Saraswati Bajpai Tag: कविता 159 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Saraswati Bajpai 21 Feb 2023 · 1 min read सच है, दुनिया हंसती है सच है दुनिया हंसती ही है किसी नई डगर जब चला कोई पर हंसती है तो हंसने दो मुझे निरा मूर्ख उन्हें कहने दो मैं अपने पथ की मतवाली मैं... Hindi · कविता 1 258 Share Saraswati Bajpai 1 Feb 2023 · 1 min read निशान मिट गए सारे निशान हमारे उनके घर की चौखटों से दरें दीवारें जिस घर की हमसे मुस्कुराकर ही सदा मिली है । क्यों ये दीवारें न पहचान पाती मेरी शख्सियत... Hindi · कविता 250 Share Saraswati Bajpai 10 Jan 2023 · 1 min read कुछ तो रिश्ता है पूर्व जन्म का अनजाना सा अद्भुत बड़ा सुहाना सा मेरे सारे अनुभव कहते तुमसे कुछ तो रिश्ता है । दूर रहो या पास रहो ये मन तुम में ही रमता... Hindi · कविता 3 4 267 Share Saraswati Bajpai 9 Jan 2023 · 1 min read मेरा अन्तर्मन जाने कैसा है अन्तर्मन ये कुछ भी समझ न पाती मै कभी ये एकदम कोरा लगता दिखती कभी अबूझ आकृतियां जैसे हूँ कोई निपट निरक्षर कुछ भी पढ़ न पाती... Hindi · कविता 2 2 189 Share Saraswati Bajpai 3 Jan 2023 · 1 min read नववर्ष 2023 ये कैसा नव वर्ष नवलता का कोई आभास नहीं । सब कुछ ठहरा ठहरा है कहीं कोई आगाज़ नहीं । बहुत सोंचती पुनः पुनः मैं शिष्टाचार निभाऊं मैं भी नवल... Hindi · कविता 1 200 Share Saraswati Bajpai 9 Dec 2022 · 1 min read माता-पिता हमारा जो अस्तित्व है आधार है माता पिता । माता यदि भूमि है तो आकाश है अपने पिता । छाँव है माता की ममता बन धूप मिलते है पिता ।... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता · माता पिता 2 447 Share Saraswati Bajpai 17 Nov 2022 · 1 min read घर हमारे तन-मन को सुरक्षा का जहाँ भी घना अहसास मिले, बस वहीं घर है । जहां रांधती रसोई मां और पिता की छांव मिले बस वहीं घर है । हमारे... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता · घर 3 205 Share Saraswati Bajpai 16 Nov 2022 · 1 min read समय युगों युगों से निरन्तर समय अपनी धुरी पर गतिमान ही है । समय का मूल्य परखना है तो समय की प्रतीक्षा में निरन्तर तपनिष्ठ माँ अहित्या व शबरी के उद्धार... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता · समय 4 3 268 Share Saraswati Bajpai 14 Nov 2022 · 1 min read बाल दिवस आज बाल दिवस है, चलो आज एक दिन कुछ ऐसा कर जाएं, हमारे आस-पास परिचित हो या अपरिचित । घर, सड़क, मुहल्ले, स्कूल जहाँ भी जो बच्चे मिलें उन्हें कुछ... Hindi · कविता 2 2 230 Share Saraswati Bajpai 14 Nov 2022 · 1 min read ईर्ष्या कभी-कभी न चाहते हुए भी, गाहे बगाहे हमें चकमा दे, हमारे भीतर ईर्ष्या प्रवेश कर ही जाती है । यदि हम सजग है तो तुरंत इसे बाहर निकाल फेंकते है... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता 4 2 376 Share Saraswati Bajpai 13 Nov 2022 · 1 min read सम्मान सम्मान, सबके प्रति आदरभाव, समतुल्य सभी का मान, हमारी भारत भूमि की संस्कृति का आधार है । हम भारतवासी प्रकृति, सूर्य, चन्द्र, वायु, जल, वृक्ष सर्व जगत के उपासक है... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता · सम्मान 6 2 198 Share Saraswati Bajpai 12 Nov 2022 · 1 min read जल जल है तो धरा है, वृक्ष है, वायु है, सब अन्न है । ये सब है तो जीव हैं सृष्टि सर्व सम्पन्न है । हमारी संस्कृति बताती जल वरुण देव... