Tag: ग़ज़ल/गीतिका
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मैं जब भी चाहूं मैं आज़ाद हो जाऊंगा ये सच है।
Kumar Kalhans
खो गया हूँ मैं ख्यालों के जहां में।
Kumar Kalhans
सीधी सादी राह न चलते खुद को हम उलझाते हैं।
Kumar Kalhans
दर्द को आंसूं बना कर देख लो।
Kumar Kalhans
देख ली है जिंदगी है इक कहानी देख ली।
Kumar Kalhans
ज़हर देकर जो मुस्काए उसे सरकार कहते हैं।
Kumar Kalhans
गुनगुनाता है कोई।
Kumar Kalhans
दीपक।
Kumar Kalhans
एक चेहरे से कई चेहरे बनाने का हुनर।
Kumar Kalhans
निर्ममता का नाम जगत है।
Kumar Kalhans
क्यों बदलना है जरूरी यह बता दो।
Kumar Kalhans
संग मेला कोई नहीं लाया।
Kumar Kalhans
जब जब लगा मुझे वह भोला।
Kumar Kalhans
खुद ही पीना सीख गए।
Kumar Kalhans
मैं जब भी चाहूंगा आज़ाद हो जाऊंगा ये सच है।
Kumar Kalhans
मैं लेकर सब्र का इतिहास बैठा हूँ।
Kumar Kalhans
आप हर जगह हों सरकार जरूरी तो नहीं।
Kumar Kalhans
खुशी तो आयी टुकड़े टुकडे , गम पर हरपल पास रहा।
Kumar Kalhans
जरा अदब से मुझसे मिला करो।
Kumar Kalhans
लोग कहते हैं बहुत बुरा हूँ मैं।
Kumar Kalhans
वो इक पूजनीय हैं।
Kumar Kalhans
आएगा एक दिन क़ज़ा बनकर।
Kumar Kalhans
तब्दील होकर बन गया यह बाज़ क्यों है।
Kumar Kalhans
इक अदद बेटे की ख़्वाहिश में बेचारी कोख को।
Kumar Kalhans
कितने ग़मगीन हैं जमाने में।
Kumar Kalhans
जाने क्यों उससे ही अदावत थी।
Kumar Kalhans
मयखाने में जाकर बैठे खुद ही पीना सीख गए।
Kumar Kalhans