ख़्वाहिशें अपनी-अपनी, मंज़िलें अपनी-अपनी--
ज़िंदगी अपनी-अपनी, दास्ताँ अपनी-अपनी, ख़्वाहिशें अपनी-अपनी, मंज़िलें अपनी-अपनी। ज़ुस्तज़ू अपनी-अपनी, उल्फ़तें अपनी-अपनी, तन्हाइयाँ अपनी-अपनी, राहतें अपनी-अपनी। दिन भर भीड़ में रहना, रोज़ शबे-हिज़्र सहना नींदें चीख-चीखकर, तोड़ते रहती सपना। कभी...