' 20 Jan 2017 · 1 min read मेरे देश की बेटियों मेरे देश की बेटियों तुम नाजुक हो बचपन से सुनती आई हो! 2 संध्या पहले घर आने की जुल्मों को सहते आने की ऊँचे बोल नहीं करने की चीर सम्हालके... Hindi · कविता 2 334 Share