रिपुदमन झा "पिनाकी" Language: Hindi 33 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid रिपुदमन झा "पिनाकी" 10 Jun 2023 · 1 min read वो लड़की वो लड़की सबकुछ सहती है पर मुँह से उफ्फ नहीं करती है कुछ मीठे सपने लेकर के आई अपने साजन के घर और साथ सुहाने सपने के वो लगी सजाने... Poetry Writing Challenge 106 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 10 Jun 2023 · 1 min read उलझन उलझन में अपने शख्स वो उलझा हुआ होगा। ग़म के भंवर में किस क़दर डूबा हुआ होगा। यूं ही नहीं करता कोई इस तरह खुदकुशी- हद तक दिलो-दिमाग से टूटा... Poetry Writing Challenge 98 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 10 Jun 2023 · 1 min read श्री राम आए हैं सुमंगल दिन, घड़ी स्वर्णिम प्रभु श्रीराम आए हैं। मनाओ हर तरफ उत्सव प्रभु श्रीराम आए हैं। शशि सा मुख सजीला है मधुर मोहक है किलकारी मगन दशरथ कौशल्या हैं छवि... Poetry Writing Challenge 102 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 10 Jun 2023 · 1 min read कमाई और ख़र्चे महीने भर कमा कर जो रुपैया हाथ आता है। उसे पाकर परेशानी, थकन मन भूल जाता है। ख़ुशी बस आठ दिन रहती है अपनी ज़िंदगानी में- सिसकता बीस दिन फिर... Poetry Writing Challenge 111 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 10 Jun 2023 · 1 min read मजबूरियाँ कितनी बेबस होती है मजबूरियाँ। टूट कर रोती हैं जिसमें सिसकियाँ। रोज़ी रोटी के लिए अपने सगों से- झेलनी पड़ती है अक्सर दूरियाँ। हैं सभी को खींचती लाचारियाँ। कौन सहना... Poetry Writing Challenge 81 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 9 Jun 2023 · 1 min read गर्मी बरसती आग है शोले गिरा रही गर्मी। चढ़ा कर त्यौरियाँ आँखें दिखा रही गर्मी। चढ़ा तेवर भला क्यों है नहीं कोई भी जाने, सभी को हद से ज्यादा क्यों सता... Poetry Writing Challenge 169 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 4 Jun 2023 · 1 min read शुभकामना सकल कुटुम्ब रहे सुख से यही ईश्वर से नित प्रार्थना करते। दुःख की धूप पड़े न कभी किसी पर मन से यही कामना करते।। घर धन धान्य से पूर्ण रहे... Poetry Writing Challenge 53 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 4 Jun 2023 · 1 min read छोटा सा शहर बसता है बहुत मशहूर हूँ फिर भी ये दिल तरसता है, मेरा अपना ही ग़म है जो मुझपे हँसता है। है चकाचौंध बहुत शोर है रफ्तार भी है- मेरे भीतर मेरा छोटा... Poetry Writing Challenge 1 95 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 4 Jun 2023 · 1 min read तनख्वाह पूरे माह बदन को, तोड़ के कमाता हूँ तो, हाथ मेरे एक मुट्ठी, तनख्वाह आती है। छोटी सी कमाई देख, मन खिल उठता है, आँखों में ख़ुशी की नई चमक... Poetry Writing Challenge 1 137 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 18 May 2023 · 1 min read ज़माने का चलन सदा चाहा भला सबका, नहीं चाही बुराई है। इसी इक बात ने मेरी, फजीहत भी कराई है। सबक़ सिखला दिया मुझको, समय ने और लोगों ने - जियूंगा मतलबी होकर,... Poetry Writing Challenge 196 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 18 May 2023 · 1 min read टीवी की दास्तान सुबह-सुबह टीवी खुलते ही एक मधुर धुन सुनते थे। वंदेमातरम की धुन सुनकर हम नींदों से जगते थे।। श्वेत श्याम पर्दे पर हर रंगीन कहानी सजती थी। चित्रहार रंगोली से... Poetry Writing Challenge 167 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 18 May 2023 · 1 min read मन का राजा मैं अपने मन का राजा हूँ, अपने मन की ही करता हूँ। खुल कर जीता हूँ जीवन मैं, नहीं यार किसी से डरता हूँ। अपने ही मन की सुनता हूँ,... Poetry Writing Challenge 279 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 18 May 2023 · 1 min read जीवन यह जीवन बहुरूपिया, नित नित बदले रूप। कभी छांव शीतल सुखद, कभी जलाती धूप।। जीवन एक संघर्ष है, लड़ना जग की रीत। करे सामना जो यहां, वो जग को ले... Poetry Writing Challenge 95 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 18 May 2023 · 1 min read ज़िन्दगी से खिलवाड़ यातायात नियम उल्लंघन कर चलते हैं सड़कों पर मुसीबतों को क्यों दावत दे कर चलते हैं सड़कों पर। दो लोगों की जगह है होती बैठे हैं छः लोग मगर सोचो... Poetry Writing Challenge 126 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 18 May 2023 · 1 min read ज़िन्दगी से सौदा ज़िंदगी आओ ज़रा सा तुझसे सौदा करना है। जीना है मुझको अभी रंग ज़िंदगी में भरना है।। थक गया मैं भाग कर थोड़ा सुकूं अब चाहिए। सो सकूं कुछ पल... Poetry Writing Challenge 189 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 18 May 2023 · 1 min read एकतरफा ईश्क़ दिन याद है वो जब तेरा दीदार हुआ था। बस देखते ही मुझको तुमसे प्यार हुआ था। तुमने नज़र झुका लिए थे मिलते ही नज़र- बोले बिना ही ईश्क का... Poetry Writing Challenge 210 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 18 May 2023 · 1 min read पिता दिन-रात एक करके पिता करता कमाई। बच्चों के लिए ख़ुद