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता · जल 5 1 258 Share Saraswati Bajpai 3 Nov 2022 · 1 min read तुम बूंद बंदू बरसना सब शीत ताप सहते सहते तन मन कोमलता छूट गई । टकरा टकरा आघातों से केंचुल तन मन की कठोर हुई।। तुम बूंद बूंद बरसोगे जब तब जा मुझको पा... Hindi · कविता 2 211 Share Saraswati Bajpai 24 Oct 2022 · 1 min read दीपोत्सव की शुभकामनाएं ये दीप भरे नव पुञ्ज सदा तम हरे सभी के जीवन का । धन धान्य भरे हर घर आंगन सब कलुष मिटे हो समरसता ।🙏 Hindi · कविता 4 4 309 Share Saraswati Bajpai 13 Oct 2022 · 1 min read ऐ चाँद ऐ चाँद, तू रोज रात के अंधेरों को रोशनी से भरता जरूर है । समय का चक्र तुझे भी कभी पूरा कर देता है और कभी अपूर्ण पर तू बिना... Hindi · कविता 1 412 Share Saraswati Bajpai 12 Oct 2022 · 1 min read सुख और दुःख सुख गहरी नींद, विलास, विश्राम है । दुःख वैचारिक जाग्रति अवधान है। सुख हर्ष सागर में डुबकी है । दुःख तैरना सीखने का संधान है। सुख स्वप्नों आशाओं का नीड़... Hindi · कविता 2 2 178 Share Saraswati Bajpai 5 Oct 2022 · 1 min read हे माँ जानकी ! हे माँ जानकी ! आज तुम्हारे रघुवर ने तुम्हारे साथ हुए छ्ल का प्रतिकार ले लिया । तुम्हारे प्रति प्रेम व निष्ठा का उदाहरण प्रस्तुत कर दिया। आज भयानक रात्रि... Hindi · कविता 4 2 269 Share Saraswati Bajpai 27 Sep 2022 · 1 min read मौन भी क्यों गलत ? इन्सान हूँ मैं, मुझे फर्क पड़ता है जब कोई मेरी भावनाओं से पुनः पुनः खेल जाता है । या फिर स्वयं को सिद्ध करने में अनर्गल मिथ्यारोप मढ़ जाता है... Hindi · कविता 4 354 Share Saraswati Bajpai 24 Sep 2022 · 1 min read सेतु तुम आशाबन्ध सेतु हो मेरे प्राण व जीवन के मध्य । अथाह गहरी खाईं है इस सेतु के नीचे । जहाँ हलाहल विषजन्तु है, कालकूट आतुर है ग्रास को किन्तु... Hindi · कविता 6 6 236 Share Saraswati Bajpai 14 Sep 2022 · 1 min read हिन्दी हिन्दी, माँ है हमारी रग रग में रची बसी अस्तित्व, पहचान है हमारी । गर्भ से ही ये भाषा ध्वनियाँ कानों से होते हुए हृदय, मस्तिष्क में पैठ बना चुकी।... Hindi · कविता 5 2 317 Share Saraswati Bajpai 11 Sep 2022 · 1 min read जरिया मेरी इस जिन्दगी में हवा, पानी, रोशनी का एकमात्र तुम जरिया हो । अब तुम्हीं सोंच लो तुम्हें इस जरिए को कैसे जारी रखना है । तुम दीपक नहीं सूर्य... Hindi · कविता 4 6 243 Share Saraswati Bajpai 7 Sep 2022 · 1 min read व्यथा ऐ नींद तू आती क्यों नही ? आँखें तरस गयीं तेरे आगोश को । यहां बाहर-भीतर सब तरफ बस शोर ही शोर है । मस्तिष्क की नसें खिंच रही हैं... Hindi · कविता 4 10 255 Share Saraswati Bajpai 1 Sep 2022 · 1 min read सृजन की तैयारी अवरोध, प्रतिरोध, अन्तर्द्वन्द्ध की तीव्र होती लपटो के बीच बस चारों ओर धुआँ ही था जो जीवन में विष घोल रहा था । मन ईश्वर से पूँछ रहा था मेरे... Hindi · कविता 1 334 Share Saraswati Bajpai 13 Aug 2022 · 1 min read पत्ते टहनी से टूट कर पत्ते बड़े गुमान में हैं । कह रहे अब हम खुले आसमान में हैं । मदमस्त होके उड़ रहे सीमाओं से परे सोंचते वो व्यर्थ थे... Hindi · कविता 3 2 491 Share Saraswati Bajpai 8 Aug 2022 · 1 min read तुम्हारा शिखर मैं समझ सकती हूँ तुम्हे अपना शिखर चाहिए । किन्तु तुम जिस रास्ते से वहां पहुंचना चाहती थी, वो रास्ता आकर्षक तो था पर थोड़ा ऊपर जाकर फिर पुनः