Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 May 2023 · 1 min read

ज़िन्दगी से खिलवाड़

यातायात नियम उल्लंघन कर चलते हैं सड़कों पर
मुसीबतों को क्यों दावत दे कर चलते हैं सड़कों पर।

दो लोगों की जगह है होती बैठे हैं छः लोग मगर
सोचो कोई बड़ा हादसा हो जाता है साथ अगर
कौन भला दोषी होगा ये लोग या फिर इनका भगवान
जिसमें दुर्घटना संभव है चलते हैं क्यों वही डगर
खेल तमाशा कितने करतब कर चलते हैं सड़कों पर
यातायात नियम उल्लंघन कर चलते हैं सड़कों पर।

एक सवारी के बदले अनगिनत सवारी चलते हैं
अपने सर तलवार मौत की ले दो धारी चलते हैं
सर पर नहीं हेलमेट किसी के और न कोई सुरक्षा है
सड़क सुरक्षा के नियमों को ताक पे रखकर चलते हैं
जाने क्यों रख जान हथेली पर चलते हैं सड़कों पर
यातायात नियम उल्लंघन कर चलते हैं सड़कों पर।

करते हैं खिलवाड़ जिंदगी से यह नहीं समझते हैं
एक साथ में कई ज़िन्दगी ये ख़तरे में रखते हैं
होगा जब भी कोई हादसा दोष मढ़ेंगे औरों पर
पर अपनी परवाह कभी भी स्वयं नहीं ये करते हैं
ये कानून की हंसी उड़ा कर चलते हैं सड़कों पर
यातायात नियम उल्लंघन कर चलते हैं सड़कों पर।

रिपुदमन झा “पिनाकी”
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

Language: Hindi
124 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Bundeli Doha pratiyogita 142
Bundeli Doha pratiyogita 142
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
अमृतकलश
अमृतकलश
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
हमने तुमको दिल दिया...
हमने तुमको दिल दिया...
डॉ.सीमा अग्रवाल
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
नदी की बूंद
नदी की बूंद
Sanjay ' शून्य'
कुछ लोग बात तो बहुत अच्छे कर लेते हैं, पर उनकी बातों में विश
कुछ लोग बात तो बहुत अच्छे कर लेते हैं, पर उनकी बातों में विश
जय लगन कुमार हैप्पी
गया दौरे-जवानी गया गया तो गया
गया दौरे-जवानी गया गया तो गया
shabina. Naaz
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet Kumar Shukla
" नई चढ़ाई चढ़ना है "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
■ चुनावी_मुद्दा
■ चुनावी_मुद्दा
*Author प्रणय प्रभात*
सुख दुःख
सुख दुःख
विजय कुमार अग्रवाल
जिसनै खोया होगा
जिसनै खोया होगा
MSW Sunil SainiCENA
Just try
Just try
पूर्वार्थ
वो किताब अब भी जिन्दा है।
वो किताब अब भी जिन्दा है।
दुर्गा प्रसाद नाग
स्वयं को स्वयं पर
स्वयं को स्वयं पर
Dr fauzia Naseem shad
3191.*पूर्णिका*
3191.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
#दुर्दिन_हैं_सन्निकट_तुम्हारे
#दुर्दिन_हैं_सन्निकट_तुम्हारे
संजीव शुक्ल 'सचिन'
"व्यवहार"
Dr. Kishan tandon kranti
ऐ ज़िन्दगी ..
ऐ ज़िन्दगी ..
Dr. Seema Varma
राहें भी होगी यूं ही,
राहें भी होगी यूं ही,
Satish Srijan
सत्य से सबका परिचय कराएं, आओ कुछ ऐसा करें
सत्य से सबका परिचय कराएं, आओ कुछ ऐसा करें
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
“गुरु और शिष्य”
“गुरु और शिष्य”
DrLakshman Jha Parimal
सतरंगी आभा दिखे, धरती से आकाश
सतरंगी आभा दिखे, धरती से आकाश
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मेल
मेल
Lalit Singh thakur
मैं तो महज प्रेमिका हूँ
मैं तो महज प्रेमिका हूँ
VINOD CHAUHAN
गौरेया (ताटंक छन्द)
गौरेया (ताटंक छन्द)
नाथ सोनांचली
अंतिम एहसास
अंतिम एहसास
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
उसे खो देने का डर रोज डराता था,
उसे खो देने का डर रोज डराता था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जय शिव शंकर ।
जय शिव शंकर ।
Anil Mishra Prahari
Loading...