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ग़ज़ल चाह जी भर कर मुझे
बसंत कुमार शर्मा
प्यार से जो भरी नहीं होती
बसंत कुमार शर्मा
नयन - एक गजल
बसंत कुमार शर्मा
जी भर फले फलते रहे - ग़ज़ल
बसंत कुमार शर्मा
गुनगुनाने से रहे
बसंत कुमार शर्मा
गुनगुनाने से रहे
बसंत कुमार शर्मा
स्वयं से आज मिलने जा रहा हूँ
बसंत कुमार शर्मा
सब कुछ पाना हमें यहाँ है
बसंत कुमार शर्मा
लोकतंत्र
बसंत कुमार शर्मा
माँ
बसंत कुमार शर्मा
घड़ा - नवगीत
बसंत कुमार शर्मा
बचपन सी सौगात न कोई
बसंत कुमार शर्मा
ढूँढ रहा हूँ
बसंत कुमार शर्मा
लट जाते हैं पेड़ - गीत
बसंत कुमार शर्मा
चल रस्ता रोकें
बसंत कुमार शर्मा
मुहब्बत में
बसंत कुमार शर्मा
झूठी मूठी बात न करिए
बसंत कुमार शर्मा
ठहर जाता तो अच्छा था
बसंत कुमार शर्मा
सूरज सन्यास लिए फिरता
बसंत कुमार शर्मा
प्रेम पर होती टिकी हर देश की बुनियाद है
बसंत कुमार शर्मा
कहने को शर्मीली आँखें
बसंत कुमार शर्मा
तमन्ना हमें न जन्नत की
बसंत कुमार शर्मा
तुलसी का वनवास हो गया
बसंत कुमार शर्मा
सरकारी नाखून
बसंत कुमार शर्मा
आ तो सही इक बार मेरे गाँव में
बसंत कुमार शर्मा
देश हो रहा शहरी
बसंत कुमार शर्मा
मुहब्बत होती है
बसंत कुमार शर्मा
चलो फटे में टाँग अड़ाएँ
बसंत कुमार शर्मा
मौन मुझे स्वीकार नहीं है
बसंत कुमार शर्मा
शब्द पानी हो गए
बसंत कुमार शर्मा
केवल माँ को ज्ञात
बसंत कुमार शर्मा
माँ और बेटियाँ
बसंत कुमार शर्मा
कोई रिश्ता निभाया जा रहा है
बसंत कुमार शर्मा
कौन भरेगा पेट -नवगीत
बसंत कुमार शर्मा
ख्वाब भी तेरा सताता है मुझे
बसंत कुमार शर्मा
सूरज पर चढ़ रही जवानी
बसंत कुमार शर्मा
कितनी करूं पढ़ाई माँ
बसंत कुमार शर्मा
जो करो तुम बस करो जी जान से
बसंत कुमार शर्मा
कहाँ बदली गई
बसंत कुमार शर्मा
हमें न पत्थरबाज चाहिए
बसंत कुमार शर्मा
मगर खत्म अपनी कहानी नहीं है
बसंत कुमार शर्मा
मुहब्बत आप करते है
बसंत कुमार शर्मा
अब तुम मेरे हाथ खोल दो
बसंत कुमार शर्मा
नाम है बस दीप का
बसंत कुमार शर्मा
अप्रैल फूल बनाकर हँस लो
बसंत कुमार शर्मा
अक्षर अक्षर प्रीत लिखेंगे
बसंत कुमार शर्मा
अखिलेश राहुल वार्ता
बसंत कुमार शर्मा
साहब जी हैं व्यस्त
बसंत कुमार शर्मा
भूल गया घर द्वारा मन
बसंत कुमार शर्मा
हिय से मत दूर मुझे करना
बसंत कुमार शर्मा