ढ़लान... Hindi · कविता 2 270 Share Saraswati Bajpai 4 Aug 2022 · 1 min read नियति से प्रतिकार लो जब कभी विचलित हो मन नैराश्यता भरने लगे, अशांत होकर मन ये फिर उत्साह जब तजने लगे, पूर्व के पुरुषार्थ से साहस स्वयं का आंकना । मन को थोड़ा शांत... Hindi · कविता 1 266 Share Saraswati Bajpai 2 Aug 2022 · 1 min read विसर्जन जो हाथ तत्पर थे सर्जन को अब तक आज वो विसर्जन के पथ पर खड़े है। थका है ये तन मन संवारते संवारते है छलनी हुए हाथ सब पथ बुहारते... Hindi · कविता 2 2 405 Share Saraswati Bajpai 28 Jul 2022 · 1 min read प्रतीक्षा के द्वार पर प्रतीक्षा के द्वार पर अपलक नयन से सजग हो खडे रहकर कितने रात दिन टांके हैं । कितनी अभीप्साओं को समझा शान्त किया । कभी थके कभी हारे धर धीर... Hindi · कविता 3 2 347 Share Saraswati Bajpai 26 Jul 2022 · 1 min read तुम स्वर बन आये हो प्राणों की बंजर बस्ती में स्वर बनकर संग आए हो । क्षुधा शान्त करने को मन की स्नेह बीज संग लाए हो । अपलक छवि निरख कर तेरी पूर्ण हुई... Hindi · कविता 4 4 323 Share Saraswati Bajpai 25 Jul 2022 · 1 min read हे शिव ! सृष्टि भरो शिवता से हे शिव! सृष्टि भरो शिवता से दृष्टि, वृत्ति सब शिवमय कर दो । हरो अपावन त्रिविध ताप सब पुण्य तपों की वृष्टि कर दो । प्रकृति करो सब उर्जित सत्... Hindi · कविता 3 403 Share Saraswati Bajpai 21 Jul 2022 · 1 min read तुम्हारे माता-पिता तुम्हारी नादानियों में,असावधानियों में, तुम्हारी छोटी-छोटी शरारतों में तुम्हारे दोस्त अवश्य साथ दे सकते है तुम्हारे भाई-बहन भी साथ आ सकते है किन्तु तुम्हारे माता-पिता,अभिभावक तुम्हारे साथ नहीं आ पाते।... Hindi · कविता 1 462 Share Saraswati Bajpai 16 Jul 2022 · 1 min read प्रभु आशीष को मान दे माना बहुत से घात हैं हमने सहे और जाने कितने बिछड़े राह में, किन्तु जो बीता उसी की स्मृति में संग में जो हैं उन्हें भी क्यों भुलाएं ? खो... Hindi · कविता 1 485 Share Saraswati Bajpai 5 Jul 2022 · 1 min read पूर्ण विराम से प्रश्नचिन्ह तक कभी रिश्तों में मैं पूर्ण विराम सी थी मुझे पाकर अपूर्णता खो गई थी । किन्तु आज उन्ही रिश्तों में मैं पूर्ण विराम से प्रश्नचिन्ह बन गई । जाने कितने... Hindi · कविता 268 Share Saraswati Bajpai 2 Jul 2022 · 1 min read गिरवी वर्तमान वो बहुत ही कठिन दौर था भविष्य नीलामी की कगार पर था। किंकर्तव्य थी मैं कैसे बचाऊँ इसे ? तो वर्तमान को गिरवी रख दिया । सोंचा कुछ दिन ये... Hindi · कविता 2 2 269 Share Saraswati Bajpai 26 Jun 2022 · 1 min read मां क्यों निष्ठुर? सच है ये मां बेटियों के साथ निष्ठुर सी दिखती है । क्योंकि वो अपनी बेटियों को मजबूत आधार देना चाहती है । वो नहीं चाहती कि जब समाज उन्हें... Hindi · कविता 388 Share Saraswati Bajpai 21 Jun 2022 · 1 min read कुछ ऐसे बिखरना चाहती हूँ। जब तय ही हो गया कि ज़िन्दगी बिखरनी है बिखर कर चरम पर फिर संवरना चाहती हूँ। मेरी हर पीड़ा, हर आंसू, मेंरे स्वप्न,मेरी उम्मीदें बिखरकर जिस धरा पर जा... Hindi · कविता 445 Share Saraswati Bajpai 17 Jun 2022 · 1 min read अटल विश्वास दो वैसे तो उपबन्ध कोई प्रेम में स्वीकृत नहीं किन्तु यदि देना ही हो तो अटल विश्वास दो। चहुँ ओर जब प्रतिरोध हो आक्षेप ही हो सर्वतः तब भी अडिग विश्वास... Hindi · कविता 1 2 274 Share Saraswati Bajpai 14 Jun 2022 · 1 min read मुस्कुराएं सदा