कुमार अविनाश केसर 78 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid कुमार अविनाश केसर 28 Dec 2022 · 1 min read मेरी सिरजनहार अजस्र! तुम सृजन से कोमल, प्रलय से कठोर, अतृप्त छोर! कौन है तुल्य? तेरा अतुल्य! 'यस्याः पतरम् नास्ति' परातीता! अब कौन 'अस्ति'? कौन 'नास्ति'? तरु-तृण के तुहीन-कणों से- तरल! स्रोतस्वी... Hindi 199 Share कुमार अविनाश केसर 2 Sep 2022 · 1 min read अक्षर बीज अक्षर बीज ======== विचार! ज्यों बहती नदी सधार! पत्थरों के पंख पर- चढ़ दौड़ी जैसे नदी! अक्षुण्ण! अजस्र!! वेगवती!!! वाक्य! हिलते-डुलते शब्दों का गठबंधन! तह पर तह ढाली गई नींव!... Hindi 1 125 Share कुमार अविनाश केसर 2 Sep 2022 · 1 min read कैसे प्रणय गीत लिख जाऊँ कैसे मैं प्रणय गीत लिख जाऊँ =================== जलता है संसार! कैसे मैं प्रणय गीत लिख जाऊँ? मानवता की हार ! कैसे मैं प्रणय गीत लिख जाऊँ? होठों पर चित्कार,हाय! आँखों... Hindi 221 Share कुमार अविनाश केसर 28 Aug 2022 · 1 min read ये जो बारिश है अभी हुआ मेघ- धारासार... मूसलाधार... लगा - जैसे- छिद गया हो.... एक बड़ा- सा.. बहुत बड़ा- सा... गुब्बारा! जैसे - पानी से भरे... किसी बड़े से..... धूसर पॉलिथीन की.... पेंदी... Hindi 156 Share कुमार अविनाश केसर 15 May 2022 · 1 min read ठीक नहीं हर ज़गह आईना हो जाना ठीक नहीं, रिश्तों को आज़माना ठीक नहीं। ठीक है कि कोई मुरव्वत नहीं होती, पर मौत का कोई बहाना ठीक नहीं। वह उठकर चला गया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 332 Share कुमार अविनाश केसर 15 May 2022 · 1 min read पाँच साल बाद तुम कहाँ रहते हो ? इतने दिन! पाँच साल लंबे दिन ! पाँच साल लंबी रातें! किस खोह में बैठते हो? नंगे विचारों, खोखले हाथों, शायराना अंदाज़ों वाले वादों के... Hindi · कविता 206 Share कुमार अविनाश केसर 15 May 2022 · 1 min read ज़ुबान से फिर गया नज़र के सामने कोई सितारा टिमटिमाया इस शहर के सामने, परछाइयों से कोई गुज़र गया नज़र के सामने। मैं दीप जला के बैठा ही था अंधेरे में कल यहाँ, कोई साये सा गुज़र... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 245 Share कुमार अविनाश केसर 15 May 2022 · 1 min read पिता पिता आकाश है, बरगद की छाँव है। पिता उम्मीद है, खुशियों का गाँव है। पिता आस है, वो है तो...... सारी दुनिया पास है! पिता होली है, दिवाली है, उसीसे... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 4 5 269 Share कुमार अविनाश केसर 15 May 2022 · 1 min read सो गया है आदमी जानवर भी है परेशाँ आदमी की फितरतों से, कौन जाने जानवर ही हो गया है आदमी! रास्ते पर चल रहा है मखमली चेहरा लिए वह, खुद ही खुद का पैरहन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 6 5 397 Share कुमार अविनाश केसर 12 Apr 2022 · 1 min read झूठ बताकर झूठ बताकर उसने मुझको रुसवा कर दिया, ऊँची ऊँची नाक से कायम रुतबा कर दिया। झाँक के मैंने गिरेबान में उसके जब देखा, क़ौम का देकर वास्ता जारी फतवा कर... Hindi · मुक्तक 205 Share कुमार अविनाश केसर 9 Apr 2022 · 1 min read चाँद ने कहा चाँद ने एक दिन चाँदनी से कहा तुम जनम भर निभाओगी वादा करो। चाहे कोई भी हो मेरी मजबूरियाँ, साथ छोड़ोगी ना तुम ये वादा करो। चाँद ने एक दिन.....................।... Hindi · कविता 2 431 Share कुमार अविनाश केसर 8 Apr 2022 · 1 min read निशानी छोड़ जायेंगे चले हैं ज़िन्दगी में हम दीया एक प्यार का लेकर उजाले अपनी यादों के कहीं तो छोड़ जाएंगे। तुम अपनी राह पे चलना, हम अपनी राह चलते हैं. निशानी पाँव... Hindi · मुक्तक 1 148 Share कुमार अविनाश केसर 7 Apr 2022 · 1 min read तुम्हारा सच भले पुतवा दो दीवारें, हज़ारों रंग रोगन से, ईंटें चीख के कहतीं, मकाँ का दर्द क्या-क्या है! माना तुम छिपाने में बहुत माहिर भी हो लेकिन ये ऑंखें बोल देती... Hindi · कविता 119 Share कुमार अविनाश केसर 6 Apr 2022 · 1 min read प्रेम में मिलन प्रेम में मन मिले, तन मिले न मिले, मन मगन हो झूमेगा घड़ी हर घड़ी। साथ दिल का मिले गर भरी ज़िन्दगी, धड़कनें गुनगुनाएँ घड़ी दर घड़ी। फूल के पराग... Hindi · मुक्तक 153 Share कुमार अविनाश केसर 5 Apr 2022 · 1 min read प्रेम ने कहा प्रेम ने एक दिन मुझसे ऐसा कहा, उम्र चाहत की मुझको बड़ी चाहिए। ज़िन्दगी की अनुभूति मुझसे मिली, दिल की दौलत हमें हर घड़ी चाहिए। Hindi · मुक्तक 141 Share कुमार अविनाश केसर 1 Apr 2022 · 1 min read पिता पिता आकाश है, बरगद की छाँव है। पिता उम्मीद है, खुशियों का गाँव है। पिता आस है, वो है तो...... सारी दुनिया पास है! पिता होली है, दिवाली है, उसीसे... Hindi · कविता 219 Share कुमार अविनाश केसर 31 Mar 2022 · 1 min read अदावत में मेरे हमदम तड़पता छोड़ जाते हो चले जाते हो मुड़कर तुम, तड़पता छोड़ देते हो। तम्मनाओं को मेरे तुम, तड़पता छोड़ जाते हो। अधूरे ख़्वाब हैं मेरे, ज़मीं पे ही सरकते हैं। ख़्वाबों में भी तुम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 132 Share कुमार अविनाश केसर 30 Mar 2022 · 1 min read भुलाने क्यों नहीं देते तुम्हें मैं भूलना चाहूँ, भुलाने क्यों नहीं देते। वो मंजर दिल तड़पने का, भुलाने क्यों नहीं देते! खामोशी लब पे आ जाए तो जीना हो बहुत मुश्किल पुरानी बात को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 256 Share कुमार अविनाश केसर 25 Mar 2022 · 1 min read ठहरा आदमी भी एक सफ़र पे ही रवाना है चले आओ, तुम्हें मंज़र, जहाँ का, हम दिखाते हैं। सनम! दस्तूर, तुमको इस जहाँ का हम दिखाते हैं। यहाँ हर दिल में खंजर है, यहाँ हर दिल में काँटा है।