Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Feb 2018 · 8 min read

रेल की चौकी

सुधीर ,अरविन्द ,गीता और रवि पूरी शाम खेलने के बाद पंडित जी के चबूतरे पर पैर लटकाये बैठे थे। चारों की उम्र १२ से ८ वर्षों के बीच थी। इन सबमें सुधीर सबसे बड़ा था और रवि सबसे छोटा।
“कल रेल की चौकी चलें ?” सुधीर ने पूंछा।
टोली के बाकी सदस्य जोश में आकर खड़े हो गये और बोले ,”हाँ ,बहुत दिनों से हम लोग उधर गये भी नहीं। अब तो आम ,इमली और बेर से पेड़ लद गये होंगे
रवि ने कहा ,”इस बार गुलेलें ले चलेंगे। ”
गीता चुपचाप बैठी थी।
सुधीर ने गीता से पूंछा ,”तू चलेगी ?”
“न बाबा मैं नहीं जाउंगी। पिछली बार माँ से बहुत डांट पड़ी थी। ?”
“वो तो लौटने में देर हो गयी थी, इसलिये
“इस बार हमलोग साइकिलों से और दोपहर में चलेंगे। ” रवि ने प्रस्ताव रखा।
दूसरे दिन चारों अपनी अपनी साइकिलों से सुबह दस बजे ही रेल की चौकी जाने के लिये निकल लिये।
शहर के पश्चिम में लगभग तीन किलोमीटर दूर एक रेल लाइन थी जो सड़क को क्रॉस करती थी। इस रेल क्रॉसिंग पर फाटक लगा था। इस फाटक के उस पार ग्राम्य क्षेत्र प्रारम्भ होता था। खेत ,खलिहान ,बाग़ ,बगीचे। वहां लगे फलों के पेड़ बच्चों के लिए प्रमुख आकर्षण थे।
सुधीर ,अरविन्द ,रवि और गीता अपनी अपनी साइकिलों पर सवार रेल की चौकी जाने वाली सड़क पर मध्यम गति से चले जा रहे थे।
अचानक सुधीर ने कहा ,”चलो रेस करते हैं। ”
रवि बोला ,”कहाँ तक ?”
सुधीर ने लगभग दो सौ मीटर दूर , सड़क के बायीं ओर स्थित एक कुँए की तरफ हाथ से इशारा करते हुए कहा ,”वहां तक।
“सब तैयार हो गये। सुधीर ने सबको रुकने का संकेत किया। सब साइकिलों से उतर कर खड़े हो गये।
सामने से एक ट्रैक्टर आता दिखा। उन्होंने पहले उसे निकल जाने दिया। उस सड़क पर ज्यादा आवागमन नहीं था। ट्रैक्टर निकल जाने के बाद सड़क खाली हो गयी। चारों लोग अपनी साइकिलों पर सवार होकर तेज गति से आगे बढे और एक दूसरे से होड़ लगाने लगे।
इस रेस में गीता प्रथम आयी। वह कुँए के पास सबसे पहले पहुंची। कुछ पलों में शेष सब भी वहां पहुँच गये। सबने उसे बधाई दी तो वह बोली ,” मैंने रेस जीती उसका इनाम क्या है ?”
इस बात पर अरविन्द बोला ,”हां ,हमें कुछ शर्त लगा कर रेस करना चाहिये थी। ”
“नहीं शर्त लगाना अच्छी बात नहीं होती। “रवि ने कहा।
सुधीर सबकी बातें सुनकर बोला ,”आज हम जितनी इमलियाँ तोड़ेंगे उसमें से गीता जितनी चाहे ले सकती है। ”
इमलियों का नाम सुनकर गीता के मुंह में पानी आ गया।
वो हँसते हुए बोली ,”मैं सारी इमलियाँ लेना चाहूँ तो ?”