मुस्कुराएं सदा क्योंकि,आज जीवन साथ है | सब कुटुम्बी संग में संग प्रेम व विश्वास है | मुस्कुराएं सदा क्योंकि,ज्ञान सामर्थ्य साथ है । किसी को स्वप्न में दुर्लभ साधन... Hindi · कविता 1 570 Share Saraswati Bajpai 10 Jun 2022 · 1 min read मैं और मांझी कितने शीत, ताप फिर वृष्टि ये आंखों को दिखलाएगी ? जाने विधना की गति आगे और कहाँ ले जाएगी ? जीवन की जलधारा में डगमग नैया डोल रही है। उद्विग्नता... Hindi · कविता 1 445 Share Saraswati Bajpai 6 Jun 2022 · 1 min read जैसा भी ये जीवन मेरा है। कभी मीठा सा, कभी खारा सा, उन्मुक्त कभी कभी कारा सा, जैसा भी ये जीवन मेरा है। लगे गैर कभी, कभी अपना सा, कभी सच्चा फिर कभी सपना सा, जैसा... Hindi · कविता 2 6 333 Share Saraswati Bajpai 5 Jun 2022 · 1 min read पुन: विभूषित हो धरती माँ । सभ्यता के शिखर पर पहुंचे हुए हे मनुज पुत्रों तुम जरा देखो ठहर, तेरी पालना व शीर्ष तक ले जाने में और सुख समृद्धि के उपहार में, तेरी मां के... Hindi · कविता 2 4 710 Share Saraswati Bajpai 4 Jun 2022 · 1 min read मन सीख न पाया कितने जख्म मिले है अब तक, पर मन सहना सीख न पाया । चोट लगी जब भी अन्तस में, झर-झर ये आंसू झर आया । रे मन पगले ! अब... Hindi · कविता 5 6 397 Share Saraswati Bajpai 29 May 2022 · 1 min read क्या प्रात है ! क्या प्रात है, क्या प्रात है! सुहावना प्रभात है । निर्मल छटा आकाश की, शीतल सुखद सी वात है । संगीत सा घोले हवा में, विहग वृन्दों का ये कलरव... Hindi · कविता 288 Share Saraswati Bajpai 23 May 2022 · 1 min read जब हम छोटे बच्चे थे । जब छोटी - छोटी बातों में हम खुशियां बहुत संजोते थे । उन्मुक्त हंसी होठों में थी आंखों में स्वप्न पिरोते थे । था नही ज्ञान ज्यादा कुछ भी पर... Hindi · कविता 4 4 488 Share Saraswati Bajpai 21 May 2022 · 1 min read तन-मन की गिरह कोई तो मेरे मन की तन से सुलह करा दे। तन मन की जो गिरह है कोई उसे सुलझा दे। तन है विवश कि जग से है साम्यता जरूरी ।... Hindi · कविता 2 2 468 Share Saraswati Bajpai 15 May 2022 · 1 min read पिता पिता, मेरे सिर की छत, मन की सुरक्षित ढ़ाल हैं । उड़ान मेरे हौंसलों की, अस्तित्व की पहचान हैं । मन में जो दृढ़ता भरे मजबूत वो स्तम्भ हैं ।... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 12 25 734 Share Saraswati Bajpai 15 May 2022 · 1 min read नित हारती सरलता है। जगती के उदधि में विचारों की रज्जु से उर मदराचल सा मथता है तब अथक प्रयास से नवनीत कुछ निकलता है । सूर्य सिर पर तप रहा खार जल तन... Hindi · कविता 432 Share Saraswati Bajpai 15 Apr 2022 · 1 min read खींच तान यहां सबको ही अपने हिस्से में कुछ ज्यादा चाहिए, चाहे वो समाज हो, निज परिवार हो या हमसे जुड़े रिश्ते । ये कुछ ज्यादा की चाहत में जो खींच तान... Hindi · कविता 3 2 472 Share Saraswati Bajpai 12 Apr 2022 · 1 min read कहां जीवन है ? जीने के सब सामान जुटे पर इनमें कहीं न जीवन है । बीत रहे दिन काल चक्र संग रुका हुआ पर मेरा मन है । नहीं कोई बाधा है पथ... Hindi · कविता 1 435 Share Saraswati Bajpai 11 Apr 2022 · 1 min read राम ! तुम घट-घट वासी मुझे पता है राम कि तुम घट-घट वासी । किन्तु हमारी अल्पमति ये सहते जो एकान्त उदासी । माना तुमको पाकर मन सच्चिदानंद हो जाता है । किन्तु तुम्हें पाने... Hindi · कविता 4 2 351 Share Previous Page 2 Next