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 180 Share कुमार अविनाश केसर 25 Mar 2022 · 1 min read तुम क्या जानो तुम क्या जानो? मेरे भीतर, क्या-क्या पलता रहता है! इश्क़, दर्द या प्यार-मोहब्बत? क्या-क्या चलता रहता है! उनकी मजबूरी से मेरी आँतें ऐंठा करती हैं, जोड़ी भर आँखों की रातें,... Hindi · कविता 1 121 Share कुमार अविनाश केसर 25 Mar 2022 · 6 min read महाभिनिष्क्रमण 1. .................रास्ते में राजकुमार ने देखा - एक दुबला-पतला,आँखों से क्षीण रोशनी वाला व्यक्ति...फटे-पुराने और गंदे कंबल ओढ़े, रास्ते के किनारे पड़ा है। मर गया या लेटा है! "बाबा" -... Hindi · कहानी 304 Share कुमार अविनाश केसर 18 Mar 2022 · 1 min read माथे पे मुहब्बत लिख दिया है जर्रे जर्रे से उठ आएँगी अब तो सदाएँ दरो दीवार पे हमने तेरा नाम लिख दिया है। सर तमन्नाओं के क़लम करके कागज़ पे मैंने हाले दिल अपना पैगाम लिख... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 405 Share कुमार अविनाश केसर 16 Mar 2022 · 1 min read तुझे जिया बूँद से - समुंद तक तुम- इतना फैले... कि सिमट नहीं पाए... किसी भी अंक में। इतना विस्तार.... कि अणु से ब्रह्मांड तक- सिलसिले में है यात्रा... अनंत तक!! पर....... Hindi · कविता 500 Share कुमार अविनाश केसर 16 Mar 2022 · 1 min read सारा जगत बेचारा रे... नूपुर छनके, मधुर ध्वनि से, कर्ण बहे रसधारा रे...। विविध रूपों में, तू है छलका, सुंदर सहज सितारा रे...। दसों द्वार से, जब तू झाँके, पुलकित तन मन सारा रे...।... Hindi · कविता 173 Share कुमार अविनाश केसर 13 Mar 2022 · 1 min read सब धरा रह जाएगा इस धरा का, इस धरा पर, सब धरा रह जायेगा। Hindi · कोटेशन 194 Share कुमार अविनाश केसर 12 Mar 2022 · 1 min read कैनवास में माँ का चेहरा कल रात... किसी ने... खटखटाया द्वार! अनमने... ऊँघते... डगमगाते... खोल दिए.. मैंने - द्वार! बहुत देर तक.. कोई न झाँका!! देखा मैंने - मैंने ही देखा द्वार पार! बचपन खड़ा... Hindi · कविता 1 1 169 Share कुमार अविनाश केसर 12 Mar 2022 · 1 min read क्या लिखूंँ जलन तुम्हारी लिख डालूँ या घुटन का संसार तुम्हारा! माथे की बिंदिया लिख डालूँ या सुंदर सिंदूर तुम्हारा! आँखों की मुस्कान लिखूँ या मन के डर का तार तुम्हारा! कहो... Hindi · मुक्तक 1 190 Share कुमार अविनाश केसर 12 Mar 2022 · 1 min read टूटा हुआ तारा हूँ नसीब मुझको, मेरे घर का उजाला ना हुआ, चलता हुआ बंजारा हूँ कहाँ जाऊँ मैं! तुम्हें चमन की खुशबुएँ हो मुबारक, उजड़ा हुआ दयारा हूँ, कहाँ जाऊँ मैं! जलाए रखा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 202 Share कुमार अविनाश केसर 10 Mar 2022 · 1 min read शख्शियत माना कि खूबसूरत होता है गुलाब चमन में यारों. बहार - ए - गुलशन में वही खुदा तो नहीं होता! Hindi · शेर 255 Share कुमार अविनाश केसर 10 Mar 2022 · 