दीपक चौबे 'अंजान' 68 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid दीपक चौबे 'अंजान' 9 Mar 2018 · 1 min read सब कोस रहे निज भागन को बदरा घिरते उड़ते नभ में धरनी पर छाई' मुसीबत है। हिम के टुकड़े गिरते-फिरते लगते तन पै मन खीजत है। बरसै पुरजोर हिया धड़कै श्रम की अब होत फ़ज़ीहत है।... Hindi · घनाक्षरी 1 2 389 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read हाँ ! सक्षम हूँ हाँ ! सक्षम हूँ तब से अब तक, महाप्रलय के आ-जाने तक । अथक परिश्रम करती देखो, शिशु भारत के परिपोषण को, नित जीती नित मरती देखो, मैं अपना ख़ुद... Hindi · कविता 1 1 395 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read वही अपना किनारा है समंदर का करें हम क्या हमें झरना ही' प्यारा है, जहाँ दिल प्यास मिट जाए वही अपना किनारा है । उठाकर हाथ छू लो तुम बुलंदी चढ़ शिखर चूमो, मे'री... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 170 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read रखे गिरवी हैं' आभूषण, रखे गिरवी हैं' आभूषण, छपाई भी अधूरी है, अभी बच्चों की' भी देखो, पढ़ाई भी अधूरी है । अभावों से भरा जीवन, हुआ है काल भी निष्ठुर, उमंगें हो गईं... Hindi · मुक्तक 1 2 411 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read नदी अश्क़ों के' धारे हैं । अज़ब इंसाफ़ क़ुदरत का, बने हम दो किनारे हैं, इधर हम हैं उधर तुम हो, नदी अश्क़ों के' धारे हैं । इबादत में झुके हम हुस्न की रोया जहां छोड़ा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 217 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Mar 2018 · 1 min read गाल गुलाल गुलाब लगैं खेलत टेरत आय गयीं सखि पीत हरे रँग डारि दए, गाल गुलाल गुलाब लगैं रँग नैनन के रतनार भए। बैरन रात डसै बलमा बिनु साजन तौ परदेस गए, याद करै... Hindi · घनाक्षरी 1 2 241 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read किरण महबूब सी आयी बदलती कुछ फ़िज़ां ऐसी,सुहानी भोर लगती है । चमन की हर कली देखो,सँवरती आज लगती है । उतरती पाँव ज़मीं पर रख,किरण महबूब सी आयी । समा 'अंजान' बाँहों में,बिखरती... Hindi · मुक्तक 329 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read पीड़ा का गायक हूँ, मैं अपने अंतर्मन की, पीड़ा का गायक हूँ, रंगमंच पर थिरक रहा, जन-मन का नायक हूँ । तुम्हें वेदना से क्या लेना, नशा है दौलत का, मन रंजन को देने... Hindi · मुक्तक 488 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read नहाकर ओस में सिमटी नहाकर ओस में सिमटी, मुझे कर याद शरमाई, चुनर झीनी कुहासे की, निखर कुछ धूप से आई । सुनहरे केश प्रियतम के, अधर लाली दिवाकर की । सुबह अभिसार के... Hindi · मुक्तक 159 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read कहाँ तक गीत गाऊँ मैं, कहाँ तक गीत गाऊँ मैं, ग़रीबी के अमीरी के । मुझे मालूम है कटते, नहीं दिन अब फ़कीरी के । करूँ क्या पर बताओ तो, तमन्ना क्यों अधूरी है ?... Hindi · मुक्तक 523 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read प्यार से बोल दो आज दिल के सभी द्वार तुम खोल दो, बोल मीठे कभी प्यार से बोल दो । रूठने से नहीं काम बनते सनम, रंग उल्फ़त अभी संग तुम घोल दो ।... Hindi · मुक्तक 322 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read सदा वंदन किया करना । झुकाकर शीश चरणों में, सदा वंदन किया करना । दया करती सभी पर माँ, कभी चिंतन किया करना । लुटातीं नेह की दौलत, सजल ममता भरी आँखें, सज़ाकर भाव की... Hindi · मुक्तक 338 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read