सुधीर बोला,” ले लेना। चलो अभी पानी पीते हैं। प्यास लगी है। ”
सुधीर उनमें सबसे बड़ा था और ताकतवर भी। एक प्रकार से ग्रुप लीडर वही था। बाकी सब उसकी बात मानते थे। कुँए पर रस्सी और बाल्टी रखे थे।
सुधीर ने कुंए से बाल्टी में पानी भरा और सबको पिलाया और खुद पिया। फिर वे लोग आगे बढ़े। रेल की चौकी अधिक दूर नहीं रह गयी थी। थोड़ी देर में ही वे रेलवे गेट के पास पहुँच गये। गेट खुला था। वे चारों साइकिलों से उतर गये। उन्होंने दोनों ओर देखकर सावधानी से रेल की पटरियां पार कीं। उस समय वह क्षेत्र सुनसान। इक्का दुक्का किसान अपने खेतों में काम कर रहे थे। गेट के ओर थोड़ी दूर तीन चार लोग रेल की पटरी पर मरम्मत का काम कर रहे थे। गीता का ध्यान गया पटरी की मरम्मत करने वाले चार युवक थे। उन सभी युवकों ने नीली जींस और काली टी शर्ट पहनी हुई थी और काले कपडे से अपना सर और मुंह ढका हुआ था। उन्हें देखकर गीता को कुछ अजीब सा लगा। लेकिन वो सबके साथ आगे बढ़ गयी। वे अपने गंतव्य पर पहुँच चुके थे। थोड़ी ही दूर सड़क के बायीं ओर एक चने का खेत था। उसकी सीमा पर इमली और अमरुद के पेड़ लगे थे। इमली का पेड़ बड़ा और छायादार था। सभी बच्चे इमली के पेड़ के नीचे पहुंचे। उन्होंने अपनी साइकिलें पेड़ के तने से टिकाकर खड़ी कर दीं
सभी बच्चों ने अपनी गुलेलें निकालीं और उनमें पत्थर के छोटे टुकड़े फसाये। उन्होंने देखा किसान खेत के दूर वाले भाग में किसी कार्य में व्यस्त था। सुधीर ने सबको एक ओर खड़े होकर दूसरी दिशा में गुलेल चलाने की सलाह दी ताकि वे अनजाने में एक दूसरे को चोट न पहुंचायें। सब उसकी तरफ आकर खड़े हो गए। सबने इमलियों के गुच्छों पर निशाना साध कर गुलेलें चलाईं। पेड़ पर बैठे पक्षी पंख फड़फड़ाते हुए और शोर मचाते तेजी से आकाश में उड़ गये। बहुत सारी इमलियाँ टूट कर जमीन पर आ गिरीं। अचानक पक्षियों का कोलाहल सुनकर किसान ठिठका ,उसने एक क्षण रुक कर पेड़ पर नज़र डाली और फिर अपने कार्य में लग गया।
सभी ने जमीन से इमलियाँ बीन कर एक रुमाल में बाँध लीं। एक ही बार में बहुत इमलियाँ मिल गयीं थीं अतः इमलियों की पोटली एक साईकिल के हैंडल पर लटका कर वे अमरुद के पेड़ की तरफ बढ़ गये। अमरुद का पेड़ इमली के पेड़ से कुछ कदमों की ही दूरी पर था।
गीता आगे चल रही थी। उसे पेड़ पर चढ़ने में बड़ा मज़ा आता था। अमरुद का पेड़ अधिक ऊँचा भी नहीं था। उसके मन में विचार था कि वह आसानी से पेड़ पर थोड़ा ऊपर चढ़ कर अमरुद तोड़ तोड़ कर नीचे गिरा देगी। पेड़ पर लगे कच्चे पक्के अमरुद दूर से ही दिख रहे थे। इमली या अमरुद कच्चे थे या पके इस बात से गीता और उसके साथियों को कोई फर्क नहीं पड़ता था। पेड़ से तोड़ कर मुफ्त में फल खाने का आनंद ही कुछ और था। साथ ही ये फल उनकी मेहनत से उन्हें मिलते थे सो सब स्वादिष्ट लगते थे।
वे चारों अमरुद के पेड़ के पास पहुंचे ही थे कि दूर से आती हुई किसी रेलगाड़ी की सीटी की आवाज सुनाई दी। वे लोग बालकोचित उत्सुकता बस रेलगाड़ी देखने के लिये रेल की पटरी की ओर मुंह करके खड़े हो गये।
तभी एक अजीब बात हुई जिसने उनका ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने चार युवकों को रेल की पटरी से उतर कर खेतों में भागते हुए देखा।
गीता के मुँह से निकला ,”ये तो वही लोग हैं जो रेल की पटरियों की मरम्मत का कार्य कर रहे थे ! ये ऐसे क्यों भाग रहे हैं ? कुछ तो गड़बड़ है। ”
दूसरे ही क्षण कुछ सोच कर वो चिल्लाई ,”जल्दी चलो। ”