1 min read घर की देहरी पर टंगा दिन घर की देहरी पर टंगा दिन कहता है, साँझ हुई अब नादानों आराम करो। माँ निकली है, तुलसी चौरे, लेकर बाती! दीपक की लौ हिलकर कहती 'नाम' करो। Hindi · मुक्तक 353 Share कुमार अविनाश केसर 10 Mar 2022 · 1 min read हमको क्या सीखलाते हैं टिम टिम करते नभ के तारे, हमको क्या सीखलाते हैं? सूरज-चंदा दूर गगन से, हम को क्या सीखलाते हैं? प्यारी चिड़िया अपनी धुन में, बोलो क्या-क्या गाती है? न्यारी-सी फूलों... Hindi · कविता · बाल कविता 269 Share कुमार अविनाश केसर 10 Mar 2022 · 1 min read तुमसे दूर जब जब दुनिया ने मुझे याद दिलाया मेरी चालाकी का अंदाज, मैं तुमसे दूर.. बहुत दूर... बहुत दूर होता गया। --- कुमार अविनाश केसर Hindi · मुक्तक 319 Share कुमार अविनाश केसर 10 Mar 2022 · 1 min read अनपढ़ माँ लोग कहते थे कि तुम... पढ़ना लिखना नहीं जानती। बस, ढोर-पशुओं को... देख सकती थी... पाल सकती थी... खिला पिला सकती थी... माँ! तूने - मुझे..... कैसे लिख दिया!! सोचता... Hindi · कविता 343 Share कुमार अविनाश केसर 10 Mar 2022 · 1 min read नारी विधाता, जब समेट नहीं पाया... अपने अंक में.... संसार! प्रकृति ने उठा लिए- सारे भार!! स्वयं जब दबने लगी.... बिखरने लगी... स्वयं ही सिहरने लगी.... तब खुद को कर दिया... Hindi · कविता 155 Share कुमार अविनाश केसर 7 Mar 2022 · 1 min read तुम मेरी तन्हाई रख लो तुम मेरी तन्हाई रख लो मैं तेरी रुसवाई रख लूँ। तुम वफ़ा हमारी रख लो, मैं तेरी बेवफाई रख लूँ। Hindi · मुक्तक 179 Share कुमार अविनाश केसर 7 Mar 2022 · 1 min read स्वेच्छा ये दर्द तुम्हारा है, जिसको मन हो,दे देना। सपने तिरते आँखों के, बस, मुझको ही दे देना। Hindi · मुक्तक 180 Share कुमार अविनाश केसर 7 Mar 2022 · 1 min read चमन में फूल खिलते रहें सिलसिले यूँ ही चलते रहें, हाथों से हाथ मिलते रहें, हम रहें, न रहें जहाँ में लेकिन चमन में फूल यूँ ही खिलते रहें। Hindi · शेर 166 Share कुमार अविनाश केसर 7 Mar 2022 · 1 min read कलम उठाऊँ तो क्या लिखूँ कलम उठाऊँ, तो क्या लिखूँ? गीत लिखूँ या प्यार तुम्हारा! जलन तुम्हारी लिख डालूँ, या घुटन का संसार तुम्हारा! माथे की बिंदिया लिख डालूँ या सुंदर सिंदूर तुम्हारा! आँखों की... Hindi · कविता 409 Share कुमार अविनाश केसर 7 Mar 2022 · 1 min read कल और आज कभी ईद की इबादतों में हम होते थे शरीक़, अब वो ईद में हमें अपने घर बुलाते हैं। कभी दीवारों पर लिखी थी इबारतें जो हमने, फुरसत में बैठकर आजकल... Hindi · शेर 172 Share कुमार अविनाश केसर 6 Mar 2022 · 1 min read क्षण-मुक्त तुम्हें- कहाँ देखूँ ? तुम खो गए कहीं.... जब-जब देखना चाहा! तुम्हें सुन नहीं पाता- सुनने का स्वांग करके। कभी यूँ ही... सन्नाटे में.... चिहुँक उठता हूँ। तुम, शायद कुछ... Hindi · कविता 161 Share