जज़्बात समझ लेते, क़ाश कि तुम मिरे जज़्बात समझ लेते, रूठने से पहले मिरे हालात समझ लेते । इतने दिवाने न थे मुहब्बत से पहले हम, लवों पे रुके हुए मिरे ख़्यालात समझ... Hindi · मुक्तक 298 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read मेरी ज़िन्दगी मेरी ज़िन्दगी मुझसे ऐसे ख़फ़ा है, करूँ मैं वफ़ा पर वहाँ पर ज़फ़ा है । कहें वो ही मुझसे ख़ता क्या हुई जो, दिखती मासूम सी पर बड़ी बेवफ़ा है... Hindi · मुक्तक 358 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read कभी जो पी नहीं होती वफ़ा की ज़ुस्तज़ू हमने जो उनसे की नहीं होती, जो थी उम्मीद छोटी सी, वो यूँ ही जी नहीं होती । हमें मालूम था दौलत में सब कुछ आज बिकता... Hindi · मुक्तक 195 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read मिलन की शाम आयी है । बड़ी रौनक सज़ायी है, मिलन की शाम आयी है । सुबह से आस सविता ने, घड़ी हर पल जगायी है । यही इक पल बिताने को, मिलें जब यार दीवाने... Hindi · मुक्तक 362 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read धूल से शृंगार कर लो आज पैसों के बिना ही प्रीत का व्यापार कर लो, शबनमीं इन तितलियों को फूल से अंगार कर लो । रौंद डालीं जो तुम्हीं ने पग तले कर धूल डालीं,... Hindi · मुक्तक 393 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read कोहरा अति घना है कोहरा अति घना है । काँपते किसान संग, झोपड़ी से देखा, तो खेत में खड़ा हुआ, ठिठुरता चना है । कोहरा अति घना है । नर्मदा के तट पर, बाँस... Hindi · गीत 217 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read मन आतुर है जाने क्यों । सपने नये सजाने को, मन आतुर है जाने क्यों । तुम सँग गुनगुनाने को, मन आतुर है जाने क्यों । थक गया मैं यूँ अकेले, अब चला जाता नहीं ।... Hindi · गीत 183 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read हो गयी हद मौन की हो गयी हद मौन की सब ग्रंथियों को खोल दो, रक्त-स्याही को बना अब लेखनी को बोल दो । छंद गढ़ते हो बहुत ग़र वेदना के घाव के, आ गया... Hindi · मुक्तक 404 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read धीरे-धीरे......... धीरे-धीरे पूरी तरह, बेक़ार हो रहा हूँ । एक कचरे के डिब्बे-सा, पड़ा रहता हूँ कोने में । सारी प्रतिभाएँ/कलाएँ, जूठी पत्तलों-सी भरी हैं । दुर्दैव के कौए, अपना भोजन... Hindi · कविता 362 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read चेहरे गाँव के...... चेहरे गाँव के ऐसे हैं लगने लगे, जैसे सेहरे दुल्हन बिन उतरने लगे ।... अब कहाँ सभ्यता की दरक़ार है, नैया गाँव की देखो मझधार है । जबसे भोले मुखौटे... Hindi · गीत 197 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read हार बनती जा रही है । माँ कलेजे से लगा बन,लोरियाँ सद्भाव पाकर, लाड़ले को प्रेम का उपहार बनती जा रही है । प्रीत दिल में है जगाए, नेह दीपक यूँ जगाकर, प्रेम का सुंदर सुघड़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 359 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read फिर से बचपन आ जाए । कभी-कभी लगता है कुछ यूँ, फिर से बचपन आ जाए । चले थाम उँगली मेरी, तेरे घर तक ले जाए ।.... भूल भेद, रीति समाज की, हँसना सबको सिखाने ।... Hindi · गीत 417 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read यही बस कामना मेरी करें पूजा सदा तेरी, चरणरत भावना मेरी । सज़े हर छंद भावों से, रहे निष्वासना मेरी । मिटें सब बैर अब दिल के, रहें आपस में' हिल-मिल के । अलंकृत... Hindi · मुक्तक 213 