Ravi Ranjan Goswami Language: Hindi 51 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Ravi Ranjan Goswami 10 Jun 2023 · 1 min read वक्त वक्त को मोहलत तो दे दूँ क्या वक्त मुझे मोहलत देगा ? वक्त हर जख्म भर देता है । वक्त सबका साथ कहाँ देता है ! वक्त से उम्मीदें तो... Poetry Writing Challenge 1 78 Share Ravi Ranjan Goswami 5 Nov 2018 · 1 min read माँ माँ ,हमारी सारी बलाएँ, अपने सर लेती है । वो माँ है, सब कुछ , हम पर वार देती है । उसका कर्ज हम क्या चुकायेंगे ! इतना करें उसके... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 29 469 Share Ravi Ranjan Goswami 25 Sep 2018 · 1 min read पायल की आवाज , आत्म स्वीकृति मैं जानता हूँ आपमें से बहुत से लोग आश्चर्य करेंगे एक अर्से के बाद मैंने पायल की आवाज़ सुनी । इतनी मीठी और रूमानी आवाज मानो मुझे चेतना के कोई... Hindi · लघु कथा 443 Share Ravi Ranjan Goswami 11 Apr 2018 · 1 min read मयख्वारी शीशे से भरा नस नस में उठकर अब न चला जाये। कोई सहारा देकर उठाये मुझे, खुद से अब न उठा जाये। अक्सर सोचा है मैंने मय पिये, कि पीना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 463 Share Ravi Ranjan Goswami 7 Apr 2018 · 2 min read शराबी उसे अब भी समझ नहीं आता। पियेगा नहीं तो कैसे वक़्त गुजारेगा।सुबह से शाम कैसे होगी।रात को क्या करेगा। उसे ये भी समझ में नहीं आता कि आजकल लोग उससे... Hindi · कहानी 493 Share Ravi Ranjan Goswami 24 Feb 2018 · 8 min read रेल की चौकी सुधीर ,अरविन्द ,गीता और रवि पूरी शाम खेलने के बाद पंडित जी के चबूतरे पर पैर लटकाये बैठे थे। चारों की उम्र १२ से ८ वर्षों के बीच थी। इन... Hindi · कहानी 279 Share Ravi Ranjan Goswami 21 Dec 2017 · 1 min read जाड़े की धूप जाड़े की धूप जाड़े की धूप का आश्वासन और गर्मजोशी ,किसको नहीं भाती। किन्तु शर्माती है ,जाड़े की धूप ,और जल्दी चली जाती है.छोड़ कर ठिठुरन। उद्दंड हुए बादल ,... Hindi · लेख 237 Share Ravi Ranjan Goswami 6 Sep 2017 · 1 min read कान्हा कान्हा कहाँ है गुल ? फिर सुदामा से मिल । जीवन संग्राम , अर्जुन सा लड़ूँगा , फिर सारथी बन के मिल। करुंगा मन की बातें, फिर दोस्त बन के... Hindi · कविता 1 268 Share Ravi Ranjan Goswami 29 Aug 2017 · 1 min read प्रार्थना तू किस किस की सुनेगा, बड़ी मुश्किल में होगा । पर तेरे सिवा कौन , मेरी भी अर्ज सुनेगा। सब तुझसे मांग लेते है, मैं क्यों संकोच करूँ ! ये... Hindi · गीत 1 667 Share Ravi Ranjan Goswami 22 Aug 2017 · 1 min read खुशी वो खुशी देता है अपने मन की, मैं खुशी दूँगा उसे उसके मन की । खुश तो होता हूँ फिर डर जाता हूँ , खुशी बड़ा खालीपन छोड़,जाती है ।... Hindi · कविता 641 Share Ravi Ranjan Goswami 19 Aug 2017 · 1 min read कवि /लेखक /पत्रकार से कवि/लेखक तुम भावुक हो , संवेदनशील भी हो । किन्तु प्रश्न है । अच्छी चीजें तुम्हें आल्हादित क्यों नहीं करतीं। विद्रूप अपवाद भी तुम्हें बड़ा लुभाते हैं पत्रकार तुम बुद्धिमान... Hindi · कविता 288 Share Ravi Ranjan Goswami 17 Aug 2017 · 1 min read गुमान सज़ा मिली है तो कोई गुनाह हुआ होगा, समझ नहीं आता ऐसा क्या हुआ होगा । हर कदम फूँक कर रखता है राह में , कितने फरेब खाया होगा इस... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 356 Share Ravi Ranjan Goswami 9 Aug 2017 · 1 min read फुर्सत जब महफिल उठ गयी तो घर याद आया है । किस कामयाबी पर नाज़ करें , ऐसा कुछ किया क्या है ? कुछ करते हैं तो कमाल करते हैं ,... Hindi · शेर 562 Share Ravi Ranjan Goswami 7 Aug 2017 · 1 min read राह जाने किस राह जाते हैं वो, राह में मिलते नहीं हैं वो । मुझे उनकी जरूरत क्यों जिन्हें मेरी तलब न हो । जुनूने सफर में सोचा न था ,... Hindi · शेर 581 Share Ravi Ranjan Goswami 3 Aug 2017 · 1 min read आज ,कल ,कभी आज उसने बहुत बातें की , क्या न कहने की कोशिश की? सालों तक लटका रहा था, बस एक पल का फैसला था । कभी चाहा था आसमां छू लूँ... Hindi · शेर 641 Share Ravi Ranjan Goswami 28 Jul 2017 · 1 min read भूल गये बड़ी बड़ी किताबें पढ़ीं , छोटे सबक भूल गये। शास्त्र पढ़ कर कैसे , संस्कार भूल गये ! शेर के दाँत गिनने वाले , अपना बल भूल गये । कोई... Hindi · कविता 527 Share Ravi Ranjan Goswami 27 Jul 2017 · 1 min read अंधेरे में रोशनी अपने साये को नज़र अंदाज़ मत कर वो रहता है वक्त का हमराज़ बनकर। ज्यों ज्यों रात गहराई आँख खुलती गयी, दिन के करतबों की पोल खुलती गयी। अंधेरा छा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 421 Share Ravi Ranjan Goswami 27 Jul 2017 · 1 min read बदलता मौसम हर रोज बदलते मौसम में बेचैन हवाएँ चलतीं हैं । तय करना कितना मुश्किल है ! किस ओर हवाएँ चलतीं हैं । राही कब कौन जतन कर ले । धूप... Hindi · कविता 1k Share Ravi Ranjan Goswami 20 Jul 2017 · 1 min read श्री राम (प्रार्थना ) इस अंतस की पीड़ा को, कौन सुनेगा ? राम । जीवन के इस खालीपन को कौन भरेगा ? राम । मेरे मन के टेड़ेपन को , कौन सुधारे ? राम... Hindi · गीत 621 Share Ravi Ranjan Goswami 30 Jun 2017 · 1 min read दायरे अपने दायरे हमने खुद बनाये कुछ हालात ने मजबूर किया , कुछ हम खुद से ठहर गये। पैर हमारे बेड़ियों में जकड़ गये । इनसे अब आज़ाद होना चाहिये ।... Hindi · कविता 348 Share Ravi Ranjan Goswami 11 Jun 2017 · 1 min read अशीर्षक कुछ मेरे पास हो जो दे सकूँ मैं , अना कम हो तो कुछ ले सकूँ मैं । मुहब्बत के दावे बढ़चढ़ के न कर कर सकता है तो सिर्फ... Hindi · मुक्तक 224 Share Ravi Ranjan Goswami 15 May 2017 · 1 min read लाश लाश का चेहरा पुरसुकून था । उस पर गज़ब का नूर था । लगता था नाच उठेगा । मरने में क्या कोई लुत्फ था ? दरअसल उस गरीब को ज़िंदगी... Hindi · कविता 446 Share Ravi Ranjan Goswami 11 May 2017 · 1 min read कुछ लोगों से पूंछो तो ...(व्यंग ) सच जो भी हो । कुछ लोगों से पूंछों तो - ---------- क्या हुआ ? ईवीएम में छेड़ छाड़ । आप कैसे है ? ईवीम खराब है । चुनाव क्यों... Hindi · कविता 217 Share Ravi Ranjan Goswami 15 Mar 2017 · 1 min read परिंदा अभी दिन है तो,रात भी जरूर आयेगी । चाँद तारों से, मुलाक़ात भी हो जाएगी । फिर आसमानी चादर का वहम टूटेगा । परिंदा फिर अपने घर वापस लौटेगा । Hindi · मुक्तक 422 Share Ravi Ranjan Goswami 4 Mar 2017 · 1 min read जिंदा रहते हैं कमाल करते हैं छोड़िये ये बेकरारी, बेसबब , लोग चिल्लाते हैं बेमतलब, जिंदा