की भी तकलीफ़ भुलाई। करता है त्याग और तपस्या वो हर क़दम- लेकिन पिता ने मान कहांँ मांँओं सी पाई।... Poetry Writing Challenge 126 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 18 May 2023 · 1 min read ज़िन्दगी की मसरूफ़ियत अजी अपने ही आलम में मगन सब लोग रहते हैं। बहुत हैं व्यस्त जीवन में यही सब लोग कहते हैं। नहीं फुर्सत किसी को भी यहां मिलने मिलाने की- न... Poetry Writing Challenge 110 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 18 May 2023 · 1 min read विश्वासघात हम भोले मानव न समझे इतनी सी एक बात। जिन पर हो विश्वास वही करते हैं विष आघात।। चेहरे पर मुस्कान लिए सब लोग यहांँ मिलते हैं। मीठी-मीठी बातों से... Poetry Writing Challenge 93 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 18 May 2023 · 1 min read लेखनी गढ़ती हूंँ दिन रात स्वयं को तब कुछ चित्र उकरता है। जीवन के उजले काग़ज़ पर फिर कुछ शब्द उभरता देती हूँ नित धार बदन को करती हूंँ तन मन... Poetry Writing Challenge 71 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 18 May 2023 · 1 min read एहसान एहसानमंद को न कर्ज़दार बनाओ। उसकी नज़र में उसको न लाचार बनाओ। ज़िंदा रहे ज़मीर और इज़्ज़त रहे क़ायम- दोनों के दरमियांँ नहीं दीवार बनाओ। एहसान करके खुद से एहसान... Poetry Writing Challenge 247 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 18 May 2023 · 1 min read नौकरी का मज़ा अजी नौकरी का भी अपना मज़ा है। जहां अपनी चलती नही कुछ रज़ा है। हुकम हाकिमों का बजाते रहो बस- यहांँ ज़िन्दगी हर घड़ी इक क़ज़ा है। दवाबों तनावों की... Poetry Writing Challenge 168 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 18 May 2023 · 1 min read ज़िन्दगी अजीब शय है ये ज़िन्दगी भी, किसी भी सूरत बसर नहीं है। उलझ गए यूँ ज़रूरतों में, ख़ुदी को ख़ुद की ख़बर नहीं है। तलाश में एक पल सुकूँ की... Poetry Writing Challenge 138 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 18 May 2023 · 1 min read मैं क्या करूँ उसके लिए रो कर जो किस्मत में नहीं। और किस्मत से जियादा पाना हसरत में नहीं। मैं बना पाऊँ दिलों में एक छोटी सी जगह, नाम इज्ज़त से... Poetry Writing Challenge 212 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 17 May 2023 · 1 min read पुत्र एवं जननी पुत्र बिना जननी है अधूरी, जननी बिन है पुत्र अनाथ। दोनों पूरक एक - दूजे के, चलता जग दोनों के साथ।। लोगों से परिवार की शोभा, शोभित होते सभी समाज।... Poetry Writing Challenge 217 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 22 Apr 2022 · 1 min read पिता दिन-रात एक करके पिता करता कमाई। बच्चों के लिए ख़ुद की भी तकलीफ़ भुलाई। करता है त्याग और तपस्या वो हर क़दम- लेकिन पिता ने मान कहांँ मांँओं सी पाई।... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · मुक्तक 6 4 328 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 7 Jul 2021 · 1 min read रहें सलामत वो ठाने रहते हैं सदा अपनों से अदावत वो। ढाते हैं सब पे सितम बनके इक क़यामत वो। लिहाज़ है ही नहीं उनको बड़े छोटे का- हर घड़ी ढूंढते हैं मौका... Hindi · मुक्तक 2 265 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 27 May 2021 · 1 min read बरसात बरसी है पहले भी कई बार ये बरसात बरसी है जज़्बात भरी पहली ये बरसात बरसी है। जलता है बदन पानी की ठंडी फुहार से लगता है अबके आग की बरसात बरसी... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 3 397 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 2 Feb 2021 · 1 min read पहला ख़त प्यार का पहला ख़त लिक्खा है ख़त में ये इज़हार किया। मुझको तुमसे प्यार हुआ है ख़त में ये इक़रार किया।। ख़त पढ़ कर नाराज़ न होना तुमसे यही गुज़ारिश... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 43 402 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 25 Dec 2020 · 1 min read कोरोना माई भक्तों की दुनिया में लोगों एक नई माता आई। सभी जनों के संकट हरने प्रकट हुई है सुखदाई। छुटकारा देने आई है कोरोना महामारी से - भक्तों ने ही नाम... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 8 25 526 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 18 Jul 2019 · 1 min read मेरा क्या कसूर क्या कसूर मेरा जो मुझसे इतनी नफ़रत करती हो बेटी हूं मैं.. इसीलिए क्या नहीं मोहब्बत करती हो। मुझको भी तो नौ महीने ही अपने कोख में पाला था अपने... Hindi · कविता 1 1 383 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 9 Dec 2018 · 1 min read मीठे मीठे पल लौट के फिर न आने वाले बीत गए जो कल बचपन के दिन प्यारे-प्यारे वो मीठे-मीठे पल। भागना फिरना यारों के संग खेलना गलियों में धमाचौकड़ी उधम मचाना मस्ती रंगरलियों... Hindi · कविता 426 Share रिपुदमन झा "पिनाकी" 18 Nov 2018 · 1 min read मां ये शब्द है छोटा सा लेकिन इसमें ममता का सागर है करुणा और प्रेम से भरा हुआ मां के मन का गागर है। संपूर्ण जगत की जननी है कल्याणी विपदा... Hindi · कविता 4 7 274 Share