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read रुकना तेरा धर्म नहीं रे ! तुम हो इक बहती धारा, बाँध तोड़ सब बहना है । रुकना तेरा धर्म नहीं रे ! बस इतना ही कहना है । सुख-दुख दो जीवन के किनारे, हानि-लाभ परिणाम... Hindi · गीत 374 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read हर क्षण कृतार्थ हो । जीवन का, हर क्षण कृतार्थ हो । हृदय-कर्म, भावना-परमार्थ हो । पग-पग पर, जब सफ़र करें तो, दृष्टि में बस यथार्थ हो । रिश्तों से, खिल उठेगा जीवन । पुष्पों... Hindi · कविता 426 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read स्वयं ही अभिव्यंजना है संसार की हर गतिविधि, स्वयं ही अभिव्यंजना है । तुम भले कुछ भी कहो, याकि चुप रूठे रहो । वातावरण में घोल दी, साँसो ने ख़द व्यजंना है । सृष्टि... Hindi · कविता 232 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read यहाँ कोई नहीं अपना किसी से क्या गिला यारो, यहाँ कोई नहीं अपना । अग़र कोई तो बस इक है, मेरा रूठा हुआ सपना । निगाहों में बसाया था, बड़ा सुंदर सज़ाया था ।... Hindi · गीत 210 Share दीपक चौबे 'अंजान' 21 Feb 2018 · 1 min read यूँ जीवन में प्यार बहुत है, यूँ जीवन में प्यार बहुत है, मिले जो थोड़ा यार बहुत है । प्यास हमारी मिट जाएगी, मन सरिता की धार बहुत है । एक तुम्हारे बिन ही साथी, रहता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 377 Share दीपक चौबे 'अंजान' 21 Feb 2018 · 1 min read लगे चिमाने काग अब, लगे चिमाने काग अब, सुन कोयल के गीत । भारी है ऋतुराज की, सब ऋतुओं पर जीत ।। सब ऋतुओ पर जीत, प्रीत की तान निराली । रँग फागुनिया डाल,... Hindi · कुण्डलिया 277 Share दीपक चौबे 'अंजान' 21 Feb 2018 · 1 min read भारत के लाल बचाना है इन शतरंजी घोड़ों से अब, अपनी चाल बचाना है, संप्रदाय के ज़हरीले भालों से भाल बचाना है । देखो झुलस न जाए तुलसी, पश्चिम के तूफानों में, रिपु के नापाक... Hindi · मुक्तक 254 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Mar 2018 · 1 min read चलो बुनियाद हम रख दें चलो बुनियाद हम रख दें अभी दिल के उसूलों की । करें न बात अब गुजरे हुए सावन के झूलों की । जड़ों को भूलकर पत्ते जुटाने में लगे बच्चे,... Hindi · मुक्तक 448 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Mar 2018 · 1 min read देती उपदेश औ'चलाती सरकार है रण में गरजती है नभ से बरसती है, मौत बन दोनों हाथ लेती तलवार है। विदुषी बने कभी वो तपसी बने कभी वो, देवों को बचाने लेती देवी अवतार है।... Hindi · घनाक्षरी 224 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Mar 2018 · 1 min read ग़मगीन ग़रीब किसान रहें बिजली चमकै बदरा गरजै अब का हुइयै भगवान कहें, उखड़ै जब छाजन झोपड़ियाँ बच हाड़ रहें अरु प्रान बहें। बटरी बगरी सब सेल धरी कितनौं कबलौ नुकसान सहें। करपा बिखरे... Hindi · घनाक्षरी 188 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read अनुभव वय सै आय । ज्ञानी की होती नहीं, अनुभव वय सै आय । खेल-खेल में सीख लें, घटी न व्यर्थ गँवाय ।। घटी न व्यर्थ गँवाय, समय की क़ीमत जानौ । संवत नया बुलाय,... Hindi · कुण्डलिया 354 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read रूठती वो रही हम मनाते रहे । ज़िंदगी में कई मोड़ आते रहे, हम मग़र हर समय गुनगुनाते रहे । गीत में ढल गई ज़िंदगी की तपन, ख़ुद को'लिखते रहे और सुनाते रहे । रेत से ढह... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 345 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read भावों की सरिता बही, भावों की सरिता बही, भीगे आज कपोल । सिसकारी सब बोलती, नयना अधर न खोल ।। नयना अधर न खोल, घोल रही रंग विरह के । अँसुअन हैं अनमोल, जिए... Hindi · कुण्डलिया 398 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read कभी पत्थर भी पिघले पिघले पूरे हैं नहीं, अभी शेष पाषाण । बैठे इस विश्वास में, तड़प उठें कब प्राण ।। तड़प उठें कब प्राण, असर हो जाए शायद । फलीभूत मन तान, सफल... Hindi · कुण्डलिया 174 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read बनेगा जीवन सुंदर सुंदर दोहे मित्रवर, लिखते रहिए आप । बाण बनाओ लेखनी, अरु क़ागज़ को चाप ।। अरु क़ागज़ को चाप, जाप उर होय निरंतर । शब्दों से रच देव, नया फिर... Hindi · कुण्डलिया 442 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read ममता करुणा नयन में, ममता करुणा नयन में, उर में दया समाय । जननी तो पल में हरै, जो जीवन दुख आय ।। जो जीवन दुख आय, गाय लोरी लै अंकन । शिशु वत्सल... Hindi · कुण्डलिया 417 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read गोवर्धन कैसे करें गोवर्धन कैसे करें, गोबरधन के राज । ढपली शिव की बाजती, अरु बेढंगे साज़ ।। अरु बेढंगे साज़, काज सब पड़े अधूरे । कंसन के सिर ताज़, स्वप्न कब होंगे... Hindi · कुण्डलिया 358 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read राहू निगले सोम को राहू निगले सोम को, केतू आँख दिखाय । हालत अपनी इस तरह, रोज़ गहन लग जाय ।। रोज़ गहन लग जाय, हाय मन बेबस चंदा । अब तौ कछू न... Hindi · कुण्डलिया 225 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read हाला हम निशदिन पियें हाला हम निशदिन पियें, मथ स्वप्नों को मीत । देव पराजित हो चले, गये निशाचर जीत ।। गये निशाचर जीत, हुआ पापी का शासन । हाय सिसकती प्रीत, सभा में... Hindi · कुण्डलिया 166 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read चलो फ़रियाद करते हैं, चलो फ़रियाद करते हैं, ख़ुदा को याद करते हैं । सफल हो जाएँ' मनसूबे, करम नाबाद करते हैं । बहुत शोषण किया तूने, तुझे बरबाद करते हैं । सभी हक़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 197 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read चौबे जी घर सोहरे चौबे जी घर सोहरे, ठुमक पड़ोसन गाय । टेर बुलौआ शाम सै, देत खबासन आय ।। देत खबासन आय, आँगना बजै ढुलकिया । मन फिरकैंया लेय, नचै फिर टेकत लठिया... Hindi · कुण्डलिया 171 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read कभी पत्थर भी पिघले पिघले पूरे हैं नहीं, अभी शेष पाषाण । बैठे इस विश्वास में, तड़प उठें कब प्राण ।। तड़प उठें कब प्राण, असर हो जाए शायद । फलीभूत मन तान, सफल... Hindi · कुण्डलिया 258 Share दीपक चौबे 'अंजान' 8 Feb 2018 · 1 min read कभी जलते हैं हम संध्या होते ही रोज़ सुलगते हैं हम चूल्हे के संग में। रोटियों की तरह कभी फूल जाते हैं कभी जलते हैं हम । उन्हें तो मैं खा लेता हूँ और... Hindi · कविता 348 Share दीपक चौबे 'अंजान' 8 Feb 2018 · 1 min read मुहब्बत इक इबादत है ज़रूरी दिल की चाहत है मुहब्बत इक इबादत है । मगर सदियों से दुनिया में ज़माने से बगावत है । तमन्ना आज भी दिल में कि दिलबर कोई मिल जाए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 161 Share दीपक चौबे 'अंजान' 8 Feb 2018 · 1 min read क्या तुम्हारा आदमी से अब रहा नाता नहीं । बढ़के' बेबस को सहारा क्यों दिया जाता नहीं, क्या तुम्हारा आदमी से अब रहा नाता नहीं । सर्द रातों में ठिठुरते जो पड़े फुटपाथ पर, जाके' सिगड़ी पास उनके कोई'... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 196 Share Page 1 Next