शेख़ जाफ़र खान Tag: कविता 20 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid शेख़ जाफ़र खान 13 Jun 2022 · 1 min read बेचारी ये जनता बेचारी ये जनता ---------००------- गौतम गांधी के आंगना में बिन नुपुर नाचे अराजकता , अराजकता के चक्रवात में जनमन रोपित वैमनस्यता। खून खराबा फसाद ये दंगे दिन रात क्षरण हो... Hindi · कविता 8 15 693 Share शेख़ जाफ़र खान 12 May 2022 · 1 min read श्रम पिता का समाया श्रम पिता का समाया -----------००---------- बाप के किरदार में देवता नजर आया रात तमाम काट के पंखा सेज हिलाया। उम्र भर लड़ता रहा गर्दिशो की आंधी से अश्रु पी लिए... Hindi · कविता 14 16 756 Share शेख़ जाफ़र खान 28 Apr 2022 · 1 min read रोटी संग मरते देखा रोटी संग मरते देखा ---------०------०------- बरसों बाद कल परसों देखा रोता मुख हंसता मुखड़ा देखा। जगत विपता चढ़ी शिखर नभ नगाड़े बजते घोर प्राण पवन में घुला जहर देव को... Hindi · कविता 11 6 642 Share शेख़ जाफ़र खान 8 Sep 2020 · 1 min read सच में ताला सारे जग में मचा है हल्ला गांव नगर के बंद मोहल्ला पंडित पूजे न मनाएं मुल्ला घूमें नहीं कोई खुल्लमखुल्ला पेट की फिकर पहाड़ बड़ी , संकट की घड़ी माथे... Hindi · कविता 10 14 460 Share शेख़ जाफ़र खान 24 Aug 2020 · 1 min read मजबूर ! मजदूर उतरती है बंदिशें मैं ही पिसता हूं मजबूर ! मजदूर उस सीमा से आता हूं । टूटकर बिखरता नहीं नीड़ को लौटता तिनकों को जोड़ने , उम्मीद का दीप जलाएं... Hindi · कविता 9 10 716 Share शेख़ जाफ़र खान 17 Aug 2020 · 1 min read बदल जायेगा मुक्तक कल कुछ काम करेगा भरोसा था मुझे , ज़िन्दगी नाम करेगा दिलासा था मुझे । पता नहीं था की तू भी बदल जायेगा , बेसुमार दुआओं से नवाजा था... Hindi · कविता 9 6 793 Share शेख़ जाफ़र खान 2 Aug 2020 · 1 min read सावन ही जाने कविता ------------------ ननद के बहाने सासू के ताने विरहन की पीर कोई क्या जाने । बाबुल का आंगन मन भाए सावन माता की प्रीत मिलें वहीं जाने । बाग में... Hindi · कविता 5 12 793 Share शेख़ जाफ़र खान 22 Jul 2020 · 1 min read राम घोष गूंजें नभ में राग -द्वेष की न बात हो अपनों से नहीं घात हो राम घोष गूंजें नभ में और अवनि में अंजान हो। मुल्क में अमन का वास हो साथी सबका... Hindi · कविता 10 12 621 Share शेख़ जाफ़र खान 20 Jul 2020 · 1 min read गिरधर तुम आओ गिरधर तुम आओ ------------: :-------------- ज़ुल्म हो रहा है, सितम हो रहा है सड़क पर सुता का ,हरण हो रहा है । बेटी हो अपनी , अगर हो पराई समझों... Hindi · कविता 12 9 996 Share शेख़ जाफ़र खान 22 Sep 2019 · 1 min read घनाक्षरी छंद वो बुतकशी में रोता, होंठों पे बेवसीहैं , खुशियों का शामियाना,दौर मुफलिसी हैं । दूर जाती हैं मंजिल ,राहें कठिन बड़ी है , तमाशा दिखाएं बंदा , फिर भी बंदगी... Hindi · कविता 8 4 498 Share शेख़ जाफ़र खान 9 Nov 2018 · 1 min read गाँव से शहर पूरब की धरा में पल्वित , पश्चिम का पनपा ये कन्द । गाँव से शहर तक पसरा , मान मर्यादा कर रहा मन्द । प्राचीन प्रथा बिसरा रहा , कागा... Hindi · कविता 7 6 586 Share शेख़ जाफ़र खान 8 Nov 2018 · 1 min read नया उजयारा जले दीप जल जाय हिन्द के दुश्मन दंश , नेह प्रीत का बंधन आँगन ओटा मिले । प्रेम जोत तेरी फैले भारत मन मंदिर , विषधर सीमा बैठे खोजत नहि... Hindi · कविता 9 12 357 Share शेख़ जाफ़र खान 3 Sep 2018 · 1 min read वाक्य से पोथी पढ़ शिशु की अंगुलि थामे , पिता शाला लाएं । हिय के बसत दुलारे , गुरु पग छाड़ि आएं ।। कर जोड़ कर कि नमन , तुम ही ज्ञान दाता। बनाना... Hindi · कविता 9 5 1k Share शेख़ जाफ़र खान 8 Aug 2018 · 1 min read प्रीत पगे पावन बंधन उमड़ आएं कारे बदरा दामिनी चमक जात , बरसत धरा पे मेघा मानहुं अम्बर फट जात । व्याकुल विहग वृंद विभोर होत प्रणय गीत गात , आधीर अवनि को बूंदे... Hindi · कविता 6 4 511 Share शेख़ जाफ़र खान 23 Jul 2018 · 1 min read सपने हो गये चकनाचूर |कविता ! पहले म्हारै गाँव पधारे कहते जी हजूर । कर जोड़कर की वंदगी जिताना हमें जरूर ।। जीते जी सेवा करूँगा वादे सारे है मंजूर । प्रण लेता हूँ... Hindi · कविता 4 4 547 Share शेख़ जाफ़र खान 10 Jul 2018 · 1 min read आओ अब यशोदा के नन्द [आओ अब यशोदा के नन्द ] पूरब की धरा में पल्लवित , पश्चिम का पनपा ये कन्द । नगरों से गाँव तक पसरा , मान -मर्यादा कर रहा मन्द ।... Hindi · कविता 4 1 509 Share शेख़ जाफ़र खान 24 Jun 2018 · 1 min read नागफनी बो रहे लोग नागफनी बो रहे लोग =============== नई सुबह के नव सपने संजो रहे लोग , गुलाब की जगह नागफनी बो रहे लोग। पश्चिमी फिजाओ का छाया क्या नशा , बिन मद्यपान... Hindi · कविता 7 4 1k Share शेख़ जाफ़र खान 18 Jun 2018 · 1 min read खमोशी है जिसका गहना खमोशी है जिसका गहना सदा शांत और सीधे चलना वसुधा का हम सबसे कहना वरबादी है नव कुछ करना । कहते कल्प सब फलों- फूलों अवनि की बाँहो में नित... Hindi · कविता 5 2 619 Share शेख़ जाफ़र खान 7 Jun 2018 · 1 min read कविता सूखी नदी ======= सूखी नदी के किनारों ने पूछा ? सखी ! तुम क्यों सूख रही हो । प्रश्न सुन व्याकुल हो गई , जी भर रोई ! नीर गिरे... Hindi · कविता 4 2 619 Share शेख़ जाफ़र खान 2 Jun 2018 · 1 min read साथ चलेगे रंग उडे़ उमंगे रीती दुनियां की कैसी प्रीती, हम दोनो साथ चलेगे वह मौसम कब आयेगा । यूं तो जीवन बीत रहा धूप-छाँव शाम ए राते , बिन बुलाए आती-जाती... Hindi · कविता 5 3 401 Share