यह कह कर वह पटरी की ओर दौड़ी। उसके पीछे सुधीर ,अरविन्द और रवि भी भागे। गीता उन्हें उस जगह ले गयी जहाँ उसने उन व्यक्तियों को रेल की पटरी की मरम्मत करते हुए देखा था। वहां पहुँच कर जो उन्होंने देखा वो देखकर वो दंग रह गये। उस जगह पटरियां उखड़ी हुई थीं। वे बच्चे थे लेकिन इतने नासमझ नहीं थे। वे स्थिति की गंभीरता समझ गये थे और वैसी स्थिति में ट्रेन उन पटरियों पर गुजरने से संभावित हादसे की कल्पना भयावह थी।
गीता ने देखा रवि ने लाल शर्ट पहनी थी। उसने रवि से कहा ,”रवि ,जल्दी से अपनी शर्ट उतार कर मुझे दे। ”
रवि ने तुरंत अपनी शर्ट उतार कर गीता को दे दी। तभी रेलगाड़ी की एक और सीटी सुनाई दी और दूर से आती हुई गाड़ी का छोटा सा इंजन दिखाई देने लगा। गीता सिहर उठी। वह जानती थी सैकड़ों लोगों की जान खतरे में थी। उसने रवि की शर्ट हाथ में पकड़ी और हाथ ऊपर कर उसे हिलाते हुए ट्रेन के आने की दिशा में दौड़ी। सुधीर ,अरविन्द और रवि भी गीता के पीछे दौड़े। थोड़ी दूर जाकर गीता रुक गयी। बाकी बच्चे भी रुक गये। सुधीर और अरविन्द ने भी अपनी कमीजें उतार कर हाथ में लेलीं और हवा में लहराने लगे। अब ट्रेन की आवाज भी सुनाई देने लगी थी। पल पल गाड़ी की आवाज़ तेज और इंजन बड़ा होता जा रहा था। बच्चों के दिल की धड़कने बढ़ी हुई थी बदन पसीना पसीना हो रहा था लेकिन वे अपनी जगह पर डटे कपडे हिलाये जा रहे थे। अब तो वे जोर जोर से चिल्ला भी रहे थे ,”स्टॉप ,गाड़ी रोको। “हलाकि इस बात की सम्भावना नगण्य थी की ट्रेन का ड्राइवर उनकी आवाज़ सुन पाता। लेक़िन शायद उसने पटरी पर होने वाली हलचल देख ली थी। अचानक गाड़ी धीमी हो गयी और आकर बच्चों से कुछ मीटर के फांसले पर हॉर्न देकर रुक गयी।
सबसे पहले ट्रेन का ड्राइवर इंजन से उतर कर भागता हुआ बच्चों के पास आया।
उसने आते ही पूंछा ,”क्या बात है ?तुम सब यहाँ इस तरह पटरियों पर क्यों खड़े हो ?”
गीता ने जवाब दिया,”अंकल ,आगे खतरा है। पटरियां उखड़ी हुइ हैं। इसलिये ट्रेन को रोकने के लिये हम लोगों ने ऐसा किया । ”
“कहाँ ?दिखाओ। “ड्राइवर ने कहा।
गीता और उसके साथी उसे उस स्थान पर ले गये । उखड़ी हुई पटरियां देख कर ड्राइवर की आँखें फटी की फटी रह गयीं।
“हे भगवान ,ये तो बहुत बड़ा हादसा हो सकता था। तुम लोगों ने ट्रेन रुकवा कर बहुत बहादुरी और समझदारी का काम किया। ”
कुछ ही देर में ट्रेन गार्ड और बहुत से यात्री भी वहां आ गये।
गार्ड ने अपने मोबइल फोन से पुलिस और अपने उच्च अधिकारियों को घटना की सूचना दी।
गीता ने रवि को उसकी शर्ट लौटाते हुए कहा ,”लो अब शर्ट पहन लो। ”
सुधीर और अरविन्द ने भी अपनी कमीजें पहन ली।
गीता और उसके साथी अब घर लौटना चाहते थे। वे चलने को उद्धत हुए तो गॉर्ड ने कहा ,”बच्चो तुम्हें थोड़ी देर रुकना होगा। अभी पुलिस आती होगी। उन्हें तुम इस घटना के बारे में बता कर चले जाना। तुम लोग चाहो तो मेरे डिब्बे में बैठ सकते हो। ”
जवाब में सुधीर बोला , “अंकल , हम यहीं ठीक हैं। ”
बाकी बच्चों ने सुधीर की बात के समर्थन में सर हिलाया।
थोड़ी देर में रेलवे के अधिकारी ,पुलिस , पत्रकार ,फोटो ग्राफर घटना स्थल पर आ पहुंचे।
सुधीर को साइकिलों की चिंता सताने लगी ,गीता को भूख लग रही थी और उसे इमलियाँ और अमरुद याद आ रहे थे। अरविन्द सोच रहा था कि उस दिन वापस घर पहुँचने में फिर देर होगी तो माँ की डांट निश्चित पड़ने वाली थी। रवि यूँ ही भयभीत था। उसे पुलिस से बड़ा डर लगता था।
एक पुलिस इंपेक्टर ने उन चारों से उनके नाम और पते पूंछ कर एक डायरी में लिख लिये साथ ही घटना का वर्णन पुनः पूंछ कर डायरी में लिखा। फोटोग्राफर ने उन चारों की फोटो ली।
पुलिस इन्स्पेक्टर ने गीता से पूंछा ,”तुम लोग घर कैसे जाओगे ?”
