ishwar jain 'Koustubh' Language: Hindi 12 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid ishwar jain 'Koustubh' 13 Mar 2020 · 5 min read काश..! मैं भी एक अध्यापक होता। आज जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में आयोजित एक मीटिंग में शामिल होने की गरज से मैंने अपने आप को बेहतरीन कपड़ों से सजाया और साथ ही अपनी कनपटी के सफेद... Hindi · कहानी 1 2 292 Share ishwar jain 'Koustubh' 25 Dec 2018 · 1 min read मृगतृष्णा दूर पर्वत पर टिमटिमाते रोशनी की मानिंद बुलाती हुई सी प्रतीत हो रही हैं जीवन की खुशियाँ और मैं अभिमंत्रित सा उस ओर खिंचता चला जा रहा हूंँ लक्ष्य पर... Hindi · कविता 1 284 Share ishwar jain 'Koustubh' 24 Oct 2017 · 1 min read आदाब अर्ज़ हम भी कहाँ मरे जा रहे जीने के लिए । तेरा साथ है तो बस जिए जा रहे हैं हम ।।?? Hindi · शेर 289 Share ishwar jain 'Koustubh' 17 Oct 2017 · 1 min read आओ... !दिवाली मनाएँ.. आओ ! हम दिवाली मनाएँ चेहरे पे निर्मल हँसी सजाएँ संतोष धन बरसे हम पर सबके दुःखों का अँधेरा मिटाएँ । हम सब सुमंगल झालर बनकर मिलझुल कर खुशियाँ मनाएँ... Hindi · कविता 1 413 Share ishwar jain 'Koustubh' 29 Jul 2017 · 1 min read ।। रक्षाबन्धन ।। सावन की हरियाली और रंग बिरंगी राखियों के अनुपम संयोग से बना ये रक्षाबन्धन पर्व - कितना पवित्र और भावनामय है यह दिन । हर भाई के बहन के प्रति... Hindi · मुक्तक 1 411 Share ishwar jain 'Koustubh' 19 Jul 2017 · 1 min read तुमने कहा था एक शाम सागर के वीरान किनारे पर तुमने कहा था- मेरे प्यार की गहराइयों के मुकाबिल सागर की अनन्त गहराईयाऑं क्या? मेरे प्यार के बन्धन के सामने जन्म-मरण का बन्धन... Hindi · मुक्तक 2 488 Share ishwar jain 'Koustubh' 18 Jul 2017 · 1 min read आदाब अर्ज़ है अब मैं समझा तेरे रूठने का सबब। अदाएं वो महज थीं, मेरे कत्ल की साजिश।। (ईश्वर जैन, उदयपुर) Hindi · शेर 2 1 599 Share ishwar jain 'Koustubh' 14 Jul 2017 · 1 min read मेरी कविता.... ।। अमीरी और गरीबी ।। अमीरी और गरीबी समाज के दो पहलू तस्वीर के दो रंग श्वेत और श्याम । एक ओर ऐश्वर्य तो दूसरी ओर अभाव - मगर दोनों ही पीड़ित एक को अजीर्ण... Hindi · मुक्तक 1 662 Share ishwar jain 'Koustubh' 5 Jul 2017 · 1 min read आज का मानव विधाता ने कलियुगी मानव की हृदयभूमि में पाप के बीज डाले - पोषक ने अंकुरित पौधे को स्वार्थ के पानी से सिंचित कर - मानवता एवं संस्कृति के ताप से... Hindi · कविता 1 267 Share ishwar jain 'Koustubh' 16 Jun 2017 · 1 min read आदाब अर्ज़ है दरिया ए अश्क़ काफी हैं बहने के लिए - दास्तां ए इश्क काफी हैं कहने के लिए । यूं भी हर बात किसी से कही नहीं जाती - दफ़न कर... Hindi · शेर 1 333 Share ishwar jain 'Koustubh' 11 Jun 2017 · 1 min read कविता किया करता हूँ ऊषाकालीन रश्मियों में सर्दी की रंगीनियों में छत पे बैठकर जब भी मैं गर्मी लिया करता हूँ बस तभी मैं - कविता किया करता हूँ । नारी का उत्पीड़ित मन... Hindi · कविता 2 423 Share ishwar jain 'Koustubh' 10 Jun 2017 · 1 min read मुक्ति गुलामी की बेड़ियों पर क्रान्ति की हवा और ज़ुल्म की बरसात ने ज़ंग लगाया- और इस ज़ंग लगी बेड़ी पर सामयिक वैचारिक चोटें लगी विद्रोह की आग से पिघल कर... Hindi · कविता 2 302 Share