कुमार अविनाश केसर 6 Mar 2022 · 1 min read शब्द और भाव शब्द- तुम तक.... नहीं पहुंचे। जब भी... उठे दर्द! कहीं भीतर से। आवाज पहुँची.... शब्द नहीं पहुंचे!! जब कभी... नाच उठा... मयूर मन। खिल उठे... दिग दिगंत... मन प्राण गूंज... Hindi · कविता 147 Share कुमार अविनाश केसर 6 Mar 2022 · 1 min read स्त्री स्त्री , विशाल है- मन से.... संसार से.... अस्तित्व से....। पुरुष? प्रयासरत है... पकड़ने को... समेटने को... अपने अस्तित्व में। जिस दिन स्त्री सिमट जाएगी। विलय हो जाएगा- पुरुष। तिल-तिल...... Hindi · कविता 365 Share कुमार अविनाश केसर 2 Mar 2022 · 1 min read बेटियों के प्रति बेटियों के प्रति मैं, कैसे भूल जाऊँ कि तुमने उड़ेल रखे थे - दर्द! अपने सारे। हथेली पर रक्खे नमक की तरह। जो अब चू रहे हैं - नमकीन पानी... Hindi · कविता 175 Share कुमार अविनाश केसर 2 Mar 2022 · 1 min read भगवान का दर्द राम! तुम एक चरित्र हो, ग्रंथों से जटिल लेकिन उससे भी पवित्र हो। जैसा नाम, वैसा काम! लेकिन कोई न दे सका वैसा दाम। तुम्हारी मर्यादा ने तुम्हें ही छल... Hindi · कविता 272 Share कुमार अविनाश केसर 2 Mar 2022 · 1 min read होली होली तुम ने खोली- मन की गठरी। राग रंग में हंसी ठिठोली। पत्तों-पत्तों, कली-फूल में घुल मिल गई - वासंती बोली। कोयल बोली - आई होली! मन में है उल्लास... Hindi · कविता 202 Share कुमार अविनाश केसर 2 Mar 2022 · 1 min read बुद्धत्व बुद्ध आये , मुस्कुराए और अंगुलिमाल हार गया। बुद्ध, हमेशा- आता है, मुस्कुराता है और अंगुलिमाल हार जाता है। नहीं, नहीं! बुद्ध नहीं आता! बुद्ध नहीं मुस्कुराता!! अंगुलिमाल नहीं हारता!!!... Hindi · कविता 206 Share कुमार अविनाश केसर 2 Mar 2022 · 1 min read तेरी याद सीने में है तेरी याद सीने में है तेरे जाने का ग़म अबतक मेरे सीने में है। तेरा वो खुद्दार सितम अबतक मेरे जीने में है, रफ्ता-रफ्ता तेरी साँसों-सी महकने लगी है। तेरी... Hindi · गीत 174 Share कुमार अविनाश केसर 22 Feb 2022 · 1 min read बसंत के गीत कहीं तीसी फुला गइल, कहीं मिसरी घुला गइल। इ बसंत आवत - आवत, हियरा जुड़ा गइल। लीचियो के डारी मोजर, अमवो के गाछ साजल। कोइली विदेशी आके, सब डार -... Bhojpuri · गीत 1 397 Share कुमार अविनाश केसर 22 Feb 2022 · 1 min read जनता ज़िंदाबाद हो गईल!! जनता ज़िंदा लाश हो गईल, घोड़वन स के घास हो गईल. जिनगी सब के झंड बनल बा, नेतवन के घमंड चढ़ल बा. जनधन योजना सबकर घर के धनवा धो गईल.... Bhojpuri · कविता 1 201 Share कुमार अविनाश केसर 22 Feb 2022 · 1 min read भँवरा बन बउराइल साजन रहिया उनकर देखत-देखत भर गइल अँखिया लोर। बटिया जोहत हियरा लचके जैसे बाँस मकोर।। भइल सजनिया चंदा मुखड़ा जैसे आँख चकोर, छटपट-छटपट जियरा तड़पे, चैन मिले ना थोड़। ए सखी,... Bhojpuri · कविता 1 372 Share Page 1 Next