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29 Jul 2020 09:27 PM

अन्याय की बुनियाद पर हो रहा मंदिर का निर्माण. माननीय सर्वोच्च न्यायालय का फैसला विरोधाभास से भरा है. वह बहुसंख्यकों के भय से दिया गया फैसला है क्योंकि देश के मौजूदा एक सशक्त नेता ने सबरीमाला के फैसले के दौरान लगभग धमकी भरे शब्दों में कहा था कि अदालतें ऐसे फैसले न दें जिन्हें लागू न किया जा सके. शहीद की गई बाबरी मस्जिद पर फैसला उसी धमकी का नतीजा है. मैं घर पर ही राम की अराधना करूंगा इस मंदिर में कभी नहीं जाऊंगा क्योंकि भगवान राम ने अपने छोटे भाई से कहा था-‘निर्मल मन जन सो मोहे पावा, मोहि कपट छल क्षुद्र न भावा.’ अर्थात ‘निर्मल मन के लोग ही मुङो पसंद हैं. मुङो छलकपट और क्षुद्रता पसंद नहीं है.’

आदरणीय को नमस्कार ।
रचना को स्नेह मिलता रहे । हृदय से आभार ।

सकारात्मक भावों युक्त सुंदर प्रस्तुति।

धन्यवाद !

आदरणीय को धन्यवाद ,आपका स्नेह मिलता रहे ।

23 Jul 2020 08:13 AM

सकारात्मक प्रस्तुति ।
धन्यवाद!

श्रेद्धय को नमन ।

आपको सादर अभिवादन। बहुत सुंदर।

गुरुदेव प्रणाम , प्रोत्साहन के ह्रदय से धन्यवाद ।

अति सुरम्य एवं सौहार्दपूर्ण पंक्तियाँ आदरणीय!

परम आदरणीय का ह्रदय से आभार ।

Vr nice sir

आदरणीय का ह्रदय से आभार ।

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