रहते हैं कुछ लोग मर कर भी , जायेँ श्मशान में या रहें कब्रों में सही । जो जिंदा रहते... Hindi · शेर 446 Share Ravi Ranjan Goswami 10 Feb 2017 · 1 min read विवाद उन्हें विवाद पसंद है हम संवाद करते है । वे शब्दों को पकड़ते हैं , उछाल देते हैं । शब्द भी पत्थर सा मार देते हैं । कभी बिखेर देते... Hindi · कविता 222 Share Ravi Ranjan Goswami 5 Jan 2017 · 1 min read क्या देखूँ कहीं गुजरे वक्त के निशां देखूँ । कहीं जाते हुए लम्हों के निशां देखूँ । अपनी दीवानगी में क्या देखूँ ! उम्मीद गिर गिर के उठती है । तिश्नगी बढ़ती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 224 Share Ravi Ranjan Goswami 24 Dec 2016 · 1 min read मिलन का डर किसे खोजता है मन किसकी तलाश है । ऐसा क्यों लगता है , कि वो आसपास है ? मिलने की चाह है पर ड़र लगता है । सुना है वो... Hindi · कविता 497 Share Ravi Ranjan Goswami 23 Dec 2016 · 1 min read काम करने दो ये कमी है , वो कमी है , ऐसा कैसे होगा ? वैसा कैसे होगा ? ऐसा हो नहीं सकता । वैसा हो नहीं सकता । काश ऐसा होता ।... Hindi · कविता 205 Share Ravi Ranjan Goswami 22 Dec 2016 · 1 min read मसीहाई मुझे नजरअंदाज़ करता है । मुझ पर नज़र भी रखता है । मैं बेशर्मी से पर्दा करता हूँ । वो समझता हैं देखता नहीं । मैंने उसे उठाया कि अब... Hindi · शेर 402 Share Ravi Ranjan Goswami 17 Dec 2016 · 1 min read खामोश तस्वीर कहीं बरसे बादल । कहीं बरसे नयन । बारिश से धुले मौसम । आसुओं से धुले मन । जाते हुए पल कितने खामोश हैं ! वो चुप सी तस्वीर यादों... Hindi · कविता 247 Share Ravi Ranjan Goswami 15 Dec 2016 · 1 min read कौन सुने ! सब ही अपनी कहते हैं यहाँ। कोई किसी को नहीं सुनता। आवाज दब गयी मेरी चीखा चिल्लाया मैं भी था । औरों के मसले कौन सुने । सबके अफसाने दर्द... Hindi · कविता 327 Share Ravi Ranjan Goswami 28 Nov 2016 · 1 min read जश्न आओ आज रात जश्न मनायें। हम जागें , साकी को जगाएं पैमाने फिर फिर भरे जायें डग मग क़दमों से कोई जाता है। उसे थामो। उसने शायद कम पी है।... Hindi · कविता 607 Share Ravi Ranjan Goswami 25 Nov 2016 · 1 min read कतार लोग कतार में है और वे समझते हैं कि वे क्यों कतार में है । कुछ लोग समझते हैं पर नहीं समझते । लोग उन्हें दिखते कहाँ ? वोट दिखते... Hindi · लेख 230 Share Ravi Ranjan Goswami 21 Nov 2016 · 1 min read बड़े शायर -व्यंग वे बड़े शायर हैं । ऐसा समझते हैं । सब उन्हें दाद दें । ये उन्हीं का हक है । वे सुनते नहीं , सिर्फ कहते हैं । कहते भी... Hindi · कविता 694 Share Ravi Ranjan Goswami 9 Oct 2016 · 1 min read इंतजार मेरी आवारगी के हमसाये वीरानों में मुझे छोड़ गये । कोई उसको बता दे किसी को इंतजार है । आवारा बादल है न जाने कहाँ बरसेगा । कोई हवा उसे... Hindi · शेर 376 Share Ravi Ranjan Goswami 8 Oct 2016 · 1 min read सर्जिकल स्ट्राइक दलाल को दलाली दिखी झूठे ने मांगा सबूत । उनकी माँ शर्मिंदा होगी , कैसे जने कपूत । इस युग के जयचंद बने ये दुश्मन की चालों के मोहरे ।... Hindi · कविता 267 Share Ravi Ranjan Goswami 4 Oct 2016 · 1 min read सोकर तो जीने देते क्यों जगाया तुमने ? कुछ और सोने देते । जो ख्वाब देखता था , पूरा तो होने देते , सब छीन लिया तुमने मुझको जगा के मेरा । जागते न... Hindi · कविता 241 Share Ravi Ranjan Goswami 30 Sep 2016 · 1 min read अब भुगतो (पाक को संदेश ) कहा था हमसे मत उलझो । अब भुगतो । सब्र का प्याला छलक गया । अब भुगतो । प्याला छलका है, बांध नहीं टूटा है अभी । अब भी सुधर... Hindi · कविता 280 Share Ravi Ranjan Goswami 26 Sep 2016 · 1 min read जागरूक ! वे जागरूक हैं । अधिकारों के लिये । खूब लड़ते हैं । धरना ,प्रदर्शन और बंद खूब करते हैं । पर अपने कर्तव्यों में , भरसक टाल मटोल करते हैं।... Hindi · कविता 272 Share Ravi Ranjan Goswami 20 Sep 2016 · 1 min read पीठ पर वार बहादुर दुश्मन हो तो पीठ न दिखाओ कायरता होगी । कायर दुश्मन हो तो पीठ न दिखाओ बेवकूफी होगी । गले दुश्मन से मिल वो ज्यों ही पलटा था आदतन... Hindi · मुक्तक 278 Share Ravi Ranjan Goswami 15 Sep 2016 · 1 min read बेमौसम वे तस्वीरें खींचते हैं मिटा देते हैं, मुझसे एक तस्वीर मिटायी न गयीं। दस्तक देके, इंतजार नहीं करता कोई, यहाँ उम्र कट गयी किसी इंतज़ार में । किस तरह जल्दी,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 299 Share Ravi Ranjan Goswami 14 Sep 2016 · 1 min read लौट न जाये ! खोल दो हृदय कपाट निर्भय , देखो तो कौन आया है ? कहीं वह लौट न जाये । ज़ोर से पुकारो बाहें पसार , लुटा दो प्रेम और खुशियाँ ।... Hindi · कविता 278 Share Ravi Ranjan Goswami 13 Sep 2016 · 1 min read विडम्बना मैं साँस ले रहा हूँ , सूंघ रहा हूँ निर्वात l कड़ी धूप में देख रहा हूँ अंधकार , समुन्दर की तलहटी में सूखा पड़ा है भेड़ियों का दल मंथन... Hindi · मुक्तक 460 Share Ravi Ranjan Goswami 12 Sep 2016 · 5 min read मंकी -बंदर सर्दी की एक दोपहर की गुनगुनी धूप में बंदरों का एक समूह पप्पू की छत पर सुस्ता रहा था । घर के लोग सब बाहर गए हुए थे इसलिए छत... Hindi · कहानी 389 Share Ravi Ranjan Goswami 10 Sep 2016 · 1 min read समस्या उन्हें मालूम है - अपने इंतज़ार की तड़प और - मेरा न आना । मुझे मालूम हैं - वजहें - न पहुँच पाने की । न उन्होंने जानना चाहा ।... Hindi · कविता 262 Share Ravi Ranjan Goswami 2 Sep 2016 · 1 min read खफा दुश्मनों की बात मत पूंछों , दोस्त भी बर्दाश्त नहीं होते । न जाने क्या हो गया मुझको ! खुद से बहुत खफा हूँ मैं । ला देता वक्त से... Hindi · मुक्तक 659 Share Ravi Ranjan Goswami 2 Sep 2016 · 1 min read शराब ,साकी और गम साकी था खूबसूरत । शराब भी कमाल थी । और बहाने मुश्किल थे , खुशी से जहर पी लिया हमने । डुबोना चाहा था जाम में गम -ए -बेवफाई किस्मत... Hindi · शेर 2 396 Share Ravi Ranjan Goswami 31 Aug 2016 · 1 min read मेरे बचपन से (संस्मरण ) बचपन मैं सभी बच्चों की तरह मुझे भी कहानी सुनने का बड़ा शौक था । खुशकिस्मती से मुझे कहानी सुनाने के लिये घर में अनेक लोग थे जैसे दादा दादी... Hindi · लेख 3k Share Ravi Ranjan Goswami 29 Aug 2016 · 1 min read बारिश की वे साँझें (स्मृति चित्र ) काली घटाएँ , साँझ , तेज हवायेँ और बारिश की फुहारें । छातों में सिमटते दामन बचाते लोग उड़ते आँचल ,भीगते बदन तेज कदम लड़कियां । सड़क में गड्ढे ,गड्ढों... Hindi · कविता 314 Share Page 1 Next