गीता ने कहा ,”हमारे पास साइकिलें हैं। वे थोड़ी दूर पर खड़ी हैं। ”
“सर इन्हें जाने दें ?” इन्स्पेक्टर ने एक अन्य पुलिस अधिकारी से पूंछा।
उन्होंने कहा ,”हाँ इन्हें जाने दें। ”
फिर वे स्वयं बच्चों से बोले ,”शाबास बच्चो ,आप लोगों ने बहुत अच्छा काम किया है। अब आप लोग जा सकते हैं। ”
गीता ने कहा ,”थैंक यू अंकल। ”
बाकी बच्चों ने दोहराया ,”थैंक यू अंकल। ”
फिर वे चारों तेजी से उस स्थान की ओर चल दिये जहाँ उनकी साइकिलें खड़ी थीं। वहाँ पहुँच कर उन्होंने फटाफट इमलियों का बंटवारा किया, अपना अपना हिस्सा जेबों में भरा और साइकिलों पर सवार होकर घर की ओर चल दिये। घर पहुँच कर उन्होंने डांट के डर से किसी को कुछ नहीं बताया। दुसरे दिन सभी स्थानीय समाचार पत्रों में पिछले दिन की रेल की चौकी के पास घटी घटना के समाचार के साथ उन चारों की फोटो और प्रशंसा छपी थी। इससे उन चारों की पोल खुल गयी। चारों को अपने अपने घरों में बड़ों से इस बात को लेकर डांट पडी कि इतनी दूर बिना बताये गये थे और शाबाशी भी मिली कि उनके बहादुरी भरे कारनामे से एक ट्रेन ऐक्सीडेंट होने से बच गया और सैकड़ों जानें बच गयीं थीं।

Language: Hindi
272 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Ranjan Goswami
View all
You may also like:
असली खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है।
असली खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है।
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
पुराना साल जाथे नया साल आथे ll
पुराना साल जाथे नया साल आथे ll
Ranjeet kumar patre
दोहा -
दोहा -
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
आप सच बताइयेगा
आप सच बताइयेगा
शेखर सिंह
*चंद्रयान ने छू लिया, दक्षिण ध्रुव में चॉंद*
*चंद्रयान ने छू लिया, दक्षिण ध्रुव में चॉंद*
Ravi Prakash
एकतरफा सारे दुश्मन माफ किये जाऐं
एकतरफा सारे दुश्मन माफ किये जाऐं
Maroof aalam
रेत घड़ी / मुसाफ़िर बैठा
रेत घड़ी / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
"बेकसूर"
Dr. Kishan tandon kranti
अच्छा नहीं होता बे मतलब का जीना।
अच्छा नहीं होता बे मतलब का जीना।
Taj Mohammad
कुछ तो नशा जरूर है उनकी आँखो में,
कुछ तो नशा जरूर है उनकी आँखो में,
Vishal babu (vishu)
संत गोस्वामी तुलसीदास
संत गोस्वामी तुलसीदास
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
#प्रेरक_प्रसंग-
#प्रेरक_प्रसंग-
*Author प्रणय प्रभात*
अपनों के अपनेपन का अहसास
अपनों के अपनेपन का अहसास
Harminder Kaur
भारत चाँद पर छाया हैं…
भारत चाँद पर छाया हैं…
शांतिलाल सोनी
जीवन से ओझल हुए,
जीवन से ओझल हुए,
sushil sarna
ये सुबह खुशियों की पलक झपकते खो जाती हैं,
ये सुबह खुशियों की पलक झपकते खो जाती हैं,
Manisha Manjari
Biography Sauhard Shiromani Sant Shri Dr Saurabh
Biography Sauhard Shiromani Sant Shri Dr Saurabh
World News
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
Pain changes people
Pain changes people
Vandana maurya
धरा कठोर भले हो कितनी,
धरा कठोर भले हो कितनी,
Satish Srijan
Remeber if someone truly value you  they will always carve o
Remeber if someone truly value you they will always carve o
पूर्वार्थ
खुद के होते हुए भी
खुद के होते हुए भी
Dr fauzia Naseem shad
" जब तुम्हें प्रेम हो जाएगा "
Aarti sirsat
दोहा-सुराज
दोहा-सुराज
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
बुझलहूँ आहाँ महान छी मुदा, रंगमंच पर फेसबुक मित्र छी!
बुझलहूँ आहाँ महान छी मुदा, रंगमंच पर फेसबुक मित्र छी!
DrLakshman Jha Parimal
चॉकलेट
चॉकलेट
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
छंद घनाक्षरी...
छंद घनाक्षरी...
डॉ.सीमा अग्रवाल
तेरा इश्क मेरे दिल की दवा है।
तेरा इश्क मेरे दिल की दवा है।
Rj Anand Prajapati
🚩वैराग्य
🚩वैराग्य
Pt. Brajesh Kumar Nayak
रंग पंचमी
रंग पंचमी
जगदीश लववंशी
Loading...